सुप्रीम कोर्ट के चार जजों की प्रेस कांफ्रेंस के बाद हर तरफ हड़कंप मचा हुआ है. ऊपर से लेकर नीचे तक हर कोई अलग अलग तरीके से रिएक्ट कर रहा है. नेताओं के अपने पक्ष हैं - और कानून से लेकर अलग अलग फील्ड के विशेषज्ञों की अपनी अपनी दलील. राजनीतिक गतिविधियां भी काफी बढ़ गयी हैं.
सीपीआई नेता डी. राजा की जस्टिस चेलमेश्वर से मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा को मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के घर के पास देखे जाने की भी खूब चर्चा है. ऐसे वाकयों पर किसी को आश्चर्य हो न हो विवाद होने पर सफाई में जो बातें बतायी जा रही हैं वो काफी दिलचस्प है.
मौका लोहड़ी का मौका और...
जजों की प्रेस कांफ्रेंस के एक दिन बाद सोशल मीडिया पर नृपेंद्र मिश्रा का नाम ट्रेंड करने लगा. दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी के प्रिंसिपल सेक्रेट्री मिश्रा को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के घर के बार कार में बैठे देखा गया. जैसे ही समाचार एजेंसी ANI ने जब ये तस्वीर ट्विटर पर शेयर की तरह तरह के कयास लगाए जाने लगे.
जनता की अदालत में जजों के आने के मामले को लेकर केंद्र सरकार की ओर से साफ किया गया था कि वो इस मामले में दखल नहीं देगी. केंद्र सरकार का कहना रहा कि ज्युडिशियरी को खुद ही इस मामले को सुलझाना चाहिए. कानून राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने कहा कि हमारी न्याय व्यवस्था को दुनिया भर में सम्मान के साथ देखा जाता है. उनका कहना था कि ये स्वतंत्र है और अपने मामले खुद सुलझा सकता है.
मंत्री के इस बयान के बार मान कर चला जा रहा था कि सरकार इस विवाद से खुद को अलग रखना चाहती है. अच्छी बात है, न्यायपालिका के लिए भी और सरकार के लिए भी. सबसे अच्छी बात तो ये लोकतंत्र के लिए है.
लेकिन जैसे ही मुख्य न्यायाधीश के घर के बाहर नृपेंद्र मिश्रा की कार में बैठी तस्वीर सामने आयी लोगों के कान...
सुप्रीम कोर्ट के चार जजों की प्रेस कांफ्रेंस के बाद हर तरफ हड़कंप मचा हुआ है. ऊपर से लेकर नीचे तक हर कोई अलग अलग तरीके से रिएक्ट कर रहा है. नेताओं के अपने पक्ष हैं - और कानून से लेकर अलग अलग फील्ड के विशेषज्ञों की अपनी अपनी दलील. राजनीतिक गतिविधियां भी काफी बढ़ गयी हैं.
सीपीआई नेता डी. राजा की जस्टिस चेलमेश्वर से मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा को मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के घर के पास देखे जाने की भी खूब चर्चा है. ऐसे वाकयों पर किसी को आश्चर्य हो न हो विवाद होने पर सफाई में जो बातें बतायी जा रही हैं वो काफी दिलचस्प है.
मौका लोहड़ी का मौका और...
जजों की प्रेस कांफ्रेंस के एक दिन बाद सोशल मीडिया पर नृपेंद्र मिश्रा का नाम ट्रेंड करने लगा. दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी के प्रिंसिपल सेक्रेट्री मिश्रा को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के घर के बार कार में बैठे देखा गया. जैसे ही समाचार एजेंसी ANI ने जब ये तस्वीर ट्विटर पर शेयर की तरह तरह के कयास लगाए जाने लगे.
जनता की अदालत में जजों के आने के मामले को लेकर केंद्र सरकार की ओर से साफ किया गया था कि वो इस मामले में दखल नहीं देगी. केंद्र सरकार का कहना रहा कि ज्युडिशियरी को खुद ही इस मामले को सुलझाना चाहिए. कानून राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने कहा कि हमारी न्याय व्यवस्था को दुनिया भर में सम्मान के साथ देखा जाता है. उनका कहना था कि ये स्वतंत्र है और अपने मामले खुद सुलझा सकता है.
मंत्री के इस बयान के बार मान कर चला जा रहा था कि सरकार इस विवाद से खुद को अलग रखना चाहती है. अच्छी बात है, न्यायपालिका के लिए भी और सरकार के लिए भी. सबसे अच्छी बात तो ये लोकतंत्र के लिए है.
लेकिन जैसे ही मुख्य न्यायाधीश के घर के बाहर नृपेंद्र मिश्रा की कार में बैठी तस्वीर सामने आयी लोगों के कान खड़े हो गए. आखिर क्या वजह हो सकती है? एक तरफ तो सरकार कह रही है कि वो न्यायपालिका के मामले में दखल नहीं देगी और दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी के प्रधान सचिव चीफ जस्टिस के घर के बाहर कार में बैठे देखे जाते हैं?
अगर किसी को इस बात पर आश्चर्य हुआ हो तो अलग बात है, लेकिन इस बारे में जो बताया गया वो कहीं ज्यादा दिलचस्प है. नृपेंद्र मिश्रा का कहना है कि ऑफिस जाते समय वो चीफ जस्टिस के आवास के गेट पर नए साल का ग्रीटिंग कार्ड देने के लिए रुके थे.
वैसे तो इसमें कोई बात नहीं. हर किसी की अपनी व्यस्तता होती है और नए साल में तो जब भी जिसे मौका मिलता है शुभकामनाएं देता है. देर से ज्यादा दिलचस्प बात ये है कि एक जनवरी से 13 तारीख आ गयी - फिर तो नए साल के साथ साथ लोहड़ी की भी बधाई बनती है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नृपेंद्र मिश्रा की कार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के घर के बाहर करीब पांच मिनट तक खड़े देखा गया. खबर है कि मिश्रा का एक सहायक मुख्य न्यायधीश के कैंप ऑफिस गया और तुरंत ही वापस आ गया. इसके बाद नृपेंद्र मिश्रा की कार वहां से रवाना हो गई.
अभी विवाद खत्म हुआ तो नहीं लगता
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को मालूम नहीं कैसे लग रहा था कि न्यायपालिका का ये ऐतिहासिक विवाद एक ही दिन में खत्म हो जाएगा. वेणुगोपाल ने कहा था कि सभी जजों के साथ मिल कर मामले को सुलझा लिया जाएगा - लेकिन जस्टिस चेलामेश्वर और चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की मुलाकात का कोई सीन नजर नहीं आया. एक खास बात और भी थी कि सवाल खड़े करने वाले चार जजों में से तीन दिल्ली से बाहर गए हुए बताए जाते हैं. जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद अटॉर्नी जनरल ने चीफ जस्टिस मिश्रा से मुलाकात की थी. वेणुगोपाल का कहना रहा कि कि मुख्य न्यायाधीश ने वादा किया है कि वो मीडिया में कुछ नहीं बोलेंगे. जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एमबी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने मीडिया के सामने साथ आकर लोकतंत्र के खतरे में होने की आशंका जतायी थी.
चारों में से एक जस्टिस जोसेफ केरल में हैं और अपने पैतृक आवास पर उन्होंने कुछ मलयाली टीवी चैनलों से बातचीत में उम्मीद जतायी कि मामले को सुलझा लिया जाएगा. उन्होंने कहा - हम न्याय और न्यायपालिका के हित में खड़े हुए हैं और इससे ज्यादा मुझे कुछ नहीं कहना. अपने कदम से उन्होंने न्यायपालिका में पारदर्शिता आने की भी उम्मीद जतायी. जस्टिस जोसेफ ने इस बात से इंकार किया कि जनता के अदालत में आने के उनके फैसले से शीर्ष अदालत के अनुशासन भंग हुआ है.
इन्हें भी पढ़ें :
जस्टिस चेलमेश्वर के घर डी राजा के जाने को क्या समझें?
देश के चीफ जस्टिस के खिलाफ 'बगावत' !
पहले भी न्यायपालिका पर उठे हैं सवाल, किसी ने इस्तीफा दिया तो कोई धरने पर बैठा
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.