कर्नाटक विधानसभा चुनाव (Karnataka Bypoll Results) के बाद करीब 14 महीने तक वहां सियासी नाटक चला था और आखिरकार जेडीएस-कांग्रेस (JDS-Congress) के गठबंधन की सरकार गिर गई थी. ये सब हुआ था 15 विधायकों के इस्तीफे की वजह से. इनके इस्तीफों के बाद इन सीटों पर दोबारा चुनाव हुए और अब उपचुनाव के जो नतीजे आए हैं उन्होंने सबको हैरान कर दिया है. जब इन विधायकों ने इस्तीफा दिया और भाजपा (BJP) में जाने का मन बनाया तो हर कोई इन्हें दलबदलू कहने के साथ-साथ ये ताने मार रहा था कि ऐसे लोगों को जनता पसंद नहीं करती है. अब इसे उन लोगों की अपनी लोकप्रियता कहिए या भाजपा का प्रभाव, 15 में से 12 सीटों पर उपचुनाव के नतीजे भाजपा के पक्ष में आए हैं. यानी जनता ने कांग्रेस-जेडीएस को तो सिरे से खारिज कर दिया. वैसे भी, 14 महीने तक कांग्रेस-जेडीएस के गठबंधन ने जैसे कर्नाटक (Karnataka) में सरकार चलाई थी, उसका नतीजा यही होना चाहिए था.
क्या रहा कर्नाटक उपचुनाव का नतीजा?
कर्नाटक उपचुनाव के नतीजों में भाजपा को 15 में से 12 सीटों पर जीत हासिल हुई है. कांग्रेस के खाते में दो सीटें गई हैं, जबकि जेडीएस तो अपना खाता तक नहीं खोल पाई. बची हुई एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है. यानी उपचुनाव के बाद भी भाजपा ही बहुमत में है और अब भाजपा के पास कुल 222 सीटों में से 117 सीटें हो गई हैं, जो बहुमत से आंकड़े से 5 अधिक है. अब कांग्रेस के पास 68 सीटें हैं और जेडीएस के पास 34 सीटें हैं.
भाजपा में भरोसा जताया है तो इनाम भी मिलेगा
अभी तो कर्नाटक उपचुनाव के नतीजे आए ही हैं कि येदियुरप्पा ने इस जीत के हकदारों को उनका इनाम तक देने का ऐलान कर दिया है. येदियुरप्पा ने कहा...
कर्नाटक विधानसभा चुनाव (Karnataka Bypoll Results) के बाद करीब 14 महीने तक वहां सियासी नाटक चला था और आखिरकार जेडीएस-कांग्रेस (JDS-Congress) के गठबंधन की सरकार गिर गई थी. ये सब हुआ था 15 विधायकों के इस्तीफे की वजह से. इनके इस्तीफों के बाद इन सीटों पर दोबारा चुनाव हुए और अब उपचुनाव के जो नतीजे आए हैं उन्होंने सबको हैरान कर दिया है. जब इन विधायकों ने इस्तीफा दिया और भाजपा (BJP) में जाने का मन बनाया तो हर कोई इन्हें दलबदलू कहने के साथ-साथ ये ताने मार रहा था कि ऐसे लोगों को जनता पसंद नहीं करती है. अब इसे उन लोगों की अपनी लोकप्रियता कहिए या भाजपा का प्रभाव, 15 में से 12 सीटों पर उपचुनाव के नतीजे भाजपा के पक्ष में आए हैं. यानी जनता ने कांग्रेस-जेडीएस को तो सिरे से खारिज कर दिया. वैसे भी, 14 महीने तक कांग्रेस-जेडीएस के गठबंधन ने जैसे कर्नाटक (Karnataka) में सरकार चलाई थी, उसका नतीजा यही होना चाहिए था.
क्या रहा कर्नाटक उपचुनाव का नतीजा?
कर्नाटक उपचुनाव के नतीजों में भाजपा को 15 में से 12 सीटों पर जीत हासिल हुई है. कांग्रेस के खाते में दो सीटें गई हैं, जबकि जेडीएस तो अपना खाता तक नहीं खोल पाई. बची हुई एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है. यानी उपचुनाव के बाद भी भाजपा ही बहुमत में है और अब भाजपा के पास कुल 222 सीटों में से 117 सीटें हो गई हैं, जो बहुमत से आंकड़े से 5 अधिक है. अब कांग्रेस के पास 68 सीटें हैं और जेडीएस के पास 34 सीटें हैं.
भाजपा में भरोसा जताया है तो इनाम भी मिलेगा
अभी तो कर्नाटक उपचुनाव के नतीजे आए ही हैं कि येदियुरप्पा ने इस जीत के हकदारों को उनका इनाम तक देने का ऐलान कर दिया है. येदियुरप्पा ने कहा है कि जीत कर आए 12 में से 11 विधायकों को वह कैबिनेट में मंत्रीपद से नवाजेंगे. उन्होंने बताया कि रानीबेन्नूर से जीते भाजपा प्रत्याशी से कोई वादा नहीं किया गया था. उन्होंने कहा कि वह आने वाले 3-4 दिनों में दिल्ली जाएंगे और सब कुछ फाइनल करेंगे.
कांग्रेस-जेडीएस को तो लोगों ने सिरे से खारिज कर दिया
उपचुनाव के नतीजे एकतरफा हो जाएंगे, ऐसा किसी ने नहीं सोचा था. अधिकतर लोग मान रहे थे कि उपचुनाव के नतीजों के बाद एक बार फिर से टकराव हो सकता है, लेकिन किसी को उम्मीद नहीं थी कि जनता जेडीएस और कांग्रेस को इतनी बुरी तरह हराएगी. कांग्रेस के पास तो तब भी 2 सीटें आ गईं, लेकिन 14 महीने तक मुख्यमंत्री रहे कुमारस्वामी एक भी सीट नहीं जीत सके. वैसे देखा जाए तो इसके लिए जमीन तो खुद कांग्रेस-जेडीएस के गठबंधन ने ही तैयार की थी. सरकार बनाने का अच्छा मौका था, तो सरकार बना ली, लेकिन चला नहीं सके. जेडीएस ने भी कम सीटें होने के बावजूद मुख्यमंत्री पद मांगे, जो मिल भी गया, लेकिन उस पद की गरिमा के सामने कुमारस्वामी का कद छोटा पड़ गया. आए दिन कांग्रेस और जेडीएस में अनबन होती रहती थी.
साफ हो गया कि कांग्रेस के पास कोई नैरेटिव नहीं
किसी भी चुनाव को जीतने के लिए सबसे जरूरी होता है एक नैरेटिव, एक संदेश, जिसे लेकर कोई राजनीति पार्टी जनता के बीच जाती है. वादे और दावे तो बाद की बात हैं, पहले जनता का भरोसा जीतना होता है. अगर सिर्फ वादों से ही चुनाव जीते जाते तो लोकसभा चुनाव में तो राहुल गांधी ने न्यूनतम आय गारंटी योजना का वादा कर दिया था, लेकिन लोगों का भरोसा नहीं था, इसलिए हार गए. भाजपा पर कांग्रेस आए दिन जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के साथ गठबंधन को लेकर हमले बोलती है, लेकिन भाजपा ने अपनी गलती मानी है कि पीडीपी के साथ उनका गठबंधन गलत था. कांग्रेस ने तो जेडीएस के साथ गठबंधन कर के सबसे बड़ी गलती की थी, लेकिन ना तो गलती मानी ना ही कोई सफाई दी, जबकि सबको दिखा कि पूरे समय जेडीएस और कांग्रेस में अनबन लगी रही. खैर, अपनी गलती मानने के लिए भी कलेजा चाहिए. जिस दिन कांग्रेस के पास वो कलेजा आ गया, उस दिन लोगों का भरोसा भी मिलना शुरू हो जाएगा.
कर्नाटक में ज्यादा दिन नहीं टिकी थी कांग्रेस-जेडीएस की सरकार
भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस ने कर्नाटक में जेडीएस के साथ मिलकर सरकार तो बना ली थी, लेकिन उसके बाद से ही कांग्रेस और जेडीएस में तकरार शुरू हो गई. आपको बता दें कि भाजपा को 104 सीटें मिली थीं, कांग्रेस को 78 और जेडीएस को सिर्फ 37 सीटें मिली थीं. कर्नाटक में जेडीएस के साथ मिलकर सरकार बनाने पर कांग्रेस सिर्फ इस बात से खुश थी कि उसने भाजपा का विजय रथ रोक दिया है. मन ही मन तो वह दुखी थी ही, क्योंकि कम सीटें होने के बावजूद जेडीएस के कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री पद देना पड़ा था. खैर, कांग्रेस की वो खुशी भी ज्यादा दिन नहीं टिकी. करीब 14 महीने बाद ही 15 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया और देखते ही देखते कांग्रेस-जेडीएस के गठबंधन की सरकार गिर गई और वहां भाजपा की सरकार बन गई.
पीएम मोदी ने साधा कांग्रेस-जेडीएस पर निशाना
कर्नाटक उपचुनाव में शानदार जीत दर्ज करने पर भाजपा नेताओं को बधाई देते हुए पीएम मोदी ने कहा है- आज कर्नाटक के लोगों ने सुनिश्चित कर दिया है कि अब कांग्रेस और जेडीएस वहां के लोगों के साथ विश्वासघात नहीं कर पाएंगे. अब कर्नाटक में जोड़-तोड़ नहीं, वहां की जनता ने एक स्थिर और मजबूत सरकार को ताकत दे दी है.
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