फीस वृद्धि पर मचे बवाल के शांत होने के बाद आए रोज विवादों में रहने वाली जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JN protest over fee hike) एक बार फिर मीडिया और सोशल मीडिया पर सुर्ख़ियों में है. विश्वविद्यालय क्यों चर्चा में आया? वजह बनी है स्वामी विवेकानंद की मूर्ति (Swami Vivekananda Statue vandalised IN JN). जेएनयू कैंपस (JN Campus) स्थित स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) की मूर्ति को अपमानित करने का मामला सामने आया है. बताया जा रहा है कि स्वामी विवेकानंद की मूर्ति पर कुछ लोगों ने ईंट और पत्थर फेंके साथ ही जिस चबूतरे पर प्रतिमा को स्थापित किया गया है वहां पर अभद्र टिप्पणियां और भड़काऊ बातें लिखी हैं. फिलहाल प्रतिमा को कपड़े से ढंक दिया गया है जिसका जल्द ही उद्घाटन किया जाना था. इस शर्मनाक हरकात का जिम्मेदार कौन है? अभी उइसकी कोई जानकारी नहीं है. मामले की जांच जारी है, लेकिन अंदेशा इसी बात का जताया जा रहा है कि वो छात्र संगठन जो बीते दिनों यूनिवर्सिटी द्वारा की गई फीस वृद्धि के खिलाफ सड़कों पर थे उन्हीं में से किसी ने ये हरकत की है.
जेएनयू परिसर में कुछ अराजक तत्वों द्वारा स्वामी विवेकानंद की मूर्ति को अपमानित किया गया है
बात अगर आरोप प्रत्यारोप की हो तो क्योंकि मूर्ति के आसपास भाजपा और संघ विरोधी बातें लिखी हैं इसलिएभाजपा का छात्र संगठन एबीवीपी खुलकर सामने आ गया है. ABVP ने घटना का जिम्मेदार आईसा, एसएफआई, डीएसएफ, एआईएसएफ जैसे वामपंथी छात्र संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं को ठहराया है. मामले को लेकर आखिर भारतीय विद्यार्थी परिषद का आरोप है कि वाम छात्र संगठन जेएनयू आंदोलन की आड़ में अपने तुच्छ राजनीतिक हितों को अनावश्यक तूल दे रहे हैं, जिसका विश्वविद्यालय से मतलब नहीं है.
मामला चूंकि जेएनयू से जुड़ा है तो राजनीति का गर्माना स्वाभाविक था. स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा पर आपत्तिजनक शब्द लिखे जाने के मामले में एनएसयूआई और एबीवीपी के छात्रों के बीच गहमागहमी शुरू हो गई है. सभी एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं. हालांकि विवाद के बाद छात्रों ने वहां से लिखा हुआ हटा दिया है. वहां अब छात्र संघ के सदस्यों ने दीपक जला दिया है.
छात्र लगातार इस बात को कह रहे हैं कि उनके द्वारा ये हरकत नहीं की गई है मगर लोगों को एक बार फिर सोशल मीडिया पर जेएनयू स्टूडेंट्स की आलोचना का मौका मिल गया है. मामले को लेकर लगातार प्रतिक्रियाएं आ रही हैं और लोग यही कह रहे हैं कि ये हरकत जेएनयू स्टूडेंट्स का बेशर्मी भरा रवैया दर्शाती है.
लोगों का मत है कि जेएनयू के छात्रों की ये हरकत भारत के प्रति अपमान दर्शाती है. डॉक्टर डेविड फ्रॉले ने घटना की तस्वीरों को ट्वीट करते हुए लिखा है कि जब जेएनयू के छात्र स्वामी विवेकानंद की मूर्ति के साथ बर्बरता करते हैं, तो वे भारत के लिए अपना अपमान प्रकट करते हैं.
भले ही जेएनयू के स्टूडेंट्स मामले को लेकर अपने को पाक दामन बताएं मगर परिसर में अराजकता किस हद तक हावी है मूर्ति तोड़ने के अलावा हम उस घटना से भी समझ सकते हैं जिसमें परिसर में न सिर्फ वीसी को हटाने बल्कि देश की अनेकता को प्रभावित करने वाले स्लोगन लगे हैं.
परिसर के प्रशासनिक भवन में जिस तरह की बातें लिखी हैं वो खुद इस बात की गवाही दे रही हैं कि अब परिसर के छात्र अपनी जायज नाजायज मांग मनवाने के लिए किसी भी सीमा तक जा सकते हैं.
गौरतलब है कि परिसर के छात्र वीसी के खिलाफ हैं और उन्हें हटाने की मांग कर रहे हैं. वीसी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना है कि वीसी, जेएनयू जोकि वाद विवाद और संवाद की इकाई है वहां से संवाद और सवाल ख़त्म करके उसे स्कूल बनाना चाहते हैं. वहीं जो तर्क पूर्व में वीसी ने दिए हैं अगर उनका अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि वो जो भी कर रहे हैं उसके जरिये वो केवल परिसर में अनुशासन लाना चाहते हैं.
बहरहाल, बात जेएनयू छात्रों द्वारा तोड़ी गई मूर्ति के सन्दर्भ में हुई है. तो भले ही उन्होंने मूर्ति न तोड़ी हो मगर अपने इन नफरती नारों से पूरे परिसर का माहौल बिगाड़ा है. कह सकते हैं कि जो छात्र अपनी नाजायज मांगों के लिए परिसर का ये हाल कर सकते हैं वही छात्र मूर्ति भी तोड़ सकते हैं. मूर्ति तोड़ना उन छात्रों के लिए कोई बड़ी बात नहीं है जिन्होंने वीसी के खिलाफ नारे लिख लिखकर पूरा परिसर गंदा किया हुआ है.
खैर इस मामले में दोषी कौन है इसका फैसला वक़्त करेगा. लेकिन जिस तरह मूर्ति तोड़ने और नारों के जरिये जिस तरह परिसर का माहौल बिगाड़ने का कम किया गया है उसके बाद खुद ब खुद इस बात की पुष्टि हो जाती है कि इस अराजक माहौल में उन्हें वाकई अनुशासन की बड़ी जरूरत है.
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