आम आदमी पार्टी बमुश्किल दो साल की रही होगी. 2014 की शुरुआत में कुछ नौजवानों ने अरविंद केजरीवाल के सामने दिल्ली में प्रदर्शन कर अपना कड़ा विरोध जताया. मालूम हुआ वे सभी इंडिया अगेंस्ट करप्शन के सदस्य थे जो रामलीला आंदोलन में टीम अन्ना का हिस्सा रहे. बाद जब केजरीवाल राजनीति में उतरे और आम आदमी पार्टी बनायी तो उन्हें तवज्जो नहीं मिली. AAP के विरोध में उन नौजवानों ने एक नया संगठन BAAP यानी भारतीय आम आदमी पार्टी खड़ा करने की कोशिश की - और उसी के बैनर तले ये विरोध प्रदर्शन हो रहा था.
AAP तब BAAP पर भारी पड़ी और विरोध का स्वर दब गया. 2014 में आप की देखा देखी ऐसे कई संगठन मशरूम की तरह उगे और चुनाव बीतते बीतते अपनेआप मुरझा भी गये.
आम आदमी पार्टी एक बार फिर वैसी ही मुश्किल से जूझ रही है - लेकिन चुनौती इस बार बहुत बड़ी है और मदद के लिए अरविंद केजरीवाल को एक बार फिर दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है.
आप को मिला हमनाम चैलेंज
चार साल पहले जो लड़ाई 'आप' बनाम 'बाप' रही, अब वो 'आप' बनाम 'आप' में तब्दील हो गयी है. हालांकि, दोनों मामलों में किसी तरह के कनेक्शन होने की बात सामने नहीं आयी है.
केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने पहले तो चुनाव आयोग के सामने मिलते जुलते नाम वाली पार्टी को लेकर आपत्ति जतायी थी, लेकिन आयोग ने आपत्ति खारिज कर दी. आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग से जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत राजनीतिक पार्टी के रूप में ‘आपकी अपनी पार्टी’ का पंजीकरण को रद्द करने की मांग की थी. चुनाव आयोग ने 16 जुलाई को आम आदमी पार्टी की मांग खारिज कर दी थी. दरअसल, केजरीवाल की पार्टी की प्रतिद्वंद्वी ने नाम तो अलग रखा है लेकिन उसका संक्षिप्त रूप AAP हो जाता है. केजरीवाल ने अपने...
आम आदमी पार्टी बमुश्किल दो साल की रही होगी. 2014 की शुरुआत में कुछ नौजवानों ने अरविंद केजरीवाल के सामने दिल्ली में प्रदर्शन कर अपना कड़ा विरोध जताया. मालूम हुआ वे सभी इंडिया अगेंस्ट करप्शन के सदस्य थे जो रामलीला आंदोलन में टीम अन्ना का हिस्सा रहे. बाद जब केजरीवाल राजनीति में उतरे और आम आदमी पार्टी बनायी तो उन्हें तवज्जो नहीं मिली. AAP के विरोध में उन नौजवानों ने एक नया संगठन BAAP यानी भारतीय आम आदमी पार्टी खड़ा करने की कोशिश की - और उसी के बैनर तले ये विरोध प्रदर्शन हो रहा था.
AAP तब BAAP पर भारी पड़ी और विरोध का स्वर दब गया. 2014 में आप की देखा देखी ऐसे कई संगठन मशरूम की तरह उगे और चुनाव बीतते बीतते अपनेआप मुरझा भी गये.
आम आदमी पार्टी एक बार फिर वैसी ही मुश्किल से जूझ रही है - लेकिन चुनौती इस बार बहुत बड़ी है और मदद के लिए अरविंद केजरीवाल को एक बार फिर दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है.
आप को मिला हमनाम चैलेंज
चार साल पहले जो लड़ाई 'आप' बनाम 'बाप' रही, अब वो 'आप' बनाम 'आप' में तब्दील हो गयी है. हालांकि, दोनों मामलों में किसी तरह के कनेक्शन होने की बात सामने नहीं आयी है.
केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने पहले तो चुनाव आयोग के सामने मिलते जुलते नाम वाली पार्टी को लेकर आपत्ति जतायी थी, लेकिन आयोग ने आपत्ति खारिज कर दी. आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग से जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत राजनीतिक पार्टी के रूप में ‘आपकी अपनी पार्टी’ का पंजीकरण को रद्द करने की मांग की थी. चुनाव आयोग ने 16 जुलाई को आम आदमी पार्टी की मांग खारिज कर दी थी. दरअसल, केजरीवाल की पार्टी की प्रतिद्वंद्वी ने नाम तो अलग रखा है लेकिन उसका संक्षिप्त रूप AAP हो जाता है. केजरीवाल ने अपने नये सियासी दुश्मन के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में अर्जी दी है - और उसके आधार पर अदालत ने चुनाव आयोग और नई राजनैतिक पार्टी ‘आपकी अपनी पार्टी (पीपुल्स)’ को नोटिस भेजा है.
आम आदमी पार्टी के विरोधी दल का नाम है - आपकी अपनी पार्टी और इसका भी संक्षिप्त रूप AAP हो रहा है. अरविंद केजरीवाल की पार्टी का सवाल है कि आखिर मिलते-जुलते नाम वाली पार्टी का रजिस्ट्रेशन क्यों किया गया है? केजरीवाल की पार्टी का इल्जाम है कि इससे लोगों में कंफ्यूजन पैदा होगा और वो फर्क नहीं कर पाएंगे.
वैसे 'आपकी अपनी पार्टी' है किसकी?
गौर करने वाली बात ये है कि केजरीवाल की पार्टी की प्रतिद्वंद्वी का नाम तो ‘आपकी अपनी पार्टी (पीपुल्स)’ है - लेकिन हर जगह सिर्फ आपकी आपनी पार्टी ही नाम लिखा नजर आ रहा है. आपकी अपनी पार्टी के फेसबुक पेज पर फिलहाल 6 हजार से ज्यादा लाइक हैं और ट्विटर पर अभी सिर्फ 19 फॉलोवर हैं - और अब तक 100 से ज्यादा ट्वीट किये जा चुके हैं.
पार्टी के ट्विटर प्रोफाइल पर लिखा है - स्वाभिमान, समृद्धि, सम्मान, स्थायित्व Official twitter account of #AapkiApniParty. फेसबुक पेज पर भी यही चारों बातें लिखी हैं जिसे 4, दिसंबर 2017 को बनाया गया है. आपकी अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम रामबीर चौहान है जो पेशे से वकील बताये जाते हैं. ट्विटर पर पोस्ट किये गये पार्टी के पोस्टर में अध्यक्ष के हवाले से कहा गया है कि बगैर दिल्ली के विकास के देश का विकास नहीं हो सकता है और यही उनका असली मकसद है.
आपकी अपनी पार्टी की तरफ से दिल्ली में रथयात्रा 2018 का भी आयोजन किया गया था जो 2 फरवरी को नरेला से शुरू होकर 25 फरवरी को दिल्ली विधानसभा पहुंच कर खत्म हुई.
केजरीवाल की आप को पहले भी दिल्ली हाई कोर्ट का रूख उस वक्त करना पड़ा था जब चुनाव आयोग ने उसके विधायकों की सदस्यता खारिज कर दी थी. ये वे विधायक रहे जिन्हें केजरीवाल ने संसदीय सचिव बना रखा है. चुनाव आयोग की संस्तुति पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी उस पर अपनी मुहर लगा दी थी. बाद में हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग के कदम को रद्द करते हुए उस मुद्दे पर आप का पक्ष सुनने की हिदायद दी थी. ताजा केस में भी आप ने वैसा ही आधार बनाया है - चुनाव आयोग सुन नहीं रहा है. दिल्ली हाई कोर्ट ने केस की सुनवाई के लिए अगली तारीख 13 नवंबर मुकर्रर की है.
नाम बदलो वरना...
दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ स्कीम समझी जाने वाली आयुष्मान भारत योजना 25 सितंबर से लागू होनी है. मोदी सरकार का दावा है कि इससे करीब 50 करोड़ लोगों को सीधा फायदा पहुंचेगा - और इसमें से 20 लाख लोग दिल्ली के होंगे. स्कीम के तहत हर परिवार को सालाना ₹ 5 लाख तक का कवर मिलेगा.
अभी और कहीं तो नहीं लेकिन दिल्ली में ये स्कीम अधर में नजर आ रही है. असल में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इसके नाम पर आपत्ति है. स्कीम का पूरा नाम 'आयुष्मान भारत - प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना' है. केजरीवाल की मांग है कि इस योजना का नाम प्रधानमंत्री नहीं बल्कि मुख्यमंत्री के नाम पर रखा जाये और उसमें आम आदमी शब्द भी जुड़े हों - 'मुख्यमंत्री आम आदमी स्वास्थ्य बीमा योजना - आयुष्मान भारत'. ऐसा भी नहीं कि केंद्र सरकार दिल्ली में नाम बदलने को तैयार हो जाये तो दिल्ली के लोगों को स्कीम का फायदा मिलने लगेगा. दिल्ली सरकार इस स्कीम में 50 लाख और लोगों के नाम जोड़ने पर अड़ी हुई है. केंद्र सरकार की दलील है कि स्कीम का संचालन 2011 की जनगणना के अनुसार हो रहा है और उसके तहत दिल्ली में 20 लाख लोगों के ही नाम आते हैं.
अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के लिए फिलहाल तो नाम में ही बहुत कुछ रखा हुआ लगता है. आप नेता आतिशी द्वारा अपने नाम से मर्लेना हटाये जाने को लेकर विवाद चल ही रहा था कि आशुतोष ने एक ट्वीट से आग में घी डाल दिया. आप छोड़ चुके आशुतोष का आरोप है कि कभी भी अपनी जाति का जिक्र नहीं करने के बावजूद 2014 का आम चुनाव में पार्टी ने उनकी जाति के नाम पर वोट मांगने के लिए दबाव डाला. आप की हमनाम और मोदीकेयर का नाम बदलने के अलावा अभी कितनी चुनौतियां आने वाली हैं अभी कौन कह सकता है?
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