दिल्ली के बाद जो जलवा आम आदमी पार्टी ने गुजरात में बिखेरा, तमाम राजनीतिक विश्लेषकों ने दावा किया कि जैसे जैसे वक़्त बीतेगा गुजरात को भी आप की झाड़ू क्लीन स्वीप करेगी. दरअसल गुजरात में आम आदमी पार्टी (आप) के लिए पिछले दो साल काफी आशाजनक रहे हैं, लेकिन पिछले एक पखवाड़े से गुजरात में आप को विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है. सवाल होगा कैसे? तो जवाब ये है कि फरवरी 2021 के शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में चुने गए आप के 27 कॉरपोरेट्स में से 12 बीजेपी में शामिल हो गए हैं. दो अन्य को पार्टी विरोधी गतिविधि के लिए निलंबित कर दिया गया है, जिससे उनकी गिनती निर्वाचित ताकत के आधे से भी कम यानी15 हो गई है.
पार्षदों के इस रवैये ने पार्टी की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिए हैं. इसलिए आप के स्टेट चीफ इसुदन गढ़वी ने पार्टी का पक्ष रखते हुए कहा है कि प्रत्येक पार्षद को भाजपा में शामिल होने के लिए 50 लाख रुपये की पेशकश की गई थी. गढ़वी ने ये भी कहा है कि, 'भाजपा राज्य में आप की ऑर्गनिक ग्रोथ से इतनी डरी हुई है कि वह पार्टी को तोड़ने के लिए हर तरीके का इस्तेमाल कर रही है.'
सूरत स्थित आप के प्रवक्ता योगेश जडवानी का कहना है कि आम आदमी पार्टी अपनी 'नो करप्शन' नीति को लेकर बहुत सख्त है, जिसके कारण हाल फ़िलहाल में कुछ दल-बदल हुए हैं. हम अपने पार्षदों को भ्रष्ट आचरण में लिप्त होने की अनुमति नहीं देते हैं. वे बस 14,000 रुपये का वेतन पाते हैं और उनके लिए इतना ही है.
जडवानी ने बीजेपी पर बड़ा आरोप लगाते हुए ये भी कहा है कि भाजपा के बिचौलिये हमारे पार्षदों को आकर्षक जीवन शैली के लिए लगातार लुभा रहे हैं....
दिल्ली के बाद जो जलवा आम आदमी पार्टी ने गुजरात में बिखेरा, तमाम राजनीतिक विश्लेषकों ने दावा किया कि जैसे जैसे वक़्त बीतेगा गुजरात को भी आप की झाड़ू क्लीन स्वीप करेगी. दरअसल गुजरात में आम आदमी पार्टी (आप) के लिए पिछले दो साल काफी आशाजनक रहे हैं, लेकिन पिछले एक पखवाड़े से गुजरात में आप को विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है. सवाल होगा कैसे? तो जवाब ये है कि फरवरी 2021 के शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में चुने गए आप के 27 कॉरपोरेट्स में से 12 बीजेपी में शामिल हो गए हैं. दो अन्य को पार्टी विरोधी गतिविधि के लिए निलंबित कर दिया गया है, जिससे उनकी गिनती निर्वाचित ताकत के आधे से भी कम यानी15 हो गई है.
पार्षदों के इस रवैये ने पार्टी की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिए हैं. इसलिए आप के स्टेट चीफ इसुदन गढ़वी ने पार्टी का पक्ष रखते हुए कहा है कि प्रत्येक पार्षद को भाजपा में शामिल होने के लिए 50 लाख रुपये की पेशकश की गई थी. गढ़वी ने ये भी कहा है कि, 'भाजपा राज्य में आप की ऑर्गनिक ग्रोथ से इतनी डरी हुई है कि वह पार्टी को तोड़ने के लिए हर तरीके का इस्तेमाल कर रही है.'
सूरत स्थित आप के प्रवक्ता योगेश जडवानी का कहना है कि आम आदमी पार्टी अपनी 'नो करप्शन' नीति को लेकर बहुत सख्त है, जिसके कारण हाल फ़िलहाल में कुछ दल-बदल हुए हैं. हम अपने पार्षदों को भ्रष्ट आचरण में लिप्त होने की अनुमति नहीं देते हैं. वे बस 14,000 रुपये का वेतन पाते हैं और उनके लिए इतना ही है.
जडवानी ने बीजेपी पर बड़ा आरोप लगाते हुए ये भी कहा है कि भाजपा के बिचौलिये हमारे पार्षदों को आकर्षक जीवन शैली के लिए लगातार लुभा रहे हैं. जडवानी का दावा है कि लंबे समय तक, उनमें से अधिकांश ने विरोध किया हैलेकिन अब बात उत्पीड़न, ब्लैकमेलिंग और प्रताड़ना तक आ गई है. जडवानी ने ये भी कहा कि बीजेपी ज्वाइन करने वालों में से ज्यादातर दबाव में उस पार्टी में शामिल हुए हैं.
जडवानी के अनुसार एक और तथ्य यह है कि बीजेपी राज्य में पंचायत और तालुका स्तर के निकायों से लेकर हर सहकारी समिति और सहकारी बैंकों तक हर स्तर पर मौजूद है. आप के इन पार्षदों के वार्ड में विकास कार्य आगे नहीं बढ़ रहे थे. उन्हें लगा कि अगर वे भाजपा में शामिल नहीं हुए तो उनका राजनीतिक करियर प्रभावित हो सकता है.
गौरतलब है कि आप को दिसंबर 2022 में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत की उम्मीद थी. लेकिन पार्टी 182 सदस्यीय विधानसभा में सिर्फ पांच सीटों को जीतने में कामयाब हुई. बताते चलें कि गुजरात विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने जहां 17 सीटें जीतीं थीं तो वहीं भाजपा ने 156 सीटों के साथ सदन में जीत दर्ज की थी.
जिक्र सूरत का हुआ है तो सूरत की चार सीटों-कामरेज, कटारगाम, वराछा रोड और करंज में आप की संभावनाएं विशेष रूप से उज्ज्वल दिख रही थीं. सूरत जिले की 18 में से 10 सीटों पर आप का एक उम्मीदवार फर्स्ट रनरअप रहा. हालांकि, एक आक्रामक हाई-पिच अभियान के बावजूद कोई भी सीट नहीं जीतने की निराशा ने सिर्फ सूरत ही नहीं बल्कि पूरे गुजरात में आप नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ा.
सूरत नगर निगम (एसएमसी) में आप की उपस्थिति महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि फरवरी 2021 में इस जीत के बाद पार्टी को गंभीरता से लिया गया था. विशेष रूप से, SMC की जीत PAAS (पाटीदार अनामत आंदोलन समिति) के स्थानीय समर्थकों द्वारा तैयार की गई थी, जो सरकारी नौकरियों और शिक्षा में पाटीदार समुदाय के लिए आरक्षण की मांग और 2015 में फायरब्रांड नेता और अब भाजपा विधायक हार्दिक पटेल के नेतृत्व में हुआ एक आंदोलन था.
पाटीदार समुदाय सूरत शहर की 13 सीटों को इसलिए भी प्रभावित करते हैं क्योंकि यहां इसके करीब 35 फीसदी मतदाता हैं. 27 पार्षदों के जीतने के बाद, पीएएएस से जुड़े नौजवानों का मनोबल बढ़ा और फिर वो औपचारिक रूप से आप में शामिल हुए और इनमें से अधिकांश ने 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ा.
मामले में मजेदार ये है कि आप पार्षदों का दलबदल ऐसे समय में हुआ है जब गढ़वी बूथ स्तर से पार्टी का आधार बना रहे हैं. दल-बदल कार्यकर्ताओं के मनोबल को प्रभावित करने के लिए बाध्य हैं, लेकिन आप नेताओं को विश्वास है कि बहुत अच्छे दिन आने वाले हैं. जडवानी के अनुसार, 'गुजरात के 54,000 बूथों में से 45,000 बूथों पर हमारे पास कम से कम पांच सक्रिय स्वयंसेवक और कार्यकर्ता हैं. लोकसभा प्रभारियों ने जमीनी स्तर पर काम करना शुरू कर दिया है. जोन स्तर की नियुक्तियों को लगभग अंतिम रूप दे दिया गया है.'
वहीं सूरत और नवसारी का बीजेपी के लिए सांकेतिक महत्व है. राज्य भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल का निर्वाचन क्षेत्र नवसारी है, जिसके कुछ हिस्से सूरत जिले में हैं. गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी का निर्वाचन क्षेत्र माजुरा है, जिसे उन्होंने 81.97 प्रतिशत मतों के भारी अंतर से जीता था. आप के पीवी सरमा यहां रनर अप रहे थे जिन्हें 10.24 फीसदी वोट मिले थे, संघवी ने दलबदलू पार्षदों का भाजपा में स्वागत किया, जिससे आप के शेष 13 पार्षदों को संकेत मिला कि भाजपा में 'उज्ज्वल' संभावनाएं उनका इंतजार कर रही हैं.
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