भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में बीते आठ महीनों से सैन्य गतिरोध जारी है. भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच करीब ढाई महीने बाद बीते रविवार को नौवें दौर की बातचीत में भी कोई हल नहीं निकल सका है. इन सबके बीच पिछले हफ्ते सिक्किम के नाकू ला इलाके में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प की खबर सामने आई है. भारतीय सेना ने जानकारी देते हुए कहा है कि दोनों देशों के सैनिकों के बीच मामूली झड़प हुई थी. जिसे स्थानीय स्तर पर प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सुलझा लिया गया है. सेना ने बताया कि झड़प में कोई भी सैनिक घायल नहीं हुआ है. बीते साल 15 जून को गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के लंबे समय बाद हुई इस घटना के कई मायने निकाले जा रहे हैं. साथ ही ये सवाल भी उठ रहे हैं कि आखिर ऐसा क्या है, जो बीते कुछ वर्षों में भारत और चीन के संबंधों में बदला है? चीन की ओर से लगातार उकसावे वाली कोशिशें क्यों की जा रही हैं?
भारतीय सीमाओं पर मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर
पाकिस्तान की तरह चीन से भी भारत का लंबे समय से सीमा विवाद चल रहा है. लेकिन, पिछले कुछ वर्षों में भारत सरकार की ओर से चीन से लगी सीमाओं पर लगातार सड़क और पुलों का निर्माण कार्य किया जा रहा है. जानकारों की मानें, तो भारत और चीन के बीच विवाद की एक बड़ी वजह ये भी है. भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय की 2018-19 की सालाना रिपोर्ट में कहा गया था कि सरकार ने भारत-चीन सीमा पर 3812 किलोमीटर का इलाका सड़क निर्माण के लिए चिह्नित किया है. इनमें से 3418 किलोमीटर सड़क बनाने का काम बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाजेशन को दिया गया है. इनमें से अधिकतर परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं. जिसके चलते चीन से लगी...
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में बीते आठ महीनों से सैन्य गतिरोध जारी है. भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच करीब ढाई महीने बाद बीते रविवार को नौवें दौर की बातचीत में भी कोई हल नहीं निकल सका है. इन सबके बीच पिछले हफ्ते सिक्किम के नाकू ला इलाके में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प की खबर सामने आई है. भारतीय सेना ने जानकारी देते हुए कहा है कि दोनों देशों के सैनिकों के बीच मामूली झड़प हुई थी. जिसे स्थानीय स्तर पर प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सुलझा लिया गया है. सेना ने बताया कि झड़प में कोई भी सैनिक घायल नहीं हुआ है. बीते साल 15 जून को गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के लंबे समय बाद हुई इस घटना के कई मायने निकाले जा रहे हैं. साथ ही ये सवाल भी उठ रहे हैं कि आखिर ऐसा क्या है, जो बीते कुछ वर्षों में भारत और चीन के संबंधों में बदला है? चीन की ओर से लगातार उकसावे वाली कोशिशें क्यों की जा रही हैं?
भारतीय सीमाओं पर मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर
पाकिस्तान की तरह चीन से भी भारत का लंबे समय से सीमा विवाद चल रहा है. लेकिन, पिछले कुछ वर्षों में भारत सरकार की ओर से चीन से लगी सीमाओं पर लगातार सड़क और पुलों का निर्माण कार्य किया जा रहा है. जानकारों की मानें, तो भारत और चीन के बीच विवाद की एक बड़ी वजह ये भी है. भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय की 2018-19 की सालाना रिपोर्ट में कहा गया था कि सरकार ने भारत-चीन सीमा पर 3812 किलोमीटर का इलाका सड़क निर्माण के लिए चिह्नित किया है. इनमें से 3418 किलोमीटर सड़क बनाने का काम बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाजेशन को दिया गया है. इनमें से अधिकतर परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं. जिसके चलते चीन से लगी सीमाओं पर भारतीय सैनिकों की गश्त बढ़ गई है. भारत की सीमाओं पर हुए सड़क निर्माणों ने चीन की विस्तारवादी सोच पर काफी हद तक लगाम लगाई है. बीते कुछ वर्षों में भारतीय सीमाओं को और ज्यादा मजबूत बनाने को लेकर बड़े फैसले लिए गए हैं.
धारा 370 और अक्साई चिन
2019 में भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35A हटा दी थी. जम्मू-कश्मीर के खास दर्जे को हटाने के बाद भारत की ओर से जारी किए गए नक्शों पर भी चीन ने असंतोष जाहिर किया था. नए केंद्र शासित प्रदेशों में शामिल लद्दाख के नक्शे में अक्साई चिन को भी भारत का हिस्सा दिखाया गया था. चीन की उकसाने वाली कोशिशों के पीछे इसको भी एक बड़ा कारण माना जाता है. जम्मू-कश्मीर राज्य में आतंकवाद को फैलाने में पाकिस्तान की अपरोक्ष रूप से मदद कर रहे चीन के लिए यह एक बड़ा झटका था. पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में चीन की ओर से किए जा रहे चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरीडोर (सीपीईसी) के निर्माण को भी भारत सरकार के इस फैसले से काफी नुकसान हुआ है. जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद से ही पाकिस्तान के कब्जे वाले इस हिस्से में आजादी की मांग ने जोर पकड़ा है.
भारतीय सीमा पर चीन ने बदली रणनीति
चीन की संसद द्वारा राष्ट्रपति पद की समयसीमा खत्म करने के बाद से ही शी जिनपिंग के रवैये में बड़े बदलाव देखने को मिले हैं. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अक्टूबर, 2020 में देश की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) से कहा था कि वो कोई भी युद्ध लड़ने के लिए खुद को तैयार रखें. इससे पहले चीनी राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की समीक्षा करते हुए सेना के अहम नीतिगत फैसलों का अधिकार 'चाइनीज़ कम्युनिस्ट पार्टी' (सीपीसी) के 'सेंट्रल मिलिट्री कमीशन' के अधीन कर दिया था. जिनपिंग 'सेंट्रल मिलिट्री कमीशन' के भी प्रमुख हैं. इस फैसले से चीनी मंत्रिमंडल का सैन्य कार्यवाही पर दखल समाप्त कर दिया गया है. चीनी राष्ट्रपति ने अपनी सेना में अधिकारियों के स्तर पर कई बड़े बदलाव भी किए हैं. कोरोना महामारी के दौरान जिनपिंग लगातार वायरस के चीन से दुनियाभर में फैलने की बात खंडन कर रहे थे. इस बीच 194 सदस्य देशों वाली वर्ल्ड हेल्थ असेंबली के एक प्रस्ताव का भारत द्वारा समर्थन भी चीन को अखर रहा है. इस प्रस्ताव के अनुसार, कोरोना वायरस की शुरूआत कहां से हुई, इसकी जांच की जाएगी. हाल के समय में चीन से लगी सीमाओं पर भारतीय सेना की मुस्तैदी से चीन को मुंह की खानी पड़ी है.
सिक्किम भारत का सबसे महत्वपूर्ण राज्य
भौगोलिक स्थिति को देखते हुए सिक्किम भारत के लिए एक महत्वपूर्ण राज्य है. बांग्लादेश और चीनी सीमा से लगा सिक्किम, भारत को उसके उत्तर-पूर्वी राज्यों से जोड़ने की एक अहम कड़ी है. 'सात बहनों' (Seven Sisters) के नाम से मशहूर इन राज्यों में अरूणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा शामिल हैं. तिब्बत पर चीन के कब्जे के कारण अरूणाचल प्रदेश की सीमा भी चीन से लगती है. बीते कुछ वर्षों में चीन की ओर से लगातार भारतीय सेना में घुसपैठ कर निर्माण की कोशिशें जारी हैं. हाल ही में जानकारी सामने आई थी कि अरुणाचल प्रदेश में भी चीन ने घुसपैठ कर एक गांव बसाया है. चीन हमेशा से ही अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताता रहा है. चीन की ओर से की जा रही ऐसी दगाबाजी भारत के लिए एक बड़े खतरे का संकेत है. लद्दाख के साथ ही चीन अब भारत के अन्य राज्यों से लगी सीमाओं पर भी माहौल को अस्थिर करने की कोशिशों में जुट गया है.
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