प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi Vadra) ने भी लगता है कांग्रेस में हुए चिट्ठीकांड (Congressmen Letter to Sonia Gandhi) को लेकर मोर्चा संभाल लिया है. ऐसा समझे जाने की वजह उत्तर प्रदेश से चिट्ठीवालों के खिलाफ हुआ काउंटर अटैक है. सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखे जाने को लेकर कांग्रेस के एक जिला यूनिट से उठी आवाज और फिर एक वायरल ऑडियो की बातचीत ने पूरे मामले को काफी दिलचस्प बना दिया है.
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की लखीमपुर खीरी इकाई ने जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) को पार्टी से निष्कासित करने का प्रस्ताव पारित कर दिल्ली भेजा है. ये प्रदेश कांग्रेस कमेटी की सहमति के बगैर संभव नहीं है - और पीसीसी अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा की मर्जी के बगैर ऐसा होने देंगे, यकीन करना मुश्किल है.
कांग्रेस सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे जितिन प्रसाद ने तो इस मामले में कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया है, लेकिन कपिल सिब्बल और चिट्ठी पर दस्तखत करने वाले कांग्रेस के दूसरे नेताओं ने इसे लेकर कड़ा ऐतराज जताया है.
चिट्ठी विवाद पर प्रियंका गांधी की काउंटर पॉलिटिक्स
यूपी की प्रभारी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के इलाके से एक ऑडियो वायरल हो रहा है. आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक ऑडियो में लखीमपुर खीरी के जिलाध्यक्ष प्रह्लाद पटेल और एक कांग्रेस कार्यकर्ता की बातचीत है. बातचीत का प्रसंग और प्रह्लाद पटेल का नाम इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद के खिलाफ उनके हस्ताक्षर से ही प्रस्ताव पारित हुआ है. प्रस्ताव पर जिला कांग्रेस अध्यक्ष प्रह्लाद पटेल और लखीमपुर खीरी के पदाधिकारियों ने दस्तखत किये हैं.
ऑडियो की सच्चाई जो भी हो, लेकिन प्रसंग और बातचीत में प्रियंका गांधी का नाम आने के चलते इसकी अहमियत काफी बढ़ जाती है. प्रियंका गांधी के यूपी कांग्रेस की प्रभारी होने की वजह से ये मानना भी मुश्किल है कि प्रस्ताव उनके संज्ञान में आये बगैर दिल्ली भेजा जा सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक वायरल ऑडियो में...
प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi Vadra) ने भी लगता है कांग्रेस में हुए चिट्ठीकांड (Congressmen Letter to Sonia Gandhi) को लेकर मोर्चा संभाल लिया है. ऐसा समझे जाने की वजह उत्तर प्रदेश से चिट्ठीवालों के खिलाफ हुआ काउंटर अटैक है. सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखे जाने को लेकर कांग्रेस के एक जिला यूनिट से उठी आवाज और फिर एक वायरल ऑडियो की बातचीत ने पूरे मामले को काफी दिलचस्प बना दिया है.
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की लखीमपुर खीरी इकाई ने जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) को पार्टी से निष्कासित करने का प्रस्ताव पारित कर दिल्ली भेजा है. ये प्रदेश कांग्रेस कमेटी की सहमति के बगैर संभव नहीं है - और पीसीसी अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा की मर्जी के बगैर ऐसा होने देंगे, यकीन करना मुश्किल है.
कांग्रेस सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे जितिन प्रसाद ने तो इस मामले में कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया है, लेकिन कपिल सिब्बल और चिट्ठी पर दस्तखत करने वाले कांग्रेस के दूसरे नेताओं ने इसे लेकर कड़ा ऐतराज जताया है.
चिट्ठी विवाद पर प्रियंका गांधी की काउंटर पॉलिटिक्स
यूपी की प्रभारी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के इलाके से एक ऑडियो वायरल हो रहा है. आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक ऑडियो में लखीमपुर खीरी के जिलाध्यक्ष प्रह्लाद पटेल और एक कांग्रेस कार्यकर्ता की बातचीत है. बातचीत का प्रसंग और प्रह्लाद पटेल का नाम इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद के खिलाफ उनके हस्ताक्षर से ही प्रस्ताव पारित हुआ है. प्रस्ताव पर जिला कांग्रेस अध्यक्ष प्रह्लाद पटेल और लखीमपुर खीरी के पदाधिकारियों ने दस्तखत किये हैं.
ऑडियो की सच्चाई जो भी हो, लेकिन प्रसंग और बातचीत में प्रियंका गांधी का नाम आने के चलते इसकी अहमियत काफी बढ़ जाती है. प्रियंका गांधी के यूपी कांग्रेस की प्रभारी होने की वजह से ये मानना भी मुश्किल है कि प्रस्ताव उनके संज्ञान में आये बगैर दिल्ली भेजा जा सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक वायरल ऑडियो में प्रह्लाद पटेल कहते हैं - "धीरज गुर्जर और प्रियंका गांधी जो भी करवा दें ठीक है. धीरज गुर्जर ने प्रस्ताव भेजा... हमने कहा कि हम हस्ताक्षर नहीं कर पाएंगे... कुछ लाइन इसमें से हटाई जाएं, लेकिन ऊपर से तलवार लटकी थी. हम भी क्या करते... इस तरह की गंदगी कांग्रेस में रहेगी तो कांग्रेस कहां खड़ी हो पाएगी..."
धीरज गुर्जर कांग्रेस के वही नेता हैं जिनका बगैर हेल्मेट स्कूटी चलाने पर लखनऊ में ₹ 6100 का चालान काटा गया था. ये तब की बात है जब प्रियंका गांधी CAA विरोध के दौरान जेल भेजे गये आईपीएस अफसर एसआर दारापुरी के घर जा रही थीं. जब पुलिस ने प्रियंका गांधी का काफिला रोक दिया था तो धीरज गुर्जर ही उनको स्कूटी पर बिठा कर आगे ले गये थे. पूर्व विधायक धीरज गुर्जर फिलहाल कांग्रेस में राष्ट्रीय सचिव हैं.
चिट्ठी विवाद पर 5 प्रस्ताव पारित किये गये हैं जिनमें से एक में जितिन प्रसाद को टारगेट किया गया है. सोनिया गांधी को भेजी गयी चिट्ठी पर हस्ताक्षर करने वालों में यूपी से एकमात्र नेता जितिन प्रसाद ही हैं. जितिन प्रसाद को निशाना बनाने की खास वजह उनके पिता जितेंद्र प्रसाद का विरोधी तेवर रहा है. याद दिलाया गया है कि जितेंद्र प्रसाद ने भी सोनिया गांधी के खिलाफ बागी तेवर दिखाये थे और कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव मैदान में भी उतर आये थे. चिट्ठी पर दस्तखत करने को कांग्रेस प्रस्ताव में उनके पिता की राह अख्तियार करने जैसा माना गया है और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की गयी है.
वैसे जितिन प्रसाद 2019 के आम चुनाव के दौरान भी टिकट बंटवारे को लेकर नाराज देखे गये थे. एक बार तो उनके बीजेपी ज्वाइन कर लेने की भी चर्चा खूब जोरदार रही, लेकिन फिर कांग्रेस नेताओं ने मिलजुल कर मना लिया था. ताजा विवाद में इस बात को तूल नहीं दिया गया है.
अगर वास्तव में इस प्रस्ताव के पीछे प्रियंका गांधी की सहमति है तो ये कांग्रेस के लिए जोखिम भरा भी है. भले ही सचिन पायलट और अशोक गहलोत के विवाद को प्रियंका गांधी के हैंडल करने के तरीके की तारीफ हो रही हो, लेकिन ये मामला कहीं ज्यादा बड़ा है. अगर प्रियंका गांधी चिट्ठी पर दस्तखत करने वाले नेताओं को भी सचिन पायलट की तरह हल्के में ले रही हैं तो न्यूट्रलाइज करने का ये तरीका राजनीतिक समझदारी नहीं पेश कर रहा है.
राजस्थान के मामले में सचिन पायलट और कुछ विधायक भर थे जिनके खिलाफ अशोक गहलोत ने एक ऑडियो क्लिप के जरिये जो भी मन में आया इल्जाम लगा डाला था - और केस दर्ज करने वाला राजस्थान पुलिस का स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ही उसे रद्दी की टोकरी में डाल दिया. अशोक गहलोत का किया धरा सामने आ चुका था इसलिए एक सेफ पैसेज निकाल कर मामले को जैसे तैसे रफा दफा किया गया.
चिट्ठी विवाद कांग्रेस के पुराने दिग्गजों और युवा पीढ़ी के टकराव का नतीजा है. निश्चित तौर पर चिट्ठी लिखने की हिम्मत सचिन प्रकरण से मिली लगती है, लेकिन आधार बना है राज्य सभा सांसदों की वो मीटिंग जिसमें कपिल सिब्बल के आत्मनिरीक्षण की सलाह पर राहुल गांधी के करीबी राजीव सातव आग बबूला हो उठे और मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार को ही कठघरे में खड़ा कर दिया. असल बात तो ये रही कि मनमोहन सिंह पर सवाल खड़े होना सीधे सीधे सोनिया गांधी पर सवाल पैदा करता है, लेकिन ये सब उनकी मौजूदगी में ही होता रहा. अगले ही दिन मिलिंद देवड़ा, मनीष तिवारी और शशि थरूर ने पूरे प्रकरण पर सवाल उठाये थे. हालांकि, बाद में राजीव सातव नरम भी पड़ गये.
कांग्रेस के 23 सीनियर नेताओं की चिट्ठी को लेकर प्रियंका गांधी भी गुस्से में हैं, ये समझ में भी आता है. फर्क बस ये है कि राहुल गांधी ने कार्यकारिणी की बैठक में जो भी मन में था उड़ेल दिया और प्रियंका गांधी बस सपोर्ट में खड़ी रहीं, लेकिन CWC की मीटिंग के बाद सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने जो किया वो भी प्रियंका गांधी के लिए काबिल-ए-गौर है.
जिले के प्रस्ताव पर नेशनल रिएक्शन
किसी भी राजनीतिक दल की जिला यूनिट बहुत महत्वपूर्ण होती है, लेकिन उसकी भूमिका चुनाव प्रचार में, संगठन के चुनाव में और पार्टी की तरह से होने वाले विरोध प्रदर्शनों तक ही सीमित हुआ करती है. कांग्रेस की लखीमपुर खीरी इकाई के प्रस्ताव पर राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रिया हुई है और इसीलिए खबर को भी नेशनल मीडिया में जगह भी मिली है.
हाल फिलहाल जितिन प्रसाद यूपी की ब्राह्मण राजनीति में कांग्रेस की नुमाइंदगी कर रहे थे. ब्राह्मण चेतना परिषद के जरिये वो मुहिम चलाते और ब्राह्मणों के हितों के सवाल उठाते देखे जा रहे थे. जितिन प्रसाद की ये मुहिम इसलिए भी महत्वपूर्ण हो रही थी क्योंकि विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद अखिलेश यादव और मायावती ने यूपी भर में परशुराम की मूर्ति लगाने की होड़ मची हुई है.
जितिन प्रसाद के खिलाफ पारित प्रस्ताव को लेकर कपिल सिब्बल ने एक ट्वीट भी किया है. कपिल सिब्बल ने कांग्रेस में आधिकारिक तौर पर जितिन प्रसाद को निशाना बनाये जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है - और सलाह दी है कि आपसी लड़ाई की जगह कांग्रेस को बीजेपी के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करनी चाहिये. कपिल सिब्बल के ट्वीट को मनीष तिवारी ने भी अपनी टिप्पणी के साथ रीट्वीट किया है.
कपिल सिब्बल की सचिन पायलट प्रकरण में भी अस्तबल वाली टिप्पणी खासी चर्चा में रही और CWC के दौरान राहुल गांधी की टिप्पणी को लेकर उनका ट्वीट भी. बाद में कपिल सिब्बल ने बताया कि राहुल गांधी के फोन करने के बाद वो डिलीट कर रहे हैं. असल में उस दौरान खबर रही कि बेहद गुस्से में राहुल गांधी ने चिट्ठी लिखने वालों की बीजेपी से मिलीभगत का आरोप लगाया था, लेकिन बाद में कांग्रेस की तरफ से इसे खारिज और पूरे मामले को रफा दफा कर दिया गया.
गौर करने वाली बात ये है कि CWC की मीटिंग के बाद सोनिया गांधी ने खुद पहल कर चिट्ठी लिखने वाले कांग्रेस नेताओं की अगुवाई कर रहे सीनियर नेता गुलाम नबी आजाद को फोन कर बात की थी और उनकी शिकायतों के निवारण का भरोसा दिलाया था. फिर राहुल गांधी ने भी बिलकुल ऐसा ही किया था. ध्यान रहे सचिन पायलट के मामले में ऐसी कोई पहल नहीं हुई थी - और प्रियंका गांधी को ये मामला भी वैसा ही हल्का-फुल्का लगता है तो यही लगता है कि वो स्थिति की गंभीरता को नहीं समझ पा रही हैं.
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