झारखंड में विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly election) नवंबर-दिसंबर में हो सकता है. चुनाव आयोग अब कभी भी इसकी अधिसूचना जारी कर सकता है. सत्ताधारी भाजपा जहां इसकी तैयारी जोर-शोर से कर रही है वहीं विपक्ष के गठबंधन की तस्वीर भी धुंधली है. भाजपा पिछले विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन को भी बेहतर करने का प्रयास कर रही है. यहां तक कि 81 विधानसभा सीट में से इस बार 65 जीतने का लक्ष्य रखा है.
हाल ही में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने यहां की 14 सीटों में से 11 सीटें जीती थीं और एक सीट इसकी सहयोगी पार्टी आजसू को मिली थी और भाजपा 57 विधानसभा सीटों पर पहले स्थान पर रही थी. विपक्षी महागठबंधन को इस लोकसभा चुनाव में महज दो सीटें ही मिली थीं- झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस को 1-1 सीट पर ही संतोष करना पड़ा था. इसमें शामिल दूसरी पार्टियां झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का तो खाता भी नहीं खुला था.
मोदी लहर के बावजूद 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 37 सीटें ही मिली थीं, लेकिन इसकी सहयोगी पार्टी 'ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन', आजसू की 5 सीटों के सहारे रघुबर दास के नेतृत्व में भाजपा ने सरकार का गठन किया था. बाद में झारखंड विकास मोर्चा के 6 विधायकों ने भाजपा में शामिल होकर इस सरकार को मज़बूती प्रदान की थी. और इसी का नतीजा था कि रघुबर दास इस राज्य के पहले मुख्यमंत्री हुए जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया. यह एक विडंबना ही है कि झारखंड के 19 साल के अस्तित्व के इतिहास में 10 मुख्यमंत्री बने हैं. इससे पहले इस राज्य में बाबू लाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, मधू कोड़ा, हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री तो बने, लेकिन इसमें कोई भी पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. पांच साल तो छोड़िये यहां के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी भी मात्र ढाई साल और अर्जुन मुंडा भी इतने ही दिनों तक पद पर रह पाए.
पीएम मोदी ने झारखंड पहुंचकर वहां विधानसभा चुनाव का बिगुल बजा दिया है.
प्रधानमंत्री मोदी ने बजाया चुनावी बिगुल
प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार, 12 सितंबर को झारखंड का दौरा किया. यहां पर उन्होंने 'प्रधानमंत्री किसान पेंशन योजना' की शुरुआत की. 40 से 60 वर्ष के किसानों को इस योजना का लाभ मिलेगा. माना जा रहा है कि अब यहां चुनाव आयोग विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कभी भी कर सकता है. मोदी ने झारखंड में विधानसभा भवन का उद्घाटन भी किया. यह विधानसभा भवन 465 करोड़ की लागत से बना है. इसके अलावा उन्होंने 13 जिलों में 69 एकलव्य विद्यालयों का उद्घाटन भी किया. यही नहीं उन्होंने संथाल क्षेत्र के साहेबगंज में बंदरगाह का उद्घाटन भी किया, जिसके शुरू होने पर जलमार्ग से लोग सस्ती दर पर माल की ढुलाई कर सकेंगे.
वैसे भी प्रधानमंत्री मोदी का इस राज्य से लगाव भी कुछ ज्यादा है. प्रधानमंत्री मोदी ने इसी राज्य से 'आयुष्मान भारत' योजना का शुभारम्भ भी किया था. इस योजना के तहत देश के 10 करोड़ गरीब परिवार के करीब 50 करोड़ लोगों को 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य सुरक्षा कवर दिया जाता है.
वैसे भी चाहे वो 2014 का विधानसभा चुनाव हो या फिर 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव पार्टी ने मोदी के नाम पर ही चुनाव लड़ा था और विजय भी हासिल किया. इस बार भी पार्टी को उम्मीद है कि मोदी पर वोटरों का भरोसा और बिखरा विपक्ष मिलकर भाजपा की नैय्या पार लगाएगा.
लेकिन इतनी आसान नहीं है चुनौती
हालांकि, भाजपा ने इस बार 81 में से 65 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है, लेकिन यह इतना आसान भी नहीं है. सबसे पहले जब 2014 में जब यहां विधानसभा चुनाव हुआ था तो प्रचंड मोदी लहर के बावजूद भाजपा को मात्र 37 सीटों पर ही जीत हासिल हुई थी. इसके ठीक पहले जब लोकसभा का चुनाव हुआ था तब पार्टी ने 14 में से 12 सीटें जीत ली थीं और 60 विधानसभा सीटों पर पहले स्थान पर रही थी, लेकिन इसे मात्र 37 सीटें ही मिल पायी थीं. इससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि यहां के मतदाताओं का रुख लोकसभा और विधानसभा में अलग ही होता है. साथ ही भाजपा पर पांच साल का 'एंटी-इंकम्बेंसी' का खतरा भी मंडरा रहा होगा.
लेकिन इतना तो तय है कि यहां विधानसभा का चुनाव काफी दिलचस्प होने की उम्मीद है. जहां भाजपा को सत्ता में रहने का फायदा मिल सकता है वहीं बिखरे, मुद्दाविहीन और हताश विपक्षी पार्टियों के लिए भाजपा को टक्कर देना टेढ़ी खीर साबित हो सकती है.
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