क्या कार्ति चिदंबरम को भारत छोड़कर भागने से रोकने के लिए कथित तौर पर जारी सीबीआई के लुक आउट नोटिस की जानकारी पहले से ही थी? शुक्रवार को कार्ति चिदंबरम ने मद्रास उच्च न्यायालय के सामने इस कथित नोटिस को रद्द करने की गुहार लगाई. न्यायमूर्ति डी दुरईस्वामी के समक्ष कार्ति ने अपनी याचिका में कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई राजनैतिक साजिश के तहत काम कर रहे हैं और मुझे परेशान कर रहे हैं.
मजे की बात है कि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल जी राजगोपालन को भी इस लुक आउट नोटिस की जानकारी नहीं थी| अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने न्यायमूर्ति डी दुरईस्वामी को बताया की उन्हें इस नोटिस के बारे में पता नही है. मंत्रालय से पूरी जानकारी लेकर वो न्यायालय को अवगत कराएंगे. जिस पर न्यायमूर्ति डी दुरईस्वामी ने इस मुद्दे को 7 अगस्त तक स्थगित कर दिया.
यहां प्रश्न उठता है कि कार्ति चिदंबरम को इस लुक आउट नोटिस की जानकारी कहां से मिल गई? क्या सीबीआई, गृह मंत्रालय के किसी अधिकारी ने कार्ति को इस की सूचना पहले से ही दे दी थी? लुक आउट नोटिस पासपोर्ट एक्ट की धारा 10बी के तहत सरकार के विभिन्न विभागों के आग्रह पर जारी किया जाता है, ताकि भारतीयों व विदेशियों के भारत आने जाने पर नजर रखी जा सके और रोक लगाई जा सके.
कार्ति के विरोधियों का मानना है कि उनके पिता पी चिदंबरम का प्रभाव आज भी भारत सरकार में कार्यरत अधिकारियों पर है. उनके विरोधियों का कहना है की इसी प्रभाव के फलस्वरूप मौजूदा सरकार को कार्ति के विरुद्ध कानूनी कदम उठाने में 3 साल लग गए. यदि कार्ति की जगह कोई और व्यक्ति होता तो अब तक कानूनी कार्यवाही बहुत तेज़ी से और बहुत पहले शुरू हो जाती.
कार्ति चिदंबरम का तर्क है की अड्वॅंटेज स्ट्रॅटेजिक कनसल्टिंग (प) लिमिटेड के एक निदेशक...
क्या कार्ति चिदंबरम को भारत छोड़कर भागने से रोकने के लिए कथित तौर पर जारी सीबीआई के लुक आउट नोटिस की जानकारी पहले से ही थी? शुक्रवार को कार्ति चिदंबरम ने मद्रास उच्च न्यायालय के सामने इस कथित नोटिस को रद्द करने की गुहार लगाई. न्यायमूर्ति डी दुरईस्वामी के समक्ष कार्ति ने अपनी याचिका में कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई राजनैतिक साजिश के तहत काम कर रहे हैं और मुझे परेशान कर रहे हैं.
मजे की बात है कि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल जी राजगोपालन को भी इस लुक आउट नोटिस की जानकारी नहीं थी| अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने न्यायमूर्ति डी दुरईस्वामी को बताया की उन्हें इस नोटिस के बारे में पता नही है. मंत्रालय से पूरी जानकारी लेकर वो न्यायालय को अवगत कराएंगे. जिस पर न्यायमूर्ति डी दुरईस्वामी ने इस मुद्दे को 7 अगस्त तक स्थगित कर दिया.
यहां प्रश्न उठता है कि कार्ति चिदंबरम को इस लुक आउट नोटिस की जानकारी कहां से मिल गई? क्या सीबीआई, गृह मंत्रालय के किसी अधिकारी ने कार्ति को इस की सूचना पहले से ही दे दी थी? लुक आउट नोटिस पासपोर्ट एक्ट की धारा 10बी के तहत सरकार के विभिन्न विभागों के आग्रह पर जारी किया जाता है, ताकि भारतीयों व विदेशियों के भारत आने जाने पर नजर रखी जा सके और रोक लगाई जा सके.
कार्ति के विरोधियों का मानना है कि उनके पिता पी चिदंबरम का प्रभाव आज भी भारत सरकार में कार्यरत अधिकारियों पर है. उनके विरोधियों का कहना है की इसी प्रभाव के फलस्वरूप मौजूदा सरकार को कार्ति के विरुद्ध कानूनी कदम उठाने में 3 साल लग गए. यदि कार्ति की जगह कोई और व्यक्ति होता तो अब तक कानूनी कार्यवाही बहुत तेज़ी से और बहुत पहले शुरू हो जाती.
कार्ति चिदंबरम का तर्क है की अड्वॅंटेज स्ट्रॅटेजिक कनसल्टिंग (प) लिमिटेड के एक निदेशक रवि विश्वनाथन के खिलाफ 18 जुलाई को लुक आउट नोटिस जारी किया गया था| रवि विश्वनाथन को इस के बारे में तब पता चला जब उन्हें 23 जुलाई को सिंगापुर की फ्लाइट नहीं लेने दी गई. हवाई अड्डे पर विश्वनाथन को बताया गया की वह देश छोड़कर नहीं जा सकते हैं. हालांकि वह घर जाने के लिए आज़ाद हैं. इसके बाद अधिकारियों ने विश्वनाथन को हवाई अड्डे से बाहर निकाल दिया| रवि विश्वनाथन को न्यायालय के निर्देश के द्वारा पता चला की 18 जुलाई को उनके खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया गया था. कार्ति चिदंबरम की सोच है क्योंकि उनका नाम रवि विश्वनाथन के साथ एक संबंधित एफआइआर में शामिल है, इसलिए उनके खिलाफ भी लुक आउट नोटिस जारी किया गया है.
जब तक अधिकारिक तौर पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल जी राजगोपालन न्यायालय में इस विषय पर पूरी जानकारी नहीं देते तब तक कार्ति चिदंबरम पर शक की सुई रहेगी| यह शक बना रहेगा की लुक आउट नोटिस की जानकारी उन्हें किसी संबंधित अधिकारी से मिली है.
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