जयपुर से हम जोधपुर के लिए निकले तो रास्ते में हमने एक ऊंट लड्ढे को जाते हुए देखा. राजस्थान के परिप्रेक्ष्य में हमने सोचा कि ऊंट गाड़ी पर बैठकर कैमरे के सामने राजस्थान की राजनीति पर कुछ बोल दिया जाए. ऊंट लड्ढे को चलाने वाले बाबा बुजुर्ग थे, बनियान कई जगह से फटी हुई थी, चेहरे पर झुर्रियां थी. आंखों में उदासी थी. हमने पूछा क्या कोई दिक्कत है. उन्होंने कहा कि मजूरी ठीक से नहीं मिलती. उसके बाद हमने चुनाव की बात शुरू की उनसे और पूछा कि वोट देने के लिए किस को मन बनाए हो आप. बाबा ने तपाक से बोला मोदी को. मैंने पूछा कि क्यों मोदी को क्यों? बाबा ने कहा मोदी पायलट ले आयो. पहले समझ में नहीं आया कि मजदूरी के इंतजार में वोट लेकर खड़े बाबा किस पायलट के बारे में बोल रहे हैं. मैंने सोचा कि सचिन पायलट के बारे में कुछ बोला होगा. इतने में बाबा बोल पड़े कि पाकिस्तान से लेकर आया है. तब मुझे समझ में आया कि इस बात से खुश हैं कि मोदी फाइटर पायलट अभिनंदन को पाकिस्तान से लेकर आए थे. उन्हें इस बात का मलाल जरूर है कि काम नहीं मिल रहा है लेकिन देश के नाम पर वह मोदी को वोट देने के लिए तैयार थे.
आगे हमें पार्क में चुनावी गीत का कार्यक्रम करना था. कलाकार जब तक अपने साज को सजा रहे थे, हमने पार्क में बैठे एक आदमी से पूछा कि राजनीति में क्या चल रहा है. उन्होंने कहा कि पता नहीं, मैं राजनीति में ज्यादा दिमाग नहीं लगाता. मैंने पूछा फिर भी कुछ तो सोचा होगा कि किसको वोट देंगे. उन्होंने धीरे से कहा और किसको देना है मोदी को देंगे. मैंने पूछा कि आखिर क्यों मोदी को वोट दे रहे हैं. तो उनका कहना था कि धारा 370 लगा देंगे. मैंने पूछा कि लगा देंगे या हटा देंगे. तो जवाब दिया कि धारा 370 में पाकिस्तान से भारत का रास्ता बंद कर देंगे. मैंने पूछा कि आपको पता है कि धारा 370 क्या है. उनका जवाब था कि यह कानून है जिसके साथ पाकिस्तान का इलाज किया जा सकता है.
राजस्थान में देश के नाम पर मोदी को वोट
हम जोधपुर में वोटिंग के वक्त पास के एक गांव मोगरा कला में पहुंचे. गांव में बूथ पर मैंने लोगों से बातचीत करनी शुरू की. घूंघट की ओट में खड़ी एक महिला से मैंने पूछा कि क्या सोचकर आप वोट देने के लिए निकली हैं वो बोलीं कि देश को आजाद कराना है. मैंने पूछा कि क्या देश गुलाम है? वहां खड़े सभी लोग एक साथ ठहाका लागा कर हंस पड़े, मगर सब लोगों के साथ अपनी बात को सुधारते हुए महिला बोली की मोदी देश को ठीक कर देगा.
हो सकता है कि कांग्रेस के लोगों को यह बात अच्छी नहीं लगे मगर मैं आपको इसलिए बता रहा हूं कि जमीन पर यही हकीकत है अगर कोई शुतुरमुर्ग की तरह अपना सिर जमीन में गाड़कर बचना चाहे तो कुछ कहा नहीं जा सकता है. राजस्थान में चुनाव बीजेपी के किसी उम्मीदवार के नाम पर नहीं लड़ा जा रहा है बल्कि एक ही उम्मीदवार है मोदी. राजस्थान में जब पहली रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चित्तौड़गढ़ में आए थे तो उन्होंने भीड़ से पूछा था कि क्या एक मेरे चेहरे के सिवा कोई दूसरा चेहरा दिखता है क्या. तब इसके मायने लोगों ने अलग-अलग लगाए थे. लेकिन मोदी छाती पीटकर 56 इंच के सीने के साथ कह सकते हैं कि एक चेहरे पर राजस्थान में वोट पड़ रहा है और वह है मोदी का.
राजस्थान में बीजेपी का एक ही चेहरा है और वो है मोदी
राजस्थान में पिछले 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 25 की 25 सीटें जीती थीं. इस बार 2018 में कांग्रेस ने राज्य में विधानसभा चुनाव जीतकर सरकार बनाई है तब से यह कयास लगाए जा रहे थे कि क्या अशोक गहलोत कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में जीत दिला पाएंगे. जिस वक्त सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर किस्सा कुर्सी का खेल चल रहा था तब अशोक गहलोत के खेमे के लोग लगातार यही तर्क दे रहे थे कि अगर लोकसभा चुनाव में सीटें जीतनी हैं तो सत्ता राजस्थान के जादूगर अशोक गहलोत के हाथ में देनी होगी. अशोक गहलोत और उनके समर्थकों ने यह बात दिल्ली में आलाकमान को भी समझा दी और अशोक गहलोत तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बन गए. यह चुनाव राजस्थान में सामान्य चुनाव नहीं है. इसमें एक तरफ नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मांगे जा रहे हैं तो दूसरी तरफ अशोक गहलोत की साख दांव पर लगी हुई है. पानी बिजली विकास जैसे स्थानीय मुद्दे चुनाव में दूर-दूर तक नहीं हैं यहां तक कि बेरोजगारी महंगाई और किसानों की कर्ज माफी जैसे मुद्दे भी हाशिए पर धकेल दिए गए हैं.
दरअसल विधानसभा चुनाव में हार के बाद बीजेपी यह समझ गई थी कि कांग्रेस ने चुनाव का जो मुद्दा उठाया है वह उनके लिए गले की फांस बन सकती है लिहाजा मोदी ने उसके बाद देश के चुनावी प्रस्तावना को बदलना शुरू किया. पुलवामा तो एक बहाना हो सकता है. लोगों का मानना है कि मोदी को पुलवामा ने संजीवनी दे दी है लेकिन अगर पुलवामा नहीं भी होता तो मोदी लोगों को यह समझाना आता है कि देश का भविष्य मेरे हाथों में सुरक्षित है. मोदी ने चुनाव के नैरेटिव को चेंज कर दिया और गांव-गांव में उन्होंने इस बात को समझा दिया. छोटे-छोटे कस्बे और गांव में उनकी बातों को समझाने के लिए 24 घंटे के कई चैनल काम कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर एक बड़ी टीम काम कर रही है. लोगों के मन में यह भर गया है कि देश नरेंद्र मोदी के हाथों में सुरक्षित है.
राजस्थान में मोदी के कद के सामने अशोक गहलोत कहीं नहीं टिकते
कांग्रेस के लोग यह समझना नहीं चाहते हैं कि चुनाव बदल चुका है. जिस मुद्दे को लेकर वो लोगों के बीच जा रहे हैं राष्ट्रवाद जैसे भावनात्मक मुद्दों के आगे दम तोड़ता नजर आ रहा है. नरेंद्र मोदी को यह समझ में आ गया है कि जिस देश में आज भी पढ़ी-लिखी जनता सिनेमा देखने मल्टीप्लेक्स में जाती है तो वहां भी हीरो हीरोइन के ऊपर कोई विपत्ति पड़ती है या उसका कोई माई-बाप मर जाता है तो पढ़े-लिखे डॉक्टर-इंजीनियर जैसे लोग भी चुपके से मल्टीप्लेक्स के अंधेरे में रो लेता है. नरेंद्र मोदी ने समझ लिया किस देश में भावनाओं के साथ वोट लिया जा सकता है और कांग्रेस सोनिया गांधी के जमाने की राजनीति करती नजर आ रही है.
राजस्थान में कांग्रेस को भरोसा था अशोक गहलोत की साफ सुथरी छवि और सादगी भरा चेहरा मोदी के करिश्मे को फीका कर देगा. अशोक गहलोत ने भरपूर कोशिश भी की लेकिन वो अकेले नरेंद्र मोदी की विशाल टीम और मोदी के विशाल व्यक्तित्व के आगे बौने हो गए. विधानसभा चुनाव मैं कांग्रेस को तेज तर्रार युवा नेता सचिन पायलट से बड़ी मदद मिली थी. मगर सचिन पायलट इस बार हाशिए पर रहे. हालांकि अशोक गलत उनको लेकर लगातार घुमाने की कोशिश करते रहे लेकिन सचिन का मन नहीं माना कि वो मुख्यमंत्री पद के असली हकदार थे और उन्हें बेइज्जत करके किनारे कर दिया गया है. सचिन पायलट का मन चुनाव में कहीं लगता दिखाई नहीं दिया. इसलिए कहा जा सकता है कि विधानसभा चुनाव में जो 100 फ़ीसदी गुर्जर वोट कांग्रेस के तरफ आए थे उसकी गारंटी लोकसभा चुनाव में बिल्कुल नहीं है.
लोकसभा चुनाव में सचिन पायलट इस बार हाशिए पर रहे
इसके अलावा कांग्रेस विषयों के चयन में गलती करती नजर आई. दरअसल कांग्रेस ने पूरा का पूरा ध्यान गणित में लगा दिया और नरेंद्र मोदी केमिस्ट्री के मास्टर निकले. राजस्थान में चुनाव भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रवाद बनाम कांग्रेस के जातिवाद के गणित पर टिका नजर आ रहा है. कांग्रेस का जातिवाद अगर भारी पड़ता तो बीजेपी का राष्ट्रवाद हवा में उड़ जाता. कांग्रेस ने एक-एक सीट बेहद तरीके से जाति के आंकड़े समझ कर दिए थे. शुरू शुरू में बीजेपी कांग्रेस की इस रणनीति से घबराई हुई नजर आई और जाट नेता हनुमान बेनीवाल और गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला को पार्टी में लेकर आए. लेकिन धीरे-धीरे जो माहौल दिखा उसमें बीजेपी को लगने लगा कि कांग्रेस के जातिवाद के गणित से मोदी की केमिस्ट्री कहीं ज्यादा आगे निकलती नजर आ रही है, लिहाजा इन जातिवादी नेताओं को भी घर बिठा दिया.
अब कांग्रेस को पूरी उम्मीद है दूसरे फेज में होने वाले चुनाव में जहां पर मुस्लिम, आदिवासी और दलितों की एक बड़ी आबादी है. यहां पर कुछ सीटों का फायदा हो सकता है मगर इन 7 दिनों में वहां भी मोदी मोदी नजर आया तो फिर अशोक गहलोत के लिए मुश्किल हो सकती है. अशोक गहलोत के खेमे का अभियान अशोक गहलोत पर भारी पड़ता नजर आ रहा है. जिसमें मुख्यमंत्री बनाने के लिए उन्होंने कहा था कि अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाओ और 25 की 25 सीटें लेकर आओ. अगर गहलोत हारते हैं तो फिर उनके लिए आगे का रास्ता मुश्किल भरा हो सकता है. यही वजह है कि बीजेपी अभी से कहने लगी है कि 23 मई के बाद राजस्थान का मुख्यमंत्री बदल जाएगा. लेकिन राजस्थान के राजनीति के जादूगर अशोक गहलोत को अभी भी अपने आप पर भरोसा है और वह कह रहे हैं कि 23 मई को जादू के पिटारे से कांग्रेस के लिए वोट निकलेगा.
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