अभी दिन ही कितने हुए हैं. पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने दुनिया को अपना नफरती चेहरा दिखाया था. बिलावल ने न केवल भारत के खिलाफ जम कर जहर उगला बल्कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ तमाम तरह की अनर्गल बातें की थीं. बिलावल भुट्टो जरदारी ने न्यूयॉर्क में अपनी प्रेस मीट में पीएम मोदी को 'गुजरात का कसाई' बताया था. तब मीडिया से मुखातिब होकर बिलावल ने कहा था, "ओसामा बिन लादेन मर गया है, लेकिन गुजरात का कसाई नरेंद्र मोदी अभी भी जिंदा है. बिलावल का इस बात को कहना भर था भारत ने NSC में जमकर उनकी क्लास ली थी. सवाल होगा कि अब फिर बिलावल का जिक्र क्यों? वजह है गोवा में आयोजित एससीओ मीटिंग और उस मीटिंग में शिरकत के लिए भारत की तरफ से पाकिस्तान को निमंत्रण भेजना.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की है कि उन्हें शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के लिए भारत का निमंत्रण मिला है, लेकिन अभी यह तय नहीं किया गया है कि बिलावल इस कार्यक्रम में शामिल होंगे या नहीं. भारत, जिसने 2022-2023 में एससीओ की अध्यक्षता अपने नाम थी, ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी को एससीओ की बैठक में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है जो इस साल मई में गोवा में होने वाली है.
बिलावल यदि इस आमंत्रण को स्वीकार कर लेते तो 2011 के बाद ये पहली बार होगा जब पाकिस्तान की तरफ से कोई राजनेता भारत की यात्रा पर आएगा. इस बात में कोई शक नहीं है कि भारत से आए आमंत्रण को लेकर पाकिस्तान में गजब का उत्साह है. जैसी ख़बरें पाकिस्तान से आ रही हैं वहां कहने को तो राजनेता इसे आमंत्रण कह रहे हैं. मगर उन्हें इस बात का अंदाजा है कि इस आमंत्रण की कीमत क्या...
अभी दिन ही कितने हुए हैं. पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने दुनिया को अपना नफरती चेहरा दिखाया था. बिलावल ने न केवल भारत के खिलाफ जम कर जहर उगला बल्कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ तमाम तरह की अनर्गल बातें की थीं. बिलावल भुट्टो जरदारी ने न्यूयॉर्क में अपनी प्रेस मीट में पीएम मोदी को 'गुजरात का कसाई' बताया था. तब मीडिया से मुखातिब होकर बिलावल ने कहा था, "ओसामा बिन लादेन मर गया है, लेकिन गुजरात का कसाई नरेंद्र मोदी अभी भी जिंदा है. बिलावल का इस बात को कहना भर था भारत ने NSC में जमकर उनकी क्लास ली थी. सवाल होगा कि अब फिर बिलावल का जिक्र क्यों? वजह है गोवा में आयोजित एससीओ मीटिंग और उस मीटिंग में शिरकत के लिए भारत की तरफ से पाकिस्तान को निमंत्रण भेजना.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की है कि उन्हें शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के लिए भारत का निमंत्रण मिला है, लेकिन अभी यह तय नहीं किया गया है कि बिलावल इस कार्यक्रम में शामिल होंगे या नहीं. भारत, जिसने 2022-2023 में एससीओ की अध्यक्षता अपने नाम थी, ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी को एससीओ की बैठक में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है जो इस साल मई में गोवा में होने वाली है.
बिलावल यदि इस आमंत्रण को स्वीकार कर लेते तो 2011 के बाद ये पहली बार होगा जब पाकिस्तान की तरफ से कोई राजनेता भारत की यात्रा पर आएगा. इस बात में कोई शक नहीं है कि भारत से आए आमंत्रण को लेकर पाकिस्तान में गजब का उत्साह है. जैसी ख़बरें पाकिस्तान से आ रही हैं वहां कहने को तो राजनेता इसे आमंत्रण कह रहे हैं. मगर उन्हें इस बात का अंदाजा है कि इस आमंत्रण की कीमत क्या है.
कह सकते हैं कि पाकिस्तान का एससीओ मीटिंग के सिलसिले में भारत आना न केवल उसे तमाम परेशानियों से निजात दिला सकता है. बल्कि इसका सीधा असर विश्व पटल पर पाकिस्तान की छवि पर पड़ेगा. इस आमंत्रण के बाद देश दुनिया की नजर बिलावल पर हैं कि आखिर वो क्या फैसला लेते हैं?
वाक़ई मुश्किल वक़्त है बिलावल के लिए. क्योंकि बिलावल पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शान में गुस्ताखी करते हुए गुजरात दंगों का जिक्र कर चुके हैं और प्रधानमंत्री को गुजरात का कसाई बता चुके हैं यदि वो यहां आते हैं तो न केवल भारतीय मीडिया बल्कि दुनिया भर के मीडिया की नजर उनपर रहेगी. हर कोई इस यात्रा और भारत पर उनका ओपिनियन जानने के लिए आतुर रहेगा.
इसके अलावा एक बड़ा सवाल ये भी है कि, जब एससीओ की बैठक में पाकिस्तान की तरफ से गोवा पहुंचे बिलावल भुट्टो ज़रदारी का सामना भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से होगा. तो स्थिति क्या होगी? क्या बिलावल उस शख्स से आंखें मिला पाएंगे जिसे उन्होंने हत्यारे की संज्ञा दी थी. गुजरात का कसाई कहा था. आखिर कैसे बिलावल उस व्यक्ति से या फिर उसके सामने दुनिया को अपनी परेशानियों से अवगत करा पाएंगे.
गौरतलब है कि मौजूदा वक़्त में जैसी स्थिति पाकिस्तान की है वो किसी से छिपी नहीं है. मुल्क में राजनीतिक अस्थिरता तो है ही. आम आवाम दाने दाने को मजबूर है. कह सकते हैं आज के समय में पाकिस्तान एक ऐसा मुल्क बन गया है जो लोगों को उनकी रोजमर्रा की चीजें उपलब्ध करा पाने में असमर्थ है. बाकी जो हाल अर्थव्यवस्था के हैं पाकिस्तान कभी भी अपने को कंगाल या दीवालिया घोषित कर सकता है.
उपरोक्त बातों के बाद यदि बिलावल भारत न आने का फैसला लेते हैं तो भी इससे नुकसान पाकिस्तान का है. ध्यान रहे मौजूदा वक़्त में बिलावल उस मछली की तरह हैं. जिसका अस्तित्व तभी है जब वो अपने पोखरे से निकलें और समुंद्र में जाएं. और आज का भारत बिलावल और उनके देश के लिए उसी समुंद्र की भूमिका में है. बिलावल अगर एससीओ मीटिंग के लिए भारत की तरफ से भेजे गए आमंत्रण को अस्वीकार कर देते हैं. तो इससे भारत का कोई नुक्सान नहीं है. हां लेकिन इससे विश्व पटल पर पाकिस्तान को भारी नुक्सान जरूर हो सकता है.
ये भी पढ़ें -
इंडिया को खत्म करने की धमकी देने वाले फवाद चौधरी देशद्रोह के आरोप में जेल में हैं!
बैन किये जाने से 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' का मकसद पूरा होता नजर आ रहा है!
पार्टी के नेताओं का कोई सार्वजनिक बयान निजी कैसे हो सकता है?
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.