अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) और केसीआर यानी के. चंद्रशेखर राव के मामले में एक खास बात ये है कि दोनों के दुश्मन भी कॉमन हैं - बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां दोनों मुख्यमंत्रियों में से किसी को भी पसंद नहीं करतीं.
हाल ये है कि केजरीवाल और केसीआर दोनों को कांग्रेस का साथ बिलकुल नहीं मिल रहा है, बीजेपी तो खैर टूट ही पड़ी है - और कांग्रेस भी कम बवाल नहीं मचा रही, बल्कि मौका मिलते ही शोर मचाने में बीजेपी से भी होड़ ले रही है.
मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) को अभी सीबीआई की गिरफ्तारी के बाद जमानत भी नहीं मिली थी, और प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार कर लिया. एक तरफ अदालत में सिसोदिया की जमानत पर सुनवाई टली, और दूसरी तरफ अदालत से ही सिसोदिया को सात दिन की ईडी की रिमांड पर भेज दिया गया - हो सकता है, अरविंद केजरीवाल को भी ऐसी आशंका पहले से ही हो.
केसीआर (K. Chandrashekhar Rao) की एमएलसी बेटी के. कविता को अभी पूछताछ के लिए ही बुलाया गया है. लेकिन जिस तरह से ईडी ने अदालत में पहले से ही माहौल बना रखा है, लगता है वो भी जांच एजेंसी के चंगुल में बुरी तरह फंस चुकी हैं. कविता की पेशी से पहले ही ईडी ने अदालत में सिसोदिया और कविता के संपर्कों का जिक्र कर दिया है - आगे आगे क्या होने वाला है, समझ पाना अब बहुत मुश्किल नहीं लगता.
ताना बाना तो ईडी ने मनीष सिसोदिया और कविता के जरिये आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह के साथ साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लेकर भी बुन डाला है, लेकिन चीजों को शेप लेने में अभी थोड़ा वक्त लगेगा - और वो वक्त ही अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक लड़ाई में काम आएगा.
क्या सिसोदिया भी जैन की तरह फंस गये?
मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बिलकुल वैसी ही...
अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) और केसीआर यानी के. चंद्रशेखर राव के मामले में एक खास बात ये है कि दोनों के दुश्मन भी कॉमन हैं - बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां दोनों मुख्यमंत्रियों में से किसी को भी पसंद नहीं करतीं.
हाल ये है कि केजरीवाल और केसीआर दोनों को कांग्रेस का साथ बिलकुल नहीं मिल रहा है, बीजेपी तो खैर टूट ही पड़ी है - और कांग्रेस भी कम बवाल नहीं मचा रही, बल्कि मौका मिलते ही शोर मचाने में बीजेपी से भी होड़ ले रही है.
मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) को अभी सीबीआई की गिरफ्तारी के बाद जमानत भी नहीं मिली थी, और प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार कर लिया. एक तरफ अदालत में सिसोदिया की जमानत पर सुनवाई टली, और दूसरी तरफ अदालत से ही सिसोदिया को सात दिन की ईडी की रिमांड पर भेज दिया गया - हो सकता है, अरविंद केजरीवाल को भी ऐसी आशंका पहले से ही हो.
केसीआर (K. Chandrashekhar Rao) की एमएलसी बेटी के. कविता को अभी पूछताछ के लिए ही बुलाया गया है. लेकिन जिस तरह से ईडी ने अदालत में पहले से ही माहौल बना रखा है, लगता है वो भी जांच एजेंसी के चंगुल में बुरी तरह फंस चुकी हैं. कविता की पेशी से पहले ही ईडी ने अदालत में सिसोदिया और कविता के संपर्कों का जिक्र कर दिया है - आगे आगे क्या होने वाला है, समझ पाना अब बहुत मुश्किल नहीं लगता.
ताना बाना तो ईडी ने मनीष सिसोदिया और कविता के जरिये आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह के साथ साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लेकर भी बुन डाला है, लेकिन चीजों को शेप लेने में अभी थोड़ा वक्त लगेगा - और वो वक्त ही अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक लड़ाई में काम आएगा.
क्या सिसोदिया भी जैन की तरह फंस गये?
मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बिलकुल वैसी ही आशंका जता रहे थे जैसे सत्येंद्र जैन के मामले में. मनीष सिसोदिया को भी वो वैसे ही बेकसूर बता रहे हैं, जैसे सत्येंद्र जैन को - और अब तो लगता है मनीष सिसोदिया भी सत्येंद्र जैन की ही तरह गंभीर रूप से फंस चुके हैं.
निश्चित तौर पर एक दिन वो भी आएगा जब अदालत में प्रवर्तन निदेशालय के आरोपों को लेकर दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा - लेकिन जजमेंट डे कब तक आएगा ये तो किसी को नहीं मालूम. सत्येंद्र जैन तो करीब नौ महीने से जेल में ही हैं और अब तक उनको जमानत नहीं मिल सकी है.
मनीष सिसोदिया के लिए भी जेल से जल्दी बाहर निकल पाना अब आसान नहीं लग रहा है. एक साथ दो-दो जांच एजेंसियों ने अरेस्ट कर रखा है. पहले सीबीआई और फिर प्रवर्तन निदेशालय भी गिरफ्तारी के बाद रिमांड पर ले चुका है. सीबीआई की कस्टडी खत्म होने के बाद सिसोदिया को अदालत ने जेल भेज दिया था - और जमानत पर सुनवाई 21 मार्च तक टाल दी गयी है.
सिसोदिया और कविता के सियासी कनेक्शन: चार्जशीट तो बाद में आएगी, अपनी शुरुआती जांच के आधार पर ईडी ने मनीष सिसोदिया पर जो आरोप लगाया है, उसमें के. कविता को भी सीधे जोड़ दिया है. बिलकुल पार्टनर-इन-क्राइम के रूप में. ईडी का दावा है कि मनीष सिसोदिया और के. कविता के बीच पॉलिटिकल अंडरस्टैंडिंग थी. और इसी क्रम में विजय नायर से भी मुलाकात का जिक्र किया गया है. मनीष सिसोदिया को लेकर ईडी ने ये दावा बुच्ची बाबू के बयान के आधार पर किया है. विजय नायर और बुच्ची बाबू भी दिल्ली शराब नीति में बतायी जा रही गड़बड़ियों को लेकर हो रही जांच में आरोपी बनाये गये हैं.
ईडी के मुताबिक, बुच्ची बाबू के बयान से मालूम हुआ है कि के. कविता और विजय नायर कैसे मिले? एजेंसी का दावा है कि कविता ने दिल्ली और हैदराबाद में विजय नायर से मुलाकात की - और ऐसी पुख्ता जानकारी का भी दावा किया गया है कि मुलाकात के बाद ही हैदराबाद से दिल्ली पैसे ट्रांसफर किये गये.
प्रवर्तन निदेशालय ने कोर्ट को बताया है कि विजय नायर ने हैदराबाद का फंड आम आदमी पार्टी को मिले ये सुनिश्चित तो किया ही, ये भी व्यवस्था बनायी कि ये काम सुचारू रूप से चलता भी रहे.
दावे को सही ठहराने के लिए ईडी ने कविता और विजय नायर के बीच हुई व्हाट्सऐप चैट का भी हवाला दिया है. साथ ही ईडी के जांच अधिकारियों ने सिग्नल ऐप को भी खंगाला है और वहां पर गुच्ची बाबू और विजय नायर की बातचीत को समझने की कोशिश की है. ईडी का दावा है कि दोनों के चैट से लगता है कि कैसे विजय नायर, मनीष सिसोदिया के इशारे पर काम कर रहे थे.
एजेंसी के निशाने पर संजय सिंह भी आ चुके हैं: संजय सिंह आम आदमी पार्टी के राज्य सभा सांसद हैं और वो भी मनीष सिसोदिया की ही तरह अरविंद केजरीवाल के बेहद करीबी माने जाते हैं - अभी तक संजय सिंह को न तो ईडी की तरफ से कोई समन आया है, न ही अरविंद केजरीवाल ने मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन की तरह उनकी गिरफ्तारी की कोई आशंका ही जतायी है, लेकिन मामला काफी गंभीर लगता है.
अदालत में घोटाले की कहानी सुनाते हुए प्रवर्तन निदेशालय ने दावा किया है कि संजय सिंह भी एक अहम किरदार के तौर पर नजर आते हैं. संजय सिंह को लेकर ईडी ने ये दावा एक रेस्टोरेंट के मालिक दिनेश अरोड़ा के बयान के आधार पर किया है. ईडी का ये भी दावा है कि दिनेश अरोड़ा ही पेमेंट कर रहा था, रिश्वत के रूप में जो भी लेन देना होता रहा. दिनेश अरोड़ा, ईडी के मुताबिक, ने बताया है कि 2020 में संजय सिंह का फोन आया कि चुनाव आ रहे हैं और आम आदमी पार्टी को फंड की जरूरत है.
लब्बोलुआब ये है कि प्रवर्तन निदेशालय ने एक ही मामले में अरविंद केजरीवाल और केसीआर दोनों के करीबियों को लपेट लिया है. केसीआर की बेटी और केजरीवाल के कई सारे साथी धीरे धीरे ईडी के शिकंजे में फंसते नजर आ रहे हैं - अदालत का फैसला तो बाद में आएगा, लेकिन फिलहाल कानूनी मुश्किलें तो बढ़ ही जाएंगी.
केजरीवाल कैसे करेंगे बचाव?
मनीष सिसोदिया को ईडी के गिरफ्तार कर लेने के बाद संजय सिंह मीडिया के सामने काफी आक्रामक होकर आये हैं. अरविंद केजरीवाल तो पहले से ही मनीष सिसोदिया की तुलना प्रह्लाद से करते हुए लोगों की सहानुभूति लेने की कोशिश कर रहे हैं - लेकिन तभी बीजेपी नेता चारों तरफ से घेर कर हमला बोल देते हैं. दिल्ली बीजेपी के कई नेताओं की तो जबान भी फिसली देखी जा रही है.
मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद अरविंद केजरीवाल कामकाज न रुके इसके लिए जरूरी इंतजाम तो कर ही चुके हैं - और फिर अपनी चुनावी मुहिम के साथ दौरे भी जारी रखे हुए हैं. कर्नाटक से लेकर छत्तीसगढ़ तक लोगों के बीच जाकर अपनी बात रख रहे हैं और आम आदमी पार्टी के लिए सेवा का एक मौका मांग रहे हैं.
अरविंद केजरीवाल के सामने जो संकट आया है, एक साथ उनको दो-दो मोर्चों पर जूझना है. कानूनी लड़ाई के साथ साथ राजनीतिक लड़ाई भी उसी शिद्दत से लड़ने की जरूरत आ पड़ी है. अपनी कानूनी लड़ाइयां तो वो माफी मांग खत्म कर चुके हैं, लेकिन ये मामला बिलकुल अलग है. आपराधिक मानहानि के केस में भी माफी से काम चल जाता है, लेकिन ये तो भ्रष्टाचार का मामला है - और बड़ी मुसीबत तो यही है कि जो पार्टी राजनीति में भ्रष्टाचार खत्म करने का नारा लगाते हुए आयी उसी को अपने नेताओं पर लग रहे करप्शन के आरोपों से जूझना पड़ रहा है.
जिस तरह के मामलों में मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन फंसे हैं, अगर झगड़ा खत्म करने के लिए भी माफी वाला तरीका अपनाया जाये तो मैसेज यही जाएगा कि खुद ही वो काम कर रहे थे जिसका पहले झंडा उठा कर विरोध कर रहे थे - इसलिए ये सब तो होने से रहा.
ये जरूर देखने को मिला है कि अरविंद केजरीवाल ने गुजरात विधानसभा में पांच सीटें और एमसीडी का चुनाव मनीष सिसोदिया के घर पर सीबीआई की छापेमारी के बाद ही जीता है. मतलब, अभी तो ये समझा ही जा सकता है कि मनीष सिसोदिया पर लगे आरोपों को लोगों ने गंभीरता से नहीं लिया है.
ये बात अलग है कि अरविंद केजरीवाल के गुजरात में सेंध लगा देने और एमसीडी में अपना मेयर बना लेने के बाद बीजेपी से झगड़ा काफी बढ़ गया है. बात सिर्फ एमसीडी में हार जीत की नहीं है, बात तो ये है कि अभी ये हाल है तो आगे क्या होगा.
जांच एजेंसियों के एक्शन के बीच, बीजेपी की तो यही कोशिश होगी कि जैसे कांग्रेस मुक्त भारत अभियान करीब करीब सफल रहा है, एहतियाती तौर पर 'केजरीवाल मुक्त भारत' पर भी एडवांस में चलता रहे - और कहीं ऐसा न हो कि केजरीवाल भी एक दिन कांग्रेस की तरह ही मुसीबत बन कर खड़े हो जायें.
मुश्किल घड़ी में तिनके का सहारा भी काफी होता है
अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक भविष्य के लिए सबसे अच्छी बात फिलहाल यही है कि विपक्ष के एक धड़े का तो साथ मिल ही रहा है. ये ठीक है कि कांग्रेस भी केजरीवाल और उनके साथियों से बीजेपी की तरह पेश आ रही है, लेकिन परोक्ष रूप से ही सही पुराने साथी रहे प्रशांत भूषण भी निजी तौर पर कैंपेन चला रहे हैं.
वैसे तो प्रशांत भूषण जो कैंपेन चला रहे हैं उसमें निशाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ही है, लेकिन लगे हाथ वो अरविंद केजरीवाल के साथ साथ केसीआर और लालू परिवार के लिए भी किसी बॉम की तरह ही दर्द से थोड़ी राहत दिलाने वाला तो है ही.
जाने माने वकील प्रशांत भूषण ने बीजेपी के ही एक सांसद के पुराने बयान की याद दिलाते हुए मोदी सरकार को निशाने पर लिया है. असल में, साल भर पहले एक मॉल के उद्धाटन के मौके पर महाराष्ट्र के सांगली से सांसद संजय पाटिल ने जो कहा वो उन बातों की ही तस्दीक करता है जो बीजेपी के राजनीतिक विरोधी केंद्र सरकार पर इल्जाम लगाते हैं. संजय पाटिल ने जो कुछ कहा वो हल्के-फुल्के अंदाज में ही कहा था, लेकिन बातें काफी गंभीर रहीं.
संजय पाटिल का कहना रहा, ‘ईडी मेरे पीछे नहीं पड़ेगी... क्योंकि मैं भाजपा का सांसद हूं... हमें दिखावे के लिए 40 लाख रुपये की महंगी कार खरीदने के वास्ते कर्ज लेना पड़ता है... हमने कितना कर्ज ले रखा है, ये देखकर ईडी को हैरानी होगी...’
बीजेपी सांसद के उसी बयान का हवाला देते हुए प्रशांत भूषण ने कहा है कि कैसे ईडी को बीजेपी के राजनीतिक टूल के रूप में बदल दिया गया है. ये अरविंद केजरीवाल ही हैं जिनके इशारे पर दो संस्थापक साथियों प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को आम आदमी पार्टी से निकाल दिया गया था.
अरविंद केजरीवाल के लिए राहत की बात ये भी है कि केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन सहित विपक्षी खेमे के 10 नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी का विरोध किया है - और तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर तो पहले से ही कदम से कदम मिला कर चल रहे हैं.
केजरीवाल और केसीआर सिर्फ इसीलिए करीब नहीं आये हैं क्योंकि राहुल गांधी के मन की बात समझते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भारत जोड़ो यात्रा के समापन समारोह में नहीं बुलाया था - और वे दोनों हैदराबाद के पास खम्मम में साथ साथ रैली किये, बल्कि के. कविता की वजह से भी दोनों करीब आ गये हैं.
प्रवर्तन निदेशालय के अफसर चाहें तो इस बात का भी क्रेडिट ले लें - वैसे भी वे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी तारीफ सुन ही चुके हैं कि जो काम देश के मतदाता नहीं कर सके, वो काम ईडी ने कर दिखाया है.
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