पाकिस्तान में 70-80 के दशक में एक राष्ट्रपति थे जिया उल हक, जिन्हें उनके तानाशाही रवैया के लिए जाना जाता था. जिया के सत्ता में आने से पहले पाकिस्तान वो नहीं हुआ करता था जो आज है. उसने सत्ता में आते ही सब कुछ बदल दिया है. क्या कानून, क्या कायदे, क्या नियम. आज जिया की बात इसलिए हो रही है क्योंकि उनके ही नक्शे कदम पर चलने की कोशिश में हैं पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री इमरान खान. हाल ही में उन्होंने एक निजी चैनल पर आ रहे पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के इंटरव्यू को बीच में ही रुकवा दिया. जनता के चुने हुए नेता इमरान खान अब खुद को पाकिस्तान का शासक समझने लगे हैं, वो भी तानाशाह शासक. वह नया पाकिस्तान बनाने की बात करते हैं. कहीं ये नया पाकिस्तान जिया उल हक के पाकिस्तान जैसा तो नहीं होगा?
इसे तानाशाही नहीं तो फिर क्या कहेंगे कि मीडिया की आवाज बंद कर दी गई. मीडिया को बोलने से रोकने के तो कई वाकये सामने आते हैं, लेकिन बोलती हुई मीडिया को चुप कराना ठीक वैसा ही है, जैसे आवाज उठाने वाली भीड़ पर गोलियां चला देना. बेशक जरदारी विपक्षी पार्टी के हैं, लेकिन उनके इंटरव्यू से इमरान खान को कैसा डर? वैसे, इमरान खान ने जरदारी के इंटरव्यू पर रोक लगाकर अपने तानाशाही रवैये का सबूत दे दिया है. उन्होंने साफ कर दिया है कि विरोध में उठने वाली आवाजों को दबा दिया जाएगा. वैसे इमरान खान जब क्रिकेट टीम के कप्तान थे, तब भी उनका रवैया तानाशाही ही था.
मामला क्या है, जिसने जिया उल हक की याद दिला दी
पाकिस्तानी चैनल जियो न्यूज पर सोमवार को पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी का इंटरव्यू आ रहा था. इसी बीच अचानक इंटरव्यू रोक दिया गया....
पाकिस्तान में 70-80 के दशक में एक राष्ट्रपति थे जिया उल हक, जिन्हें उनके तानाशाही रवैया के लिए जाना जाता था. जिया के सत्ता में आने से पहले पाकिस्तान वो नहीं हुआ करता था जो आज है. उसने सत्ता में आते ही सब कुछ बदल दिया है. क्या कानून, क्या कायदे, क्या नियम. आज जिया की बात इसलिए हो रही है क्योंकि उनके ही नक्शे कदम पर चलने की कोशिश में हैं पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री इमरान खान. हाल ही में उन्होंने एक निजी चैनल पर आ रहे पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के इंटरव्यू को बीच में ही रुकवा दिया. जनता के चुने हुए नेता इमरान खान अब खुद को पाकिस्तान का शासक समझने लगे हैं, वो भी तानाशाह शासक. वह नया पाकिस्तान बनाने की बात करते हैं. कहीं ये नया पाकिस्तान जिया उल हक के पाकिस्तान जैसा तो नहीं होगा?
इसे तानाशाही नहीं तो फिर क्या कहेंगे कि मीडिया की आवाज बंद कर दी गई. मीडिया को बोलने से रोकने के तो कई वाकये सामने आते हैं, लेकिन बोलती हुई मीडिया को चुप कराना ठीक वैसा ही है, जैसे आवाज उठाने वाली भीड़ पर गोलियां चला देना. बेशक जरदारी विपक्षी पार्टी के हैं, लेकिन उनके इंटरव्यू से इमरान खान को कैसा डर? वैसे, इमरान खान ने जरदारी के इंटरव्यू पर रोक लगाकर अपने तानाशाही रवैये का सबूत दे दिया है. उन्होंने साफ कर दिया है कि विरोध में उठने वाली आवाजों को दबा दिया जाएगा. वैसे इमरान खान जब क्रिकेट टीम के कप्तान थे, तब भी उनका रवैया तानाशाही ही था.
मामला क्या है, जिसने जिया उल हक की याद दिला दी
पाकिस्तानी चैनल जियो न्यूज पर सोमवार को पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी का इंटरव्यू आ रहा था. इसी बीच अचानक इंटरव्यू रोक दिया गया. जनता इसे समझ नहीं सकी, जब तक चैनल के एंकर हामिद मीर ने खुद सामने आकर इसकी वजह नहीं बताई. उन्होंने कहा- 'मैं अपने दर्शकों से माफी मांगना चाहता हूं कि जियो न्यूज पर एक इंटरव्यू शुरू हुआ और फिर बंद कर दिया गया. मैं इसके बारे में और जानकारियां दूंगा, लेकिन ये समझा जा सकता है कि इसे किसने रुकवाया है. हम एक स्वतंत्र देश में नहीं रह रहे हैं.'
हामिद मीर कहते हैं कि उन्होंने पूरी दुनिया से फोन आ रहे हैं और लोग पूछ रहे हैं कि क्या हो गया? सोशल मीडिया पर फैल रहे इस इंटरव्यू की एक छोटी सी क्लिप में जरदारी ने एक बड़े घोटाले की बात की है, जिसमें इमरान खान का भी नाम आ रहा है. हामिद मीर ने इंटरव्यू रुकवाने पर कहा है कि क्या जरदारी एहसानुल्लाह से भी बड़े अपराधी हैं, जो उनका इंटरव्यू रोका गया है. पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के चेयरमैन बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा है कि ये सरकार सिर्फ कुछ ही लोगों की आवाज सुनना चाहती है. जरदारी के इंटरव्यू को तब रोका गया, जब वह चल रहा था. जिया के पाकिस्तान, मुशर्रफ के पाकिस्तान और नए पाकिस्तान में अब कोई फर्क नहीं रह गया है.
क्रिकेट में भी इमरान खान करते थे तानाशाही
इमरान खान का जैसा तानाशाही रवैया सामने आया है, वो क्रिकेट में भी ऐसा ही था. क्रिकेट में टीम के कप्तान रहते हुए इमरान खान सिर्फ अपनी ही चलाते थे. दरअसल, ये पाकिस्तान की राजनीति और क्रिकेट दोनों में ही एक दस्तूर जैसा है. जैसे-जैसे कोई सीनियर होता जाता है, उसे लगने लगता है कि वह अन्य लोगों से महत्वपूर्ण है. और एक दिन वह शख्स खुद को इतना महत्वपूर्ण समझने लगता है कि तानाशाह राजा बनने की ख्वाहिश पाल लेता है. यही हुआ जिया उल हक के साथ और इमरान खान भी उसी के नक्शे कदम पर चलते हुए से दिख रहे हैं.
एक नजर जिया के पाकिस्तान पर भी
बिलावल ने इमरान खान की तुलना जिया उल हक से की, हामिद मीर ने कह दिया है कि ये स्वतंत्र देश नहीं, तो फिर जिया के पाकिस्तान में ऐसा क्या था? ये बात 70 के दशक की है, जब जिया उल हक के काम से प्रभावित होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री जल्फिकार अली भुट्टो ने उन्हें चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बना दिया था. यूं लगा मानो जिया को इसी मौके का इंजतार था. 5 जुलाई 1977 को जिया ने तख्तापलट कर दिया और प्रधानमंत्री जुल्फिकार भुट्टो को जेल में डाल दिया. पूरी दुनिया सदमे में थी और देखते ही देखते वो दिन भी आ गया, जब जिया ने जुल्फिकार भुट्टो को फांसी पर लटका दिया. आपको बता दें कि इस समय जरदारी जेल में ही बंद हैं और सोमवार को उन्हें पार्क लेन मामले में गिरफ्तार किया गया है जो लंदन में कथित संपत्तियों से जुड़ा है. उनकी बहन भी लाखों डॉलर के घपले के मामले में राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) की हिरासत में हैं. यानी जिया की तरह इमरान खान ने पूर्व राष्ट्रपति को सलाखों के पीछे तो पहुंचा दिया है, अब बस ये सुनिश्चित करना है कि वह कभी बाहर न आ पाएं.
भुट्टो की मौत के बाद जिया मिलिट्री शासक थे और उन्होंने पाकिस्तान में धर्म का ड्रामा शुरू कर दिया. देश का कानून ही बदल डाला. शरिया के हिसाब से देश चलाने लगे. बलात्कार और डाकुओं को मृत्युदंड देना शुरू हो गया. चोरी पर हाथ काटे जाने का प्रावधान किया गया. दारू पीने वालों को 80 कोड़े मारने की सजा का प्रस्ताव हुआ. यहां तक की अपराधियों के पत्थर से पीट-पीट कर मारने के प्रावधान तक लाए गए. इससे पहले भारत और पाकिस्तान के बीच भी वैसी लड़ाई थी, जैसी दो भाइयों के बंटवारे के बाद अलग होने पर होती है. लेकिन जिया ने इस लड़ाई को सांप्रदायिक रंग दे दिया. देखते ही देखते हिंदू-मुस्लिम की बातें आम हो गईं.
पाकिस्तान की राजनीति में जिया उल हक के आने के बाद एक दिलचस्प मोड़ आया था. कानून से लेकर शासन के तरीके तक सब कुछ जिया ने बदल दिया. अब इमरान खान सत्ता में हैं तो वह एक अलग ही तरीके से पाकिस्तान चला रहे हैं. वह एक नया पाकिस्तान बनाने का दावा कर रहे हैं. अब ये नया पाकिस्तान वाकई नया होगा या जिया उल हक के पुराने पाकिस्तान जैसा होगा, ये देखना दिलचस्प होगा. वैसे इमरान खान ने शुरुआत तो कर दी है, देखना ये होगा कि वह कहां जाकर ठहरते हैं.
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