भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू (JawaharLal Nehru) इस वक्त सुर्खियों में हैं. सभी जानते हैं कि नेहरू भले ही गुलाम भारत में पले-बढ़े, आजादी की लड़ाई में खूब लड़े, लेकिन उनके शौक राजसी ही थे. उनकी जीवन-शैली के किस्से भी खूब रोचक थे. मध्य प्रदेश राजभवन की वेबसाइट पर दर्ज उनके तीन किस्से इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए हैं.
बात उन दिनों की है, जवाहरलाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री बन चुके थे. उनका मध्य प्रदेश के भोपाल से बहुत गहरा लगाव था. उन्हीं की वजह से भोपाल को राजधानी बनाया गया था. सूबे के राजनेता शंकरदयाल शर्मा उनके बहुत करीबी हुआ करते थे. कहा जाता है कि नेहरू साल में दो बार भोपाल जरूर आते थे. यहां के नवाबों से भी उनकी बहुत अच्छी दोस्ती थी. एक रिकॉर्ड के मुताबिक, प्रधानमंत्री रहते हुए जवाहरलाल नेहरू भोपाल में 18 से ज्यादा बार आए थे. इसी से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनको झीलों का यह शहर का कितना प्रिय था.
सिगरेट प्रेम: एक बार की बात है, जवाहरलाल नेहरू भोपाल आए हुए थे. राजभवन में यह पता चला कि नेहरूजी की फेवरेट ब्रांड 555 सिगरेट भोपाल में नहीं मिल रही है. नेहरू खाने के बाद सिगरेट जरूर पीते थे. यह पता चलते ही भोपाल से इंदौर एक विशेष विमान भेजा गया. इंदौर एयरपोर्ट पर सिगरेट के कुछ पैकेट पहुंचाए गए और विमान सिगरेट के पैकेट लेकर वापस भोपाल लौट आया. इस घटना का जिक्र मध्य प्रदेश राजभवन की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है.
राजभवन बनाम राजसी मेहमान नवाजी: जवाहरलाल नेहरू एक बार भोपाल आए तो वहां के नवाब की पत्नी के अनुरोध पर उनकी चिकलोद स्थित कोठी पर रुक गए. यह देखकर मध्य प्रदेश के दूसरे राज्यपाल हरि विनायक...
भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू (JawaharLal Nehru) इस वक्त सुर्खियों में हैं. सभी जानते हैं कि नेहरू भले ही गुलाम भारत में पले-बढ़े, आजादी की लड़ाई में खूब लड़े, लेकिन उनके शौक राजसी ही थे. उनकी जीवन-शैली के किस्से भी खूब रोचक थे. मध्य प्रदेश राजभवन की वेबसाइट पर दर्ज उनके तीन किस्से इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए हैं.
बात उन दिनों की है, जवाहरलाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री बन चुके थे. उनका मध्य प्रदेश के भोपाल से बहुत गहरा लगाव था. उन्हीं की वजह से भोपाल को राजधानी बनाया गया था. सूबे के राजनेता शंकरदयाल शर्मा उनके बहुत करीबी हुआ करते थे. कहा जाता है कि नेहरू साल में दो बार भोपाल जरूर आते थे. यहां के नवाबों से भी उनकी बहुत अच्छी दोस्ती थी. एक रिकॉर्ड के मुताबिक, प्रधानमंत्री रहते हुए जवाहरलाल नेहरू भोपाल में 18 से ज्यादा बार आए थे. इसी से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनको झीलों का यह शहर का कितना प्रिय था.
सिगरेट प्रेम: एक बार की बात है, जवाहरलाल नेहरू भोपाल आए हुए थे. राजभवन में यह पता चला कि नेहरूजी की फेवरेट ब्रांड 555 सिगरेट भोपाल में नहीं मिल रही है. नेहरू खाने के बाद सिगरेट जरूर पीते थे. यह पता चलते ही भोपाल से इंदौर एक विशेष विमान भेजा गया. इंदौर एयरपोर्ट पर सिगरेट के कुछ पैकेट पहुंचाए गए और विमान सिगरेट के पैकेट लेकर वापस भोपाल लौट आया. इस घटना का जिक्र मध्य प्रदेश राजभवन की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है.
राजभवन बनाम राजसी मेहमान नवाजी: जवाहरलाल नेहरू एक बार भोपाल आए तो वहां के नवाब की पत्नी के अनुरोध पर उनकी चिकलोद स्थित कोठी पर रुक गए. यह देखकर मध्य प्रदेश के दूसरे राज्यपाल हरि विनायक पाटस्कर बहुत नाराज हुए. उन्होंने जवाहरलाल नेहरू से साफ कह दिया कि वह अधिकारिक यात्रा पर भोपाल आए हैं, इसलिए उनके ठहरने के लिए राजभवन से उपयुक्त कोई और जगह नहीं है. दरअसल, भोपाल से कुछ दूरी पर एक जंगल में स्थित चिकलोद कोठी नेहरू जी को बहुत पसंद थी. भोपाल नवाब इस कोठी में शिकार खेलने के लिए आते थे. यहां से सटे जंगलों में वे शिकार खेलने के लिए जाते थे.
प्रशासनिक सीमा लांघी: मध्य प्रदेश राजभवन की वेबसाइट पर जवाहरलाल नेहरू से जुड़ी एक अन्य घटना का ब्यौरा भी दर्ज है. इसके मुताबिक, राज्यपाल हरि विनायक पाटस्कर के कार्यकाल के दौरान पंडित जवाहरलाल नेहरू ने जबलपुर में हुए दंगों की वजह से तत्कालीन मुख्यमंत्री केएन काटजू की सार्वजनिक तौर पर आलोचना की थी. इस आलोचना से नाराज पाटस्कर ने प्रधानमंत्री को लिखा कि कानून व्यवस्था राज्य सूची का विषय है, संघीय ढांचे के अंतर्गत प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री को दोषी नहीं ठहरा सकते, इसलिए केंद्र सरकार को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. इसे किसी राज्यपाल द्वारा उठाया गया अभूतपूर्व कदम माना जाता है.
जवाहरलाल नेहरू अपने स्टाइलिश कपड़ों के लिए लोगों के बीच बहुत मशहूर थे. उनके पहनावे का हर कोई दीवाना था. ऊंची कॉलर वाली जैकेट की उनकी पसंद ने नेहरू जैकेट को फैशन आइकन बना दिया था. नेहरूजी को कार से घूमने का काफी शौक था. उनके पिता मोतीलाल नेहरू को जब ये बात पता चली तो उन्होंने अपने बेटे के लिए एक विदेशी कार मंगवा दी. उस वक्त इलाहाबाद की सड़कों पर दौड़ने वाली यह पहली कार थी. स्टाइल आइकन बन चुके जवाहरलाल नेहरू अपनी जिंदगी को रॉयल अंदाज में जीते थे.
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