भारत का लोकतंत्र बहुत बड़ा है. लोकतंत्र को बड़ा बनाया मोहनदास करमचंद गांधी और भारत की महान जनता ने, गांधी को बड़ा बनाया साउथ अफ्रीका की उस यात्रा ने, जिसमें वे डरबन से प्रिटोरिया जा रहे हैं, जहां उनका मुवक्किल मियां अब्दुल्ला चुंगी की चोरी के जुर्म में फंसे पड़े थे. गांधी ने जज से कहा कि मेरे मुवक्किल ने चोरी की है, उसे सरकारी नियमानुसार जो भी दंड होगा उसे भरना पड़ेगा,अन्यथा देश छोड़ना होगा. जनता को महान बनाया उस धर्म ने जिसने कहा असतो मा सदगमय, बहुजन सुखाय-बहुजन हिताय,सर्वे सुखिनः भवन्तु,अहिंसा परमो धर्मों, साई इतना दीजिये जामे कुटुंब समाय, मैं न भूखारहूं साधु न भूखा जाय. उस गांधी की तस्वीर भारत की तमाम जनता लगाती है. जनता बड़ा बनने के चक्कर मे नेता पैदा कर दी, जो असहमत होते हुए भी तस्वीर तो लगाते है, गांधी का सत्य,अहिंसा और आचरण के विपरीत आचरण करने में महारत हासिल करते जा रहे हैं. नेताओं ने जनता को जाति बनाकर कब्जा कर लिया, उपदेश देने लगे कि जाति से बाहर जाओगे तो जनतंत्र टूटेगा और वंशतन्त्र बनकर लोकतंत्र को लूटेगा नही,रक्षा करेगा. सरकार का स्थायी पक्ष व विपक्ष की भूमिका में सोशल मीडिया आ गया है, उसमे वे लोग सक्रिय है,जिन्होंने बड़ी साफ़गोई से भारत मे भ्रम, भय,भ्रष्टाचार और भक्त पैदा कर दिए.
पहले तो आपको कुछ साल पीछे की घटना याद दिलाते हैं जानिए उस भ्रम पर जो ममता-मोदी के बीच कोलकाता में पैदा हुआ था,अगर कम्युनिस्ट पार्टी की रैली न होती तो शायद ममता वो न करती जो उन्होनें किया,क्योंकि वह रैली बहुत बड़ी और ब्रिगेड मैदान में हो रही थी,जनता का जमावड़ा तकरीबन 6 लाख से ऊपर था,ले फ्ट माइनस पूरे विपक्ष की...
भारत का लोकतंत्र बहुत बड़ा है. लोकतंत्र को बड़ा बनाया मोहनदास करमचंद गांधी और भारत की महान जनता ने, गांधी को बड़ा बनाया साउथ अफ्रीका की उस यात्रा ने, जिसमें वे डरबन से प्रिटोरिया जा रहे हैं, जहां उनका मुवक्किल मियां अब्दुल्ला चुंगी की चोरी के जुर्म में फंसे पड़े थे. गांधी ने जज से कहा कि मेरे मुवक्किल ने चोरी की है, उसे सरकारी नियमानुसार जो भी दंड होगा उसे भरना पड़ेगा,अन्यथा देश छोड़ना होगा. जनता को महान बनाया उस धर्म ने जिसने कहा असतो मा सदगमय, बहुजन सुखाय-बहुजन हिताय,सर्वे सुखिनः भवन्तु,अहिंसा परमो धर्मों, साई इतना दीजिये जामे कुटुंब समाय, मैं न भूखारहूं साधु न भूखा जाय. उस गांधी की तस्वीर भारत की तमाम जनता लगाती है. जनता बड़ा बनने के चक्कर मे नेता पैदा कर दी, जो असहमत होते हुए भी तस्वीर तो लगाते है, गांधी का सत्य,अहिंसा और आचरण के विपरीत आचरण करने में महारत हासिल करते जा रहे हैं. नेताओं ने जनता को जाति बनाकर कब्जा कर लिया, उपदेश देने लगे कि जाति से बाहर जाओगे तो जनतंत्र टूटेगा और वंशतन्त्र बनकर लोकतंत्र को लूटेगा नही,रक्षा करेगा. सरकार का स्थायी पक्ष व विपक्ष की भूमिका में सोशल मीडिया आ गया है, उसमे वे लोग सक्रिय है,जिन्होंने बड़ी साफ़गोई से भारत मे भ्रम, भय,भ्रष्टाचार और भक्त पैदा कर दिए.
पहले तो आपको कुछ साल पीछे की घटना याद दिलाते हैं जानिए उस भ्रम पर जो ममता-मोदी के बीच कोलकाता में पैदा हुआ था,अगर कम्युनिस्ट पार्टी की रैली न होती तो शायद ममता वो न करती जो उन्होनें किया,क्योंकि वह रैली बहुत बड़ी और ब्रिगेड मैदान में हो रही थी,जनता का जमावड़ा तकरीबन 6 लाख से ऊपर था,ले फ्ट माइनस पूरे विपक्ष की रैली से भारी थी. जहां मांग हो रही थी कि उन 10 से 20 लाख लोगों की जमा पूंजी 40 हजार करोड़ की वापसी कैसे होगी जो शारदा ने जबरन हड़प रखा है.
दीदी ने बहुत बोला पर पैसे पर कुछ नही क्योंकि पैसा जैसे ही देना पड़ेगा तो उनका लोकतंत्र तो खतरे में पड़ ही जायेगा. मीडिया का लोकतंत्र भी तो पैसे से ही चलता है, अतः 1 किलोमीटर दूर पर पहुंचने के लिए पैसा न मिला हो.सबसे ज्यादा भ्रमित कांग्रेस नज़र आ रही है, कांग्रेस मज़बूत वहां होगी तो किसको नुकसान होगा, वह ममता को होगा.निर्णय लेना भी निर्णय होता है.यह कांग्रेस को समझ मे नही आया.
क्योंकि उसी दिन पटना में भी कांग्रेस का एक जलसा था, जिसे जनता देख न सकी,क्योंकि मीडिया आप पर मौन हो गयी थी,उससे बड़ा मसाला ममता उसके पास थी, क्योंकि एक मुख्यमंत्री जो अपने सचिव को मारता है,दूसरी मुख्यमंत्री ममता जो अपने सचिव को बचाती है,का गठजोड़ था. तीसरा मुख्यमंत्री से खतरा था, जिसे घुसना मना था. भय यहां से शुरू होता है, जो भ्रष्टाचार की कोख से पैदा हुआ है, भारत को बर्बाद करने में सबसे बड़ी भूमिका भ्रष्टाचार की है जिसे भक्त आगे बढ़ा रहे है, भक्त का तात्पर्य किसी दल से नही है,दल से जोड़ेंगे तो दूसरी तरफ वाले अंधभक्त कहलायेंगे.
सोशल मीडिया पर कट-पेस्ट करने वालों की भरमार है, मां बहन की गाली बकना उनका हथियार है. मसलन टाइम मैगजीन का कार्टून का वायरल होना जिसका सच से कुछ लेना देना नहीं, पर चल रहा था लोग ताली बजा रहे थे ,क्यों नही बजायेंगे आप भी तो बिना मीडिया के गणेश जी को दूध पिला दिए थे. बिना जनेऊ के प्रयागराज में पानी पिला दिए.
बिना जनेऊ वाले भी प्रयागराज में इतनी कड़कती ठंड में अपनी आस्था बरकरार रखे हुए है,यह शुभ संकेत है,जो शुद्ध होकर सही समय पर सही निर्णय लेंगे. दोस्तों मैं कहूंगा = कि टिकट बेचने और खरीदने वालों को वोट मत देना,शराब और साड़ी बाटने वाले,आपको बेहोश करेंगे फिर लोकतंत्र को लूटेंगे. अच्छे लोगो को वोट देना शुरू करिये,पार्टियां भी अच्छे लोगो को टिकट देंगी.वोट देने से पहले ज़रूर पूछियेगा की आपको वोट क्यों दूं ?
पार्टी ने कितना दिया, जो दिया वह उसके पास कहां से आया? आपको पेंसन हमको क्यों नही? गेहूं सस्ता पानी महंगा क्यों? आपके बच्चे सरकारी स्कूलों में क्यो नही पढ़ते? इन्ही सवालों से भय, भ्रम, भ्रष्टाचार, भक्त और अंधभक्त सब नष्ट हो जाएंगे,और बरकरार रह जायेगा भारत का बड़प्पन भी.
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