कर्नाटक में सत्ता को लेकर मचा सियासी घमसान बदस्तूर जारी है. राज्य के मुख्यमंत्री को लेकर एक ऐसा सियासी ड्रामा चल रहा है जो अब तक भारतीय राजनीति के इतिहास में न देखा गया न कभी सुना गया. कभी येदियुरप्पा कभी एचडी कुमारस्वामी, राज्य में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर जिस तरह का चूहे बिल्ली का खेल चल रहा है उसने न केवल देश की बल्कि विदेश तक की मीडिया को अपनी तरफ आकर्षित किया है. चुनाव हुए, फिर नतीजे आए और अब तक इस बात पर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है कि राज्य का मुख्यमंत्री कौन होगा. जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं राज्य से जुड़ी और सत्ता को प्रभावित करने वाली हर चीज चर्चा का विषय बन रही है. फ़िलहाल मौजूदा वक़्त में कर्नाटक के सियासी गलियारों में चर्चा का विषय "शर्मा जी" की बस है. जी हां सही सुन रहे हैं आप. इन दिनों कर्नाटक में बच्चे बच्चे की जुबान से शर्मा ट्रेवल्स का जिक्र एक आम बात है.
जी हां बिल्कुल सही सुना आपने. कांग्रेस और जेडीएस को महसूस हो रहा है कि उनके विधायकों पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है. अतः अपने पाले के विधायकों को कर्नाटक से बाहर किसी 'सुरक्षित' स्थान तक पहुंचाने के लिए दोनों ही पार्टियों द्वारा 'शर्मा ट्रेवल सर्विसेज' की सेवाओं का लाभ लिया जा रहा है. ऐसा क्यों हो रहा है इसके पीछे की खबर बड़ी दिलचस्प है. बताया जा रहा है कि बीएस येदियुरप्पा के बहुमत परीक्षण से पहले भाजपा किसी भी क्षण इन विधायकों को प्रलोभन देकर अपने पाले में करने की कोशिशें कर सकती है.
गौरतलब है कि बीते दिनों ही कुछ तस्वीरें सामने आई थीं. बताया गया था कि चूंकि कांग्रेस और जेडीएस के जीते हुए विधायक अपने पालों में मजबूती के साथ टिके रहें इसलिए उन्हें प्राइवेट लग्जरी बसों के माध्यम से कहीं भेजा जा रहा...
कर्नाटक में सत्ता को लेकर मचा सियासी घमसान बदस्तूर जारी है. राज्य के मुख्यमंत्री को लेकर एक ऐसा सियासी ड्रामा चल रहा है जो अब तक भारतीय राजनीति के इतिहास में न देखा गया न कभी सुना गया. कभी येदियुरप्पा कभी एचडी कुमारस्वामी, राज्य में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर जिस तरह का चूहे बिल्ली का खेल चल रहा है उसने न केवल देश की बल्कि विदेश तक की मीडिया को अपनी तरफ आकर्षित किया है. चुनाव हुए, फिर नतीजे आए और अब तक इस बात पर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है कि राज्य का मुख्यमंत्री कौन होगा. जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं राज्य से जुड़ी और सत्ता को प्रभावित करने वाली हर चीज चर्चा का विषय बन रही है. फ़िलहाल मौजूदा वक़्त में कर्नाटक के सियासी गलियारों में चर्चा का विषय "शर्मा जी" की बस है. जी हां सही सुन रहे हैं आप. इन दिनों कर्नाटक में बच्चे बच्चे की जुबान से शर्मा ट्रेवल्स का जिक्र एक आम बात है.
जी हां बिल्कुल सही सुना आपने. कांग्रेस और जेडीएस को महसूस हो रहा है कि उनके विधायकों पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है. अतः अपने पाले के विधायकों को कर्नाटक से बाहर किसी 'सुरक्षित' स्थान तक पहुंचाने के लिए दोनों ही पार्टियों द्वारा 'शर्मा ट्रेवल सर्विसेज' की सेवाओं का लाभ लिया जा रहा है. ऐसा क्यों हो रहा है इसके पीछे की खबर बड़ी दिलचस्प है. बताया जा रहा है कि बीएस येदियुरप्पा के बहुमत परीक्षण से पहले भाजपा किसी भी क्षण इन विधायकों को प्रलोभन देकर अपने पाले में करने की कोशिशें कर सकती है.
गौरतलब है कि बीते दिनों ही कुछ तस्वीरें सामने आई थीं. बताया गया था कि चूंकि कांग्रेस और जेडीएस के जीते हुए विधायक अपने पालों में मजबूती के साथ टिके रहें इसलिए उन्हें प्राइवेट लग्जरी बसों के माध्यम से कहीं भेजा जा रहा है. शुरुआत में इस यात्रा के विषय में दो तरफ़ा जवाब आए. कहा गया कि ये बसें केरल स्थित कोच्ची के लिए रवाना हुई हैं. बाद में कहा गया कि इन बसों को पुदुच्चेरी भेजा गया है. बहरहाल अब खबर है कि जीते हुए विधायकों से भारी हुई ये बसें हैदराबाद के लिए रवाना हुई थीं.
जब कांग्रेस और जेडीएस के बड़े नेताओं से सवाल इसपर हुए कि इन्हें बस से क्यों भेजा गया? इनके लिए स्पेशल फ्लाइट का प्रबंध क्यों नहीं किया गया? तो जवाब मिला कि, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने उन्हें टेक ऑफ की अनुमति नहीं दी इसलिए उनके द्वारा ये फैसला लिया गया. हालांकि इस पर अपना तर्क पेश करते हुए नागरिक उड्डयन मंत्री जयंत सिन्हा ने इसे फेक खबर करार दिया.
बात की शुरुआत चूंकि शर्मा ट्रेवल सर्विसेज से हुई थी तो आपको बताते चलें कि कांग्रेस का इस ट्रेवल सर्विस प्रोवाइडर कंपनी से पुराना याराना है. आपको बताते चलें कि शर्मा ट्रांसपोर्ट की स्थापना तब हुई थी जब भारत में ठीक ठाक बसें होना ही देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि हुआ करती थी. कर्नाटक की राजधानी बैंगलोर में शर्मा ट्रेवल सर्विसेज की शुरुआत राजस्थान के मूल निवासी धनराज पारसमल शर्मा ने की थी जो खुद एक कांग्रेसी थे और उनके कई बड़े कांग्रेसी नेताओं जैसे इंदिरा गांधी, राजीव गांधी के साथ साथ पीवी नरसिम्हा राव के साथ करीबी सम्बन्ध थे.
धनराज पारसमल शर्मा ने कांग्रेस के टिकट पर 1998 लोकसभा चुनाव भी लड़ा था. बताया जाता है कि इन्हें भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शुमार अनंत कुमार ने एक बड़े अंतर से हराया था. वर्तमान में इस ट्रांसपोर्ट कम्पनी को उनके बेटे सुनील कुमार शर्मा संभालते हैं जिनका शुमार न सिर्फ बैंगलोर बल्कि देश के बड़े उद्यमियों में होता है. इस पूरी बात को देखने के बाद हमारे लिए ये कहना बिल्कुल भी गलत नहीं है कि जिस तरह पहले कर्नाटक का ईगलटन रिसॉर्ट चर्चा में था वैसे अब शर्मा जी की ये लग्जरी बसें राज्य के लोगों के लिए चर्चा का विषय है.
अंत में हम ये कहते हुए अपनी बात खत्म करेंगे कि कर्नाटक की राजनीति में रिसॉर्ट पॉलिटिक्स कोई नई बात नहीं है. इससे पहले भी 1983 में, रामकृष्ण हेगड़े, ने भी कुछ ऐसा ही किया था जब उनकी सरकार को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा भंग किया जा रहा था. उस समय हेगड़े अपने विधायकों को देवनाहल्ली के एक रिसॉर्ट में ले गए थे. इसी तरह 2008 में बीएस येदियुरप्पा ने भी अपने विधायकों को भी एक शानदार रिसॉर्ट में भेजा था. खैर बात बसों की चल रही है तो यहां ये बताना भी बेहद जरूरी है कि भविष्य में जब भी कर्नाटक चुनाव का जिक्र होगा, तब कर्नाटक के इस नाटक में शर्मा जी के रोल को राहुल गांधी के मुकाबले ज्यादा आंका जाएगा.
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