कवि कुमार मनोज की कुछ पंक्तियाँ :- सुख भरपूर गया, मांग का सिंदूर गया, नंगे नौनिहालों की लंगोटियां चली गयी. बाप की दवाई गयी, भाई की पढ़ाई गयी, छोटी छोटी बेटियों की चोटियाँ चली गयी॥ ऐसा विस्फोट हुआ जिस्म का पता ही नहीं, पूरे ही जिस्म की बोटिया चली गयी. आपके लिए तो एक आदमी मरा है साहब, किंतु मेरे घर की तो रोटियां चली गयी॥ देश में 69वें गणतंत्र दिवस पर जहां एक ओर हरेक भारतीय के मन उल्लास उमड़ रहा था तो वहीं दूसरी ओर एक माँ, एक पत्नी और एक बेटी की आंखें अपने बेटा, पति और पिता की शहादत में सलाम करती हुए नम थी. देशहित में प्राणोत्सर्ग करने वाला वह वीर सपूत जिसे मरणोपरांत राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शांतिकाल के सबसे बड़े वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित करते हुए अपने आंसू नहीं रोक पा रहे थे, वो ओर कोई नहीं वायुसेना के शहीद गरुड़ कमांडो ज्योति प्रकाश निराला ही थे. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों से यह सम्मान आंखें में गर्व का भाव लिए कमांडो निराला की पत्नी सुषमानंद और मां मालती देवी ने ग्रहण किया. भारतीय वायुसेना के इतिहास में ये पहला मौका है जब किसी गरुड़ कमांडो को अशोक चक्र से नवाजा गया है.
कवि कुमार मनोज की कुछ पंक्तियाँ :- सुख भरपूर गया, मांग का सिंदूर गया, नंगे नौनिहालों की लंगोटियां चली गयी. बाप की दवाई गयी, भाई की पढ़ाई गयी, छोटी छोटी बेटियों की चोटियाँ चली गयी॥ ऐसा विस्फोट हुआ जिस्म का पता ही नहीं, पूरे ही जिस्म की बोटिया चली गयी. आपके लिए तो एक आदमी मरा है साहब, किंतु मेरे घर की तो रोटियां चली गयी॥ देश में 69वें गणतंत्र दिवस पर जहां एक ओर हरेक भारतीय के मन उल्लास उमड़ रहा था तो वहीं दूसरी ओर एक माँ, एक पत्नी और एक बेटी की आंखें अपने बेटा, पति और पिता की शहादत में सलाम करती हुए नम थी. देशहित में प्राणोत्सर्ग करने वाला वह वीर सपूत जिसे मरणोपरांत राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शांतिकाल के सबसे बड़े वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित करते हुए अपने आंसू नहीं रोक पा रहे थे, वो ओर कोई नहीं वायुसेना के शहीद गरुड़ कमांडो ज्योति प्रकाश निराला ही थे. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों से यह सम्मान आंखें में गर्व का भाव लिए कमांडो निराला की पत्नी सुषमानंद और मां मालती देवी ने ग्रहण किया. भारतीय वायुसेना के इतिहास में ये पहला मौका है जब किसी गरुड़ कमांडो को अशोक चक्र से नवाजा गया है.
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