उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 11 सीटों को लेकर चल रहे सियासी दांव-पेंच लगाए जा रहे हैं. समाजवादी पार्टी के खाते वाली वाली तीन राज्यसभा सीटों में से दो पर कपिल सिब्बल और जावेद अली पहले ही नामांकन कर चुके हैं. लेकिन, तीसरी सीट को लेकर चर्चा बनी हुई थी कि अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव राज्यसभा जाएंगी. लेकिन, पूर्व कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल को समर्थन देने और सपा के मुस्लिम नेता जावेद अली को राज्यसभा भेजने के बाद अखिलेश यादव के जयंत चौधरी से रिश्ते बिगड़ने की चर्चा सियासी गलियारों में होने लगी थी. खैर, अखिलेश यादव ने आखिरकार जयंत जौधरी को राज्यसभा भेजने का फैसला ले लिया है. लेकिन, इससे साबित हो गया है कि आजम खान के दांव के आगे अखिलेश यादव फिर 'टीपू' साबित हुए हैं. आइए जानते हैं कि कैसे...
क्या काम आ गई आजम खान की नाराजगी?
बीते कुछ दिनों में रामपुर विधायक आजम खान और अखिलेश यादव के बीच की नाराजगी मुखरता से सामने आई है. जेल में बंद रहने के दौरान अखिलेश यादव द्वारा भेजे गए समाजवादी पार्टी के नेताओं से मुलाकात करने से इनकार हो. या बागी तेवर अपना चुके सपा मुखिया के चाचा शिवपाल यादव से मुलाकात हो. आजम खान हर जगह अखिलेश यादव से दूरी बनाते ही नजर आए. जेल से निकलने के बाद तीन दिनों तक लखनऊ में रहने के बावजूद आजम खान ने अखिलेश यादव से मुलाकात नहीं की. लेकिन, आजम खान ने अपनी नाराजगी जताकर कपिल सिब्बल के लिए सीट पक्की करा दी थी. सियासी गलियारों में भी इसी बात की चर्चा रही कि कपिल सिब्बल को राज्यसभा प्रत्याशी बना कर अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के कद्दावर मुस्लिम नेता आजम खान को साधने की कोशिश की है.
उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 11 सीटों को लेकर चल रहे सियासी दांव-पेंच लगाए जा रहे हैं. समाजवादी पार्टी के खाते वाली वाली तीन राज्यसभा सीटों में से दो पर कपिल सिब्बल और जावेद अली पहले ही नामांकन कर चुके हैं. लेकिन, तीसरी सीट को लेकर चर्चा बनी हुई थी कि अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव राज्यसभा जाएंगी. लेकिन, पूर्व कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल को समर्थन देने और सपा के मुस्लिम नेता जावेद अली को राज्यसभा भेजने के बाद अखिलेश यादव के जयंत चौधरी से रिश्ते बिगड़ने की चर्चा सियासी गलियारों में होने लगी थी. खैर, अखिलेश यादव ने आखिरकार जयंत जौधरी को राज्यसभा भेजने का फैसला ले लिया है. लेकिन, इससे साबित हो गया है कि आजम खान के दांव के आगे अखिलेश यादव फिर 'टीपू' साबित हुए हैं. आइए जानते हैं कि कैसे...
क्या काम आ गई आजम खान की नाराजगी?
बीते कुछ दिनों में रामपुर विधायक आजम खान और अखिलेश यादव के बीच की नाराजगी मुखरता से सामने आई है. जेल में बंद रहने के दौरान अखिलेश यादव द्वारा भेजे गए समाजवादी पार्टी के नेताओं से मुलाकात करने से इनकार हो. या बागी तेवर अपना चुके सपा मुखिया के चाचा शिवपाल यादव से मुलाकात हो. आजम खान हर जगह अखिलेश यादव से दूरी बनाते ही नजर आए. जेल से निकलने के बाद तीन दिनों तक लखनऊ में रहने के बावजूद आजम खान ने अखिलेश यादव से मुलाकात नहीं की. लेकिन, आजम खान ने अपनी नाराजगी जताकर कपिल सिब्बल के लिए सीट पक्की करा दी थी. सियासी गलियारों में भी इसी बात की चर्चा रही कि कपिल सिब्बल को राज्यसभा प्रत्याशी बना कर अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के कद्दावर मुस्लिम नेता आजम खान को साधने की कोशिश की है.
लेकिन, आजम खान की सियासी नाराजगी केवल कपिल सिब्बल तक के लिए ही नहीं थी. आरएलडी चीफ जयंत चौधरी भी नाराजगी की इस लिस्ट में आगे थे. दरअसल, आजम खान की अखिलेश यादव से नाराजगी की खबर सामने आने के कुछ ही दिनों के भीतर आरएलडी चीफ जयंत चौधरी ने भी जेल में जाकर रामपुर विधायक से लंबी मुलाकात की थी. माना जा रहा था कि जयंत चौधरी पहले ही भांप गए थे कि यूपी विधानसभा चुनाव से पहले राज्यसभा भेजे जाने का वादा समाजवादी पार्टी की ओर से तोड़ा जा सकता है. इस बात की खूब चर्चा रही कि जयंत जौधरी, आजम खान और शिवपाल यादव की 'तिकड़ी' अखिलेश यादव को झटका देने के लिए तैयार बैठी है. आजम खान की सियासी रणनीति के आगे 'टीपू' साबित होते हुए अखिलेश यादव को आखिरकार जयंत चौधरी के राज्यसभा भेजने का ऐलान करना ही पड़ा. लेकिन, क्या आजम खान का इतना ही प्लान था?
अभी 'इश्क' के इम्तिहां और भी हैं...
कपिल सिब्बल और जयंत चौधरी के नामों पर राज्यसभा की मुहर लगाकर आजम खान ने खुद को राजनीति का माहिर खिलाड़ी साबित कर दिया है. लेकिन, आजम खान की प्लानिंग केवल यही तक है या इसके आगे अभी और कुछ है, ये सवाल सबसे अहम है. आजम खान का प्रभाव क्षेत्र कहने को तो केवल रामपुर में ही सीमित है. लेकिन, शिवपाल यादव और जयंत चौधरी का साथ मिलने के बाद आजम खान इस्तीफे के बाद खाली हुई रामपुर लोकसभा सीट पर अपने किसी करीबी या पत्नी को चुनाव लड़वाने की मांग भी कर सकते हैं. इतना ही नहीं, अखिलेश यादव के इस्तीफे के बाद खाली हुई आजमगढ़ लोकसभा सीट पर भी आजम खान की नजर होगी. क्योंकि, उन्हें शिवपाल यादव को भी नाराज नहीं करना है.
वैसे भी 'माकूल कश्ती' वाला बयान देकर आजम खान ने अखिलेश यादव की पेशानी पर बल तो ला ही दिए हैं. तो, आजमगढ़ लोकसभा सीट पर शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव को भी उम्मीदवार बनाए जाने की मांग की जा सकती है. जबकि, राज्यसभा में न भेजे जाने के बाद डिंपल यादव के आजमगढ़ से चुनाव लड़ने की संभावना नजर आ रही है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो अखिलेश यादव से टकराने का कोई भी मौका आजम खान खोना नहीं चाह रहे हैं. वैसे, इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि 2024 से पहले आजम खान अपनी इस तिकड़ी के सहारे खुद को एक मजबूत स्थिति में लाने की कोशिश करेंगे.
और, जैसा हाल के दिनों में आजम खान का बदला-बदला अंदाज इशारा कर रहा है. साफ है कि आजम खान को मनाने के लिए अखिलेश यादव को अभी राजनीति के कई इम्तिहां पास करने पड़ेंगे. वैसे, कपिल सिब्बल और जयंत चौधरी के मामले में अखिलेश यादव फिर से 'टीपू' साबित हो चुके हैं. देखना दिलचस्प होगा कि आगे क्या होगा?
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