पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी लगातार तीसरी बार सत्ता के शिखर पर पहुंचने जा रही हैं. चुनावी रुझानों में 200 से ज्यादा सीटें पर बढ़त ने तृणमूल कांग्रेस की मुखिया की जीत की घोषणा कर दी है. ममता बनर्जी ने अपनी राह के कांटों को बहुत ही 'महीन और जहीन' तरीके से हटाते हुए पश्चिम बंगाल का चुनावी युद्ध जीत लिया है. रुझान बता रहे हैं कि तृणमूल कांग्रेस की जीत की कहानी लिखने में राज्य की 'आधी आबादी' ने खुलकर ममता बनर्जी का साथ दिया है. पश्चिम बंगाल की 49 फीसदी महिला मतदाताओं ने राज्य में ममता की लहर को तय कर दिया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का साथ देने वाली महिलाओं ने नरेंद्र मोदी की करिश्माई शख्सियत से किनारा करते हुए 'दीदी' के हाथ में बंगाल की सत्ता सौंप दी है. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि बंगाल में महिला मतदाताओं ने भाजपा को चकमा कैसे और किन वजहों से दिया?
पश्चिम बंगाल की 3.7 करोड़ महिला मतदाताओं ने भाजपा के साथ 'खेला' कर दिया.
'दीदी' की महिला केंद्रित योजनाओं को नजरअंदाज करना
पश्चिम बंगाल की 3.7 करोड़ महिला मतदाताओं ने भाजपा के साथ 'खेला' कर दिया. इसका सीधा सा कारण भाजपा द्वारा मुख्यमंत्री की महिला केंद्रित योजनाओं को नजरअंदाज करना रहा. ममता बनर्जी सरकार ने स्वास्थ्य साथी, कन्याश्री, रूपाश्री, मातृत्व/शिशु देखभाल योजना सहित सैकड़ों छोटी-बड़ी महिला केंद्रित योजनाओं के तहत शिक्षा और विवाह के लिए नकद राशि का भुगतान, छात्राओं को मुफ्त साइकिल देना, शिक्षा ऋण, विधवा पेंशन और राशन मुहैया कराने जैसी कई योजनाएं चला रखी हैं. भाजपा ने इन योजनाओं को ध्यान में रखते हुए कोई खास योजना नहीं बनाई. हालांकि, भाजपा ने हायर सेंकेड्री की पढ़ाई पूरी करने वाली अविवाहित महिलाओं को ममता बनर्जी सरकार की ओर से मिलने वाली 25000 की नकद सहायता की तुलना में 2 लाख देने का वादा किया था. लेकिन, महिला मतदाताओं ने इन वादों पर भाजपा का साथ नहीं दिया. केंद्र सरकार की आयुष्मान और उज्जवला योजना के वादे को बंगाल की महिला वोटरों ने सिरे से खारिज कर दिया.
ममता बनर्जी को व्हीलचेयर से मिली सहानुभूति
चुनाव प्रचार के दौरान एक हादसे में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी घायल हो गई थीं. जिसके बाद उन्होंने पश्चिम बंगाल में पूरा चुनाव प्रचार व्हीलचेयर पर बैठकर किया था. व्हीलचेयर से ममता बनर्जी को मिलने वाली सहानुभूति पर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन राज्य की महिला मतदाताओं ने इन अटकलों पर विराम लगा दिया. बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने व्हीलचेयर पर बैठी ममता को लेकर कई अमर्यादित बयान दिए थे. जिसके नतीजे में 'साइलेट वोटरों' ने दीदी पर जमकर सहानुभूति की ममता बरसा दी.
जनता के सामने खुद को 'बंगाल की बेटी' के तौर पर पेश करने में ममता बनर्जी ने बाजी मार ली.
अकेली महिला के खिलाफ भाजपा की आर्मी का आक्रमण नागवार गुजरा
जनता के सामने खुद को 'बंगाल की बेटी' के तौर पर पेश करने में ममता बनर्जी ने बाजी मार ली. भाजपा के स्टार प्रचारकों की सेना के आगे पूरे चुनाव प्रचार में ममता बनर्जी अकेले दम पर ही लोहा लेती नजर आईं. चुनाव प्रचार में भाजपा के निशाने पर ममता बनर्जी ही रहीं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने भाषणों में मजाकिया लहजे में 'दीदी..ओ दीदी' कहकर लगातार ममता बनर्जी पर हमला बोला. भाजपा का 'दीदी' पर किया गया ये हमला बुरी तरह से बैकफायर हो गया. तृणमूल कांग्रेस ने ममता बनर्जी पर किए गए भाजपा के इस हमले को बंगाल की संस्कृति और महिलाओं पर हमले के तौर पर पेश किया. भाजपा शासित राज्यों में महिला अपराधों की वृद्धि को उजागर करने और ममता सरकार की योजनाओं को बताने के लिए तृणमूल कांग्रेस ने एक गैर राजनीतिक मोर्चे 'बोंगो जननी' का गठन किया था. इन सभी कोशिशों के नतीजे टीएमसी के पक्ष में आते दिख रहे हैं.
महिलाओं को उदारता से टिकट देकर दिल जीता
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने 291 उम्मीदवारों में से 50 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया था. पिछली बार के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 45 महिला उम्मीदवारों पर दांव खेला था. इस बार पार्टी ने 5 और महिलाओं को प्रत्याशी घोषित करते हुए महिला सशक्तिकरण के मुद्दे को भुनाने की कोशिश की थी, जो पूरी तरह से कामयाब रही. 2011 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने 31 महिला प्रत्याशियों पर दांव लगाया था. हर चुनाव के साथ ममता बनर्जी ने महिला उम्मीदवारों पर भरोसा जताया. इसी भरोसे के सहारे उन्होंने महिला मतदाताओं का भरोसा भी जीत लिया.
भाजपा के चुनावी एजेंडे में मुख्य रूप से पुरुष केंद्रित मुद्दे ही शामिल रहे, जिसका खामियाजा पार्टी को बंगाल में भुगतना पड़ा.
भाजपा को पुरूष केंद्रित मुद्दों पर चुनाव लड़ना पड़ा भारी
भाजपा ने पश्चिम बंगाल में महिलाओं के लिए फ्री यात्रा, नकद योजनाओं समेत कई घोषणाएं की थीं. लेकिन, भाजपा के चुनावी एजेंडे में मुख्य रूप से पुरुष केंद्रित मुद्दे ही शामिल रहे, जिसका खामियाजा पार्टी को बंगाल में भुगतना पड़ा. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोतस्करी, अमित शाह ने बांग्लादेशी घुसपैठिये और नरेंद्र मोदी ने ममता बनर्जी को निशाने पर लिया. भाजपा के तकरीबन हर स्टार प्रचारक ने हिंदुत्व से लेकर वोटों के ध्रुवीकरण तक में पुरुष केंद्रित मुद्दों को ही सामने रखा. भाजपा के प्रचार से महिलाओं के मुद्दे पूरी तरह से नदारद रहे. प्रधानमंत्री आवास योजना के प्रचार में किराये के मकान में रहने वाली महिला की फोटो छापने पर भी भाजपा को बड़ा झटका मिला था. तृणमूल कांग्रेस ने इस मुद्दे को काफी उछाला था.
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