देश में इमरजेंसी के 43 साल पूरे होने के मौके पर भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी है. इसी क्रम में केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तुलना जर्मन तानाशाह हिटलर से करते हुए कहा कि दोनों ने लोकतंत्र को तानाशाही में बदलने के लिए संविधान का इस्तेमाल किया था.
अपने फेसबुक पोस्ट पर अरुण जेटली ने लिखा- 'हिटलर और गांधी, दोनों ने कभी भी संविधान को रद्द नहीं किया. उन्होंने लोकतंत्र को तानाशाही में बदलने के लिए एक गणतंत्र के संविधान का उपयोग किया'. हिटलर ने संसद के अधिकतर नेताओं को गिरफ्तार करवा दिया था और अपनी अल्पमत की सरकार को संसद में दो तिहाई का साबित कर दिया था.
आइए जानते हैं कि कैसे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जर्मन तानाशाह हिटलर नहीं थीं-
- पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1977 में लोकसभा चुनाव कराने का ऐलान किया.
- इन चुनावों में कांग्रेस को मात्र 154 सीटों पर ही जीत मिली और अपनी हार भी स्वीकार की और जनतांत्रिक नेता की तरह सत्ता छोड़ दी.
- फिर से इंदिरा गांधी जनता के बीच जाकर उनका विश्वास हासिल किया और फिर से चुनाव जीता.
- साल 1980 के लोकसभा चुनावों में 353 सीटें जीती और पुनः प्रधानमंत्री बनीं.
ठीक इसके विपरीत अडोल्फ हिटलर एक तानाशाह था और लोकतंत्र में विश्वास नहीं रखता था. उसके अनुसार अधिकांश व्यक्ति मंदबुद्धि, मूर्ख, कायर और निकम्मे होते हैं जो अपना हित नहीं सोच सकते हैं. ऐसे लोगों का शासन कुछ भद्र लोगों द्वारा ही चलाया जाना चाहिए. इस तरह कहीं से भी दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तुलना अडोल्फ हिटलर से नहीं की जा सकती.