वैसे तो जम्मू कश्मीर में अफवाहों का दौर कुछ दिनों पहले से चल ही रहा था लेकिन राज्य प्रशासन द्वारा सुरक्षा एडवाइजरी जारी करते हुए अमरनाथ यात्रा को रोक दिया गया और सभी पर्यटकों को जल्द से जल्द घाटी छोड़ने को कहा गया. कारण इसे आतंकी हमलों की आशंका बताया गया.
कश्मीर में अफवाहों का बाजार तब गर्म हुआ था जब केंद्र की तरफ से वहां 10000 अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की बात सामने आई थी. तब यह कयास लगाए जा रहे थे कि शायद जम्मू कश्मीर को प्राप्त विशेष दर्ज़े को खत्म किया जा सकता है. हालांकि वहां के राजयपाल द्वारा इसे नकार दिया गया था. सुरक्षा एडवाइजरी से पहले भी यहां 28000 जवान भेजने की खबर आयी थी. यही नहीं राज्य प्रशासन ने एक आदेश जारी कर श्रीनगर के पांच जोनल पुलिस अधीक्षकों से शहर में स्थित मस्जिदों और उनकी प्रबंध समितियों की सूची उपलब्ध कराने को भी कहा था. और ये सब तब हो रहा था जब केंद्र सरकार के सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल राज्य के सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुखों से मिलने के बाद दिल्ली लौटे.
ऐसे में ये सवाल तो उठना लाजिमी ही था कि आखिर ये सारी चीजें एक साथ क्यों हो रही हैं? तो राज्य के प्रमुख दलों के नेताओं को बेचैन होना भी स्वाभाविक था. ऐसे में कयासों का बाजार भी गर्म हुआ. सारे विपक्षी पार्टियां भी अपने-अपने समझ के अनुसार कयास भी लगाते रहे.
अब जानते हैं उन वजहों को जिसके कारण कश्मीर में अफवाहों का बाजार गरम है.
सुरक्षा एडवाइजरी जारी
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सुरक्षा एडवाइजरी जारी करते हुए अमरनाथ यात्रा को रोक दिया और सभी पर्यटकों को जल्द से जल्द घाटी छोड़ने को कहा गया. इस यात्रा में करीब 40...
वैसे तो जम्मू कश्मीर में अफवाहों का दौर कुछ दिनों पहले से चल ही रहा था लेकिन राज्य प्रशासन द्वारा सुरक्षा एडवाइजरी जारी करते हुए अमरनाथ यात्रा को रोक दिया गया और सभी पर्यटकों को जल्द से जल्द घाटी छोड़ने को कहा गया. कारण इसे आतंकी हमलों की आशंका बताया गया.
कश्मीर में अफवाहों का बाजार तब गर्म हुआ था जब केंद्र की तरफ से वहां 10000 अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की बात सामने आई थी. तब यह कयास लगाए जा रहे थे कि शायद जम्मू कश्मीर को प्राप्त विशेष दर्ज़े को खत्म किया जा सकता है. हालांकि वहां के राजयपाल द्वारा इसे नकार दिया गया था. सुरक्षा एडवाइजरी से पहले भी यहां 28000 जवान भेजने की खबर आयी थी. यही नहीं राज्य प्रशासन ने एक आदेश जारी कर श्रीनगर के पांच जोनल पुलिस अधीक्षकों से शहर में स्थित मस्जिदों और उनकी प्रबंध समितियों की सूची उपलब्ध कराने को भी कहा था. और ये सब तब हो रहा था जब केंद्र सरकार के सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल राज्य के सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुखों से मिलने के बाद दिल्ली लौटे.
ऐसे में ये सवाल तो उठना लाजिमी ही था कि आखिर ये सारी चीजें एक साथ क्यों हो रही हैं? तो राज्य के प्रमुख दलों के नेताओं को बेचैन होना भी स्वाभाविक था. ऐसे में कयासों का बाजार भी गर्म हुआ. सारे विपक्षी पार्टियां भी अपने-अपने समझ के अनुसार कयास भी लगाते रहे.
अब जानते हैं उन वजहों को जिसके कारण कश्मीर में अफवाहों का बाजार गरम है.
सुरक्षा एडवाइजरी जारी
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सुरक्षा एडवाइजरी जारी करते हुए अमरनाथ यात्रा को रोक दिया और सभी पर्यटकों को जल्द से जल्द घाटी छोड़ने को कहा गया. इस यात्रा में करीब 40 हजार जवानों की तैनाती की गई थी. कहा तो ये भी जा रहा है कि इस यात्रा की सुरक्षा में लगे कुछ जवानों हटाकर घाटी में सुरक्षा पर लगाया गया है.
थल और वायु सेना हाई अलर्ट पर
केंद्र सरकार थल और वायु दोनों सेनाओं को हाई अलर्ट पर रखा है. भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमान राज्य के ऊपर उड़ान भर रहे हैं. LoC पर तैनात जवानों को पाकिस्तान द्वारा आतंकवादियों को घाटी में भेजने के प्रयास को रोकने के लिए तैयार रहने के लिए कहा गया है.
सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत जम्मू-कश्मीर दौरे पर
सेना प्रमुख राज्य में ही डेरा डाले हुए हैं. उन्होंने घाटी में तैनात जवानों से किसी भी आपात स्थिति से निपटने को तैनात रहने को कहा है. सेना प्रमुख राज्य में तैनात सैनिकों की परिचालन तैयारियों की समीक्षा भी कर रहे हैं.
कश्मीर में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती
केंद्रीय बलों की 100 कंपनियों (10,000 कर्मियों) को राज्य में तैनाती के लिए एक सप्ताह पहले आदेश दिया गया. और अब 28,000 अतिरिक्त सैनिक (280 कंपनियां) घाटी में तैनात किए जाने का आदेश दिया गया है.
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और कश्मीर में अन्य अर्धसैनिक बल के जवानों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए केंद्र ने सी-17 ग्लोबमास्टर हैवी-लिफ्ट विमान सहित भारतीय वायु सेना के विमान को सेवा में लगाया है.
जब इतने सारी चीजें एक साथ हो रही हों तो सियासी दलों में बेचैनी होनी ही थी. इसी क्रम में कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों- महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने अडवाइजरी पर सवाल भी ने उठाए. महबूबा मुफ्ती तो यहां तक कह चुकी हैं कि अगर केंद्र का कश्मीर के प्राप्त विशेष दर्जे के साथ छेड़छाड़ करना बारूद में आग लगाने जैसा होगा.
खैर ये सब क्यों हो रहा है, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, सुरक्षा सलाहकार और शायद सेनाध्यक्ष को छोड़कर किसी को भी मालूम नहीं है. हालांकि कयास तो काफी लगाए जा रहे हैं लेकिन इतना तो तय है कि कुछ बड़ा ही होनेवाला है. ये क्या होगा और कब होगा ये जानने के लिए इंतज़ार करना ही बेहतर होगा.
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