पीएम मोदी ने एक ट्वीट किया और लिखा कि 11.45 से 12.00 बजे के बीच वह एक महत्वपूर्ण संदेश लेकर आएंगे. जैसे ही पीएम ने ये ट्वीट किया, उसके बाद से ही तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे कि आखिर पीएम मोदी कौन सी घोषणा कर सकते हैं. पीएम मोदी के इस ट्वीट ने तो नवंबर 2016 की नोटबंदी वाली घोषणा तक की याद दिला दी. करीब 12.15 के करीब पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम संदेश दिया. लोगों के कयास सिर्फ धरती तक सीमित थे, लेकिन पीएम मोदी की घोषणा अतंरक्षित से जुड़ी निकली.
पीएम मोदी ने कहा- 'आज 27 मार्च को भारत ने अतंरक्षित में अभूतपूर्व सिद्धि प्राप्त की है. आज भारत ने अपना नाम स्पेस पावर के रूप में दर्ज करा दिया है. अब तक जो तकनीक सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन के पास थी, अब वह भारत के पास भी है, जिसे देश में ही विकसित किया गया है. वैज्ञानिकों ने लो अर्थ ऑर्बिट यानी एलईओ में स्थित एक लाइव सैटेलाइट को मार गिराया है. इसे एंटी सैटेलाइट A-SAT के जरिए गिराया है और इस ऑपरेशन में सिर्फ 3 मिनट का समय लगा. वैज्ञानिकों ने निर्धारित लक्ष्य और उद्देश्य प्राप्त कर लिया है.'
अंतरिक्ष में हुई इस कार्रवाई को 'मिशन शक्ति' का नाम दिया गया है. भारत की इस बड़ी उपलब्धि पर सभी देशवासी गर्व कर रहे हैं, लेकिन साथ ही ये भी जानना चाहते हैं कि आखिर लो अर्थ ऑर्बिट क्या है? इसमें सैटेलाइट का होना देश की सुरक्षा पर खतरा कैसे हो सकता है? क्या जिस सैटेलाइट को मार गिराया है, वह भारत की जासूसी कर रहा था?
क्या है 'लो अर्थ ऑर्बिट' यानी एलईओ?
धरती के चारों ओर उसकी सतह से 160 किलोमीटर से 2000 किलोमीटर तक का क्षेत्र लो अर्थ ऑर्बिट में आता है. अधिकतर सैटेलाइट इसी में स्थापित किए जाते हैं. सेना के भी अधिकतर...
पीएम मोदी ने एक ट्वीट किया और लिखा कि 11.45 से 12.00 बजे के बीच वह एक महत्वपूर्ण संदेश लेकर आएंगे. जैसे ही पीएम ने ये ट्वीट किया, उसके बाद से ही तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे कि आखिर पीएम मोदी कौन सी घोषणा कर सकते हैं. पीएम मोदी के इस ट्वीट ने तो नवंबर 2016 की नोटबंदी वाली घोषणा तक की याद दिला दी. करीब 12.15 के करीब पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम संदेश दिया. लोगों के कयास सिर्फ धरती तक सीमित थे, लेकिन पीएम मोदी की घोषणा अतंरक्षित से जुड़ी निकली.
पीएम मोदी ने कहा- 'आज 27 मार्च को भारत ने अतंरक्षित में अभूतपूर्व सिद्धि प्राप्त की है. आज भारत ने अपना नाम स्पेस पावर के रूप में दर्ज करा दिया है. अब तक जो तकनीक सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन के पास थी, अब वह भारत के पास भी है, जिसे देश में ही विकसित किया गया है. वैज्ञानिकों ने लो अर्थ ऑर्बिट यानी एलईओ में स्थित एक लाइव सैटेलाइट को मार गिराया है. इसे एंटी सैटेलाइट A-SAT के जरिए गिराया है और इस ऑपरेशन में सिर्फ 3 मिनट का समय लगा. वैज्ञानिकों ने निर्धारित लक्ष्य और उद्देश्य प्राप्त कर लिया है.'
अंतरिक्ष में हुई इस कार्रवाई को 'मिशन शक्ति' का नाम दिया गया है. भारत की इस बड़ी उपलब्धि पर सभी देशवासी गर्व कर रहे हैं, लेकिन साथ ही ये भी जानना चाहते हैं कि आखिर लो अर्थ ऑर्बिट क्या है? इसमें सैटेलाइट का होना देश की सुरक्षा पर खतरा कैसे हो सकता है? क्या जिस सैटेलाइट को मार गिराया है, वह भारत की जासूसी कर रहा था?
क्या है 'लो अर्थ ऑर्बिट' यानी एलईओ?
धरती के चारों ओर उसकी सतह से 160 किलोमीटर से 2000 किलोमीटर तक का क्षेत्र लो अर्थ ऑर्बिट में आता है. अधिकतर सैटेलाइट इसी में स्थापित किए जाते हैं. सेना के भी अधिकतर सैटेलाइट इसी में होते हैं. कोई भी सर्विलांस और जासूसी वाले सैटेलाइट इसी कक्षा में स्थापित किए जाते हैं, क्योंकि वहां से धरती की सतह आसानी से देखी जा सकती है. एलईओ में सबसे अधिक सैटेलाइट होने की वजह से इसी में सबसे अधिक अंतरिक्ष का कचरा भी है, जो सैटेलाइट्स के नुकसान होने या पुराने होकर बेकार हो जाने की वजह से जमा हुआ है.
चीन के जासूसी उपग्रहों के लिए जरूरी थी ये ताकत
भारत ने एंटी सैटेलाइट मिसाइल के जरिए दुनिया को अपनी ताकत तो दिखाई ही है, साथ ही चीन को भी स्पष्ट संकेत दे दिया है कि वह भारत के ऊपर मंडराने वाले जासूसी उपग्रहों को खतरा महसूस होने पर मार गिराएगा. पाकिस्तान से लगातार बढ़ता चीन का लगाव, मसूद अजहर को आतंकी घोषित नहीं करने देना और कुछ समय पहले डोकलाम में दोनों देशों की सेनाओं के आमना-सामना होने के संदर्भ में भी भारत का ये परीक्षण बहुत ही अहम है. पाकिस्तान के साथ तनाव की हालत में भी भारत को आशंका रही है कि चीन के सैटेलाइट भारतीय सेनाओं की गतिविधि को देखकर पाकिस्तान को सूचित कर सकते हैं. आपको बता दें कि चीन ने तो ये टेस्ट 11 जनवरी 2007 को ही कर लिया था. उसने अपनी करीब 750 किलो की मौसम का हाल बताने वाली सैटेलाइट को तबाह कर दिया था, जो करीब 865 किलोमीटर की दूरी पर स्थित थी. अब तक सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन के पास ये तकनीक थी, जिसमें अब भारत का नाम भी जुड़ गया है.
इसरो का ही था वो सैटेलाइट, जिसे मार गिराया गया
पीएम मोदी के संदेश के बाद इस बात पर बहस छिड़ गई कि एंटी सैटेलाइट मिसाइल के जरिए जिस सैटेलाइट को मार गिराया गया है वह कोई जासूसी वाला सैटेलाइट था या भारत का सिर्फ एक परीक्षण. और अगर ये भारत का सिर्फ एक परीक्षण था तो पीएम मोदी ने ऐसा क्यों कहा कि सैटेलाइट को मार गिराया गया है? खैर, हकीकत ये है कि जिस सैटेलाइट को मार गिराने की बात पीएम मोदी ने कही उसे इसरो ने ही इसी साल 24 जनवरी को लॉन्च किया था, जो एक माइक्रो सैटेलाइट था.
उम्मीद तो थी कि दाऊद इब्राहिम या मसूद अजहर जैसे आतंकियों के बारे में खबर आएगी
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इस समय देश में आचार संहिता लागू है, इसलिए ये तो तय था कि इस बार नोटबंदी जैसी कोई घोषणा नहीं होनी थी. लेकिन इस बात की भनक लग चुकी थी कि मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हो सकता है. देर रात को ही रक्षा मंत्रालय में हलचल के बाद इस बात की भनक लगी थी कि अगले दिन कुछ बड़ा होगा, लेकिन कुछ भी स्पष्ट नहीं हो सका था.
कयास ये भी लगाए जा रहे थे कि उनकी घोषणा पाकिस्तान से जुड़ी हो सकती है. हो सकता है कि मसूद अजहर से जुड़ी कोई घोषणा हो. पाकिस्तान पर हुई एयर स्ट्राइक के दौरान राजनाथ सिंह ने कहा था कि स्ट्राइक एक और हुई है, जिसकी जानकारी अभी नहीं दी जा सकती है. तो ये भी संभावना जताई जा रही थी हो सकता है उस दूसरी स्ट्राइक की बात आज हो, लेकिन बात हुई अतंरिक्ष की.
प्रभु चावला ने अपने ट्विटर पर लिखा- 'हमें ये नरेंद्र मोदी पर ही छोड़ना होगा, वो अकेले ही फैसला करते हैं कि कब, क्या और कैसे करने है. कुछ भी लीक होने या अनुमान लगाने की कोई संभावना नहीं है. यहां तक की तगड़े कॉन्टैक्ट्स वाले पत्रकारों के लिए ये पता करना मुश्किल है कि वह क्या बोलने वाले हैं.'
व्यंग्य करते हुए जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया- 'वह लोकसभा चुनावों के नतीजों की घोषणा करने वाले हैं.'
राजनीतिक फायदा उठाने पहुंची कांग्रेस
अभी पीएम मोदी ने मिशन शक्ति ऑपरेशन के बारे में घोषणा की ही थी कि कांग्रेस ने इसका क्रेडिट लेने की कोशिश में एक ट्वीट कर दिया. ट्वीट में लिखा- 'हम इसरो और सरकार को भारत की इस बड़ी उपलब्धि के लिए बधाई देते हैं. इंडियन स्पेस प्रोग्राम को 1961 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने शुरू किया था और इसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन) को इंदिरा गांधी की सरकार के अंतर्गत शुरू किया गया था. इंदिरा गांधी ने हमेशा भारत का मान बढ़ाने वाले काम किए.'
पीएम मोदी की घोषणा चुनावों से जुड़ी तो कतई नहीं थी, लेकिन चुनाव पर इसका असर पड़ना लाजमी है. विपक्ष ये सवाल उठा सकता है कि क्या इस परीक्षण के लिए मोदी सरकार ने गलत समय नहीं चुना. आपको बता दें कि नोटबंदी के बाद यूपी विधानसभा चुनाव में उसका काफी असर देखा गया था और इसी की वजह से यूपी में भाजपा प्रचंड बहुमत से जीती थी. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि लोकसभा चुनावों में पीएम मोदी की ये घोषणा कितना असर डालती है.
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