कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 में कुछ ही महीने बाकी हैं. सत्ताधारी भाजपा मोदी लहर के सहारे एक बार फिर से राज्य में वापसी की उम्मीद लगाए हुए है तो कांग्रेस को सत्ता विरोधी लहर का सहारा है. वहीं, जेडीएस भी राज्य में मजबूत ताकत बनने के लिए जोर लगा रही है. इस बीच एक सर्वे आया है जिसने भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए खतरे की घंटी बजा दी है. कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर एक सर्वे आया है जिसे पॉपुलर पोल्स ने किया है. इस सर्वे की मानें तो कर्नाटक में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने वाला है. राज्य में त्रिशंकु विधानसभा का अनुमान लगाया गया है. खास बात ये है कि इसमें भाजपा और कांग्रेस दोनों को लगभग बराबर सीट मिलने की संभावना जाहिर की गई है.
सर्वे के मुताबिक हैदराबाद कर्नाटक क्षेत्र में कांग्रेस को 20-22 सीट मिलती दिखाई दे रही है. भाजपा को 12 से 15 सीट मिलने का अनुमान है. वहीं, 5 से 7 सीटे जेडीएस के खाते में जा रही हैं. इस क्षेत्र में 40 विधानसभा सीटे हैं.मुंबई कर्नाटक क्षेत्र में 44 सीटें आती हैं. इसमें 22-24 सीटें भाजपा को मिलती दिखाई गई हैं जबकि कांग्रेस को 16 से 18 सीट मिल सकती हैं. जेडीएस को यहां 4-6 सीट मिलने का अनुमान है.सेंट्रल कर्नाटक में भाजपा सबसे आगे दिख रही है. क्षेत्र की 27 विधानसभा सीटों में 17 से 19 सीटें भाजपा को मिलती दिखाई दे रही हैं जबकि कांग्रेस को 7-9 सीट मिल सकती हैं. जेडीएस को 8-9 सीट मिलने का अनुमान लगाया गया है. तटीय कर्नाटक के इलाके में 19 सीटें आती हैं. इनमें 12 से 14 सीटों पर भाजपा के जीतने का अनुमान है. वहीं, कांग्रेस को 5-7 सीट ही मिलती दिखाई गई है. सर्वे में जेडीएस का यहां खाता नहीं खुला है.
मैसूर क्षेत्र जेडीएस का गढ़ कहा जाता है. वोक्कालिगा समुदाय वाले इस क्षेत्र में जेडीएस को 25-30 सीटें जीतने का अनुमान लगाया गया है. 21 से 23 सीटें कांग्रेस जीत सकती है जबकि भाजपा को 11-13 सीट मिलने का अनुमान जाहिर किया गया है. मैसूर क्षेत्र में 66 सीटें हैं.
बेंगलुरु में 28 विधानसभा सीटे हैं. सर्वे के अनुसार, कांग्रेस 14-16 सीट जीतती नजर आ रही है. भाजपा को 12-24 सीट मिल सकती है. जेडीएस को 1 से 2 सीट मिलने का अनुमान लगाया गया है. सर्वे के अनुसार, 224 सदस्यों वाली विधानसभा में सत्ताधारी भाजपा को 82-87 सीट मिलने का अनुमान लगाया गया है. दिलचस्प बात ये है कि कांग्रेस को भी 82-87 सीट ही मिलती दिखाई दे रही हैं. राज्य की सत्ता में रह चुकी जेडीएस को 42-45 सीटें मिल सकती हैं.सर्वे पर नजर डालें तो एक बार फिर से जेडीएस की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है. 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार बनाने से रह गई थी. भाजपा को 104 सीटें मिली थीं. तब 80 सीटें पाने वाली कांग्रेस ने 37 सीटें पाने वाली जेडीएस के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई थी.
सर्वे से बेफिक्र कर्नाटक में विधानसभा चुनावों के लिए राजनीतिक दल चुनावी तैयारियों में लगे हुए हैं. इसी कड़ी में सत्ताधारी भाजपा विजय संकल्प रैली निकाल रही है. रैली के दौरान टिकट दावेदार अपनी ताकत दिखा रहे हैं. गुरुवार को यह यात्रा मुदिगेरे क्षेत्र में पहुंची. यहां कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं ने मौजूदा विधायक एमपी कुमारस्वामी को टिकट नहीं देने की मांग की. इन लोगों ने पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के सामने जमकर नारेबाजी की. हालात ऐसे हो गए कि येदियुरप्पा को अपनी रैली और रोड शो रद्द करना पड़ा. विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में टिकट को लेकर घमासान देखने को मिला है. दरअसल, गुरुवार को मुदिगेरे क्षेत्र से वर्तमान विधायक एमपी कुमारस्वामी को टिकट नहीं देने की मांग को लेकर पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया. विरोध की वजह से सत्तारूढ़ भाजपा को अपनी रैली और रोड शो रद्द करना पड़ा.
इस रैली में भाजपा के प्रदेश में कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को हिस्सा लेना था. इस घटनाक्रम के बाद भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य और राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि और अन्य नेताओं को कार्यक्रम बीच में ही छोड़कर जाना पड़ा. भाजपा ने यह रैली ‘विजय संकल्प यात्रा’ के तहत आयोजित की थी. येदियुरप्पा रोड शो में हिस्सा लेने जा रहे थे, तभी पार्टी कार्यकर्ताओं के एक समूह ने उनकी कार को घेर लिया और कुमारस्वामी के खिलाफ नारे लगाने लगे. कहा जा रहा है कि हंगामा टिकट चाहने वाले मौजूदा विधायक की जगह नेताओं के समर्थकों ने किया. मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई भी कह चुके हैं कि पार्टी में टिकट के पाने के लिए दावेदारों में होड़ है.
बोम्मई ने तो यहां तक दावा किया कि इस तरह की प्रतिस्पर्धा जीत रही पार्टी में ही हो सकती है. कर्नाटक की राजनीति को नजदीक से समझने वाले कहते हैं कि कांग्रेस हो या भाजपा दोनों में टिकट के दावेदारों के बीच इस वक्त होड़ है. टिकट बंटवारे के बाद दोनों के लिए काफी कुछ साफ हो सकता है. वहीं, टिकट के दावेदारों के बीच जारी कड़ा संघर्ष आगे चलकर विद्रोह की शक्ल न ले ये चिंता दोनों दलों को है.
कई सीटों में टिकट दावेदारों के बीच बढ़ रही प्रतिस्पर्धा पर मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने भी प्रतिक्रिया में उन्होंने कहा कि यह स्वाभाविक है और ऐसा उस पार्टी में होगा जो जीत के प्रति आश्वस्त है. बोम्मई ने कहा, 'जो पार्टी जीतेगी उसमें प्रतिस्पर्धा होगी, इसलिए (भाजपा में) स्वाभाविक रूप से प्रतिस्पर्धा है.' उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा और उनका नेतृत्व स्थिति को संभालने में सक्षम है. आलाकमान जिसे भी टिकट देगा, सभी उसका समर्थन करेंगे.
दावणगेरे सीट को लेकर लोकसभा सांसद जीएम सिद्धेश्वरा कह रहे है कि चुनावों की घोषणा के बाद, कोर कमेटी बैठक करेगी और निर्णय लेगी. टिकट किसे मिलेगा कोई नहीं जानता. हम नहीं जानते कि बसवराज बोम्मई को टिकट मिलेगा या नहीं. यह एक राष्ट्रीय पार्टी है. राष्ट्रीय नेता तय करेंगे. वो कहेंगे कि कौन कहां से चुनाव लड़ेगा. हालांकि, बोम्मई पहले कई मौकों पर यह स्पष्ट कर चुके हैं कि वह शिगगांव सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं. 2018 में सीएम इसी सीट से चुने गए थे.
विश्लेषक कहते हैं कि भाजपा सांसद जीएम सिद्धेश्वरा इसी तरह के बयानों के लिए जाने जाते हैं. उनके बयानों को इतनी गंभीरता ने नहीं लिया जाता है. मुख्यमंत्री बोम्मई को टिकट मिलना तय माना जा रहा है. यहां तक, ये भी लगभग तय है कि भाजपा उनके ही नेतृत्व में यह चुनाव लड़ेगी. हालांकि, पार्टी से सभी मौजूदा विधायकों के लिए यह बात नहीं कही जा सकती है. खुद मुख्यमंत्री भी कह चुके हैं कि सभी विधायकों को दोबारा टिकट मिले ये जरूरी नहीं है. बीते हफ्ते ही उन्होंने कहा था कि हर चुनाव पिछले चुनाव से अलग होता है. उसे प्रभावित करने वाले कारक भी अलग होते हैं. उसी के हिसाब से टिकट भी तय होता है.
इधर कांग्रेस नेताओं का एक समूह एचडी देवगौड़ा परिवार की पार्टी जेडीएस के साथ तालमेल की कोशिश में लगी है. लेकिन कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार कांग्रेस को जेडीएस से दूर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं. जेडीएस में भी कुछ ऐसी ही सोच है.उधर भी देवगौड़ा परिवार अपना विकल्प खोल कर रखना चाह रहा है. उसके लग रहा है कि इस बार कांग्रेस की स्थिति बेहतर हुई तो फिर त्रिशंकु विधानससभा बनेगी, जिसमें वह कांग्रेस और भाजपा दोनों से मोलभाव कर सकती है. ध्यान रहे देवगौड़ा परिवार और शिवकुमार परिवार में पुराना झगड़ा है. दोनों वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं और दोनों का क्लेम इस समुदाय के वोट पर है.
जेडीएस से तालमेल का विरोध करके शिवकुमार यह साबित करना चाहते हैं कि उनकी वजह से वोक्कालिगा कांग्रेस को वोट करेगा और इस लिहाज से मुख्यमंत्री के दावेदार होंगे. अपनी दावेदारी मजबूत करने के लिए वे देवगौड़ा परिवार से सीधी टक्कर करना चाहते हैं. उन्होंने कहा है कि वे अपने सांसद भाई डीके सुरेश को विधानसभा चुनाव लड़ाएंगे. शिवकुमार ने इसके लिए रामनगर विधानसभा सीट की पहचान की है, जहां से एचडी कुमारस्वामी के बेटे निखिल ने चुनाव जीता है.सोचें, कर्नाटक में कांग्रेस का सिर्फ एक लोकसभा सांसद हैं और वो हैं डीके सुरेश. उनको एचडी देवगौड़ा के पोते के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ाने की डीके शिवकुमार की तैयारी क्या इशारा करती है! यह वोक्कालिगा वोट कांग्रेस की ओर लाने का आक्रामक दांव है लेकिन इससे सिद्धरमैया समर्थक ओबीसी वोट बिदक भी सकता है, जो संख्या में ज्यादा है.
कर्नाटक में कांग्रेस चुनाव पूर्व घोषणाओं में सबको मात देती लग रही है. कांग्रेस ने मुफ्त की रेवड़ियों का पिटारा खोला है. भाजपा तो बैकफुट पर है ही. चुनाव की घोषणा से पहले कांग्रेस नेता हर दूसरे या तीसरे दिन कोई नई घोषणा कर रहे हैं. इतना ही नहीं कांग्रेस ने ऐलान किया है कि वह गारंटी पत्र देगी. पार्टी की ओर से दस्तखत किया गया एक गारंटी पत्र सभी नागरिकों को दिया जाएगा, जिसमें लिखा होगा कि कांग्रेस अपना वादा पूरा करेगी. आम नागरिकों को यकीन दिलाने के लिए कांग्रेस गारंटी पत्र दे रही है.
पहले ही राज्य में सक्रिय पार्टियों में आपाधापी लगी हुई है इस बीच अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की एंट्री ने उसकी चिंता बढ़ा दी है. दरअसल, दिल्ली के मुख्यमंत्री व आप संयोजक केजरीवाल ने शनिवार को कर्नाटक में अपना चुनावी बिगुल फूंक दिया है.
हाल ही में हुई अपनी पहली जनसभा को संबोधित करते हुए अरविंद केजरीवाल ने भाजपा को निशाने पर लिया. उन्होंने भाजपा सरकार पर कई आरोप लगाते हुए जनता से एक आम आदमी पार्टी को पांच साल के लिए भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देने का मौका देने की अपील कर रहे है. केजरीवाल ने भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहते है कि राज्य में 40 फीसदी कमीशन की सरकार चल रही है. उन्होंने, चन्नागिरी से भाजपा विधायक मदल विरुपाक्षप्पा के पुत्र प्रशांत कुमार एमवी से 8.23 करोड़ रुपये की बेहिसाब नकदी की बरामदगी का मामला उठाया. उन्होंने कहा, आम आदमी पार्टी में भ्रष्टाचार के लिए जीरो टॉलरेंस है, पंजाब का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, आप शासित पंजाब में एक मंत्री और एक विधायक को भ्रष्टाचार के आरोप में जेल हुई थी. अब जैसे जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आएगी तभी फिल्म स्पष्ट हो सकेगी कि कौन किस पर भारी पड़ता है.
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