इसी महीने 5 अगस्त को मोदी सरकार ने एक सख्त फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को खत्म कर दिया. उसके बाद से ही कश्मीर के कई इलाकों में कर्फ्यू लगाया गया, इंटरनेट और फोन सेवाएं बंद की गईं और मीडिया पर भी पाबंदी लगाई गई. उसके बाद ही आवाजें उठने लगी थीं कि आम लोगों को बंदूक की नोक पर घरों में बंद करना सही नहीं है, कर्फ्यू हटाया जाना चाहिए. जबकि मोदी सरकार ये अच्छे से समझ रही थी कि स्थिति को काबू में रखना है तो हर कदम फूक-फूक कर रखना होगा. मोदी सरकार से लेकर सेना तक पर काफी लोग सवाल उठा रहे थे, लेकिन इसी बीच शेहला राशिद ने भारतीय सेना पर कई गंभीर आरोप लगाकर एक नई बहस छेड़ दी है.
शेहला राशिद ने एक के बाद एक सिलसिलेवार तरीके से कई ट्वीट किए. उनमें उन्होंने जो बातें कही हैं, अगर कोई उन्हें सच मान ले तो मन में एक डर सा बैठ जाना लाजमी है. उनके ट्वीट तो यही दिखा रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर में सेना के जवान लोगों के घरों में घुसकर उन्हें परेशान कर रहे हैं और लोगों पर अत्याचार कर रहे हैं. हालांकि, शेहला राशिद के ट्वीट्स के बाद खुद सेना सामने आई है और उन्होंने सेना पर लगाए गए सभी आरोपों के सिरे से नकार दिया है. इतना ही नहीं, शेहला राशिद के खिलाफ तो सुप्रीम कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई गई है. उनकी गिरफ्तारी तक की मांग की ही जा रही है. वैसे, शेहला राशिद ने सेना पर जो आरोप लगाए हैं, वो भी बिना किसी फैक्ट चेक के, उसके लिए तो उन्हें गिरफ्तार किया भी जाना चाहिए.
क्या कहा है शेहला राशिद ने
शेहला राशिद ने एक दो नहीं, बल्कि पूरे 10 ट्वीट किए हैं. हर ट्वीट सिर्फ ये दिखा रहा है कि जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना लोगों पर अत्याचार कर रही है. उन्होंने लिखा है कि...
इसी महीने 5 अगस्त को मोदी सरकार ने एक सख्त फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को खत्म कर दिया. उसके बाद से ही कश्मीर के कई इलाकों में कर्फ्यू लगाया गया, इंटरनेट और फोन सेवाएं बंद की गईं और मीडिया पर भी पाबंदी लगाई गई. उसके बाद ही आवाजें उठने लगी थीं कि आम लोगों को बंदूक की नोक पर घरों में बंद करना सही नहीं है, कर्फ्यू हटाया जाना चाहिए. जबकि मोदी सरकार ये अच्छे से समझ रही थी कि स्थिति को काबू में रखना है तो हर कदम फूक-फूक कर रखना होगा. मोदी सरकार से लेकर सेना तक पर काफी लोग सवाल उठा रहे थे, लेकिन इसी बीच शेहला राशिद ने भारतीय सेना पर कई गंभीर आरोप लगाकर एक नई बहस छेड़ दी है.
शेहला राशिद ने एक के बाद एक सिलसिलेवार तरीके से कई ट्वीट किए. उनमें उन्होंने जो बातें कही हैं, अगर कोई उन्हें सच मान ले तो मन में एक डर सा बैठ जाना लाजमी है. उनके ट्वीट तो यही दिखा रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर में सेना के जवान लोगों के घरों में घुसकर उन्हें परेशान कर रहे हैं और लोगों पर अत्याचार कर रहे हैं. हालांकि, शेहला राशिद के ट्वीट्स के बाद खुद सेना सामने आई है और उन्होंने सेना पर लगाए गए सभी आरोपों के सिरे से नकार दिया है. इतना ही नहीं, शेहला राशिद के खिलाफ तो सुप्रीम कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई गई है. उनकी गिरफ्तारी तक की मांग की ही जा रही है. वैसे, शेहला राशिद ने सेना पर जो आरोप लगाए हैं, वो भी बिना किसी फैक्ट चेक के, उसके लिए तो उन्हें गिरफ्तार किया भी जाना चाहिए.
क्या कहा है शेहला राशिद ने
शेहला राशिद ने एक दो नहीं, बल्कि पूरे 10 ट्वीट किए हैं. हर ट्वीट सिर्फ ये दिखा रहा है कि जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना लोगों पर अत्याचार कर रही है. उन्होंने लिखा है कि 'जम्मू-कश्मीर पुलिस के पास कोई अधिकार नहीं हैं, एसएचओ के पास सर्विस रिवाल्वर तक नहीं है और वह सिर्फ डंडे लिए घूम रहे हैं. सब कुछ सेना के अधिकार में है. सेना रात में लोगों के घरों में घुस रही है, लड़कों को उठा ले जा रही है, घर में तोड़फोड़ कर रही है, जानबूझ कर लोगों का राशन जमीन पर बिखेर दे रही है, तेल और चावल को एक में मिला दे रही है. आरोप लगाया है कि शोपियां में 4 लोगों को आर्मी कैंप में बुलाकर पूछताछ के बहाने उसे टॉर्चर किया गया. उसके पास एक माइक रखा गया, ताकि आस-पास के लोग भी उसकी चीखें सुन सकें और उनमें भी दहशत घर कर ले. इससे पूरे इलाके में डर और दहशत का माहौल है.'
शुरुआती 7 ट्वीट में तो शेहला राशिद ने लोगों को हो रही परेशानी की बात कही है. इन्हें तो महज एक विरोध मानकर नजरअंदाज किया जा सकता है, लेकिन उनके बाद किए 3 ट्वीट में शेहला राशिद ने जो कहा है, उसे देखकर उनके खिलाफ कार्रवाई करना जरूरी हो जाता है. दरअसल, बाद के 3 ट्वीट में उन्होंने सेना पर सवाल उठाए हैं. अरे सवाल छोड़िए, उन्होंने तो सेना पर गंभीर आरोप लगा डाले हैं. उनके ट्वीट इशारा कर रहे हैं कि घाटी में सेना लोगों से मारपीट कर रही है, उन्हें परेशान कर रही है, उन पर अत्याचार कर रही है और अपनी दहशत फैला रही है. यही वजह से है कि सुप्रीम कोर्ट में उनके खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है और उनकी गिरफ्तारी की भी मांग की गई है.
हारवर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विरोध किए जाने की हकीकत
ये बातें भी सामने आने लगी थीं कि हारवर्ड यूनिवर्सिटी ने भी कश्मीर से धारा 370 को हटाए जाने का विरोध किया है. कहा जा रहा था कि हारवर्ड से जुड़े करीब 100 से अधिक लोगों ने जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र और शांति बनाए रखने की अपील की है. हालाकि, ये हारवर्ड के एलुमिनाई के एक ग्रुप में शेयर किया गया था, जिसके एक सदस्य अभिषेक सिंह पूरा सच सामने रख रहे हैं. उनका कहना है कि अधिकतर लोग इस पिटिशन के खिलाफ थे. यानी अधिकतर लोग ऐसे थे, जिन्होंने कश्मीर को लेकर मोदी सरकार के सख्त फैसले का स्वागत किया, जबकि शाह फैसल के कुछ क्लासमेंट और दोस्तों ने इसका विरोध किया.
विरोध की झूठी बातें तो बीबीसी ने भी फैलाई थीं
कुछ समय पहले ही बीबीसी ने एक वीडियो जारी किया था, जिसमें दिखाया जा रहा था कि कश्मीर में प्रदर्शन हो रहे हैं और उसमें गोलीबारी तक हो रही है. गोलियों की आवाजें भी साफ सुनाई दे रही थीं. ये भी दावा किया गया था कि कुछ लोगों की मौत तक हुई है. हालांकि, सेना ने बीबीसी के वीडियो को गलत बताते हुए कहा कि घाटी में छुटपुट प्रदर्शन जरूर हुई हैं, लेकिन कहीं पर भी गोली चलाने की नौबत नहीं आई, ना ही कोई मरा या घायल हुआ है. तब बीबीसी ने विरोध का झूठ फैलाया था और अब शेहला राशिद अत्याचार का झूठ फैला रही हैं. हालांकि, जिस तरह सेना ने पहले विरोध के झूठ को बेनकाब किया था और अब अत्याचार के झूठ का पर्दाफाश किया है, ये कहना गलत नहीं होगा कि लड़ाई अभी लंबी चलेगी.
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