अयोध्या (Ayodhya ) से एक अच्छी ख़बर है. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड (Sunni Central Waqf Board) के इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ने अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की ओर से मिली 5 एकड़ ज़मीन पर बनने वाली मस्जिद (Babri Masjid) का डिजाइन जारी कर दिया है. बेहद खूबसूरत और भव्य तरीके से बनाए जाने वाली मस्जिद वाकई बहुत खूबसूरत है. फाउंडेशन ने यह भी बताया कि मस्जिद के साथ साथ परिसर में 300 से 400 बेड का अस्पताल, रिसर्च सेंटर, कम्युनिटी किचन और म्यूज़ियम भी बनाया जाएगा. निर्माण कार्य 26 जनवरी 2021 से शुरू होगा हालांकि शिलान्यास किसके हाथों होगा इसपर अभी संशय बरकरार है. उधर राम मंदिर निर्माण भी शुरू हो चुका है और अब इधर मस्जिद का निर्माण भी शुरू होने वाला है. दोनों ही निर्माण कार्य दोनों ही तरफ खुशी खुशी के साथ हो रहा है जोकि एक अच्छी तस्वीर है, लेकिन काश यही काम पहले ही हो गया होता और जिस जोश और लगन के साथ आज फैसला मंजूर किया गया है वह पहले ही होता.
मंदिर मस्जिद का झगड़ा शुरु हुआ था साल 1853 में. वर्ष 1853 में ही दोनों ही पक्षों के बीच पहली बार झगड़ा हुआ था. साल 1859 में अग्रेंज सरकार ने दोनों समुदाय के बीच उस वक्त बातचीत से समझौता करा दिया था. मस्जिद के अंदर का हिस्सा मुसलमानों तथा बाहर के चौबूतरे को हिंदू समुदाय को दे दिया गया था. दोनों ही अपने अपने धार्मिक कार्य अपनी अपनी जगह पर करने लगे थे. लेकिन मामला समय दर समय बिगड़ता चला गया औऱ दिसंबर 1949 आते आते हालात बेकाबू हो गए. कई बार हिंसा हुई कई बार दंगे हुए, हज़ारों जानें गईं और हज़ारों घर तबाह हो गए.
वर्ष 1992 में इस मुद्दे को लेकर देशभर में हिंसा और दंगे हुए. ऐसा नहीं है कि दोनों समुदायों के बीच कानूनी लड़ाई ही जारी रही...
अयोध्या (Ayodhya ) से एक अच्छी ख़बर है. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड (Sunni Central Waqf Board) के इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ने अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की ओर से मिली 5 एकड़ ज़मीन पर बनने वाली मस्जिद (Babri Masjid) का डिजाइन जारी कर दिया है. बेहद खूबसूरत और भव्य तरीके से बनाए जाने वाली मस्जिद वाकई बहुत खूबसूरत है. फाउंडेशन ने यह भी बताया कि मस्जिद के साथ साथ परिसर में 300 से 400 बेड का अस्पताल, रिसर्च सेंटर, कम्युनिटी किचन और म्यूज़ियम भी बनाया जाएगा. निर्माण कार्य 26 जनवरी 2021 से शुरू होगा हालांकि शिलान्यास किसके हाथों होगा इसपर अभी संशय बरकरार है. उधर राम मंदिर निर्माण भी शुरू हो चुका है और अब इधर मस्जिद का निर्माण भी शुरू होने वाला है. दोनों ही निर्माण कार्य दोनों ही तरफ खुशी खुशी के साथ हो रहा है जोकि एक अच्छी तस्वीर है, लेकिन काश यही काम पहले ही हो गया होता और जिस जोश और लगन के साथ आज फैसला मंजूर किया गया है वह पहले ही होता.
मंदिर मस्जिद का झगड़ा शुरु हुआ था साल 1853 में. वर्ष 1853 में ही दोनों ही पक्षों के बीच पहली बार झगड़ा हुआ था. साल 1859 में अग्रेंज सरकार ने दोनों समुदाय के बीच उस वक्त बातचीत से समझौता करा दिया था. मस्जिद के अंदर का हिस्सा मुसलमानों तथा बाहर के चौबूतरे को हिंदू समुदाय को दे दिया गया था. दोनों ही अपने अपने धार्मिक कार्य अपनी अपनी जगह पर करने लगे थे. लेकिन मामला समय दर समय बिगड़ता चला गया औऱ दिसंबर 1949 आते आते हालात बेकाबू हो गए. कई बार हिंसा हुई कई बार दंगे हुए, हज़ारों जानें गईं और हज़ारों घर तबाह हो गए.
वर्ष 1992 में इस मुद्दे को लेकर देशभर में हिंसा और दंगे हुए. ऐसा नहीं है कि दोनों समुदायों के बीच कानूनी लड़ाई ही जारी रही बल्कि कई बार बातचीत के ज़रिए समाधान निकाल लेने की कोशिशें भी हुयी थी लेकिन दोनों ही पक्षों में से कोई भी झुकने को तैयार ही नहीं था. चार से पांच बार दोनों ही पक्षों के बीच बातचीत से कोई नतीजा नहीं निकला तो सुप्रीम कोर्ट ने एक पैनल बना कर दोनों ही पक्षों से बातचीत करने और उनको समझाने के लिए भेजा लेकिन वह पैनल भी नाकाम साबित हुआ और कोई भी हल नहीं निकला. इस पैनल में धार्मिक गुरू श्री श्री रवीशंकर, जस्टिस इब्राहिम खलीफुल्ला और श्री रामपंचु को भेजा गया था.
महीनों तक बातचीत हुयी लेकिन सारी वार्ता विफल रही, आखिर में पैनल ने सुप्रीम कोर्ट में अपने हाथ ख़ड़े कर दिए थे, आखिर में सु्प्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया उसे दोनों ही पक्षों ने स्वीकार्य कर लिया औऱ अब दोनों ही पक्ष बड़े ही भव्य तरीके से अपने अपने धार्मिक स्थल का निर्माण करवा रहे हैं. मौजूदा समय में जिस फैसले पर दोनों ही समुदाय राजी हैं यह फैसला तो काफी पहले ही हो चुका होता अगर दोनों पक्ष इसी बात पर सहमति जता देते.
यह फैसला बातचीत से हो पाना मुश्किल था लेकिन अगर थोड़ा नरमी बरती जाती तो यह फैसला आराम से बातचीत के माध्यम से किया जा सकता था. यही फैसला अगर बातचीत के ज़रिए ही होता तो दोनों ही पक्ष के लोग एक दूसरे के निर्माण कार्य से खुश भी हो रहे होते और बराबर से साथ भी देते. हालांकि राममंदिर निर्माण के भूमिपूजन के मौके पर दूसरे पक्ष के इकबाल अंसारी कार्यक्रम में मौजूद रहे थे जोकि प्रेम को दर्शाती हुयी तस्वीर थी.
माना जा रहा है कि मस्जिद के शिलान्यास के मौके पर भी अगले पक्ष के लोग शामिल होंगें. अयोध्या की ये खूबसूरत एकता की तस्वीर देश को क्या मैसेज देगी इस बात का तो अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है क्योंकि कुछ शरारती तत्व दोनों ही पक्षों में हैं जिनको बस धार्मिक आधार पर एक दूसरे पर कीचड़ ही उछालने का काम रह गया है. हालांकि उसे नज़रअंदाज़ कर देना चाहिए लेकिन अब आपसी सौहार्द के साथ अयोध्या के लोग रहे हैं और सरकार वहां के विकास कार्य का खांचा तैयार कर रही है जो बताता है आने वाले दिनों में अयोध्या भारत के बेहतरीन जिलों में से एक होगा.
अब मसले का हल हो गया है लेकिन कोर्ट कचहरी के ज़रिए देश की सबसे बड़ी अदालत ने फैसला सुनाया है. पंडित नेहरू, वीपी सिंह, चंद्रशेखर, नरसिम्हा राव औऱ अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने इस विवाद को बातचीत के माध्यम से बहुत सुलझाना चाहा मगर किसी भी तरह की बात नहीं बन सकी थी. अब दोनों ही पक्ष खुशी खुशी निर्माण कार्य में हिस्सा ले रहे हैं तो इस खुशी को किसी की नज़र न लगे और सौहार्द कायम रहे बस यही दुआ है.
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