राजनीति में आगे बढ़ने के लिए बहुत से नेता अपने काम को कम और चाटूकारिता को अधिक तरजीह देते हैं. कई मामलों में ये देखा भी गया है कि ऐसे लोग राजनीति की कई सीढ़ियां इसी तरह से चढ़ने में कामयाब हो जाते हैं. यही वजह है कि कुछ नेता तो इसे ही अपना गुरुमंत्र भी समझ लेते हैं. ऐसा ही एक मामला अभी आंध्र प्रदेश से सामने आया है, जिसमें एक विधायक ने नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी को अपना भगवान मानते हुए शपथ ली है. वैसे जगन मोहन रेड्डी भी कुछ कम नहीं हैं, वह भी कुछ ऐसा ही हथकंड़ा अपना चुके हैं, जिसके जरिए उन्होंने मुस्लिम तुष्टीकरण करने की कोशिश की थी.
ताजा मामला आंध्र प्रदेश के नेल्लोर ग्रामीण से सामने आ रहा है. यहां के नवनिर्वाचित विधायक कोटामरेड्डी श्रीधर रेड्डी ने मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के प्रति ऐसी वफादारी दिखाई है, जिसके चलते अब वह सुर्खियां बनने लगे हैं. श्रीधर रेड्डी ने जगन मोहन रेड्डी को अपना भगवान मानते हुए शपथ ली. हालांकि, प्रोटेम स्पीकर संबागी अप्पाला नायडू ने उन्हें तुरंत ही रोका और दोबारा शपथ लेने को कहा. आपको बता दें कि विधायक संविधान के अनुच्छेद 188 के नियमों के तहत ईश्वर या संविधान के नाम पर शपथ लेते हैं. जब श्रीधर रेड्डी से पूछा गया कि उन्होंने नियम से हटकर शपथ क्यों ली तो उन्होंने कहा कि वजह जज्बाती हो गए थे. खैर, जज्बात से ज्यादा ये हरकत चापलूसी लग रही है.
श्रीधर रेड्डी ने कहा- 'मैं बहुत ही गरीब परिवार से हूं, जिसकी कोई राजनीतिक या वित्तीय पृष्ठभूमि नहीं है. उन्होंने (जगन) मुझे दो बार विधायक बनाया. उनके नाम की शपथ लेने के पीछे मेरी कोई पद पाने की इच्छा नहीं है. मैंने पिछले 5 साल अपनी सारी सैलरी भी गरीब बच्चों को दे दी है....
राजनीति में आगे बढ़ने के लिए बहुत से नेता अपने काम को कम और चाटूकारिता को अधिक तरजीह देते हैं. कई मामलों में ये देखा भी गया है कि ऐसे लोग राजनीति की कई सीढ़ियां इसी तरह से चढ़ने में कामयाब हो जाते हैं. यही वजह है कि कुछ नेता तो इसे ही अपना गुरुमंत्र भी समझ लेते हैं. ऐसा ही एक मामला अभी आंध्र प्रदेश से सामने आया है, जिसमें एक विधायक ने नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी को अपना भगवान मानते हुए शपथ ली है. वैसे जगन मोहन रेड्डी भी कुछ कम नहीं हैं, वह भी कुछ ऐसा ही हथकंड़ा अपना चुके हैं, जिसके जरिए उन्होंने मुस्लिम तुष्टीकरण करने की कोशिश की थी.
ताजा मामला आंध्र प्रदेश के नेल्लोर ग्रामीण से सामने आ रहा है. यहां के नवनिर्वाचित विधायक कोटामरेड्डी श्रीधर रेड्डी ने मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के प्रति ऐसी वफादारी दिखाई है, जिसके चलते अब वह सुर्खियां बनने लगे हैं. श्रीधर रेड्डी ने जगन मोहन रेड्डी को अपना भगवान मानते हुए शपथ ली. हालांकि, प्रोटेम स्पीकर संबागी अप्पाला नायडू ने उन्हें तुरंत ही रोका और दोबारा शपथ लेने को कहा. आपको बता दें कि विधायक संविधान के अनुच्छेद 188 के नियमों के तहत ईश्वर या संविधान के नाम पर शपथ लेते हैं. जब श्रीधर रेड्डी से पूछा गया कि उन्होंने नियम से हटकर शपथ क्यों ली तो उन्होंने कहा कि वजह जज्बाती हो गए थे. खैर, जज्बात से ज्यादा ये हरकत चापलूसी लग रही है.
श्रीधर रेड्डी ने कहा- 'मैं बहुत ही गरीब परिवार से हूं, जिसकी कोई राजनीतिक या वित्तीय पृष्ठभूमि नहीं है. उन्होंने (जगन) मुझे दो बार विधायक बनाया. उनके नाम की शपथ लेने के पीछे मेरी कोई पद पाने की इच्छा नहीं है. मैंने पिछले 5 साल अपनी सारी सैलरी भी गरीब बच्चों को दे दी है. अगर मैं अपने नेता को भगवान मानता हूं तो इसमें गलत भी क्या है.' जगन रेड्डी को अपना भगवान बनाने के पीछे अगर श्रीधर रेड्डी का कोई स्वार्थ नहीं था तो उन्हें सार्वजनिक रूप से ऐसा क्यों किया, ये एक बड़ा सवाल है, जिसका जवाब संभवतः जगन रेड्डी की नजरों में अच्छा बनना है.
खुद जगन रेड्डी कर चुके हैं कुछ ऐसा
जब जगन रेड्डी चुनाव जीते थे और उनका शपथ ग्रहण समारोह हुआ था, तो उन्होंने 3 बार शपथ ली थी. एक बार ईसाई धर्म के हिसाब से, दूसरी बार हिंदू धर्म के हिसाब से और तीसरा मुस्लिम धर्म के हिसाब से. अलग-अलग धर्म के हिसाब से शपथ लेकर वह सीधे-सीधे अलग-अलग कम्युनिटी को साधना चाहते थे. इसे जगन रेड्डी की चाटूकारिता कहा जा सकता है.
जब उन्होंने मुस्लिम धर्म के हिसाब से शपथ ली तो मुस्लिम धर्मगुरु ने उनकी तारीफों के पुल बांध दिए और चंद्रबाबू नायडू को भला-बुरा कहा. उन्होंने कहा कि 'हे अल्लाह आप जानते हैं कि चंद्रबाबू नायडू ने जगन मोहन रेड्डी को कितना सताया है. जगन साहब के लिए बहुत सारे मुस्लिमों ने उमरा किया, हज किया, मैं खुद हज जाकर आया. चंद्रबाबू नायडू के जमाने में 5 साल तक बारिश नहीं पड़ी, जगन मोहन रेड्डी के जमाने में बारिश हुई. हे अल्लाह खूब बारिश बरसा.' एक बार ये वीडियो देख लीजिए, आप भी समझ जाएंगे कि कितनी जबदस्त चापलूसी की जा रही है.
अब जरा एक बार सोचिए कि चंद्रबाबू नायडू के जमाने में बारिश नहीं हुई तो इसका क्या मतलब? क्या नायडू ने बादलों को बरसने से रोक दिया? उससे भी अहम बात ये कि क्या ऐसा संभव भी है? इस मुस्लिम धर्मगुरू की बातें सुनकर कोई भी समझ सकता है कि वह सिर्फ जगन मोहन रेड्डी की चापलूसी कर रहे हैं और कुछ नहीं. वहीं दूसरी ओर जगन मोहन रेड्डी का इस तरह मुस्लिम रीति रिवाज से शपथ लेने का भी मतलब साफ है कि वह मुस्लिम तुष्टीकरण कर रहे हैं.
यानी एक विधायक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगह मोहन रेड्डी की चापलूसी कर रहे हैं. जगन मोहन रेड्डी एक पूरी कम्युनिटी की चापलूसी में लगे हैं. एक मुस्लिम धर्मगुरू जगन मोहन रेड्डी की चापलूसी कर रहे हैं. मतलब यहां एक-दो नहीं बल्कि तीन तरह की चापलूसी यानी चाटूकारिता हो रही है. जगन मोहन रेड्डी को अपनी चाटूकारिता का फल तो अब अगले चुनाव में मिलेगा, लेकिन ये देखना दिलचस्प होगा कि आंध्र प्रदेश के विधायक को उसकी चाटूकारिता के लिए जगन मोहन रेड्डी की तरफ से क्या तोहफा मिलता है. यूं तो वह विधायक कह चुके हैं कि उन्हें पद की लालसा नहीं है, लेकिन ऐसे हथकंडों के बाद अक्सर ही लोगों को पार्टी में एक बड़ी जिम्मेदारी मिल ही जाती है.
ये भी पढ़ें-
पायलट-सिंधिया या फिर प्रियंका-गहलोत कौन है वो? जो बनेगा राहुल का 'राइट हैंड'
ममता बनर्जी बंगाल में बीजेपी के बिछाये जाल में उलझती जा रही हैं!
हार के बाद हाथरस में हताश बसपा वालों के दो-दो हाथ!
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.