पाकिस्तान(Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान((Imran Khan)) ने कहा कि भारत में लागू किए गए नागरिकता कानून(CAA) के कारण लाखों मुस्लिमों को भारत छोड़ना पड़ेगा और इससे पूरी दुनिया में शरणार्थियों की समस्या पैदा होगी. इसके साथ ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने यह भी साफ कर दिया है कि भारत में नागरिकता कानून के कारण अगर बहुत से मुसलमान देश छोड़ने को मजबूर होते हैं तो पाकिस्तान उन्हें शरण नहीं देगा. इस तरह की बयान बाजी करके इमरान खान ने अपनी अज्ञानता साफ कर दी है. उन्हें जान लेना चाहिए कि कोई भी भारतीय मुसलमान पाकिस्तान की तरफ देखता भी नहीं है.
स्विट्जरलैंड के जेनेवा में आयोजित 'ग्लोबल फोरम ऑफ रिफ्यूजी' में बोलते हुए इमरान खान ने कहा कि भारत में लागू किए गए नागरिकता कानून के कारण लाखों मुस्लिमों को भारत छोड़ना पड़ेगा. उनकी जानकारी बेहूदगी भरी और अध कचरी है. वे जान लें कि भारत में नागरिकता कानून के लागू होने से मुसलमानों पर कोई असर नहीं होगा. इस कानून के तहत 2015 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए छह धार्मिक अल्पसंख्यकों- हिंदू, पारसी, जैन, ईसाई, बौद्ध और सिखों के अवैध प्रवासियों को नागरिकता प्रदान की जाएगी.
इमरान खान बरसों से देश में रह रहे हैं आजकल सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस को भी कोसते रहते हैं. उनका यही कहना है कि कांग्रेस और भाजपा में फर्क ही क्या है जब वे वादा तो करते है पर पूरा नहीं करते. इमरान ख़ान कहते है कि भारत के कट्टर हिंदू पाकिस्तान की स्थापना से कभी भी ख़ुश नहीं थे और इसके ख़ात्मे के ख़्वाहिशमंद हैं. इस सिलसिले में वो 1971 में बांग्लादेश की स्थापना में भारत की भूमिका को एक बड़ी ठोस मिसाल के तौर पर पेश करते हैं. लेकिन वो 1999 में बीजेपी के ही प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के लाहौर दौरे, ख़ास तौर पर मीनारे पाकिस्तान आने और पाकिस्तान को एक हक़ीक़त के रूप में स्वीकार करने जैसे उनके बयानों को भी पूरी तरह स्वीकार करने को भी तो कभी तैयार नहीं हुए.
इमरान खान का कहना है कि CAA के कारण अगर भारत के मुसलमान देश छोड़ते हैं तो पाकिस्तान उन्हें शरण नहीं देगा
इमरान और उनके देश का मीडिया तो भारत में बसने वाले मुसलमानों को 'मज़लूम और पिसी हुई आबादी' के तौर पर ही दिखाता है. आप देख सकते हैं कि पाकिस्तान सरकार सिवाय अटल बिहारी वाजपेयी के संक्षिप्त दौर के बीजेपी से दोस्ताना संबंध नहीं रख पाई है. वह कांग्रेस को हमेशा अधिक संतुलित मानती रही है. भारत के इतिहास में कोई भी सरकार कश्मीर की हैसियत को तब्दील करने के बारे में सिर्फ़ सोच ही भर सकती थी लेकिन मोदी के बीजेपी ने इसे हक़ीक़त का रूप दे दिया. पाकिस्तान में पहले भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का ज़िक्र तो भारत के साथ आता रहा है. लेकिन अब प्रधानमंत्री इमरान खान खास तौर से इसका ज़िक्र करने लगे हैं. इसकी वजह है आरएसएस को पाकिस्तान में बिना किसी शक के सत्तारूढ़ बीजेपी की वैचारिक बुनियाद माना जाता है. पाकिस्तान को लगता है कि बीजेपी के सभी नीतियां आरएसएस की कोख से जन्म लेती हैं.
खैर, इमरान के ताज़ा बयानों पर इतना ही कहा जा सकता कि भारत का मुस्लिम समाज सामान्य देशभक्त है और पूरी तरह शतप्रतिशत सुरक्षित है. उसे इमरान की किसी नसीहत की जरूरत भी नहीं है. इमरान को अपने देश पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों की चिंता करनी चाहिए जिन पर वर्षों से अत्याचार होता आ रहा है.
भारत के मुसलमानों के बारे में इमरान खान ने जो टिप्पणी की है वो घोर निन्दनीय है. उन्हें अच्छी तरह पता होना चाहिए कि यहां के मुसलमान आमतौर पर (मुट्ठी भर पाकपरस्तों को छोड़कर) देशभक्त हैं और उन्हें किसी विदेशी नेता की नसीहत की जरूरत ही नहीं है. भारत में मुस्लिम समाज और दूसरे सभी वर्गों के अल्पसंख्यक पूरी तरह सुरक्षित हैं. इसीलिए, इमरान को अपने देश के अल्पसंख्यकों की ही भरपूर चिंता करनी चाहिए जिनपर बंटवारे के बाद से ही लगातार जुल्म होता आ रहा है.
इससे पहले बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद के हालिया भारत दौरे से ठीक पहले इमरान खान का उन्हें फोन करके जम्मू-कश्मीर की ताजा स्थिति पर बात करना एक शर्मनाक धिनौना कृत्य ही माना जायेगा. वे बांग्लादेश की प्रधानमंत्री से बात करके उनसे कश्मीर के मसले पर समर्थन मांग रहे थे. आख़िरकार, वे अब किस मुंह से बांग्लादेश से समर्थन मांग रहे थे? जिस पाकिस्तान ने लगभग 48 साल गुजरने के बाद भी अपनी सेना के द्वारा पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में किए नरसंहार के लिए माफी तक न मांगी हो, उस देश का प्रधानमंत्री बेशर्मी के साथ बांग्लादेश से कह रहा है कि वह भारत की निंदा करे, क्योंकि, भारत ने अपने ही एक प्रदेश जम्मू-कश्मीर से धाऱा 370 और 35-ए को समाप्त कर दिया है.
क्या उन्हें कभी बांग्लादेश में दर-दर की ठोकरें खाने वाले पाक समर्थक उर्दू भाषी बिहारी मुसलमानों की भी चिंता रही है? उन्हें पता तो होगा ही कि उनके देश की फौज ने पूर्वी पाकिस्तान में लाखों लोगों का बेदर्दी से क़त्लेआम कर दिया था. उन्हें कत्ल करने की वजह मात्र यह थी कि शेख हसीना के पिता और बांग्लादेश के संस्थापक बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की पार्टी अवामी लीग को 1970 के पाकिस्तान के आम चुनाव में प्रचंड बहुमत मिला था. इस तरह से पहली बार पाकिस्तान में सत्ता की बागडोर पूर्वी पाकिस्तान में जबर्दस्त असर रखने वाली किसी पार्टी को मिल रही थी. पर जनता के फैसले को पश्चिम पाकिस्तान में स्वीकार नहीं किया गया. इसका जब पूर्वी पाकिस्तान में पुरजोर विरोध शुरू हुआ तो उन पर पाकिस्तानी फौज ने दमन करना चालू कर दिया. जालिम फौज ने अपने ही लाखों देशवासियों का खुलेआम कत्लेआम किया और लाखों बांगलाभाषी औरतों की घर में घुसकर अस्मत लूटी. बांग्लादेश तब से पाकिस्तान से यह मांग करता रहा है कि वह सेना के किए खून-खराबे के लिए माफी मांगे. पर इस दौरान पाकिस्तान में तमाम सरकारें आती-जाती रहीं पर पाकिस्तान को कभी अपने किए पर शर्म तक नहीं आई.
इमरान खान बताएं कि क्यों नहीं उनका मुल्क बांग्लादेश में रहने वाले बेसहारा उर्दू भाषी बिहारी मुसलमानों को वापस पाकिस्तान में नागरिकता देकर वापस ले लेता? क्या उन्हें पता है कि सिर्फ ढाका में एक लाख से अधिक बिहारी मुसलमान शरणार्थी कैम्पों में नारकीय जिंदगी गुजार रहे हैं? दरअसल बिहारी मुसलमान देश के बंटवारे के वक्त मुसलमानों के लिए बने देश पाकिस्तान में चले गए थे. जब तक बांग्लादेश नहीं बना था तब तक तो इन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई.
बांग्लादेश बनते ही बंगाली मुसलमान बिहारी मुसलमानों को अपना शत्रु मानने लगे. इसकी एक वजह यह भी थी कि ये बिहारी मुसलमान तब पाकिस्तान सेना का खुलकर साथ दे रहे थे जब पाकिस्तानी फौज पूर्वी पाकिस्तान में जुल्म ढहा रही थी. ये नहीं चाहते थे कि पाकिस्तान दो भाग में बंटे. अब इमरान खान भारतीय मुसलमानों को लेकर बोलने लगे हैं. बोलने के पहले वे अपनी गिरेबान में झांक लें तो ठीक रहेगा.
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