जम्मू और कश्मीर से धारा 370 हटे 72 दिन हो चुके हैं. हालात ख़राब न हों इसलिए सरकार ने मोबाइल और इंटरनेट पर बैन लगाते हुए लॉक डाउन की घोषणा की थी. आलोचकों और विपक्ष ने सरकार की इस घोषणा को एक बड़ा मुद्दा बनाया था और इसकी तीखी आलोचना की थी. विपक्ष का कहना था कि इस तरह के फैसले लेकर सरकार आम कश्मीरी आवाम के अधिकारों का हनन कर रही है. सिर्फ विपक्ष ही नहीं आम लोगों ने भी सरकार के इस फैसले पर प्रतिक्रिया दी थी और सरकार कश्मीर के सन्दर्भ में अपना फैसला वापस ले इसके लिए देश भर के अलग अलग हिस्सों में खूब प्रदर्शन भी हुए थे.
बात बीते महीने की है. कश्मीरियों के साथ हो रहे अन्याय को मुद्दा बनाकर सिख बिरादरी भी लामबंद हुई थी और उन्होंने दिल्ली में गुरुद्वारा रकाब गंज के सामने जमकर प्रदर्शन किया था. प्रदर्शन कर रहे लोगों का आरोप था कि जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाकर वहां के लोगों पर ज्यादती की जा रही है. प्रदर्शनकारी सिखों का ये भी कहना था हम अल्पसंख्यक समुदाय का समर्थन करने पहुंचे है. जिस तरह से कश्मीरी अल्पसंख्यक है ठीक वैसे ही सिख समुदाय भी अल्पसंख्यक है. कश्मीर में जिस तरह से अनुच्छेद 370 हटाया गया उससे लगता है कि सरकार तानाशाही रवैया अख्तियार कर चुकी है. सवाल होगा कि कश्मीर के सन्दर्भ में सिखों पर बात क्यों हो रही है? तो जवाब है कश्मीर के शोपियां में आतंकियों की गोली से अपनी जान गंवा चुके पंजाब के फल व्यापारी चरणजीत सिंह.
आतंकियों ने कश्मीर के शोपियां में पंजाब के अबोहर जिले के दो व्यापारियों को गोली मार दी. जिसमें एक व्यक्ति चरणजीत सिंह की मौत हो गई जबकि उसका दूसरा साथी संजीव कुमार गंभीर रूप से घायल है. बताया जा रहा है कि...
जम्मू और कश्मीर से धारा 370 हटे 72 दिन हो चुके हैं. हालात ख़राब न हों इसलिए सरकार ने मोबाइल और इंटरनेट पर बैन लगाते हुए लॉक डाउन की घोषणा की थी. आलोचकों और विपक्ष ने सरकार की इस घोषणा को एक बड़ा मुद्दा बनाया था और इसकी तीखी आलोचना की थी. विपक्ष का कहना था कि इस तरह के फैसले लेकर सरकार आम कश्मीरी आवाम के अधिकारों का हनन कर रही है. सिर्फ विपक्ष ही नहीं आम लोगों ने भी सरकार के इस फैसले पर प्रतिक्रिया दी थी और सरकार कश्मीर के सन्दर्भ में अपना फैसला वापस ले इसके लिए देश भर के अलग अलग हिस्सों में खूब प्रदर्शन भी हुए थे.
बात बीते महीने की है. कश्मीरियों के साथ हो रहे अन्याय को मुद्दा बनाकर सिख बिरादरी भी लामबंद हुई थी और उन्होंने दिल्ली में गुरुद्वारा रकाब गंज के सामने जमकर प्रदर्शन किया था. प्रदर्शन कर रहे लोगों का आरोप था कि जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाकर वहां के लोगों पर ज्यादती की जा रही है. प्रदर्शनकारी सिखों का ये भी कहना था हम अल्पसंख्यक समुदाय का समर्थन करने पहुंचे है. जिस तरह से कश्मीरी अल्पसंख्यक है ठीक वैसे ही सिख समुदाय भी अल्पसंख्यक है. कश्मीर में जिस तरह से अनुच्छेद 370 हटाया गया उससे लगता है कि सरकार तानाशाही रवैया अख्तियार कर चुकी है. सवाल होगा कि कश्मीर के सन्दर्भ में सिखों पर बात क्यों हो रही है? तो जवाब है कश्मीर के शोपियां में आतंकियों की गोली से अपनी जान गंवा चुके पंजाब के फल व्यापारी चरणजीत सिंह.
आतंकियों ने कश्मीर के शोपियां में पंजाब के अबोहर जिले के दो व्यापारियों को गोली मार दी. जिसमें एक व्यक्ति चरणजीत सिंह की मौत हो गई जबकि उसका दूसरा साथी संजीव कुमार गंभीर रूप से घायल है. बताया जा रहा है कि चरणजीत के साथी संजीव को चार गोलियां लगी हैं. घायल संजीव श्रीनगर के एसएमएचएस अस्पताल में भर्ती है. वारदात के बाद से ही आतंकी फरार हैं.
आतंकियों द्वारा दो पंजाबियों को गोली मारे जाने का सीधा असर पंजाब में देखने को मिल रहा है. मामले को लेकर राज्य के फल व्यापारी भड़के हुए हैं और उन्होंने चेतावनी भी दे दी है. मामला प्रकाश में आने के बाद व्यापारियों का कहना है कि अगर सुरक्षा नहीं दी गई तो कोई व्यापारी कश्मीर से सेब नहीं खरीदेगा.
मामले को लेकर बताया यही जा रहा है कि अबोहर से आए दोनों फल व्यापारी अपने ट्रक में सेब की पेटी लदवा रहे थे तभी आतंकी आ गए. आतंकियों ने दोनों पर अंधाधुंध गोलियों की बौछार की. कहा ये भी जा रहा है कि इस दौरान आतंकियों ने वहां पड़ी सेब की फसल न सिर्फ तबाह की बल्कि स्थानीय लोगों को भी जमकर पीटा.
मामले को लेकर पंजाब में राजनीति तेज है. मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर कहा, 'शोपियां में आतंकी हमले में मारे गए चरनजीत सिंह के शव को पंजाब लाने के लिए मैंने जम्मू-कश्मीर सरकार के अधिकारियों से बात की है. उनके शव को सम्मानपूर्वक फाजिल्का के अबोहर में उनके घर लाया जाएगा। पाकिस्तानी आतंकियों के ऐसे नृशंस हमलों पर भारत सरकार को कड़ा जवाब देना चाहिए.'
मामला बड़ा है तो प्रतिक्रियाओं का आना भी स्वाभाविक है. ऐसे लोगों की बड़ी संख्या है जो ये तर्क दे रहे हैं कि यदि पंजाब में रहने वाले कश्मीरियों के साथ ऐसा किया जाए तो इसका परिणाम क्या होगा ?
वहीं ऐसे लोगों की भी एक बड़ी संख्या है जो ये कह रहे हैं कि अब वो वक़्त आ गया है जब इस अहम मसले पर देश की सरकार को कुछ कड़े कदम उठाने चाहिए.
बात कश्मीर में सेब कारोबारी की हत्या से शुरू हुई है तो ऐसे में सेब का जिक्र करना भी लाजमी है. देश की सरकार द्वारा घाटी से धारा 370 हटाए जाने के बाद जिस तरह का माहौल तैयार हुआ है ये कहना कहीं से भी गलत नहीं है कि अब सेबों के बल पर घाटी में आतंकवाद का प्रचार और प्रसार किया जा रहा है. सरकार द्वारा घाटी में मोबाइल और इंटरनेट पर प्रतिबंध से आतंकियों के मंसूबों पर पानी फिर गया है.
शरारती तत्व अपना प्रोपोगेंडा फैलाने में नाकाम हैं. ऐसे में प्रोपोगेंडे के लिए अब सेब को हथियार बनाया जा रहा है. जम्मू कश्मीर के कठुआ में उस समय फल विक्रेताओं के होश उड़ गए जब उन्होंने पेटी में मौजूद सेबों में देश विरोधी और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लिखे पाए. बात अगर सेब के ऊपर लिखे कैप्शंस की हो तो शरराती तत्वों ने सेब के ऊपर पाकिस्तान जिंदाबाद, तेरी जान, मेरी जान इमरान खान, वी वांट फ्रीडम, इस्लामाबाद कश्मीर, आई लव बुरहान, मूसा जैसे नारे लिखे हैं. मौके पर पहुंची पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है.
ध्यान रहे कि फिलहाल घाटी में सेब का व्यवसाय प्रशासन और पुलिस की तरफ से एक बड़ी चुनौती की तरह देखा जा रहा है. आतंकियों से स्थानीय व्यवसायियों को आदेश दिया है कि वो बहार वालों से किसी तरह का भी ट्रेड न करें.
बहरहाल बात की शुरुआत कश्मीर में सिख युवक की मौत से शुरू हुई है तो ये बताना भी बेहद जरूरी है कि भले ही सिख समुदाय आम कश्मीरियों के लिए सामने आ रहा हो मगर कश्मीर के कट्टरपंथी इस बात को पसंद नहीं कर रहे हैं. उनका अपना एजेंडा है वो जानते हैं कि अच्छी चीजें उस एजेंडे को प्रभावित करेंगी. माना जा रहा है कि शायद यही वो कारण है जिसके चलते कश्मीर में आतंकियों द्वारा ये खोपोनी खेल खेला गया है.
ये भी पढ़ें -
पाकिस्तानियों को जेहाद के झाड़ पर चढ़ा तो रहे हो इमरान, उतारोगे कैसे?
कश्मीर को लेकर N की जंग के बाद आगे क्या...
हिंदुओं की कट्टरता ने पैदा की है कश्मीर और पाकिस्तान की समस्या
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.