लद्दाख की गलवान घाटी (Galwan valley, Ladakh) में चीन के साथ सैनिकों की हिंसक झड़प और शहादत के बाद पूरा देश बहुत गुस्से में है. ये गुस्सा भी वैसा ही है जैसा फरवरी, 2019 में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले और उससे पहले उड़ी अटैक को लेकर रहा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने चीन को साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि कोई मुगालते में न रहे, भारत उकसाने पर भी चुप बैठा रहेगा ऐसा न हुआ है न होने वाला है - और हर तरीके से जवाब देने में सक्षम है.
प्रधानमंत्री मोदी ने सरहद पर तनाव के बीच 19 जून को शाम 5 बजे सर्व दलीय बैठक (All Party Meet) भी बुलायी है. बैठक में राजनीतिक दलों के प्रमुखों के साथ प्रधानमंत्री मोदी भारत और चीन के बीच उभर आये तनाव के मौजूदा माहौल पर विचार विमर्श करना चाहते हैं.
इस बीच सोनिया गांधी और राहुल गांधी (Sonia Gandhi and Rahul Gandhi) प्रधानमंत्री मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को टारगेट कर सवालों की बौछार कर रहे हैं - क्या ये सवाल सर्वदलीय बैठक के लिए बचा कर नहीं रखे जा सकते हैं?
सोनिया गांधी के मोदी सरकार से सवाल
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष होने के नाते मान कर चलना चाहिये कि सोनिया गांधी भी सर्व दलीय बैठक का हिस्सा होंगी. ये भी पहले से ही साफ है कि सर्व दलीय बैठक में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुए हिंसक झड़प और उसके बाद सीमा पर तनाव की बनी स्थिति को लेकर ही विचार विमर्श होने वाला है.
सोनिया गांधी ने लद्दाख की गलवान घाटी में हुई झड़प को लेकर मोदी सरकार से कई सवाल पूछे हैं - मसलन, क्या अब भी हमारे सैनिक या अधिकारी लापता हैं और गंभीर रूप से घायल सैनिकों और अधिकारियों की संख्या कितनी है?
लद्दाख की गलवान घाटी (Galwan valley, Ladakh) में चीन के साथ सैनिकों की हिंसक झड़प और शहादत के बाद पूरा देश बहुत गुस्से में है. ये गुस्सा भी वैसा ही है जैसा फरवरी, 2019 में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले और उससे पहले उड़ी अटैक को लेकर रहा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने चीन को साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि कोई मुगालते में न रहे, भारत उकसाने पर भी चुप बैठा रहेगा ऐसा न हुआ है न होने वाला है - और हर तरीके से जवाब देने में सक्षम है.
प्रधानमंत्री मोदी ने सरहद पर तनाव के बीच 19 जून को शाम 5 बजे सर्व दलीय बैठक (All Party Meet) भी बुलायी है. बैठक में राजनीतिक दलों के प्रमुखों के साथ प्रधानमंत्री मोदी भारत और चीन के बीच उभर आये तनाव के मौजूदा माहौल पर विचार विमर्श करना चाहते हैं.
इस बीच सोनिया गांधी और राहुल गांधी (Sonia Gandhi and Rahul Gandhi) प्रधानमंत्री मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को टारगेट कर सवालों की बौछार कर रहे हैं - क्या ये सवाल सर्वदलीय बैठक के लिए बचा कर नहीं रखे जा सकते हैं?
सोनिया गांधी के मोदी सरकार से सवाल
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष होने के नाते मान कर चलना चाहिये कि सोनिया गांधी भी सर्व दलीय बैठक का हिस्सा होंगी. ये भी पहले से ही साफ है कि सर्व दलीय बैठक में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुए हिंसक झड़प और उसके बाद सीमा पर तनाव की बनी स्थिति को लेकर ही विचार विमर्श होने वाला है.
सोनिया गांधी ने लद्दाख की गलवान घाटी में हुई झड़प को लेकर मोदी सरकार से कई सवाल पूछे हैं - मसलन, क्या अब भी हमारे सैनिक या अधिकारी लापता हैं और गंभीर रूप से घायल सैनिकों और अधिकारियों की संख्या कितनी है?
सोनिया गांधी ने एक वीडियो मैसेज में सैनिकों की शहादत पर दुख जताया है और साथ ही साथ सलाह दी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सामने आकर लद्दाख की स्थिति के बारे में देश को बताना चाहिये.
हाल फिलहाल सोनिया गांधी कई मुद्दों पर वीडियो के जरिये बयान जारी कर मोदी सरकार पर हमला बोलती हैं और सवाल पूछती हैं. सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर चीन के हाथों भारत की जमीन खोने का भी आरोप लगाया है और पूरे मामले पर प्रधानमंत्री मोदी से विवाद का पूरा ब्योरा देने को कह रही हैं.
ऐसी भी जल्दबाजी क्या है? ये कोई नेपाल के साथ हुई झड़प या पाकिस्तानी सरहद पर रोज रोज होने वाले सीज फायर का उल्लंघन तो है नहीं. मालूम तो सोनिया गांधी को भी होगा ही कि लद्दाख घाटी में जो कुछ हुआ है वो कोई मामुली घटना नहीं है. ऐसा बीते चार दशकों में कभी देखने को नहीं मिला है. अब तक जो भी हुआ है उसमें छिटपुट झड़पें हुआ करती रहीं, लेकिन मामला बेहद गंभीर है. सोनिया गांधी दस साल तक उस कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष रही हैं जिसकी अगुवाई में केंद्र में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार का शासन रहा. अगर वो मनमोहन सिंह को एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर न भी मानें तो भी स्थिति की गंभीरता से वाकिफ तो निश्चित तौर होंगी ही.
ऐसे मामलों में अभी तक सोनिया गांधी और राहुल गांधी के रवैये में थोड़ा फर्क देखने को मिलता रहा है, लेकिन इस बार तो दोनों ही नेता ऐसे सवाल पूछ रहे हैं जैसे लगता है फिर से सबूत मांग रहे हों!
ट्विटर RTI का दफ्तर तो है नहीं!
भारत और चीन के बीच तनाव की स्थिति में राहुल गांधी सवाल तो खूब पूछते हैं, लेकिन कुछ वाकये ऐसे भी हुए हैं जो पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष को ही सवालों के कठघरे में खड़ा कर देते हैं. 2017 में राहुल गांधी की चीनी राजदूत से मुलाकात को लेकर इंकार और फिर घिर जाने पर इकरार, हमेशा के लिए इस मुद्दे पर उनका पक्ष कमजोर कर रखा है. एक सवाल तो राहुल गांधी का हमेशा ही पीछा करता रहेगा कि जब चीन के राजदूत से मुलाकात की थी तो छुपाया क्यों और सवाल उठने पर इंकार क्यों किया - और जब इकरार ही करना था तो पहले सच छुपाने की क्या जरूरत रही?
हाल ही में राहुल को लद्दाख के सांसद ने एक ही ट्वीट से चुप कराने की कोशिश की थी. ये बात अलग है कि थोड़े हेर फेर के साथ राहुल गांधी अपने सवाल दोहराते रहे. लद्दाख से बीजेपी सांसद ने राहुल गांधी को चीन की घुसपैठ का पूरा ब्योरा ट्विटर पर डाल दिया था. सांसद ने ब्योरा तो दिये लेकिन वे सारे यूपीए काल के ही थे - जाहिर है सवाल के हिसाब से ही तो जवाब भी मिलेगा ही.
अब राहुल गांधी को शिकायत है कि राजनाथ सिंह ने लद्दाख की घटना पर अपने ट्वीट में चीन का नाम क्यों नहीं लिया? सवाल ये भी है कि दुख जताने में दो दिन का समय क्यों लिया? राहुल गांधी ने राजनाथ सिंह से सवाल के साथ ही मीडिया को भी निशाना बनाया है.
सोनिया गांधी और राहुल गांधी के बाद कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी ट्विटर पर सवाल किया है - 'राजनाथ सिंह जी, चीन का नाम तक लिखने से भी क्या डर है? हमारे कितने सैनिक शहीद हुए हैं? आप ये क्यों नही बता रहे? क्या चीन ने हमारे सैनिक अगवा किए हैं?'
गलवान घाटी की घटना पर यूपी के पूर्व मुख्यमंत्रियों मायावती और अखिलेश यादव ने भी अपनी टिप्पणी ट्विटर पर शेयर की है - लेकिन वो कांग्रेस नेताओं से बिलकुल अलग है. मायावती की ही तरह अखिलेश यादव ने भी अपनी बात कही है, साथ में पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव का एक वीडियो भी शेयर किया है जिसमें वो चीन को लेकर चेतावनी दे रहे हैं.
राहुल गांधी ने जिस तरीके से ट्विटर पर सवाल पूछा है ऐसा लगता है जैसे RTI एप्लीकेशन डाल रहे हों - और उसका ड्राफ्ट ज्यों का त्यों ट्विटर पर शेयर कर दिया है. सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि क्या ऐसी नाजुक घड़ी में ऐसे सवाल ट्विटर पर पूछे जाने चाहिये? एक तरफ तो राहुल गांधी बोल रहे हैं कि पूरा देश सरकार के साथ है, ऐन उसी वक्त वो ऐसे सवाल पूछ रहे हैं जो चीन के लोग भी देख रहे हैं - क्या राहुल गांधी ने कभी सोचा है ऐसे सवालों से क्या मैसेज जाएगा?
ये तो राहुल गांधी को मालूम होगा ही कि भारत-चीन तनाव का मुद्दा ने तो कोरोना वायरस पर काबू पाने जैसा मामला है और न ही लॉकडाउन लागू करने जैसा कोई फैसला जिसे हड़बड़ी में उठाया गया कदम बताकर सरकार पर हमला बोला जा सके - क्या देश की सुरक्षा से जुड़े ऐसे संवेदनशील मुद्दे को लेकर ट्विटर पर ऐसी राजनीति होनी चाहिये? क्या राहुल गांधी और सोनिया गांधी थोड़े धैर्य के साथ ये सवाल सर्व दलीय बैठक के लिए बचा कर नहीं रख सकते? सारे सवाल अभी पूछ लेंगे तो वहां बैठ कर क्या करेंगे? कहीं सर्व दलीय बैठक से भी दूरी बना लेने का इरादा तो नहीं है?
इन्हें भी पढ़ें :
PM Modi को चीन पर अब 'डिप्लोमैटिक सर्जिकल स्ट्राइक' करना होगा!
India-China Galwan valley news: आखिर उस रात गलवान घाटी में हुआ क्या था?
India-China face off: अब इस LAC विवाद को जड़ से खत्म करने का वक्त आ चुका है!
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.