कर्नाटक चुनाव में प्रचार खत्म हो गया. चुनावों से पहले परंपरा रही है कि झूठ को कुछ इस तरह बोला जाए कि लोगों को दिग्भ्रमित करे और सच लगने लगे. लोग कही बातों पर आंखें मूंद कर भरोसा करें और जो दल/व्यक्ति झूठ बोल रहा है उसके लिए, उसका फायदा बस इतना हो कि उसे कही बातों से ज्यादा से ज्यादा वोट मिलें और फिर जो हो वो इतिहास कहलाए.
चाहे कांग्रेस के पाले से राहुल गांधी हों या फिर भाजपा की तरफ से पीएम मोदी और अमित शाह. राज्य में चुनावों के मद्देनजर रैलियों का दौर जारी है. राज्य में जहां राहुल गांधी करीब 33 हजार किलोमीटर की यात्रा कर चुके हैं तो वहीं पीएम मोदी ने भी दौरों का दौर चला रखा है. पीएम मोदी राज्य की जनता को कांग्रेस के 60 वर्षों के राज, उस राज में मची लूट. राहुल गांधी के तानाशाही भरे रवैये और वर्तमान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की कारगुजारियों से अवगत करा रहे हैं. तो वहीं राहुल भी नोटबंदी, रोज़गार, जीएसटी और वर्तमान सीएम प्रत्याक्षी और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को ढाल बनाकर तल्ख अंदाज और तीखे लहजे में पीएम मोदी और भाजपा पर हमला कर रहे हैं.
चाहे राहुल हों या पीएम मोदी दोनों ही के लिए मुद्दा चुनाव जीतना है
कर्नाटक चुनवों के मद्देनजर दोनों ही प्रमुख दलों कांग्रेस और भाजपा को इससे कोई मतलब नहीं है कि क्या झूठ है क्या सच बस प्रयास ये है कि आखिर ऐसा क्या किया जाए जिससे राज्य की जनता प्रभावित हो और पड़ने वाले वोटों का गुणा गणित ऐसा रहे जिससे मुख्यमंत्री उनकी पार्टी का आदमी बने. क्या भाजपा क्या कांग्रेस जेडी (एस) से लेकर उन तमाम दलों तक जो कर्नाटक में चुनाव लड़ रहे हैं, आइये जानें कुछ ऐसे झूठ के बारे में जिनके दम पर पार्टियों द्वारा राज्य की जनता को बरगलाने का काम किया जा रहा है.
कर्नाटक में सरकार का गांवों को बिजली देने का दावा झूठा साबित हो रहा है
दिमाग की बत्ती जलाने के लिए बात पहले बत्ती यानी बिजली पर.
कर्नाटक में चुनाव शुरू होने वाला है. तमाम तरह की बातें हो रही हैं और इन तमाम तरह की बातों में बत्ती यानी बिजली को नाकारा या खारिज नहीं किया जा सकता.भले ही केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल अपने ट्वीट में सम्पूर्ण भारत को बिजली की रौशनी से टिमटिमाया हुआ दिखा रहे हों मगर जब बात वास्तविकता की आती है तो मिलता है कि केंद्र सरकार के दावे झूठ हैं. साल 2017-18 में कर्नाटक के कृषि वर्ग को औसतन 6 घंटे की बिजली मुहैया कराई गई. जोकि किसी भी राज्य में सबसे कम थी.
कर्नाटक का शुमार भारत के उन राज्यों में है जहां की 70 प्रतिशत आबादी कृषि आधारित है. ऐसे में अगर इस राज्य को बिजली नहीं मिल रही है तो साफ पता चल रहा है कि यहां भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तमाम दावे खोखले साबित हो रहे हैं. ध्यान रहे कि कर्नाटक के किसान लगातार सूखे का सामना कर रहे हैं. यहां जल संचय के नाम पर किसानों के पास कुछ है नहीं और शायद यही कारण है कि कर्नाटक भारत का वो राज्य है जहां साल 2016 में किसानों की सबसे ज्यादा आत्महत्याएं हुईं.'
भले ही आज सरकार ये कह रही हो कि हमने 100 प्रतिशत गांवों में बिजली पहुंचाई हो मगर बात जब कर्नाटक की आती है तो अब भी राज्य में 6 प्रतिशत ऐसे घर हैं जहां बिजली नहीं है. अतः कहा जा सकता है कि भाजपा द्वारा कही बात झूठ थी.
कर्नाटक में ये भी झूठ चल रहा कि वहां जेडी (एस) सबसे बड़ी पार्टी बनेगी
व्हाट्सएप पर फैला झूठ कर्नाटक में जेडी(एस) चुनाव जीत रही है
व्हाट्स ऐप का निर्माण शायद इस सोच के साथ किया गया था कि इसमें लोग एक दूसरे से कनेक्ट रहेंगे. व्हाट्स ऐप पर लोग कितना कनेक्ट हैं और कितना एक दूसरे को गुड मॉर्निंग गुड नाईट कर रहे हैं इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है मगर हां चुनावों के मद्देनजर इसका इस्तेमाल व्यर्थ काप्रोपेगेंडा फैलाने के लिए किया जा रहा है.
कुछ दिन पहले कर्नाटक में एक व्हाट्स ऐप मैसेज वायरल हुआ. वायरल हुए मैसेज के अनुसार, यूएस की एक कंपनी ने एक सर्वे कराया है जिसके अनुसार राज्य में जेडी(एस) पूर्ण बहुमत से सरकार बना रही है. जब इस वायरल मैसेज की जांच हुई तो पता चला कि पार्टी के लोगों ने इस झूठ को सिर्फ इसलिए फैलाया ताकि राज्य में पार्टी को बल मिल सके और कैसे भी करके जेडी(एस) की सरकार बन सके.
आपको बताते चलें कि इस व्हाट्स ऐप में इस बात का दावा किया गया था कि राज्य में पूर्व प्रधानमंत्री देवी गौड़ा बेहद लोकप्रिय हैं और उनका जनाधार इस हद तक मजबूत है कि राज्य की प्रमुख 90 सीटों पर इनकी पार्टी जीत कर कर्नाटक का भूगोल बदलने वाली है. साथ ही इस व्हाट्स ऐप मैसेज में ये भी दर्शाया गया था कि कर्नाटक में कांग्रेस 70 से ऊपर सीटें नहीं जीत पाएगी.
बीबीसी के एक लिंक के जरिये भी हो रहा है झूठा प्रचार
BBC का एक झूठ लिंक जिसमें कर्नाटक में भाजपा सरकार बना रही है
राज्य में अभी चुनाव हुए नहीं हैं. वोटों की गिनती हुई नहीं है मगर राज्य भर में दौड़ रहे BBC के एक लिंक पर गौर करें तो मिल रहा है कि राज्य में भाजपा की सरकार बनने वाली है. मैसेजिंग एप व्हाट्स ऐप पर चल रहे इस झूठ में "जनता की बात" नाम के किसी सर्वे का हवाला दिया गया है. इस सर्वे के अनुसार कर्नाटक में भाजपा 135 सीटों पर ऐतिहासिक जीत दर्ज कर रही है जबकि कांग्रेस 35 सीटें और जेडी (एस) 45 सीटें जीतने वाली है.
इस सर्वे में बीबीसी का एक लिंक है जिसको खोलने पर इस विषय से सम्बंधित कोई भी खबर नहीं है. आपको बताते चलें कि राज्य में जहां एक तरफ तमाम भाजपा समर्थक एक दूसरे को जयादा से ज्यादा इस मैसेज को फॉरवर्ड करने में लगे हैं तो वहीं कांग्रेस ने इस लिंक और इस सर्वे की कड़े शब्दों में निंदा की है और माना है कि राज्य में भाजपा द्वारा भ्रामक प्रचार किया जा रहा है.
सोशल मीडिया पर चल रहे इस लिंक को देखकर ये बात समझना आसान है कि इसे व्हाट्स ऐप में पेस्ट करके और कुछ नहीं बस भोली भाली जनता को ठगने और झूठ के बल पर उनसे वोट जुटाने का काम किया जा रहा है.
जब बनारस की तस्वीरें देखकर कर्नाटक की जनता बनी बेवकूफ
चुनाव जिसमें पीएम की बनारस वाली फोटो दिखाकर जनता को बनाया जा रहा है बेवकूफ
आज हम पर बाजारवाद इस कदर हावी है कि हमनें यही मान लिया है या ये कहें कि हमको मनवा दिया गया है कि जो चीज जितना दिखेगी वो उतना ही बिकेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी मामला भी कुछ ऐसा ही है. वर्तमान परिदृश्य में हमारे लिए ये कहना गलत नहीं है कि प्रधानमंत्री की तस्वीर में ही इतना ताकत है कि वो किसी भी प्रत्याक्षी को छोटे मोटे चुनाव जितवा सकती है.
खैर बात कर्नाटक चुनाव की हो रही है. कर्नाटक में प्रधानमंत्री की एक तस्वीर को लोगों के बीच साझा करके भाजपा समर्थकों द्वारा ये सन्देश दिया जा रहा है प्रधानमंत्री राज्य में बेहद लोकप्रिय हैं और वो जहां भी जा रहे हैं उन्हें अपार जन समर्थन मिल रहा है. इस तस्वीर को गौर से देखने पर मिल रहा है कि इसके जरिये भाजपा समर्थकों द्वारा झूठा प्रचार किया जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि तस्वीर कर्नाटक के किसी स्थान की न होकर उत्तर प्रद्रेश के बनारस की है.
इस तस्वीर से साफ हो जाता है कि भाजपा समर्थक या कार्यकर्ता इस बात को बेहतर ढंग से जानते हैं कि केवल इस झूठ के दम पर वो काफी हद तक कर्नाटक जैसे राज्य में होने वाले चुनावों को बुरी तरह प्रभावित कर सकते हैं.
चुनाव के चलते ऐसा झूठ जिसका सिर और पैर नहीं मिल रहा
भाजपा की मुखर विरोधी कांग्रेस और अन्य दलों द्वारा किया जा रहा है भाजपा के खिलाफ भ्रामक प्रचार
राजनीति में कोई किसी से कम नहीं है कोई अगर यहां उन्नीस है तो दूसरा फौरन ही कुछ ऐसा कर देता है जिसके बाद लोगों की एक बड़ी संख्या उसे बीस मान लेती है. जनाधार जुटाने और लोगों से हमदर्दी पाने के लिए कांग्रेस और भाजपा के तमाम विपक्षी दल ऐसा बहुत कुछ कर रहे हैं जिसपर अगर लोगों ने यकीन कर लिया तो वाकई कर्नाटक में भाजपा बड़ी मुसीबत में आ जाएगी. तमाम बातों के बीच कर्नाटक में कन्नड़ा प्रभा का एक लेख शेयर किया जा रहा है. इस लेख को आधार बताकर कर्नाटक की भोली भली जनता को बताया जा रहा है कि कर्नाटक में भाजपा को करारी शिकस्त मिलने वाली है.
इस झूठ की सबसे खास बात ये है कि इस खबर में आरएसएस कह हवाला दिया गया है और कहा गया है कि आरएसएस ने ही ये सर्वे कराया है और कई कारणों के चलते माना है कि राज्य के लोगों में भाजपा के प्रति गहरा आक्रोश है और इस आक्रोश के कारण कर्नाटक में कभी भी भाजपा सत्ता में नहीं आएगी.
बहरहाल आम जनमानस में इस झूठ के प्रचारित और प्रसारित होने के बाद जब इस खबर के सम्बन्ध में अखबार और संघ दोनों से ही बयान लिए गए तो दोनों ने ही इस खबर को खारिज किया और इसे बेबुनियाद बताया. खैर इस खबर से एक बात तो साफ है कि कर्नाटक में दल चाहे कोई भी हो सबकी तरफ से यही प्रयास है कि वो कुछ ऐसा करें जिससे उनकी पार्टी को फायदा मिले और मुख्यमंत्री उनका अपना व्यक्ति बने.
झूठ के मामले में लोगों ने राज्य के मुख्यमंत्री तक को नहीं छोड़ा
चुनाव के लिए मदद मांगने एक दिन के लिए पाकिस्तान चले गए मुख्यमंत्री
भले ही राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया तल्ख लहजे में पीएम मोदी और भाजपा की आलोचना कर रहे हों मगर उनके विरोधी लगातार इस झूठ को राज्य की जनता में प्रसारित कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया चुनाव में अपनी हार से इस कद्र बौखलाए हुए हैं कि वो इसके लिए पाकिस्तान की मदद लेने से भी पीछे नहीं हट रहें. राज्य में ये झूठ प्रसारित किया जा रहा है कि वो चुनाव के चलते मदद मांगने एक दिन के लिए पाकिस्तान यात्रा पर गए थे.
भले ही इस मामले को गंभीरता से देखते हुए कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने इसकी सीआईडी जांच की मांग की हो मगर इतना तो तय है जब तक इस जांच के परिणाम आएंगे तब तक बहुत देर हो जाएगी और चिड़िया खेत चुग जाएगी. यहां बात का सार बस इतना है कि मुख्यमंत्री ने चुनावों के लिए पाकिस्तान से किसी भी तरह की कोई मदद नहीं ली है.
कर्नाटक चुनावों के मद्देनजर व्हाट्स ऐप भी अहम कारक के तौर पर उभर रहा
23,000 व्हाट्स ऐप ग्रुप कर रहे हैं कर्नाटक में भाजपा की मदद
कर्नाटक चुनाव कितना दिलचस्प होने वाला है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा लीजिये कि वहां अपनी तरह का एक अनोखा झूठ प्रचारित और प्रसारित किया जा रहा है, इस झूठ के अनुसार चुनावों को देखते हुए राज्य में तकरीबन 23,000 व्हाट्स ऐप ग्रुप सक्रिय है जिनका एक सूत्रीय काम कर्नाटक में भाजपा को जीत दिलाना है. जब इस खबर की सत्यता जानने का प्रयास किया गया तो मालूम ये चला कि ये खबर पूर्णतः निराधार है.
कर्नाटक चुनाव में प्रकाश राज भी झूठ का सहारा लेते नजर आ रहे हैं
मोदी विरोध में प्रकाश राज भी पीछे नहीं हैं
बात जब मोदी विरोध की हो तो ये किसी से छुपा नहीं है कि अगर राहुल गांधी के बाद कोई व्यक्ति दिन रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में सोचता है तो वो और कोई नहीं बल्कि साउथ के सुपर स्टार प्रकाश राज हैं. कर्नाटक चुनाव को लेकर जब झूठ और सच पर बात चल रही है तो यहां प्रकाश राज का भी जिक्र करना जरूरी है.
प्रकाश के ट्विटर अकाउंट से कुछ तस्वीरें जारी हुई हैं. जब इन तस्वीरों की सत्यता जानने का प्रयास किया गया तो निकल कर आया कि प्रकाश ने भी कहीं और की तस्वीरें अपने ट्विटर पर लगाकर मोदी विरोध करने की नाकाम कोशिश की मगर लोगों ने उन्हें उनकी गलती का एहसास करा दिया.
झूठ फैलाने में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी पीछे नहीं दिख रहे हैं
जब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने जर्मनी की तस्वीर को बनाया हथियार
बात जब कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की हो तो उनके बारे में ये मशहूर है कि वो राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं और उनका हर एक मूव सोचा समझा हुआ होता है. राज्य में चुनाव हैं. चुनाव एक ऐसा मौका होता है जब किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा अपने राज्य की जनता को ज्यादा से ज्यादा इस बात का एहसास कराया जाता है कि उसने उन लोगों के लिए क्या किया. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी कुछ ऐसा ही करते दिख रहे हैं. सिद्धारमैया ने बीते दिनों पवगदा सोलर पार्क के प्रथम चरण का उद्घाटन किया और लोगों को अपनी उपलब्धि बताने के लिए एक तस्वीर डाली.
अब इसे तस्वीर डालने की जल्दबाजी कहें या फिर चुनावों में जनाधार पाने की होड़ मुख्यमंत्री ने जो तस्वीर डाली वो 8 साल पुरानी जर्मनी के एक सोलर पार्क की तस्वीर थी. सिद्धारमैया का ये झूठ ये बताने के लिए काफी है कि उन्होंने ऐसा सिर्फ इसलिए किया ताकि वो पब्लिक का ध्यान ज्यादा से ज्यादा आकर्षित कर सकें.
इन दिनों कर्नाटक में लिंगायत का भी मुद्दा जोर शोर से चल रहा है
लिंगायत समुदाय को लेकर प्रचारित किया जा रहा है झूठ
कर्नाटक चुनाव से पहले ही राज्य में लिंगायत का मुद्दा गर्मा चुका है. सियासी गलियारों में इस झूठ की आंच को प्रचारित किया जा रहा है कि राज्य में लिंगायत समुदाय का पूरा समर्थन कांग्रेस के साथ है और ये लोग कांग्रेस को वोट देकर राज्य से भाजपा का पत्ता साफ करेंगे.
इन सारी बातों से साफ हो जाता है कि एक तरह जहां तमाम दलों द्वारा मुद्दों और मौकों की राजनीति की जा रही है तो वहीं झूठ का भी सहारा लिया जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि सियासी दल इस बात को बेहतर ढंग से जानते हैं कि झूठ ही वो माध्यम से जो उन्हें सत्ता सुख दे सकता है. साथ ही इन्हें इस बात का भी अंदाजा है कि अगर वो झूठ से बचते रहे तो कोई और उनके आईडिया को अमली जामा पहना देगा और जब तक वो इसपर कदम उठाएंगे बचाने के लिए कुछ बचेगा नहीं.
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