साल 2006 में एक बॉलीवुड फिल्म आई थी, 'लगे रहो मुन्ना भाई'. जी हां, वहीं संजय दत्त वाली, जिसमें वह मुन्ना भाई होते हैं और अरशद वारसी 'सर्किट' का रोल प्ले करते हैं. इस फिल्म में मुन्ना भाई को गांधीगिरी करते आपने खूब देखा होगा. अब यही गांधीगिरी कश्मीर की गलियों में हो रही है, वो भी पुलिस वालों द्वारा. 5 अगस्त को मोदी सरकार ने कश्मीर से धारा 370 को हटाने का सख्त फैसला लिया, जिसके बाद से ही वहां के बहुत से इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया था. आज बकरीद के मौके पर कर्फ्यू में ढील दी गई तो भारी संख्या में लोग मस्जिदों में नमाज पढ़ने पहुंचे, लेकिन वहां गांधीगिरी का जो नजारा दिखा, वो पहले कभी नहीं दिखता था.
जम्मू-कश्मीर के इलाकों में हमेशा से ही भारतीय सेना के जवान तैनात रहे हैं. इन दिनों स्थिति थोड़ा अधिक संवेदनशील हो गई है, इसलिए तैनाती और भी ज्यादा बढ़ा दी गई है. हमेशा से लोगों के इर्द-गिर्द सेना रही है और लोगों की सेना से झड़प भी होती रही है. सेना की उम्मीद हमेशा ये रही कि लोग उन्हें इज्जत दें और जनता हमेशा चाहती रही कि सुरक्षा बल उन्हें सम्मान दें. खैर, अब तक भले ही ये मुमकिन नहीं था, लेकिन फिलहाल कश्मीर की मस्जिदों के बाहर जो नजारा दिख रहा है, बेशक हर कश्मीरी सालों से इसी का इंतजार कर रहा था.
पुलिस वाले दे रहे शुभकामनाएं, बांट रहे मिठाई
बकरीद के मौके पर श्रीनगर में बहुत सी मस्जिदों के बाहर पुलिस वाले लोगों को शुभकामनाएं देते दिखे. कहीं-कहीं तो पुलिसवालों के हाथों में मिठाई के डिब्बे भी देखा जा सकते हैं. पुलिसवालों को कानून व्यवस्था लागू करते और लोगों को तरह-तरह के ऑर्डर सुनाते तो कश्मीरियों ने खूब देखा, लेकिन बकरीद...
साल 2006 में एक बॉलीवुड फिल्म आई थी, 'लगे रहो मुन्ना भाई'. जी हां, वहीं संजय दत्त वाली, जिसमें वह मुन्ना भाई होते हैं और अरशद वारसी 'सर्किट' का रोल प्ले करते हैं. इस फिल्म में मुन्ना भाई को गांधीगिरी करते आपने खूब देखा होगा. अब यही गांधीगिरी कश्मीर की गलियों में हो रही है, वो भी पुलिस वालों द्वारा. 5 अगस्त को मोदी सरकार ने कश्मीर से धारा 370 को हटाने का सख्त फैसला लिया, जिसके बाद से ही वहां के बहुत से इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया था. आज बकरीद के मौके पर कर्फ्यू में ढील दी गई तो भारी संख्या में लोग मस्जिदों में नमाज पढ़ने पहुंचे, लेकिन वहां गांधीगिरी का जो नजारा दिखा, वो पहले कभी नहीं दिखता था.
जम्मू-कश्मीर के इलाकों में हमेशा से ही भारतीय सेना के जवान तैनात रहे हैं. इन दिनों स्थिति थोड़ा अधिक संवेदनशील हो गई है, इसलिए तैनाती और भी ज्यादा बढ़ा दी गई है. हमेशा से लोगों के इर्द-गिर्द सेना रही है और लोगों की सेना से झड़प भी होती रही है. सेना की उम्मीद हमेशा ये रही कि लोग उन्हें इज्जत दें और जनता हमेशा चाहती रही कि सुरक्षा बल उन्हें सम्मान दें. खैर, अब तक भले ही ये मुमकिन नहीं था, लेकिन फिलहाल कश्मीर की मस्जिदों के बाहर जो नजारा दिख रहा है, बेशक हर कश्मीरी सालों से इसी का इंतजार कर रहा था.
पुलिस वाले दे रहे शुभकामनाएं, बांट रहे मिठाई
बकरीद के मौके पर श्रीनगर में बहुत सी मस्जिदों के बाहर पुलिस वाले लोगों को शुभकामनाएं देते दिखे. कहीं-कहीं तो पुलिसवालों के हाथों में मिठाई के डिब्बे भी देखा जा सकते हैं. पुलिसवालों को कानून व्यवस्था लागू करते और लोगों को तरह-तरह के ऑर्डर सुनाते तो कश्मीरियों ने खूब देखा, लेकिन बकरीद की सुबह उन्हें जो नजारा देखने को मिला, मानो उसी का तो इंतजार था. कोई पुलिसवाला मिठाई बांट रहा था, तो किसी से लोग हाथ मिला रहे थे और गले लग रहे थे. पुलिस और जनता के बीच ऐसा रवैया ही पुलिस को उनका मित्र बनाने का काम करता है.
सुरक्षा व्यवस्था टाइट, लेकिन ईद में बाधा नहीं
ऐसा नहीं है कि जम्मू-कश्मीर में पूरी तरह से ढील दे दी गई है. लेकिन ये भी सही है कि लोगों को मस्जिदों में नमाज पढ़ने जाने की इजाजत मिली है. हालांकि, लोगों को ये हिदायत दी गई है कि भारी संख्या में कहीं पर भी इकट्ठा ना हों. सुरक्षाबलों ने ढील तो दी है, लेकिन ये भी सुनिश्चित किया है कि किसी तरह का कोई विरोध प्रदर्शन या हिंसा ना हो. पुलिस और जनता के बीच प्यार बांटने की जो तस्वीरें सामने आ रही हैं, वो दिखा रही हैं कि कम स्थितियां अब सामान्य हो रही हैं.
धारा 370 लगाने के बाद से ही कश्मीर को लेकर तरह-तरह की बातें हो रही थीं. इसी बीच बीबीसी ने एक वीडियो जारी करते हुए दावा किया था कि कश्मीर में कई जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और फायरिंग भी हुई है, जिसमें कुछ लोगों की मौत हुई है. हालांकि, स्थिति बिल्कुल उलट है. सेना ने साफ किया है कि घाटी में छुटपुट प्रदर्शन जरूर हुए हैं, लेकिन कहीं भी न तो बड़े प्रदर्शन हुए हैं, ना ही गोलियां चली हैं और ना ही किसी की मौत हुई है. सेना का कहना है कि स्थितियां सामान्य हो रही हैं. बकरीद की सुबह की तस्वीरें और वीडियो सेना की बात पर मुहर लगाने वाली हैं.
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