15 अगस्त 1947 को भारत की छाती पर एक लकीर खींची गई थी. ऐसी लकीर जिसने दोनों ओर खून की नदियां बहा दीं. नफरत की एक ऐसी दीवार खड़ी कर दी जो समय के साथ और मजबूत होती जा रही है. एक-दुसरे का खून पीने के लोग इतने आदी हो गए हैं कि अब बॉर्डर के उस पार हमें लोग नहीं दुश्मन नजर आते हैं.
इंडिया टुडे के लिए बनाए गए इस वीडियो में देखिए भारत-पाक के बीच लकीर खींचने वाले सेरिल जॉन रैडक्लिफ की जुबानी बंटवारे का दर्द. जिस दर्द को भारत-पाक के करोड़ों लोगों ने झेला उसकी लपटों में लकीर खींचने वाला भी जल रहा था.
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