सीएम बनने का सपना संजोने वाली वीके शशिकला बेंगलुरू सेंट्रल जेल में है. आय से अधिक सम्पत्ति मामले में उन्हें चार साल की सजा सुनाई गई है. जेल में उनकी पहचान ना तो AIADMK की सेक्रेट्री के तौर पर होगी और ना ही किसी कद्दावर नेता के तौर पर. अब तो वो एक साधारण कैदी बन चुकी हैं. और आम कैदियों की तरह उनकी पहचान भी एक नंबर के तौर पर होगी. कैदी नंबर 9434. जी हां, ऐशो आराम की जिंदगी में रहने वाली शशिकला अब कैदी नंबर 9434 बन गई हैं. आइए जानते हैं उनकी जिंदगी में अब क्या-क्या बदलाव आ गए हैं...
AC रूम छोड़ अब रहेंगी चार दीवारियों के बीच
हमेशा एयर कंडीशन में रहने वाली शशिकला को अब 4 साल तक जेल की चार दीवारों के बीच रहना पड़ेगा. उनको ऐसी कोई सुविधा नहीं मिलेगी जो उनको घर में मिलती थी. शशिकला ने स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं (डायबिटीज) की वजह से जज से क्लास 1 बैरक मांगी थी. इस तरह की जेल में निजी टेलीविजन, घर से बना खाना, हफ्ते में दो बार मांसाहारी भोजन की व्यवस्था रहती है. लेकिन कोर्ट ने उनके अनुरोध को ठुकरा दिया. यानी अब उनको वही मिलेगा जो बाकी कैदियों को मिलता है.
सीएम बनने जा रही थीं... अब मोमबत्ती बनाएंगी
बाकी कैदियों की तरह शशिकला को भी जेल में काम करना होगा. शशिकला को मोमबत्ती बनाने का काम दिया गया है. इस काम के लिए हर रोज उनको 50 रुपए दिहाड़ी मिलेगी. हो सकता है शशिकला को इन रुपयों से महनत की कमाई का एहसास हो जाए. क्योंकि अब वो करोड़ों के घोटाले नहीं कर पाएंगी. अब तो उनकी मेहनत का पूरा हिसाब रहेगा.
नौकर नहीं... अब खुद ही करनी पड़ेगी देखभाल
घर में.. ऑफिस में... हर जगह शशिकला के आस पास सिक्योरिटी और नौकर घूमा करते होंगे. लेकिन जेल में उनको अपनी देखभाल खुद ही करनी होगी. छोटे से छोटे काम के लिए भी उनको उठना पड़ेगा. जिस बेरक में उनको रखा गया है वहां उनके साथ दो कैदी और भी साथ रह रहे हैं. यानी बिलकुल भी प्राइवेसी नहीं.
2 अखबारों के साथ काटना होगा दिन
जहां शशिकला को टीवी से, मोबाइल से या फिर कार्यकर्ताओं से खबर मिलती रहती होगी. लेकिन अब न उनके पास टीवी है, न मोबाइल और न कोई कार्यकर्ता. उनको अपना पूरा दिन 2 अखबारों के साथ काटना होगा.
मतलब 4 साल तक कैदियों वाली जिंदगी
कुल मिलाकर शशिकला अब कैदी नंबर 9434 हैं. यानी बाकी कैदियों की तरह उनको भी वैसा ही जीवन जीना होगा. गौरतलब है कि शशिकला ने इससे पहले 2014 में जयललिता के साथ तीन सप्ताह जेल में गुजारे थे. शायद वो जेल की जिंदगी जीना शायद सीख गई होंगी.
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