जैसे - जैसे दिन बीत रहे हैं इजराइल- फिलिस्तीन कॉन्फ्लिक्ट से जुड़ी तमाम हृदयविदारक तस्वीरों से हम दो चार हो रहे हैं. दोनों देशों का जैसा रुख है, मालूम देता है कि संघर्ष इतनी जल्दी समाप्त नहीं होने वाला. दो देशों के बीच जारी इस तनाव में दुनिया के मुल्क दो वर्गों में बंट गए हैं. एक वर्ग #WeStandWithIsrael का झंडा बुलंद किये है. तो वहीं दूसरा वर्ग #WeStandWithPalestin के नारे के साथ उन शोषित वंचित फिलिस्तीनी मुसलमानों के साथ आया है, जो दो देशों के बीच जारी कॉन्फ्लिक्ट की भेंट चढ़ रहे हैं. पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का शुमार उन मुल्कों में है जो खुलकर फिलिस्तीन के समर्थन में सामने आया है. फिलिस्तीन पर जैसा रुख पाकिस्तान का है, माना जा रहा है कि पाकिस्तान मित्र देश तुर्की के साथ मिलकर कुछ बड़ा करने की फिराक में है. दिलचस्प ये भी है कि पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी तुर्की हैं जहां उन्होंने ख़ुद को तमाम मुस्लिम देशों के खलीफा समझने वाले राष्ट्रपति एर्दोगान से मुलाकात की. एक तरफ पाकिस्तान की तरफ से फिलिस्तीन की मदद के लिए तुर्की में मुलाकातों का दौर चल रहा है. तो वहीं कोरोना के इस दौर में मुल्क की संसद में जिहाद का मार्ग पकड़ने का जिक्र हो रहा है. पाकिस्तान की संसद में सांसद मौलाना चित्राली ने हुकूमत ए पाकिस्तान और प्रधानमंत्री इमरान खान पर ज्ञान की छींटे मारते हुए कहा है कि अब इजराइल को सबक सिखाने के लिए जिहाद ही एकमात्र विकल्प है. साथ ही पाकिस्तानी संसद में फिर एक बार कश्मीर का जिक्र भी हुआ है.
बताते चलें कि मौलाना चित्राली ने पाकिस्तानी संसद में आतिशी भाषण दिया है और फिलिस्तीन और कश्मीर को 'आज़ादी' दिलाने की बात की है. मौलाना ने कहा है कि फिलिस्तीन और...
जैसे - जैसे दिन बीत रहे हैं इजराइल- फिलिस्तीन कॉन्फ्लिक्ट से जुड़ी तमाम हृदयविदारक तस्वीरों से हम दो चार हो रहे हैं. दोनों देशों का जैसा रुख है, मालूम देता है कि संघर्ष इतनी जल्दी समाप्त नहीं होने वाला. दो देशों के बीच जारी इस तनाव में दुनिया के मुल्क दो वर्गों में बंट गए हैं. एक वर्ग #WeStandWithIsrael का झंडा बुलंद किये है. तो वहीं दूसरा वर्ग #WeStandWithPalestin के नारे के साथ उन शोषित वंचित फिलिस्तीनी मुसलमानों के साथ आया है, जो दो देशों के बीच जारी कॉन्फ्लिक्ट की भेंट चढ़ रहे हैं. पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का शुमार उन मुल्कों में है जो खुलकर फिलिस्तीन के समर्थन में सामने आया है. फिलिस्तीन पर जैसा रुख पाकिस्तान का है, माना जा रहा है कि पाकिस्तान मित्र देश तुर्की के साथ मिलकर कुछ बड़ा करने की फिराक में है. दिलचस्प ये भी है कि पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी तुर्की हैं जहां उन्होंने ख़ुद को तमाम मुस्लिम देशों के खलीफा समझने वाले राष्ट्रपति एर्दोगान से मुलाकात की. एक तरफ पाकिस्तान की तरफ से फिलिस्तीन की मदद के लिए तुर्की में मुलाकातों का दौर चल रहा है. तो वहीं कोरोना के इस दौर में मुल्क की संसद में जिहाद का मार्ग पकड़ने का जिक्र हो रहा है. पाकिस्तान की संसद में सांसद मौलाना चित्राली ने हुकूमत ए पाकिस्तान और प्रधानमंत्री इमरान खान पर ज्ञान की छींटे मारते हुए कहा है कि अब इजराइल को सबक सिखाने के लिए जिहाद ही एकमात्र विकल्प है. साथ ही पाकिस्तानी संसद में फिर एक बार कश्मीर का जिक्र भी हुआ है.
बताते चलें कि मौलाना चित्राली ने पाकिस्तानी संसद में आतिशी भाषण दिया है और फिलिस्तीन और कश्मीर को 'आज़ादी' दिलाने की बात की है. मौलाना ने कहा है कि फिलिस्तीन और कश्मीर की आजादी के लिए सरकार एटम बम और मिसाइलों का इस्तेमाल करने से न चूके. संसद में दिए गए अपने भाषण में चित्राली ने इस बात को बल दिया है कि, 'हमने (पाकिस्तान ने) परमाणु बम क्या म्यूजियम में देखने के लिए बनाए हैं? अगर हम फलस्तीन और कश्मीर का स्वतंत्र नहीं करा सकते हैं तो हमें मिसाइल, परमाणु बम या विशाल सेना की कोई जरूरत नहीं है.
गौरतलब है कि हमेशा ही आपदा में अवसर तलाशने वाले पाकिस्तान ने फिलिस्तीन का समर्थन यूं ही नहीं किया है. इसके पीछे एक छिपा हुआ एजेंडा है. जैसे हालात हैं साफ है कि इस मुश्किल वक़्त में फिलिस्तीन को समर्थन देकर पाकिस्तान अपनी 'इमेज बिल्डिंग' कर रहा है. पाकिस्तान ने कहीं न कहीं दुनिया को ये संदेश देने का प्रयास किया है कि वो हर शोषित वंचित के साथ है जबकि हकीकत क्या है वो किसी से छिपी नहीं है. आए रोज ही पाकिस्तान को अपनी किसी न किसी गतिविधि के लिए पूरी दुनिया के सामने शर्मसार होना पड़ता है.
ख़ैर यहां मुद्दा तुर्की की मदद से पाकिस्तान का फिलिस्तीन को समर्थन नहीं है. यहां बात आवाम को जिहाद की नफरती बातों से बरगलाने वाले मौलाना चित्राली और इनसे मिलते जुलते लोगों की है. जितने जहरीले इन लोगों के बयान हैं कहना गलत नहीं है कि पाकिस्तान के लिए खतरे का सबब भारत या और कोई देश नहीं बल्कि मौलाना चित्राली जैसे नफरत बुझे तीर चलाने वाले लोग हैं.
चाहे भारत हो या पाकिस्तान पढ़े लिखो के मुकाबले चित्राली जैसे लोग उन लोगों को ज्यादा भाते हैं जो अशिक्षित होते हैं. ख़ुद सोचिये जब एक जाहिल या कम पढ़ा लिखा मुसलमान धर्मगुरु के रूप में मौलाना चित्राली की बातें सुनेगा तो उसपर इसका क्या असर होगा? जाहिर है ऐसी आवाम बंदूक ही उठाएगी. मानव बम ही बनेगी. आतंक का मार्ग ही अपनाएगी.
किसी मुल्क में, जिहाद की आड़ में यदि आतंकवाद और खून खराबे को बल देती बातें, यदि उसकी संसद में हों. ऐसा करने वाला खुद वहां का सांसद हो तो आप ख़ुद कल्पना कीजिये उस मुल्क की स्थिति क्या होगी? मौलाना चित्राली ने जो भी बातें संसद में कहीं उसमें जो बात सबसे ज्यादा विचलित करती है वो है उनका फिलिस्तीन इजराइल विवाद में कश्मीर का मुद्दा उठाना.
अपने भाषण में जिस तरह मौलाना चित्राली ने कश्मीर का मुद्दा उठाया साफ है कि इसका उद्देश्य भोले भाले कश्मीरियों को बरगलाना और उन्हें उस मार्ग पर ले जाना है जिसकी रोकथाम के लिए भारत सरकार लंबे समय से प्रयासरत है. ध्यान रहे जिस वक़्त भारत ने कश्मीर से धारा 370 और अनुच्छेद 35 ए को हटाया था ये पाकिस्तान ही था जिसे सबसे ज्यादा तकलीफ हुई थी.
बहरहाल, चूंकि ये सब कुछ पाकिस्तान की संसद में हुआ है तो अगर देखा जाए तो हमें इस लिए भी विचलित नहीं होना चाहिए क्योंकि 1947 में हुए भारत पाकिस्तान बंटवारे के बाद से ही पाकिस्तान आतंकवाद और खून खराबे को खाद पानी मुहैया करा रहा है. कुल मिलाकर यदि मौलाना चित्राली के भाषण का अवलोकन किया जाए तो जो एक बात जो सबसे पहले हमें नजर आती है वो ये है कि फिलिस्तीन तो बस बहाना है असल में जो बातें मौलाना चित्राली ने कहीं हैं वो उन गिने चुने कश्मीरी आवाम के लिए है जो आज भी अपने को भारत का अभिन्न अंग बोलने से गुरेज करते हैं.
अंत में हम बस ये कहकर अपनी बातों को विराम देंगे कि पाकिस्तानी संसद में कश्मीर और फिलिस्तीन की आड़ में 'जिहाद' की शम्मा रौशन की गई. जहर बुझे तीर चलाए गए. नफरत से भरी एक से एक बातें हुईं. काश पाकिस्तानी हुक्मरानों में से कोई तो इनके विरोध में सामने आया होता। किसी ने तो सांसद साहब के नफरती बयानों की कड़ी निंदा की होती? आज फिर एक बार मौलाना चित्राली के जरिये साफ़ हो गया है कि पाकिस्तान में हिंसा और आतंकवाद को संरक्षण संसद से ही मिलता है.
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