जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद-370 और अनुच्छेद 35-ए हटाने का सीधा असर, भारत पाकिस्तान के रिश्तों पर पड़ा है. मोदी सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले से पाकिस्तान तिलमिला गया है. मामले पर अपना विरोध दर्ज करने के लिए पाकिस्तान ने भारत के साथ सभी द्विपक्षीय व्यापारिक रिश्तों को खत्म करने की घोषणा की है. एक ऐसे वक़्त में जब पाकिस्तान की सियासत में सियासी घमासान मचा हो. देश बुरी तरह से आर्थिक मंडी, बेरोजगारी और कर्ज की मार झेल रहा हो इसे एक ऐसा फैसला माना जा सकता है जो प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की अपरिपक्वता दर्शा रहा है. पाकिस्तान द्वारा लिए गए इस फैसले के बाद एक बड़ा वर्ग है जिसका मानना है कि इस फैसले से भारत का कोई विशेष नुकसान नहीं है लेकिन पूरी सम्भावना है कि इस फैसले के बाद आर्थिक रूप से पाकिस्तान की कमर टूट जाएगी. बाजार में रूचि रखने वाले लोगों के बीच इस बात की चर्चा तेज है कि इस फैसले के बाद पाकिस्तान को एक बड़ा नुकसान होने वाला है. बात अगर इसकी वजहों की हो तो ऐसा इसलिए भी है क्योंकि पाकिस्तान अपने लोगों की जरूरत की पूर्ति के लिए आवश्यक सामानों की एक बड़ी संख्या भारत से आयात करता है.
ध्यान रहे कि कश्मीर पर मोदी सरकार के ताजे फैसले से बौखलाए पाकिस्तान ने द्विपक्षीय व्यापार संबंधों के निचले स्तर पर जाते हुए अपनी पांच-सूत्री योजना में भारत के साथ अपने व्यापार संबंधों को निलंबित करने का फैसला किया है. आपको बताते चलें कि भारत पाकिस्तान के व्यापारिक रिश्तों में खटास पुलवामा हमले जिसमें 40 से अधिक CRPF जवानों की मौत हुई थी. उसी के बाद देखने को मिल रही है. हमले के बाद भारत ने सबसे पसंदीदा देश (एमएफएन) में पाकिस्तान...
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद-370 और अनुच्छेद 35-ए हटाने का सीधा असर, भारत पाकिस्तान के रिश्तों पर पड़ा है. मोदी सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले से पाकिस्तान तिलमिला गया है. मामले पर अपना विरोध दर्ज करने के लिए पाकिस्तान ने भारत के साथ सभी द्विपक्षीय व्यापारिक रिश्तों को खत्म करने की घोषणा की है. एक ऐसे वक़्त में जब पाकिस्तान की सियासत में सियासी घमासान मचा हो. देश बुरी तरह से आर्थिक मंडी, बेरोजगारी और कर्ज की मार झेल रहा हो इसे एक ऐसा फैसला माना जा सकता है जो प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की अपरिपक्वता दर्शा रहा है. पाकिस्तान द्वारा लिए गए इस फैसले के बाद एक बड़ा वर्ग है जिसका मानना है कि इस फैसले से भारत का कोई विशेष नुकसान नहीं है लेकिन पूरी सम्भावना है कि इस फैसले के बाद आर्थिक रूप से पाकिस्तान की कमर टूट जाएगी. बाजार में रूचि रखने वाले लोगों के बीच इस बात की चर्चा तेज है कि इस फैसले के बाद पाकिस्तान को एक बड़ा नुकसान होने वाला है. बात अगर इसकी वजहों की हो तो ऐसा इसलिए भी है क्योंकि पाकिस्तान अपने लोगों की जरूरत की पूर्ति के लिए आवश्यक सामानों की एक बड़ी संख्या भारत से आयात करता है.
ध्यान रहे कि कश्मीर पर मोदी सरकार के ताजे फैसले से बौखलाए पाकिस्तान ने द्विपक्षीय व्यापार संबंधों के निचले स्तर पर जाते हुए अपनी पांच-सूत्री योजना में भारत के साथ अपने व्यापार संबंधों को निलंबित करने का फैसला किया है. आपको बताते चलें कि भारत पाकिस्तान के व्यापारिक रिश्तों में खटास पुलवामा हमले जिसमें 40 से अधिक CRPF जवानों की मौत हुई थी. उसी के बाद देखने को मिल रही है. हमले के बाद भारत ने सबसे पसंदीदा देश (एमएफएन) में पाकिस्तान का विरोध किया था. साथ ही भारत ने अपना विरोध दर्ज करते हुए पाकिस्तानी सामानों के आयात पर 200% शुल्क लगाया था. चूंकि भारत पहले ही पाकिस्तान को करारा जवाब दे चुका था तो माना यही जा रहा कि इससे भारत को कोई खास असर नहीं होगा. बल्कि इस फैसले के बाद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कि रीढ़ टूटेगी.
गौरतलब है कि वित्तीय वर्ष 2020 की पहली तिमाही में भारत का पाकिस्तान को निर्यात करीब 452.5 मिलियन डॉलर था जबकि आयात करीब 7.13 मिलियन डॉलर था. जबकि बात अगर वित्तीय वर्ष 2019 की हो तो पाकिस्तान का कुल निर्यात 2.06 बिलियन डॉलर था और आयत 495 मिलियन डॉलर था.
इंडिया पाकिस्तान के व्यापारिक रिश्तों पर फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन के महानिदेशक अजय सहाय के अपने तर्क हैं. सहाय के अनुसार, "व्यापार संबंधों के निलंबन से पाकिस्तान को अधिक नुकसान होगा क्योंकि हमारे लिए उनका निर्यात बहुत सीमित है. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि वैश्विक व्यापार नियमों का उल्लंघन करने के कारण वर्तमान में पाकिस्तान के पास एमएफएन का दर्जा नहीं है.
आखिर क्यों होने वाली है पाकिस्तान के लिए मुश्किल
ये एक वाजिब सवाल है और इस सवाल का जवाब खुद फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन के महानिदेशक अजय सहाय ने दिया है. सहाय का तर्क है कि भारत को नुकसान इसलिए भी नहीं होगा क्योंकि दक्षिण एशिया और मिडिल ईस्ट की मार्केट भारत के लिए तैयार है. यदि भारत पाकिस्तान के साथ अपने रिश्ते खत्म भी कर देता है तो चूंकि इन बाजारों में भारत मजबूत स्थिति में है इसलिए भी उसके नुकसान की सम्भावना कम है. वहीं बात अगर पाकिस्तान की हो तो कैसा इस देश का रवैया है मुट्ठी भर ही ऐसे देश है जो पाकिस्तान या फिर उसकी नीतियों का समर्थन करते हैं.
वहीं ट्रेड प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया के चीयरमैन मोहित सिंगला ने भी पाकिस्तान के इस फैसले पर की है. सिंगला के अनुसार ये पाकिस्तान का एक एकपक्षीय कदम जिसका नुकसान भी एकतरफा ही होगा. सिंगला की बात को अगर हम कराची स्टॉक एक्सचेंज के मद्देनजर देखें तो मिलता है कि पाकिस्तान के विनाश की शुरुआत खुद उसने कर दी है. गौरतलब है कि जिस समय पाकिस्तान में चुनाव हुए और इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने उस वक़्त से ही बाजार गर्त के अंधेरों में था.
बात अगर इमरान खान के इस ताजे फैसले के बाद कराची स्टॉक एक्सचेंज के सम्बन्ध में हो तो बीते दिन ही पाकिस्तान के शेयर बाजार में करीब 5 साल की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली. कारोबार के दौरान पाकिस्तानी शेयर बाजार के बेंचमार्क कराची स्टॉक एक्सचेंज (KSE100) में 700 अंकों से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई. यह लगातार दूसरा दिन था जब पाकिस्तान के शेयर बाजार 700 अंकों से ज्यादा लुढ़क गए.
दिलचस्प बात ये भी है कि बीते दो दिनों में KSE 100 को करीब 1500 अंकों का नुकसान हुआ है. इसके साथ ही स्टॉक एक्सचेंज 30 हजार के स्तर के नीचे आ गया. कारोबार के अंत में KSE-100 को 539 अंक का नुकसान हुआ और यह 29,783 के स्तर पर बंद हुआ. इससे पहले मार्च 2015 में KSE100 इस स्तर पर रहा था. बीते दिन बाजार बंद होने पर यह आंकड़ा 6,049 बिलियन पाकिस्तानी रुपये पर आ गया. इस हिसाब से सिर्फ 1 दिन में बाजार को 74 बिलियन यानी 7400 करोड़ पाकिस्तानी रुपये का नुकसान हुआ है.
बहरहाल अब जबकि ये बातें हमारे सामने आ गयीं हैं तो ये कहना कहीं से भी गलत नहीं है कि आतंकवाद, गरीबी, बेरोजगारी की मार सह रहे पाकिस्तान ने मुसीबत खुद मोल ली है. मुसीबत उसे कितनी तकलीफ देगी इसका जवाब वक़्त की गर्त में छुपा है मगर जिस लिहाज से ये फैसला हुआ है एक बार फिर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने दुनिया के सामने अपने को हंसी मजाक का पात्र बना लिया है.
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