इरान में हुए फिदाईन हमले की खबर नवजोत सिद्धू जैसे लोगों को जरूर देखना चाहिए, जो पुलवामा हमले के बाद भी आतंकवाद को िकिसी खास देश से जोड़ने से बच रहे हैं. पाकिस्तान के एक सुन्नी इस्लामिक आतंकवादी संगठन ने ईरान के भीतर घुसकर फिदाईन हमला किया है. जिस वक्त पुलवामा हमले को अंजाम दिया जा रहा था उसी वक्त ईरान की साजिश को भी अंजाम दिया गया. उसी पैटर्न में हमला किया गया जिस पैटर्न में पुलवामा में हुआ. ईरान की खश-जाहेदन रोड पर रेवोल्यूशनरी गार्ड से भरी बस सीमा पर गश्ती के बाद लौट रही थी. बस को निशाना बनाती हुई एक गाड़ी ने उसी तरह हमला किया और इस हमले में 27 सैनिकों की मौत हो गई और 13 घायल हो गए.
पाकिस्तान के सुन्नी आतंकी संगठन ग्रुप ने ली जिम्मेदारी
जहां एक ओर पुलवामा हमले की जिम्मेदारी 'जैश-ए-मोहम्मद' ने ले ली है. वहीं ईरान में हुए हमले की जिम्मेदारी खतरनाक टेररिस्ट ग्रुप 'जैश-अल-अद्ल'. ये आतंकी संगठन ईरान में पहले से ही ब्लैक लिस्ट है. ये एक कट्टर सुन्नी आतंकी संगठन है जो ईरान-पाकिस्तान बॉर्डर पर सक्रीय है. ये आतंकी संगठन सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत में हैं और ये कई अटैक करवा चुका है. पाकिस्तान, सऊदी अरब को इस आतंकी संगठन का समर्थक माना जाता है. इसके अलावा, अल कायदा, इस्लामिक स्टेट ऑफ ईराक, हरकत अंसर ईरान आदि सभी कट्टर आतंकी संगठन इस ग्रुप का समर्थन करते हैं. जहां जैश-ए-मोहम्मद और जैश-अल-अद्ल दोनों ही अलग-अलग आतंकवादी संगठन हैं और जहां दोनों ही हमले अलग-अलग देशों में किए गए हैं वहीं दोनों आतंकवादी संगठनों में एक बात आम है और वो ये कि दोनों ही पाकिस्तानी हैं.
दरअसल, मिडिल ईस्ट और ईरान पर चर्चा के लिए अमेरिका ने पोलैंड...
इरान में हुए फिदाईन हमले की खबर नवजोत सिद्धू जैसे लोगों को जरूर देखना चाहिए, जो पुलवामा हमले के बाद भी आतंकवाद को िकिसी खास देश से जोड़ने से बच रहे हैं. पाकिस्तान के एक सुन्नी इस्लामिक आतंकवादी संगठन ने ईरान के भीतर घुसकर फिदाईन हमला किया है. जिस वक्त पुलवामा हमले को अंजाम दिया जा रहा था उसी वक्त ईरान की साजिश को भी अंजाम दिया गया. उसी पैटर्न में हमला किया गया जिस पैटर्न में पुलवामा में हुआ. ईरान की खश-जाहेदन रोड पर रेवोल्यूशनरी गार्ड से भरी बस सीमा पर गश्ती के बाद लौट रही थी. बस को निशाना बनाती हुई एक गाड़ी ने उसी तरह हमला किया और इस हमले में 27 सैनिकों की मौत हो गई और 13 घायल हो गए.
पाकिस्तान के सुन्नी आतंकी संगठन ग्रुप ने ली जिम्मेदारी
जहां एक ओर पुलवामा हमले की जिम्मेदारी 'जैश-ए-मोहम्मद' ने ले ली है. वहीं ईरान में हुए हमले की जिम्मेदारी खतरनाक टेररिस्ट ग्रुप 'जैश-अल-अद्ल'. ये आतंकी संगठन ईरान में पहले से ही ब्लैक लिस्ट है. ये एक कट्टर सुन्नी आतंकी संगठन है जो ईरान-पाकिस्तान बॉर्डर पर सक्रीय है. ये आतंकी संगठन सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत में हैं और ये कई अटैक करवा चुका है. पाकिस्तान, सऊदी अरब को इस आतंकी संगठन का समर्थक माना जाता है. इसके अलावा, अल कायदा, इस्लामिक स्टेट ऑफ ईराक, हरकत अंसर ईरान आदि सभी कट्टर आतंकी संगठन इस ग्रुप का समर्थन करते हैं. जहां जैश-ए-मोहम्मद और जैश-अल-अद्ल दोनों ही अलग-अलग आतंकवादी संगठन हैं और जहां दोनों ही हमले अलग-अलग देशों में किए गए हैं वहीं दोनों आतंकवादी संगठनों में एक बात आम है और वो ये कि दोनों ही पाकिस्तानी हैं.
दरअसल, मिडिल ईस्ट और ईरान पर चर्चा के लिए अमेरिका ने पोलैंड में एक सम्मेलन का आयोजन किया था. इस सम्मलेन में 60 देशों ने भाग लिया था. इस सम्मलेन का आतंकी संगठन विरोध कर रहे थे.
ईरान ने भी दी पाकिस्तान को कार्रवाई की चेतावनी
जानकारी के मुताबिक इस आतंकी संगठन का हेडक्वार्टर पाकिस्तान के बलूचिस्तान में है और इसलिए पाकिस्तान का हाथ इस हमले में होने की गुंजाइश बताई जा रही है. ईरान ने भी पाकिस्तान को भारत की तरह ही धमकी दी है कि पाकिस्तान अब जल्द ही किसी बड़ी कार्रवाई के लिए तैयार हो जाए.
ईरान के रेवोल्यूशनरी गार्ड सेना के मेजर जनरल मोहम्मद अली जफारी ने भी इस हमले को लेकर बयान जारी किया है. उनका कहना था कि, 'पाकिस्तानी सरकार को अपने देश में आतंकी संगठनों को पनाह देने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी. ईरान की सरकार अब पुराने किसी भी आरक्षण को नहीं मानेगी और ऐसे हमलों का मुंहतोड़ जवाब देगी.' ईरान ने इस मामले में सऊदी और यूएई पर भी आरोप लगाते हुए कहा है कि ये दोनों देश भी पाकिस्तान का समर्थन कर रहे हैं और अन्य देशों में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं. पाकिस्तान ने इन सभी आरोपों को सिरे से नकारा है.
ईरान की जनता ने भी भारत की ही तरह बदले की आग में जलना शुरू कर दिया है. भारत जहां जैश-ए-मोहम्मद को खत्म करने के लिए पाकिस्तान पर दबाव बना रहा है वहीं ईरान जैश-अल-अद्ल को खत्म करने की बात कर रहा है. दोनों सुन्नी कट्टरपंथी संगठन सिर्फ और सिर्फ आतंक फैलाने का ही काम करते हैं.
पाकिस्तान ने हमेशा की तरह नकार दिए सारे आरोप
पाकिस्तान की एक बात जो लगभग हर आतंकी हमले के बाद सामने आती है वो ये कि पाकिस्तान हर हमले के बाद अपना हाथ होने की बात सिरे से नकार देता है. पाकिस्तानी मंत्रियों और मीडिया ने तो जैश-ए-मोहम्मद के पुलवामा हमले की जिम्मेदारी लेने के बाद भी इस बात को सिरे से नकार दिया कि ये हमला उनके देश में प्लान किया गया है. ठीक ऐसा ही ईरान के हमले के लिए भी हुआ.
इतना ही नहीं, एक साल पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भी पाकिस्तान की सुरक्षा सहायता बंद करवा दी थी. ये ट्रंप सरकार का तरीका था पाकिस्तान को सबक सिखाने का ताकि वो अपने देश में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देना बंद कर दे. अमेरिकी सेना का दावा था कि अफ्गानिस्तान में हो रही आतंकी गतिविधियों के पीछे पाकिस्तान जिम्मेदार है. पर पाकिस्तान ने इस बात का भी खंडन किया था.
पाकिस्तान के प्रति सिर्फ भारत का ही नहीं बल्कि उसके अन्य पड़ोसी देशों का गुस्सा भी उबाल पर आने लगा है. चाहें एबाटाबाद में ओसामा को पनाह देने की बात हो चाहें अपने देश में हाफिज सईद को इलेक्शन लड़वाने की बात, लेकिन पाकिस्तान को आतंकवादियों का पसंदीदा देश कहा जा सकता है. भारत-पाकिस्तान के रिश्ते तो हमेशा से ही चर्चा का विषय रहे हैं, लेकिन अब पाकिस्तान पर बाकी देशों का गुस्सा भी दिखने लगा है. ईरान, अफ्गानिस्तान, ईराक, भारत सभी जगह आत्मघाती और आतंकी हमलों में कहीं न कहीं पाकिस्तान का नाम सामने आता है. यही कारण है कि पाकिस्तान के साथ सिवाए चीन और कोई भी पड़ोसी देश नहीं है.
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