सीबीआई के स्पेशल जज बीएच लोया की मौत के मामले की निष्पक्ष जांच की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस केस का कोई आधार नहीं है, इसलिए इसकी जांच नहीं होगी. साथ ही यह भी कहा है कि चार जजों के बयान पर संदेह का कोई कारण नहीं है, उनके बयान पर संदेह का मतलब है संस्थान पर संदेह है. सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कह दिया है कि इस मामले के जरिए न्यायपालिका को बदनाम करने की साजिश हो रही है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद ऐसा लग रहा है मानो judge Loya case खत्म हो चुका हो, लेकिन ट्विटर पर अभी भी इसकी सुनवाई जारी है. जहां एक ओर बहुत से लोग सुप्रीम कोर्ट की इस बात से सहमत हैं, वहीं बहुत से लोग इस फैसले के खिलाफ भी खड़े नजर आ रहे हैं. कोई जजों पर सवाल उठा रहा है तो कोई न्यायपालिका के इस फैसले को सर-आंखों पर ले रहा है. चलिए देखते हैं ट्विटर पर लोग इस मामले पर आए फैसले को लेकर क्या-क्या कह रहे हैं:
यूथ कॉन्ग्रेस ने इस मामले पर ट्वीट करते हुए लिखा है- परिवार ने मौत का समय सुबह के 5 बजे बताया, लेकिन पोस्ट मार्टम में उनकी मौत का समय सुबह 6.15 बजे का आया. जस्टिस लोया के कपड़ों पर मिले खून के धब्बों का भी कोई जवाब नहीं मिला. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोया की मौत पर इतने सारे संदेह होने के बावजूद जांच नहीं कराई जा रही है.
प्रशांत भूषण ने लिखा है- मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने जज लोया की मौत के मामले में निष्पक्ष जांच करने की याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट के 2 जजों की बात पर भरोसा न करने का कोई कारण नहीं है, जिन्होंने कहा था कि एक कमरे में 3 जज सोए थे, जिसमें सिर्फ 2 बिस्तर थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जज झूठ नहीं बोल सकते. उनकी बातों को सच मानना चाहिए. जजों से सवाल कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट होगा.
भाजपा के अमित मालवीय कहते हैं कि राहुल गांधी के रिश्तेदार तहसीन पूनावाला एक जनहित याचिका दायर की, दुष्यंत दवे ने इस पर बहस की, जिसका झुकाव किस ओर है ये सभी जानते हैं, रॉबर्ट वाड्रा के वकील केटीएस तुलसी ने जस्टिस लोया मामले पर टीवी कार्यक्रमों में लोया मामले पर कीचड़ उछाला.
मालवीय ने राहुल गांधी को भी आड़े हाथों लेते हुए सुप्रीम कोर्ट की बात कही- जज लोया के केस में दायर की गई याचिकाएं एक साजिश का हिस्सा हैं.
तहसीन पूनावाला ने साफ-साफ कहा है कि वह इस मामले पर और आगे जाएंगे.
शेहला राशिद ने कहा है- अगर सीबीआई जज को ही न्याय नहीं मिल सकता है तो सीबीआई किसी को क्या न्याय दिलाएगी? भारत की पिंजरे में कैद चिड़िया.
जस्टिस लोया केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भाजपा ने ट्वीट करते हुए कहा है- जो लोग अपने फायदे के लिए न्यायपालिका का राजनीतिक फायदा उठा रहे थे, अब उनका पर्दाफाश हो चुका है।
एक ट्विटर यूजर का मानना है कि 2जी घोटाला, मक्का मस्जिद धमाका, मेनन मामला, अफजल गुरु की सुनवाई... इन सब में न्यायपालिका ने किसी दबाव में फैसला किया है.
एक अन्य ट्विटर यूजर ने लिखा है कि इस फैसले से यह साफ हो जाता है कि कोई भी जज अगला जस्टिस लोया नहीं होना चाहता है.
खबरदार जो क्यों बात पूछा खबरदार कोई जांच की बात की.#JudgeLoya
ट्विटर के एक यूजर का कहना है- मुख्य परेशानी ये है कि किसी को न्याय प्रणाली में भरोसा ही नहीं रहा, जो अब पूरी तरह से राजनीक हो चुका है. जस्टिस लोया का सच कैसे सामने आ सकता है?
#JudgeLoya सुप्रीम कोर्ट के जजों ने यह फैसला करके खुद को अगला जस्टिस लोया बनने से बचा लिया.
एक ट्विटर यूजर का तो यहां तक कहना है कि इस मामले की जांच के लिए मना करके सुप्रीम कोर्ट ने खुद को अमित शाह के चरणों में सरेंडर कर दिया है.
मनिंदर सिंह नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा है- गौर करने वाली बात है कि जिन 4 केस में लालू को क्लीनचिट मिली थी रांची हाईकोर्ट से उस केस को अरुण मिश्रा को दिया गया और रिवर्स किया और सजा हुई... उसी तरह लोया केस भी अरुण मिश्रा और दीपक मिश्रा के पास गया और केस खारिज हुआ... ये भी एक पैटर्न है...
जहां एक ओर सभी की नजरें जज लोया केस पर गड़ी हुई थीं, वहीं दूसरी ओर यह भी दावा किया जा रहा है ब्राजील के हैकर्स ने सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट को ही हैक कर लिया, इसका स्क्रीन शॉट भी ट्विटर पर खूब शेयर किया जा रहा है. हालांकि, इस समय वेबसाइट पर 'This site can’t be reached' लिखा आ रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर फैसला तो सुना दिया है, लेकिन अब ये देखना दिलचस्प होगा कि आगे क्या होता है. एक बात तो साफ है कि यह मामला राजनीति से काफी हद तक प्रभावित हो चुका है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी टिप्पणी करते हुए साफ कर दिया है कि राजनीतिक लड़ाई कोर्ट के बाहर होनी चाहिए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद बहुत से लोग सुप्रीम कोर्ट के जजों पर भी सवाल उठा रहे हैं. सोशल मीडिया पर तो लोग अपना-अपना पक्ष रख रहे हैं, लेकिन इन बातों पर सुप्रीम कोर्ट की नजर पड़ती है या नहीं ये वक्त ही बताएगा.
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