हर हर महादेव! पाकिस्तान जिंदाबाद...पहली नजर में ही ये बात दो धूरियों को, जो कभी एक नहीं हो सकतीं प्रदर्शित करती नजर आती है. मगर सत्य यही है. पाकिस्तान के सियालकोट में रह रहे हिन्दुओं के, देश के प्रधानमंत्री इमरान खान के कारण अच्छे दिन लौट आए हैं. वो जहां एक तरफ हर हर महादेव का उद्घोष कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरह पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे भी लगा रहे हैं. ज्ञात हो कि अब वो बिना किसी अड़चन के आसानी के साथ पूजा कर सकते हैं. आपको बताते चलें कि सियालकोट में 1000 साल पुराने शिवालय, तेजा सिंह मंदिर को तकरीबन 72 सालों के बाद पूजा अर्चना के लिए खोला गया है. बताया जाता है कि 1947 में जिस वक्त बंटवारा हुआ इस मंदिर को खूब नुकसान पहुंचा और बाद में इसे बंद कर दिया गया. पाकिस्तान स्थित मंदिरों व गुरुद्वारा साहिबान का प्रबंध देख रहे बोर्ड ने इस मंदिर मरम्मत कराई है और बीते दिनों ही सियालकोट के हिंदुओं को इस मंदिर की चाबियां सौंप दी गई हैं. दिलचस्प बात ये है कि पाकिस्तान के एवेक्यू ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड की ओर से कई मंजिलों वाले इस खूबसूरत मंदिर में एक विशेष उद्घाटन समारोह भी आयोजित किया गया था.
पाकिस्तान के मंदिर में पूजा होना देश के विकास की दिशा में ये बड़ा सन्देश माना जा रहा है
पाकिस्तान के श्राइन बोर्ड के उप सचिव सैय्यद फराज अब्बास ने पूजा से पहले मंदिर का दौरा किया था. साथ ही अब्बास ने सियालकोट के हिंदू समुदाय से बात की थी और उन्हें इस मंदिर में आकर पूजा करने के लिए आमंत्रित किया था. मजेदार बात ये है कि मंदिर खुलने के बाद जिस वक्त यहां पूजा के लिए हवन हुआ उसकी भी अध्यक्षता सैय्यद फराज अब्बास ने ही की और हवन कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था.
एक मुस्लिम देश में सरकार की इस पहल से लोग खुश हैं. दर्शन के लिए मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं ने इसके लिए पाकिस्तान सरकार का धन्यवाद किया है साथ ही अह भी आग्रह किया गया है कि भारत से कटासराज की यात्रा करने वाले हिंदुओं को इस मंदिर में दर्शन की अनुमति दी जाए.
ये बात गौर करने वाली है कि ये सब पाकिस्तान में एक दिन में नहीं हुआ है. पाकिस्तान में हिन्दुओं और मंदिरों की क्या स्थिति थी ? इस प्रश्न को समझने के लिए हमें थोड़ा पीछे जाना पड़ेगा. जिस वक़्त पाकिस्तान में इमरान की सरकार बनी उन्होंने ये कहकर सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष तक को हैरत में डाल दिया कि वो देश के हिन्दुओं और मंदिरों के कल्याण की दिशा में कार्य करते हुए देश के तकरीबन 400 मंदिरों का जीर्णोद्धार करेंगे.
शुरुआत में लोगों ने इमरान द्वारा कही इस बात को हल्के में लिया. मगर जैसे जैसे दिन बीते, इमरान ने अपने प्लान को अमली जामा पहनाया और देश में मौजूद मंदिरों की मरम्मत के लिए खुलकर सामने आए. आपको बताते चलें जिन मंदिरों को बहाल करने की बात इमरान ने कही थी, ये वो मंदिर थे जो बंटवारे के वक़्त पाकिस्तान के हिस्से में आए थे.
क्या है इन मंदिरों की मौजूदा स्थिति
बात अगर मंदिरों की मौजूदा स्थिति पर हो तो ये बताना हमारे लिए बेहद जरूरी है कि इमरान की सरकार बनने से पहले तक वाकई ये मंदिर बेहद दयनीय स्थिति में थे. पाकिस्तान के आम नागरिकों ने इन मंदिरों पर कब्ज़ा कर लिया था. मंदिर परिसर में दुकानें और रेस्टुरेंट थे साथ ही लोग इनमें इनमें रह भी रहे थे. कुछ मंदिर ऐसे भी थे जो देश के कट्टरपंथियों के निशाने पर आए और हिंदुस्तान और हिन्दुओं के प्रति अपनी नफरत दर्शाने के लिए जिन्हें बाद में मदरसों में तब्दील कर दिया गया. सत्ता आने के बाद इमरान ने इन मंदिरों को खाली करवाया और इनकी मरम्मत कराई अब सरकार का अगला प्लान ये है कि इन मदिरों को वापस पाकिस्तान के हिन्दुओं को सौंप दिया जाए.
गौरतलब है कि पाकिस्तान में सियालकोट और पेशावार वो स्थान हैं जो हिन्दू धर्म के लिहाज से खासे अहम हैं और यहां शिवालय तेजा सिंह के अलावा जगन्नाथ मंदिर और गोरखनाथ मंदिर हैं. बात क्यों कि मंदिरों की चल रही है तो ये बताना भी जरूरी है कि ऑल पाकिस्तान हिन्दू राइट मूवमेंट नाम की संस्था ने यहां एक सर्वे कराया था जिसके परिणाम चौंकाने वाले थे.
सर्वे में आया कि बंटवारे के वक़्त पाकिस्तान में 428 हिंदू मंदिर थे और 1990 के बाद इनमें से 408 मंदिरों को टॉय स्टोर, रेस्टुरेंट, सरकारी कार्यालयों और स्कूलों में परिवर्तित कर दिया गया. सरकारी अनुमान के मुताबिक, वर्तमान में सिंध में 11 मंदिर, पंजाब में 4, बलूचिस्तान में 3 और खैबर पख्तूनख्वा में 2 मंदिर हैं जो जल्द ही ऍम हिंदुओं को सौंपे जाएंगे.
लगातार मंदिरों की बात करके इमरान पाकिस्तान के युवाओं को एक बड़ा सन्देश दे रहे हैं
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपने देश में मंदिरों के विकास की दिशा में कितने गंभीर है इसे हम उस घटना से भी समझ सकते हैं जब इसी साल फरवरी में पाकिस्तान के खैरपुर में कुछ अराजक तत्वों ने एक मंदिर को नुकसान पहुंचाया था. इस मंदिर के लिए तमाम तरह की आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए खुद इमरान खान सामने आए थे. मामले पर इमरान ने जांच के आदेश तो दिए ही थे साथ ही उन्होंने अराजक तत्वों की गिरफ़्तारी की मांग भी की थी.
इमरान की इस पहल के मायने
पाकिस्तान में लगातार इमरान खान हिंदू हितों और मंदिरों को बहाल करने की बात कह रहे हैं. सवाल लाजमी हैं कि आखिर एक मुस्लिम बाहुल्य देश में इमरान हिंदुओं के प्रति इतने सहिष्णु क्यों हुए हैं ? जवाब है कि इमरान पाकिस्तान के लोगों विशेषकर युवाओं को थोड़ा नरम करना चाहते हैं. पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति किसी से छुपी नहीं है. आतंकवाद की मार सहता पाकिस्तान, बुरी तरह से कर्जे में डूबा हुआ है. अर्थव्यवस्था लचर है. लोगों के पास रोजगार नहीं है. इन बातों के अलावा मुल्ले और कट्टरपंथी अलग पाकिस्तान और इमरान खान की नाक में दम किये हुए हैं.
स्थिति जब ऐसी हो तो स्वाभाविक है कि देश के युवा उग्र होंगे. छोटी छोटी बातों को तूल देंगे और हिंसा का रास्ता अपनाएंगे. माना जा रहा है कि अपने इन प्रयासों से इमरान खान इन युवाओं को कोमल करने के अलावा एक बड़ा सन्देश दे रहे हैं. मंदिरों को बहाल कराकर इमरान पाकिस्तान के युवाओं को सौहार्द से रहने का बड़ा सन्देश दे रहे हैं. ध्यान रहे कि पाकिस्तान में लोगों के बीच नफरत अपने चरम पर है. शिया-सुन्नी, सुन्नी-अहमदी इन सब के बीच की लड़ाई वहां आम बात है. सब एक दूसरे के खून के प्यासे हैं. इसलिए इमरान चाहते हैं कि इसी बहाने पाकिस्तान के युवा एक दूसरे की इज्जत करना सीखें और सही रास्ते पर आएं.
कह सकते हैं कि मंदिरों के नाम पर जो भी इमरान ने किया. कहीं न कहीं इस पहल से इमरान पाकिस्तान को कट्टरपंथ से मुक्त करना चाहते हैं और उसे बेहतर बनाना चाहते हैं. पाकिस्तान का आने वाला वक़्त क्या होगा और इमरान की ये पहल क्या रंग लाती है इसका फैसला आने वाला वक़्त करेगा मगर जो संदेश उन्होंने दिया है वो उम्मीद की वो किरण है जो पाकिस्तान को नए पाकिस्तान की तरफ ले जा सकती है.
ये भी पढ़ें -
सिलेक्टर मौलाना, कप्तान हाफिज-ए-कुरान, पाकिस्तान टीम का तो अल्लाह ही मालिक
पाकिस्तान में कुछ यूं मना International Yoga Day
इमरान खान के नए पाकिस्तान में जिया उल हक की झलक दिखने लगी है !
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.