बीजेपी 2014 में केंद्र में सरकार बनाने में सफल हो पायी थी. लोकसभा चुनाव के ठीक पहले नरेंद्र मोदी ने ब्लैक मनी का मुद्दा जोर शोर से उठाया था. भ्रष्टाचार और ब्लैकमोनी मुद्दे के बल पर ही वे केंद्र की सत्ता पर काबिज़ हुए थे. लेकिन चार साल बाद ऐसा लग रहा है की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ब्लैक मनी के खिलाफ अभियान कुछ काम नहीं आ रहा है. बीजेपी ने चुनाव से पहले वादा किया था की अगर वो सरकार में आती है तो विदेशो से ब्लैक मनी लाकर हरेक व्यक्ति को 15 लाख रुपये देगी. लेकिन बाद में बीजेपी ने खुद इसे चुनावी जुमला करार दिया. अब स्विस बैंक की रिपोर्ट ने मोदी सरकार को तगड़ा झटका दिया हैं.
स्विस बैंक की रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक साल में भारतीयों की जमा पूंजी में करीब 50% की इजाफा हुआ है. पिछले तीन साल से ये आंकड़े लगातार घट रहे थे, लेकिन अचानक 2017 में इतनी लंबी छलांग मोदी सरकार के लिए चिंताजनक बात है. भारतीयों का स्विस बैंकों में जमा धन चार साल में पहली बार बढ़कर पिछले साल यानी 2017 में 7,000 करोड़ रुपये के दायरे में पहुंच गया, जो एक साल पहले यानी 2016 की तुलना में 50 फीसदी अधिक है.
इन आंकड़ों के आने के बाद मोदी सरकार विपक्ष के निशाने में आ गई है. सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि नोटबंदी नवंबर 2016 में लागू हुई थी और एक साल 2017 के बीच ही सबसे ज्यादा पैसा स्विस बैंक में जमा हुआ. सवाल उठना लाजिमी है कि कहीं जमा हुए पैसे ब्लैक मनी तो नहीं?
स्विस बैंक खातों में रखे भारतीयों के धन में 2011 में 12 फीसदी, 2013 में 43 फीसदी और 2017 में 50.2 फीसदी की वृद्धि हुई. इससे पहले 2004 में यह धन 56 फीसदी बढ़ा था. स्विस बैंक द्वारा दिए गए ये आंकड़े ऐसे...
बीजेपी 2014 में केंद्र में सरकार बनाने में सफल हो पायी थी. लोकसभा चुनाव के ठीक पहले नरेंद्र मोदी ने ब्लैक मनी का मुद्दा जोर शोर से उठाया था. भ्रष्टाचार और ब्लैकमोनी मुद्दे के बल पर ही वे केंद्र की सत्ता पर काबिज़ हुए थे. लेकिन चार साल बाद ऐसा लग रहा है की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ब्लैक मनी के खिलाफ अभियान कुछ काम नहीं आ रहा है. बीजेपी ने चुनाव से पहले वादा किया था की अगर वो सरकार में आती है तो विदेशो से ब्लैक मनी लाकर हरेक व्यक्ति को 15 लाख रुपये देगी. लेकिन बाद में बीजेपी ने खुद इसे चुनावी जुमला करार दिया. अब स्विस बैंक की रिपोर्ट ने मोदी सरकार को तगड़ा झटका दिया हैं.
स्विस बैंक की रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक साल में भारतीयों की जमा पूंजी में करीब 50% की इजाफा हुआ है. पिछले तीन साल से ये आंकड़े लगातार घट रहे थे, लेकिन अचानक 2017 में इतनी लंबी छलांग मोदी सरकार के लिए चिंताजनक बात है. भारतीयों का स्विस बैंकों में जमा धन चार साल में पहली बार बढ़कर पिछले साल यानी 2017 में 7,000 करोड़ रुपये के दायरे में पहुंच गया, जो एक साल पहले यानी 2016 की तुलना में 50 फीसदी अधिक है.
इन आंकड़ों के आने के बाद मोदी सरकार विपक्ष के निशाने में आ गई है. सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि नोटबंदी नवंबर 2016 में लागू हुई थी और एक साल 2017 के बीच ही सबसे ज्यादा पैसा स्विस बैंक में जमा हुआ. सवाल उठना लाजिमी है कि कहीं जमा हुए पैसे ब्लैक मनी तो नहीं?
स्विस बैंक खातों में रखे भारतीयों के धन में 2011 में 12 फीसदी, 2013 में 43 फीसदी और 2017 में 50.2 फीसदी की वृद्धि हुई. इससे पहले 2004 में यह धन 56 फीसदी बढ़ा था. स्विस बैंक द्वारा दिए गए ये आंकड़े ऐसे समय में जारी किए गये हैं जब कुछ महीने पहले ही भारत और स्विटजरलैंड के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान की एक नयी व्यवस्था लागू की गयी है. इसका उद्देश्य है ब्लैक मनी की समस्या से किस तरह निपटा जाये.
नरेंद्र मोदी की सरकार ने ब्लैक मनी को रोकने के लिए कई कारगर कदम उठाए लेकिन पूरी तरह से उसपर अंकुश लगाने में विफल रहे. यहां तक कि नोटबंदी भी ब्लैक मनी को खत्म करने के अपने मूल मकसद में नाकाम रही है.
ब्लैक मनी को रोकने के लिए सरकार द्वारा लिए गए कदम-
- ब्लैक मनी पर एसआईटी का गठन-
- एसआईटी ने करीब 70,000 करोड़ रुपये के काले धन का पता लगाया उसमें भारतीयों की बाहर देश में जमा 16000 करोड़ रुपये भी सम्मिलित हैं. अपनी अंतरिम रिपोर्ट में एसआईटी ने कई सिफारिशें की, जिनमें से कई को सरकार ने स्वीकार किया.
- ब्लैक मनी (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) ऐंड इंपोजिशन ऑफ टैक्स ऐक्ट के तहत कंप्लायंस विंडो द्वारा जुलाई और सितम्बर 2015 के बीच 4,160 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति के 635 खुलासे हुए.
- सरकार द्वारा दो और कंप्लायंस विंडो की व्यवस्था की गई पहले 2016 में आय घोषणा योजना (आईडीएस) के तहत और फिर नोटबंदी के बाद 2017 में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई). इन दो योजनाओं में करीब 72,200 करोड़ रुपये जमा किये जा सके जिनका खुलासा 92,000 लोगों द्वारा किया गया.
- नवंबर 2016 में नोटबंदी के तहत हाई वैल्यू करेंसी (चलन में मौजूदा धन का 86 प्रतिशत) बंद करना नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा एक और कदम था. नोटबंदी का उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली से बाहर पैसे को वापस लाना था. इसके बाद आयकर अधिकारियों द्वारा ऑपरेशन क्लीन मनी चलाया गया और इसके तहत व्यक्तियों और करदाताओं की सूचियां तैयार कीं जो नोटबंदी के बाद भी बड़ी जमा और लेनदेन कर रहे थे.
- आयकर विभाग ने बेनामी संपत्ति कानून (Benami Property Transaction Act) के तहत अबतक 3500 करोड़ रुपए से ज्यादा की बेनामी संपत्ति जब्त की है.
- कालेधन पर लगाम लगाने और राजस्व में बढ़ोतरी करने के लिए केंद्र सरकार ने जनरल एंटी एवॉयडेंस रुल्स (गार) को 1 अप्रैल 2017 से लागू किया.
- कई देशों से डीटीएए समझौते कर के विदेश में कालेधन पर अंकुश लगाने की पहल करना.
- इनकम टैक्स फाइल करने वाले करदाताओं में 16 फीसदी की वृद्धि हुई.
- ब्लैक मनी की चुनौती से निपटने के लिए 'शेल कंपनियों' के खिलाफ लगातार कार्रवाई. सरकार करीब 2 लाख कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कैंसल कर चुकी है.
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