वर्ल्ड कप भले ही खत्म हो गया है, लेकिन सुपर ओवर का रोमांच अभी भी जारी है. वही सुपर ओवर, जो किसी मैच के बेनतीजा रहने पर फेंका जाता है. इस समय ये सुपर ओवर क्रिकेट के मैदान से निकल कर सियासी गलियारे में दस्तक दे चुका है. यहां लड़ाई कांग्रेस vs भाजपा की है. यहां जेडीएस की बात इसलिए नहीं की जा रही है, क्योंकि गठबंधन की सरकार बनाने में जेडीएस से बड़ी भूमिका कांग्रेस की ही थी. अब पिछले दिनों कांग्रेस और जेडीएस के 16 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं, जिसकी वजह से कर्नाटक सरकार पर संकट आ गया है. स्पीकर की ओर से विधायकों का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया तो वह सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने गेंद वापस स्पीकर के पाले में फेंक दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों के इस्तीफे के मामले में फैसला सुनाते हुए साफ कर दिया है कि इस पर विधानसभा स्पीकर रमेश कुमार ही फैसला करेंगे. साथ ही यह भी साफ कर दिया है कि विधायकों को फ्लोर टेस्ट में शामिल होने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है. यानी बागी विधायकों के इस्तीफे का मामला बेनतीजा रहा, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर को ही अंपायर बना दिया है. अब वही फैसला करेंगे कि आगे क्या करना है. कल विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होना है, जो ठीक एक सुपर ओवर जैसा होगा, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने तो मैच टाई कर दिया है. यहां आपको बता दें कि अगर मैच टाई हो जाता है तो हार-जीत का फैसला करने के लिए दोनों टीमों को एक-एक अतिरिक्त ओवर दिए जाते हैं, जिसे सुपर ओवर कहते हैं. अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर सुप्रीम कोर्ट के अभी के फैसले से किसे क्या मिला?
स्पीकर को बना दिया गया अंपायर
सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर...
वर्ल्ड कप भले ही खत्म हो गया है, लेकिन सुपर ओवर का रोमांच अभी भी जारी है. वही सुपर ओवर, जो किसी मैच के बेनतीजा रहने पर फेंका जाता है. इस समय ये सुपर ओवर क्रिकेट के मैदान से निकल कर सियासी गलियारे में दस्तक दे चुका है. यहां लड़ाई कांग्रेस vs भाजपा की है. यहां जेडीएस की बात इसलिए नहीं की जा रही है, क्योंकि गठबंधन की सरकार बनाने में जेडीएस से बड़ी भूमिका कांग्रेस की ही थी. अब पिछले दिनों कांग्रेस और जेडीएस के 16 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं, जिसकी वजह से कर्नाटक सरकार पर संकट आ गया है. स्पीकर की ओर से विधायकों का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया तो वह सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने गेंद वापस स्पीकर के पाले में फेंक दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों के इस्तीफे के मामले में फैसला सुनाते हुए साफ कर दिया है कि इस पर विधानसभा स्पीकर रमेश कुमार ही फैसला करेंगे. साथ ही यह भी साफ कर दिया है कि विधायकों को फ्लोर टेस्ट में शामिल होने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है. यानी बागी विधायकों के इस्तीफे का मामला बेनतीजा रहा, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर को ही अंपायर बना दिया है. अब वही फैसला करेंगे कि आगे क्या करना है. कल विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होना है, जो ठीक एक सुपर ओवर जैसा होगा, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने तो मैच टाई कर दिया है. यहां आपको बता दें कि अगर मैच टाई हो जाता है तो हार-जीत का फैसला करने के लिए दोनों टीमों को एक-एक अतिरिक्त ओवर दिए जाते हैं, जिसे सुपर ओवर कहते हैं. अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर सुप्रीम कोर्ट के अभी के फैसले से किसे क्या मिला?
स्पीकर को बना दिया गया अंपायर
सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर रमेश कुमार को इस समय एक अंपायर की भूमिका दे दी है. अब वही तय करेंगे कि विधायकों का इस्तीफा स्वीकार करना है या नहीं. इस समय स्पीकर रमेश उसी स्थिति में हैं, जिस स्थिति में न्यूजीलैंड और इंग्लैंड के बीच मैच के दौरान अंपायर धर्मसेना पहुंच गए थे. हालांकि, धर्मसेना के फैसले पर तो क्रिकेट में सवाल उठे थे, क्योंकि उसे गलत कहा जा रहा है, लेकिन रमेश कुमार गलत फैसला नहीं दे सकते हैं. उन्हें तय करना है कि बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करना है या उनका इस्तीफा स्वीकार करना है. अगर ये मामला सुप्रीम कोर्ट नहीं पहुंचा होता स्पीकर का गलत फैसला राजनीतिक झुकाव समझा जा सकता था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद इस मामले में किसी गलती की कोई गुंजाइश नहीं है, वरना उस पर उंगलियां उठना तय है. अगर वह बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर देते हैं तो भले ही अभी उनकी बात को सही कह दिया जाए, लेकिन उनका फैसला विवादास्पद ही रहेगा.
कुमारस्वामी को सुप्रीम कोर्ट से क्या मिला?
कर्नाटक की राजनीति में कुमारस्वामी का मुख्यमंत्री बनना एक चमत्कार ही था. उनके पास मुख्यमंत्री बनने के लिए जनादेश नहीं था, लेकिन कांग्रेस की वजह से वह मौके का फायदा उठाते हुए कर्नाटक की सत्ता पर जा बैठे. कांग्रेस भी भाजपा के वियज रथ को रोकना चाहती थी, इसलिए उसने भी अधिक विधायक होने के बावजूद जेडीएस का मुख्यमंत्री बनने को हरी झंडी दे दी. कुमारस्वामी तो मुख्यमंत्री भी कांग्रेस की बदौलत बने और अब कांग्रेस की वजह से ही उनकी सरकार गिर भी रही है. भले ही इस विवाद में कुमारस्वामी ने विश्वासमत का नोटिस समय खींचने के लिए दिया हो, लेकिन इसका इस्तेमाल वह फेस सेविंग के लिए करेंगे. कुछ ऐसा रास्ता निकालने की कोशिश करेंगे कि बागी विधायक कहीं भाजपा के साथ जाकर ना मिल जाएं.
बागी विधायकों की तो जान ही गले में आ गई
जिन विधायकों ने इस्तीफा दिया है, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तो उनकी जान गले में आ गई होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि स्पीकर ही फैसला करेंगे और काफी हद तक बागी विधायक जानते हैं कि स्पीकर क्या फैसला करेंगे. बागी विधायक चाहते हैं कि इस्तीफा स्वीकार हो, ना कि उन्हें अयोग्य ठहराया जाए. तो अयोग्य ठहराए जाने से किस बात का डर है? आखिर दोनों ही मामलों में विधायकों को चुनाव लड़कर ही आना पड़ेगा. लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि अगर येदियुरप्पा सरकार बनती है तो ये इस्तीफा स्वीकार होने की सूरत में ये विधायक नई सरकार में मंत्रीपद पा सकते हैं. हालांकि, अगर स्पीकर ने इन विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया तो इन विधायकों को फिर से चुनावी प्रक्रिया से गुजरना होगा, तभी वह सरकार में जगह बना पाएंगे. और उम्मीद तो अधिक इसी बात की है कि स्पीकर इन बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर देंगे, ताकि वह भाजपा में शामिल ना हो सकें. वैसे भी ये विधायक तब भले ही अपनी मर्जी से कर्नाटक से मुंबई के होटल में जाकर बैठे थे, लेकिन टीवी रिपोर्ट के मुताबिक अब उसी होटल में उन्हें कैद कर दिया गया है. अपनी मर्जी घूम-फिर भी नहीं सकते.
येदियुरप्पा के दोनों हाथ में लड्डू
हाल ही में भाजपा के विधायकों के साथ क्रिकेट खेलते हुए येदियुरप्पा की एक तस्वीर सामने आई है. भले ही अब इस सुपर ओवर का सामना करने के लिए येदियुरप्पा हाथ में बल्ला लिए मैदान में उतरे हैं और फॉर्म में भी हैं, लेकिन ये ध्यान रखना जरूरी है कि सुपर ओवर स्पीकर के जरिए फेंका जाना है. वैसे इस मामले में येदियुरप्पा के दोनों हाथों में लड्डू है. बागी विधायकों का इस्तीफा हो या उन्हें अयोग्य ठहरा दिया जाए, येदियुरप्पा का तो मुख्यमंत्री बनना लगभग तय ही है. ये भी हो सकता है कि जेडीएस भी भाजपा को समर्थन दे दे. वैसे भाजपा की कोशिश होगी कि दोबारा चुनाव हों, ताकि इस समय जो मोदी लहर चली है, जिसमें भाजपा ने लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल की है, उसका फायदा मिल सके. ऐसा करने से भाजपा को अधिक बहुमत के साथ सत्ता में आने का मौका मिलेगा. वैसे भी, साल भर से कर्नाटक की सरकार में जो कुछ चल रहा है, कुमारस्वामी कई बार रोए हैं और कांग्रेस को बुरा भला भी कहा है, इन सब से जनता भी समझ ही गई होगी कि गठबंधन की सरकार में फायदे कम हैं और नुकसान अधिक.
सबसे बुरी फजीहत तो कांग्रेस की हुई है
कर्नाटक में कुमारस्वामी की सरकार गिरेगी और भाजपा की सरकार बनेगी, लेकिन इसमें कांग्रेस की सबसे बुरी हार हुई है. देखा जाए तो सबसे अधिक फजीहत तो उसी की हुई है. टूटने वाले विधायकों में अधिकतर कांग्रेस के ही हैं. यानी सरकार गिरने के लिए जिम्मेदार तो कांग्रेस ही है. वैसे भी, कुमारस्वामी सरकार गिरने की जिम्मेदारी तो कांग्रेस पर ही डालेंगे. जाते-जाते वह अपनी भड़ास कांग्रेस के लिए निकाल कर ही जाएंगे. हां ये भी हो सकता है कि सेफ साइड चुनते हुए वह भाजपा की कुछ तारीफ भी कर दें, ताकि आगे चलकर भाजपा में शामिल होने का रास्ता खुला रहे.
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