झारखंड चुनाव (Jharkhand Election) उस दौरान हुआ, जिस दौरान मोदी सरकार (Modi Government) ने पूरे देश में नागरिकता संशोधन बिल (CAB) पर बहस की और इसका विरोध भी खूब हुआ. खैर, तमाम विरोधों को बावजूद ये नागरिकता संशोधन कानून (CAA) बन गया. इसके बाद से पूरे देश में जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं. विरोधी पार्टियों समेत बहुत सारे ऐसे लोग सड़क पर उतर आए हैं (CAA Protest) जो नागरिकता कानून का विरोध कर रहे हैं. नागरिकता कानून के साथ-साथ लोग NRC (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन) का भी विरोध कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर झारखंड चुनाव के नतीजे (Jharkhand Election Results) आ रहे हैं, जिसमें भाजपा हारती हुई दिख रही है, जबकि जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी (JMM-Congress-RJD) का गठबंधन जीतता हुआ दिखाई दे रहा है. अब झारखंड चुनाव को सीएए और NRC से भी जोड़कर देखा जाने लगा है. देखें भी क्यों नहीं, आखिर भाजपा ने झारखंड चुनाव के मेनिफेस्टो (BJP Jharkhand Election Menifesto) में NRC को भी जगह दी है. इसी के साथ ये सवाल उठ रहे हैं कि झारखंड चुनाव कैसे भाजपा के NRC वाले प्लान को प्रभावित करेगा. आइए जानते हैं.
मोदी सरकार पर एनआरसी प्लान भारी पड़ता जा रहा है.
NRC: कौन साथ, कौन खिलाफ?
झारखंड चुनाव का भाजपा के NRC प्लान पर असर जानने से पहले ये समझना होगा कि देश के कितने लोग NRC पर भाजपा के साथ हैं और कितने लोग इसके खिलाफ खड़े हैं. इंडिया टुडे की डेटा इंटेलिजेंस यूनिट ने आंकड़ों के आधार पर इसका एक मैप बनाया है. इस मैप के अनुसार 44 फीसदी आबादी के साथ 10 राज्य NRC के खिलाफ हैं, जबकि 33 फीसदी आबादी के साथ 15 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश NRC के समर्थन में हैं. इस मैप में बाकी राज्यों के आंकड़े नहीं होने की वजह से उनकी तुलना नहीं की जा सकी है.
44 फीसदी आबादी के साथ 10 राज्य एनआरसी के खिलाफ हैं. (फोटो- इंडिया टुडे)
झारखंड चुनाव का भाजपा के NRC प्लान पर असर
मार्च 2018 तक भाजपा 21 राज्यों में थी, जो अब 17 राज्यों तक फिसल चुकी है. अगर झारखंड में भी भाजपा हार जाती है तो उसकी सत्ता सिर्फ 16 राज्यों में ही बचेगी. विरोधी पार्टियों वाले राज्य मोदी सरकार के NRC प्लान में राह का रोड़ा बनेंगे. ऐसे में झारखंड चुनाव हारने का मतलब मोदी सरकार का NRC प्लान ठंडे बस्ते में जा सकता है. वैसे भी, दिल्ली में धन्यवाद रैली में पीएम मोदी ने अपने भाषण से लोगों को इस बात के संकेत दे दिए हैं. मोदी सरकार ने अपने भाषण में कहा है कि उनकी सरकार NRC की बात ही नहीं करती है, जबकि अमित शाह NRC की बात संसद में कई बार कर चुके हैं और यहां तक कि झारखंड के मेनिफेस्टो में भी NRC का जिक्र किया गया है. मेनिफेस्टो में साफ लिखा है- 'घुसपैठ की समस्या के निवारण हेतु झारखंड में NRC लागू करेंगे.' अब पीएम मोदी के भाषण की मानें तो यूं लग रहा है कि मोदी सरकार अब NRC के मुद्दे पर नरम पड़ रही है. झारखंड चुनाव हारने के बाद भाजपा की नरमी सुस्ती में भी बदल सकती है. वैसे भी चंद महीनों में दिल्ली चुनाव है और ऐसे में हार का डर भाजपा को NRC से दूरी बनाने पर मजबूर कर सकता है.
NRC और सीएए के विरोधियों की प्रतिक्रिया भी देखिए
एक ट्विटर यूजर ने झारखंड चुनाव के नतीजों की गिनती शुरू होने से पहले ही ट्वीट में लिखा- 'जहां एक ओर मोदी जी ने रामलीला मैदान से दावा किया कि उनकी पार्टी NRC की बात नहीं कर रही हैं. वहीं दूसरी ओर भाजपा ने झारखंड चुनाव मेनिफेस्टो में NRC लागू करने का वादा किया है. क्या पीएम मोदी ये कहना चाहते हैं कि भाजपा आईटी सेल चुनावों के लिए मेनिफेस्टो तैयार कर रहा है और मोदी-शाह को उसकी खबर ही नहीं है?'
भाजपा ने अपने मेनिफेस्टो में एनआरसी का जिक्र कर के कंफ्यूजन गहरा कर दिया है.
एक अन्य यूजर ने सुब्रमण्यम स्वामी पर निशाना साधते हुए कहा है- सर आपके विचार झारखंड चुनाव नतीजों पर क्या हैं? क्या सीएए की वजह से आप झारखंड में जेएमएम से हार रहे हैं?
तो क्या सीएए की वजह से ही भाजपा झारखंड में जेएमएम से हार रही है?
झारखंड चुनाव के ट्रेंड
1- धारा 370 हटाना झारखंड में काम नहीं आया !
2- राम मंदिर फैसले ने भी झारखंड चुनाव को प्रभावित नहीं किया !
3- झारखंड चुनाव के आखिरी तीन चरणों का चुनाव उस दौरान हुआ, जब पूरे देश में सीएए ट्रेंड कर रहा था ! इससे भी भाजपा को फायदा नहीं हुआ !
भाजपा के तमाम सख्त फैसले झारखंड चुनाव में काम नहीं आए !
एक अन्य ट्विटर यूजर ने व्यंग्य किया है कि भाजपा के झारखंड में हारने के साथ ही भारत में कुछ चीजें बदल गई हैं.
1- संविधान सुरक्षित बच गया.
2- भाजपा ईवीएम को हैक करने में नाकामयाब रही.
3- चुनाव कमीशन ईमानदार है.
4- NRC और सीएए को लोगों से सिरे से खारिज कर दिया.
5- मोदी खत्म हो गया.
एक यूजर के अनुसार झारखंड में भाजपा की हार के साथ ही कुछ चीजें बदल गई हैं.
मोदी सरकार अक्सर ही सख्त फैसले लेती रही है. नोटबंदी से लेकर धारा 370 हटाने तक. तमाम फैसलों को विरोध भी हुआ, लेकिन ऐसा विरोध कभी नहीं देखने को मिला, जैसे नागरिकता कानून बनने के बाद हो रहा है. ऊपर से NRC को भी इसके साथ जोड़कर देखा जा रहा है. भाजपा भी कई मौकों पर NRC की बात कर चुकी है और कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे को भड़काने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. नतीजा ये हुआ है कि NRC-सीएए पर मोदी सरकार को भारी विरोध झेलना पड़ रहा है. तभी तो अब मोदी सरकार बैकफुट पर आ गई है. इसी बीच झारखंड चुनाव के नतीजे भी टेंशन देने वाले हैं, जिसमें हारने का मतलब है टेंशन का और अधिक बढ़ जाना.
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