सांसद का शीतकालीन (Winter Session Of parliament) सत्र अभी शुरू ही हुआ है. सांसदों के पास सांसद में रखने के लिए तमाम मुद्दे हैं और ऐसा ही एक मुद्दा है छात्र और उनका विरोध प्रदर्शन. क्या दिल्ली का JN क्या बनारस का BH. लिखाई पढ़ाई छोड़कर अपनी जायज नाजायज मांगों को मनवाने के लिए छात्र धरने (Student protest) पर हैं. छात्र ये धरना क्यों दे रहे हैं? जवाब पहले दिल्ली के सन्दर्भ में. दिल्ली में छात्र इसलिए धरने पर हैं क्योंकि उनकी फीस बढ़ी हैं साथ ही उनका ये भी आरोप है कि यूनिवर्सिटी के VC (vice-chancellor) उनपर अपनी मर्जी थोप रहे हैं. क्योंकि उनका जुड़ाव संघ से है. जबकि बात अगर बनारस की हो तो वहां छात्र इस बात को लेकर आहत हैं कि संस्कृत विभाग में संस्कृत पढ़ाने के लिए एक मुस्लिम शिक्षक का चयन हुआ है. दोनों ही विषयों पर यदि गौर किया जाए तो मिलता है कि JN को जो समस्या अपने VC से है. वही समस्या BH में मुस्लिम शिक्षक को लेकर है. ध्यान रहे कि JN के छात्र कुलपति को भाजपा का एजेंट बता रहे हैं और उसे संघ में भेजे जाने पर आमादा हैं. तो वहीं BH मामले में छात्र मुस्लिम शिक्षक को मदरसे तक सीमित रखना चाहते हैं. बनारस में छात्रों को हजम ही नहीं हो रहा कि एक मुस्लिम शिक्षक उन्हें संस्कृत के श्लोक पढ़ाए.
BH और JN दोनों ही विषयों पर सैंकड़ों लेख लिखे जा चुके हैं. कुछ लेख पक्ष में हैं तो कुछ विपक्ष में. जेएनयू में टैक्स पेयर्स का पैसा बड़ा मुद्दा है जबकि बनारस में मुस्लिम शिक्षक की नियुक्ति ने संस्कृति और सभ्यता को दाव पर लगा दिया है. मेन स्ट्रीम मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक JN हॉट ट्रेंड है. वहीं BH के बारे में लोगों को जानकारी कम है इसलिए JN पर आने से पहले बात BH...
सांसद का शीतकालीन (Winter Session Of parliament) सत्र अभी शुरू ही हुआ है. सांसदों के पास सांसद में रखने के लिए तमाम मुद्दे हैं और ऐसा ही एक मुद्दा है छात्र और उनका विरोध प्रदर्शन. क्या दिल्ली का JN क्या बनारस का BH. लिखाई पढ़ाई छोड़कर अपनी जायज नाजायज मांगों को मनवाने के लिए छात्र धरने (Student protest) पर हैं. छात्र ये धरना क्यों दे रहे हैं? जवाब पहले दिल्ली के सन्दर्भ में. दिल्ली में छात्र इसलिए धरने पर हैं क्योंकि उनकी फीस बढ़ी हैं साथ ही उनका ये भी आरोप है कि यूनिवर्सिटी के VC (vice-chancellor) उनपर अपनी मर्जी थोप रहे हैं. क्योंकि उनका जुड़ाव संघ से है. जबकि बात अगर बनारस की हो तो वहां छात्र इस बात को लेकर आहत हैं कि संस्कृत विभाग में संस्कृत पढ़ाने के लिए एक मुस्लिम शिक्षक का चयन हुआ है. दोनों ही विषयों पर यदि गौर किया जाए तो मिलता है कि JN को जो समस्या अपने VC से है. वही समस्या BH में मुस्लिम शिक्षक को लेकर है. ध्यान रहे कि JN के छात्र कुलपति को भाजपा का एजेंट बता रहे हैं और उसे संघ में भेजे जाने पर आमादा हैं. तो वहीं BH मामले में छात्र मुस्लिम शिक्षक को मदरसे तक सीमित रखना चाहते हैं. बनारस में छात्रों को हजम ही नहीं हो रहा कि एक मुस्लिम शिक्षक उन्हें संस्कृत के श्लोक पढ़ाए.
BH और JN दोनों ही विषयों पर सैंकड़ों लेख लिखे जा चुके हैं. कुछ लेख पक्ष में हैं तो कुछ विपक्ष में. जेएनयू में टैक्स पेयर्स का पैसा बड़ा मुद्दा है जबकि बनारस में मुस्लिम शिक्षक की नियुक्ति ने संस्कृति और सभ्यता को दाव पर लगा दिया है. मेन स्ट्रीम मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक JN हॉट ट्रेंड है. वहीं BH के बारे में लोगों को जानकारी कम है इसलिए JN पर आने से पहले बात BH पर.
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी द्वारा संस्कृत विभाग में एक मुस्लिम शिक्षक की नियुक्ति के बाद एक पक्ष वो है जिसने अपने एजेंडे की शुरुआत कर दी है. लोगों को भड़काने का काम बदस्तूर जारी है. ऐसे लोगों का तर्क है कि संस्कृत विभाग में एक मुस्लिम को लाकर विभाग का इस्लामीकरण किया जा रहा है. लोग ये तक कह रहे हैं कि यदि कल विभाग से अजान की आवाज या फिर अल्लाह हू अकबर के नारे गूंजे तो किसी को हैरत में नहीं पड़ना चाहिए. मामले पर तर्कों कि भरमार है.
लोग तर्क दे रहे हैं कि BH में एक मुस्लिम की नियुक्ति करके महामना मदन मोहन मालवीय का अपमान किया जा रहा है.
चूंकि एक मुस्लिम की नियुक्ति पर विरोध हुआ है तो आरोप लगने लाजमी थे. आरोप लगाया जा रहा है कि इस नियुक्ति के लिए फर्जीवाड़े का सहारा लिया जा रहा है और इस मुद्दे पर भयंकर धांधली हुई है.
BH में मुस्लिम शिक्षक फिरोज खान को इंसाफ मिलेगा या नहीं इसका फैसला वक़्त करेगा अब बात कर ली जाए सोशल मीडिया पर हॉट ट्रेंड बन चुके JN पर. JN का ट्रेंड में बने रहना कोई नया नहीं है. शायद ही कोई हफ्ता ऐसा बीतता हो जब यूनिवर्सिटी चर्चा में न आती हो. अब जो इस बार यूनिवर्सिटी चर्चा में आई है तो इसकी वजह फीस को माना जा रहा है. मगर जब इस पूरेआन्दोलन का गहनता से अवलोकन करें तो यहां थ्योरी बिलकुल अलग है.
कह सकते हैं कि JN मामले में फीस तो बस एक बहाना है असल परेशानी वीसी है. वीसी ने जिस दिन से यूनिवर्सिटी को ज्वाइन किया है उसी दिन से उनका प्रयास परिसर के छात्र छात्राओं को अनुशाषित करने का है.
सवाल ये है कि क्या वीसी का उधम मचाते छात्रों को अनुशासित करना बुरा है? जवाब है नहीं. किसी भी शिक्षण संस्थान के लिए अनुशासन उसका मूल होता है. BH में भी और JN में भी. कह सकते हैं कि इन दोनों ही जगहों पर सारा खिलवाड़ इसी मूल के साथ हो रहा है. छात्रों का काम पढ़ना है कोई भी पढ़ाए कोई भी अनुशासित करे. तर्क लाख हो सकते हैं. बातें कितनी भी बन सकती हैं. मगर दोनों ही मामलों को देखकर साफ़ है कि गलती छात्रों की है. अब ये फैसला जनता को करना है कि जो कुछ भी JN और BH में छात्रों के साथ हो रहा है वो सही है या फिर गलत. जवाब जनता दे. जवाब जनता को ही देना है.
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