बीजेपी ने उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट और नूरपुर विधानसभा सीट को जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी. तो वहीं दूसरी ओर संयुक्त विपक्ष भी इन सीटों पर जीत की अपनी दावेदारी कर रहा है. बता दें की कैराना से बीजेपी ने दिवंगत हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को उम्मीदवार बनाया है तो आरएलडी के टिकट पर तब्बसुम हसन मैदान में हैं, जिन्हें एसपी, बीएसपी और कांग्रेस का समर्थन प्राप्त है. उत्तर प्रदेश की गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की बड़ी जीत में अहम भूमिका रही संयुक्त विपक्ष और उसमें भी खासकर बहुजन समाज पार्टी की. समाजवादी पार्टी को समर्थन देकर मायावती ने सभी को चौंका दिया था. वैसे बीजेपी के नेताओं ने इस हार के पीछे अतिआत्मविश्वास और कम वोटिंग को वजह बताया था लेकिन समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के साथ आने को लेकर उनके लगातार हमलों ने ये जता दिया था कि उनके लिए भी इन दो दलों का साथ आना काफी मुश्किल पैदा कर सकता है. तब बीजेपी ने ये भी माना था कि वह दोनों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने जैसी स्थिति से निपटने के लिए योजना नहीं बना पायी थी लेकिन आने वाले चुनावों में वो इस तरह के किसी भी गठबंधन से पार पाने में सक्षम होगी.
आइये पहले समझ लेते हैं कैराना लोकसभा सीट के गणित को और जानते हैं किसके पाले में रही है ये सीट. बात करें यहां से साल 2014 लोकसभा चुनाव में जीते प्रत्याशी की तो बीजेपी के हुकुम सिंह ने समाजवादी पार्टी के नाहिद हसन को 2 लाख 36 हजार आठ सौ अठ्ठाईस मतों से मात दी थी. हुकुम सिंह को 565909 वोट मिले थे, जबकि नाहिद हसन को 329081 वोट मिले थे. बहुजन समाज पार्टी को 160414 और आरएलडी के प्रत्याशी को 42706 वोट मिले थे. कह सकते हैं कि 2014 के लोकसभा चुनाव में हुकुम सिंह के जीत का अंतर इतना था कि उस दौर में संयुक्त विपक्ष भी उन्हें नहीं हरा पाया होता. तब प्रमुख...
बीजेपी ने उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट और नूरपुर विधानसभा सीट को जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी. तो वहीं दूसरी ओर संयुक्त विपक्ष भी इन सीटों पर जीत की अपनी दावेदारी कर रहा है. बता दें की कैराना से बीजेपी ने दिवंगत हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को उम्मीदवार बनाया है तो आरएलडी के टिकट पर तब्बसुम हसन मैदान में हैं, जिन्हें एसपी, बीएसपी और कांग्रेस का समर्थन प्राप्त है. उत्तर प्रदेश की गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की बड़ी जीत में अहम भूमिका रही संयुक्त विपक्ष और उसमें भी खासकर बहुजन समाज पार्टी की. समाजवादी पार्टी को समर्थन देकर मायावती ने सभी को चौंका दिया था. वैसे बीजेपी के नेताओं ने इस हार के पीछे अतिआत्मविश्वास और कम वोटिंग को वजह बताया था लेकिन समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के साथ आने को लेकर उनके लगातार हमलों ने ये जता दिया था कि उनके लिए भी इन दो दलों का साथ आना काफी मुश्किल पैदा कर सकता है. तब बीजेपी ने ये भी माना था कि वह दोनों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने जैसी स्थिति से निपटने के लिए योजना नहीं बना पायी थी लेकिन आने वाले चुनावों में वो इस तरह के किसी भी गठबंधन से पार पाने में सक्षम होगी.
आइये पहले समझ लेते हैं कैराना लोकसभा सीट के गणित को और जानते हैं किसके पाले में रही है ये सीट. बात करें यहां से साल 2014 लोकसभा चुनाव में जीते प्रत्याशी की तो बीजेपी के हुकुम सिंह ने समाजवादी पार्टी के नाहिद हसन को 2 लाख 36 हजार आठ सौ अठ्ठाईस मतों से मात दी थी. हुकुम सिंह को 565909 वोट मिले थे, जबकि नाहिद हसन को 329081 वोट मिले थे. बहुजन समाज पार्टी को 160414 और आरएलडी के प्रत्याशी को 42706 वोट मिले थे. कह सकते हैं कि 2014 के लोकसभा चुनाव में हुकुम सिंह के जीत का अंतर इतना था कि उस दौर में संयुक्त विपक्ष भी उन्हें नहीं हरा पाया होता. तब प्रमुख पार्टियों का वोट प्रतिशत इस प्रकार रहा था-
बीजेपी: 50.54%
एसपी: 29.39%
बीएसपी: 14.33%
आरएलडी: 3.81%
कैराना लोकसभा सीट के अंतर्गत 5 विधानसभा क्षेत्र हैं जिनमें से 2017 विधानसभा चुनाव में चार सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी जबकि एक सीट, कैराना एसपी के पाले में गयी थी. बता दें की कैराना विधानसभा सीट से तब्बसुम हसन के बेटे नाहिद हसन ने मृगांका सिंह को यहाँ से हराया था. गंगोह से बीजेपी के प्रदीप कुमार ने कांग्रेस के नौमन मसूद को शिकस्त दी थी. थाना भवन सीट से बीजेपी के सुरेश कुमार बीएसपी के अब्दुल वारिस खान को हराने में कामयाब रहे थे जबकि शामली से बीजेपी के तेजेन्द्र निर्वाल ने कांग्रेस के पंकज कुमार मालिक को हराया था. वहीं नकुर सीट से बीजेपी के धरम सिंह सैनी ने कांग्रेस के इमरान मसूद को हराया था. लेकिन नतीजों से इतना साफ हो गया था कि बीजेपी के लिए ये जीत 2014 के जीत जैसी बड़ी जीत नहीं थी और अगर इसको आधार मानें तो बीजेपी को यहां से जितना आसान नहीं होगा. आईये जानते हैं 2017 विधानसभा चुनाव में कैराना के अधीन आने वाली सीटों पर किस पार्टी का प्रदर्शन कैसा रहा था, यहां बता दें कि तब कांग्रेस और एसपी ने गठजोड़ कर चुनाव लड़ा था.
शामली
बीजेपी को 35.86 प्रतिशत, कांग्रेस को 20.65 %, आरएलडी को 17.17% तो बीएसपी को 8.76 प्रतिशत वोट मिले थे.
थाना भवन
बीजेपी को 42.16%, बीएसपी को 35.02%, आरएलडी को 14.77% तो एसपी को 6.36 प्रतिशत वोट मिले थे.
कैराना
बीजेपी को 37.33%,एसपी को 47.50%, आरएलडी को 9.69% तो बीएसपी को 3.31 प्रतिशत वोट मिले थे.
गंगोह
बीजेपी को 38.78%, कांग्रेस को 23.95%, एसपी को 18.42%, बीएसपी को 17.44% तो आरएलडी को 0.41 प्रतिशत वोट मिले थे.
नाकुर
बीजेपी को 37.11%, कांग्रेस को 35.52%, बीएसपी को 25.69% तो आरएलडी को 0.39 प्रतिशत वोट मिले थे.
कह सकते हैं कि यहां से जीतकर बीजेपी गोरखपुर और फूलपुर का बदला लेना चाह रही है तो वहीं विपक्ष बीजेपी को मात देकर 2019 लोकसभा चुनाव से पहले ये सन्देश देना चाहेगा कि बीजेपी के लिए राह उतनी आसान नहीं है साथ ही इस चुनाव में आरएलडी कि प्रतिष्ठा दाव पर लगी है जो अपनी खोयी जमीन वापस पाने के लिए पुरजोर कोशिश करती दिखी थी.
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