मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ मुस्लिम वोटरों पर दिए गए एक बयान को लेकर विवादों में घिर गए हैं. उनका एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें कमलनाथ को यह कहते हुए देखा और सुना जा सकता है कि मुस्लिम, कांग्रेस पार्टी के वोट बैंक हैं. साथ में वो ये भी कह रहे हैं कि कांग्रेस को मुसलमानों के 80 फीसदी नहीं बल्कि 90 फीसदी वोट चाहिए और अगर कांग्रेस को मुस्लिमों के वोट नहीं मिले तो कांग्रेस की हार हो सकती है. उन्होंने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को से ये भी पूछा कि पिछले चुनाव में मुस्लिम बहुल इलाकों में ज्यादा मतदान क्यों नहीं हुआ, इसकी जांच करे.
आखिर क्या कारण है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी की बेचैनी मुस्लिम मतदाताओं को लेकर इतनी बढ़ी हुई है? क्या मुस्लिम वोटर कांग्रेस से नाराज हैं? क्या प्रदेश में कांग्रेस ने मुस्लिमों की अनदेखी की है? क्या विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे में उनकी अनदेखी की गयी है? क्या वजह है कि कमलनाथ जैसे वरिष्ठ नेता और मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार को इस तरह का बयान देना पड़ रहा है.
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए सभी 230 सीटों पर राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं, लेकिन राजनीतिक पार्टियों ने मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देने में इस बार भी कंजूसी बरती है.
मध्य प्रदेश की कितनी सीटों पर मुसलमानों का दबदबा-
मध्यप्रदेश में मुसलमानों की आबादी करीब 47 लाख के करीब है. वे राज्य के कुल आबादी का तक़रीबन 6.57 प्रतिशत हैं. मध्यप्रदेश में करीब दो दर्जन विधानसभा सीटें मुस्लिम बहुल हैं जिसमे करीब एक दर्जन सीट ऐसी होंगी जिसमे मुस्लिम वोट निर्णायक हैं. राज्य के 51 जिलों में...
मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ मुस्लिम वोटरों पर दिए गए एक बयान को लेकर विवादों में घिर गए हैं. उनका एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें कमलनाथ को यह कहते हुए देखा और सुना जा सकता है कि मुस्लिम, कांग्रेस पार्टी के वोट बैंक हैं. साथ में वो ये भी कह रहे हैं कि कांग्रेस को मुसलमानों के 80 फीसदी नहीं बल्कि 90 फीसदी वोट चाहिए और अगर कांग्रेस को मुस्लिमों के वोट नहीं मिले तो कांग्रेस की हार हो सकती है. उन्होंने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को से ये भी पूछा कि पिछले चुनाव में मुस्लिम बहुल इलाकों में ज्यादा मतदान क्यों नहीं हुआ, इसकी जांच करे.
आखिर क्या कारण है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी की बेचैनी मुस्लिम मतदाताओं को लेकर इतनी बढ़ी हुई है? क्या मुस्लिम वोटर कांग्रेस से नाराज हैं? क्या प्रदेश में कांग्रेस ने मुस्लिमों की अनदेखी की है? क्या विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे में उनकी अनदेखी की गयी है? क्या वजह है कि कमलनाथ जैसे वरिष्ठ नेता और मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार को इस तरह का बयान देना पड़ रहा है.
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए सभी 230 सीटों पर राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं, लेकिन राजनीतिक पार्टियों ने मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देने में इस बार भी कंजूसी बरती है.
मध्य प्रदेश की कितनी सीटों पर मुसलमानों का दबदबा-
मध्यप्रदेश में मुसलमानों की आबादी करीब 47 लाख के करीब है. वे राज्य के कुल आबादी का तक़रीबन 6.57 प्रतिशत हैं. मध्यप्रदेश में करीब दो दर्जन विधानसभा सीटें मुस्लिम बहुल हैं जिसमे करीब एक दर्जन सीट ऐसी होंगी जिसमे मुस्लिम वोट निर्णायक हैं. राज्य के 51 जिलों में से करीब 19 जिलों में मुस्लिम आबादी 1 लाख से ज्यादा है. भोपाल सिटी में मुस्लिम मतदाता सबसे ज्यादा हैं.
कांग्रेस के कितने उम्मीदवार मैदान में-
इस बार के विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश की दो प्रमुख पार्टी कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने सिर्फ चार मुस्लिम प्रत्याशियों को ही टिकट दिया है. कांग्रेस ने जहां 3 मुस्लिम चेहरे उतारे हैं तो वहीं बीजेपी ने पूरे प्रदेश में सिर्फ एक मुस्लिम प्रत्याशी को मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने भोपाल उत्तर से आरिफ अकील, भोपाल मध्य से आरिफ मसूद को और सिरोंज से मसर्रत शाहिद को मैदान में उतारा है. यहां पर जानने योग्य दिलचस्प बात ये हैं की आरिफ अकील बीते 15 सालों से मध्य प्रदेश के इकलौते मुस्लिम विधायक हैं जिन पर एक बार फिर कांग्रेस ने भरोसा जताया है. पिछले विधानसभा चुनाव यानी 2013 में भी कांग्रेस ने सिर्फ पांच मुस्लिम प्रत्याशियों को ही टिकट दिया था. बीजेपी ने इस बार की तरह पिछले बार भी एक ही मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिया था.
कांग्रेस के घोषणापत्र में मुस्लिमों को तरजीह नहीं-
मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में मुसलमानों के लिए मुख्य रूप से सिर्फ वक्फ बोर्ड का पुनर्गठन, उर्दू शिक्षकों के पद भरना और उर्दू को स्कूलों में ऐच्छिक भाषा के रूप में शामिल करने जैसी बातें ही शामिल की हैं. जानकारों के अनुसार कांग्रेस के घोषणा पत्र से मुस्लिम युवा और मतदाता खासे नाराज हैं. कई तो ये आरोप लगाने में भी नहीं चूक रहे हैं कि कांग्रेस अपने मूल सिद्धांतों से भटक गई है और इसी वजह से मुस्लिम मतदाताओं का कांग्रेस से मोहभंग जैसी स्थिति उत्पन्न हो गयी है.
चाहें स्थिति जो भी हो कांग्रेस इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को किसी भी हाल में पटखनी देना चाहती है. कमलनाथ का वीडियो उस समय आया है जब चुनाव होने में सिर्फ एक हफ्ते का समय बचा है. गौरतलब है कि चुनाव प्रचार के दौरान कमलनाथ कई ऐसे बयान दे चुके हैं, जो चर्चा में रहे हैं अब देखना ये है कि इस चुनाव में इससे कांग्रेस का फायदा ज्यादा होता है या नुकसान.
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