दिल्ली में उपचुनावों की आहट तो है, लेकिन तारीख अभी नहीं आनी है. दिल्ली हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग फिलहाल ऐसा 'अप्रत्याशित कदम' उठाने से मना कर रखा है. आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य करने की चुनाव आयोग की सिफारिश के मामले में, जिसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिली, जब तक हाई कोर्ट कोई निर्णय नहीं लेता, तारीखों का ऐलान नहीं हो सकता.
टीपू सुल्तान पर तकरार
दिल्ली विधानसभा में ऐतिहासिक महत्व की 70 शख्सियतों की तस्वीर लगाई गई है - जिसका अनावरण गणतंत्र दिवस के मौके पर हुआ. इनमें से एक तस्वीर 18वीं सदी में मैसूर के शासक रहे टीपू सुल्तान की भी है.
जैसे ही बीजेपी को पता चला कि विधानसभा में टीपू सुल्तान की तस्वीर लगने वाली है, बीजेपी ने विरोध शुरू कर दिया. कर्नाटक में भी जब सिद्धारमैया सरकार ने पिछले साल 10 नवंबर को टीपू सुल्तान की जयंती मनाने का ऐलान किया तो बीजेपी और आरएसएस विरोध में खड़े हो गये. बीजेपी और संघ की दलील थी कि टीपू सुल्तान ने बड़े पैमाने पर धर्मांतरण कराया था.
दिल्ली में बीजेपी विधायक ओपी शर्मा ने टीपू सुल्तान की तस्वीर विधानसभा में लगाना जनता की भावनाओँ को आहत करने वाला बताया. बीजेपी विधायक शर्मा का कहना था, "जब केजरीवाल को पता है कि ये विवादित है तो क्यों तस्वीर लगाई गई. भगत सिंह, रानी लक्ष्मीबाई के साथ लगाने वाला कद नहीं है टीपू सुल्तान का..."
फिर क्या था - आम आदमी पार्टी और बीजेपी आपस में भिड़ गये. कर्नाटक में भी इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं और दिल्ली विधानसभा की 20 सीटों पर भी चुनाव की संभावना है - लेकिन ऐसा कुछ भी तब तक नहीं संभव है जब तक कि दिल्ली हाई कोर्ट अपना फैसला न सुना दे.
टीपू सुल्तान को लेकर बीजेपी के विरोध पर आप नेताओं का वही...
दिल्ली में उपचुनावों की आहट तो है, लेकिन तारीख अभी नहीं आनी है. दिल्ली हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग फिलहाल ऐसा 'अप्रत्याशित कदम' उठाने से मना कर रखा है. आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य करने की चुनाव आयोग की सिफारिश के मामले में, जिसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिली, जब तक हाई कोर्ट कोई निर्णय नहीं लेता, तारीखों का ऐलान नहीं हो सकता.
टीपू सुल्तान पर तकरार
दिल्ली विधानसभा में ऐतिहासिक महत्व की 70 शख्सियतों की तस्वीर लगाई गई है - जिसका अनावरण गणतंत्र दिवस के मौके पर हुआ. इनमें से एक तस्वीर 18वीं सदी में मैसूर के शासक रहे टीपू सुल्तान की भी है.
जैसे ही बीजेपी को पता चला कि विधानसभा में टीपू सुल्तान की तस्वीर लगने वाली है, बीजेपी ने विरोध शुरू कर दिया. कर्नाटक में भी जब सिद्धारमैया सरकार ने पिछले साल 10 नवंबर को टीपू सुल्तान की जयंती मनाने का ऐलान किया तो बीजेपी और आरएसएस विरोध में खड़े हो गये. बीजेपी और संघ की दलील थी कि टीपू सुल्तान ने बड़े पैमाने पर धर्मांतरण कराया था.
दिल्ली में बीजेपी विधायक ओपी शर्मा ने टीपू सुल्तान की तस्वीर विधानसभा में लगाना जनता की भावनाओँ को आहत करने वाला बताया. बीजेपी विधायक शर्मा का कहना था, "जब केजरीवाल को पता है कि ये विवादित है तो क्यों तस्वीर लगाई गई. भगत सिंह, रानी लक्ष्मीबाई के साथ लगाने वाला कद नहीं है टीपू सुल्तान का..."
फिर क्या था - आम आदमी पार्टी और बीजेपी आपस में भिड़ गये. कर्नाटक में भी इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं और दिल्ली विधानसभा की 20 सीटों पर भी चुनाव की संभावना है - लेकिन ऐसा कुछ भी तब तक नहीं संभव है जब तक कि दिल्ली हाई कोर्ट अपना फैसला न सुना दे.
टीपू सुल्तान को लेकर बीजेपी के विरोध पर आप नेताओं का वही कहना है जो बार बार वो कहते आये हैं - 'बीजेपी आरएसएस से जुड़े स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम सुझा दे.'
...और ये पोस्टर वार!
दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता तेजिंदर सिंह बग्गा ने अरविंद केजरीवाल को टारगेट करते हुए एक पोस्टर जारी किया है. ये पोस्टर दिल्ली में जगह जगह लगा भी दिये गये हैं. इस पोस्टर में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को फिलहाल रांची जेल में बंद लालू प्रसाद यादव के साथ गले मिलते हुए देखा जा सकता है.
पोस्टर पर लिखा है - 'भ्रष्टाचार के खिलाफ बात करने वाले तथाकथित ईमानदार अरविंद केजरीवाल अपने दोस्त लालू यादव की सजा पर मौन क्यों?' बीजेपी नेता का आरोप है - हर मुद्दे पर बोलने वाले केजरीवाल अब लालू यादव की सजा पर पूरी तरह मौन हैं.
दरअसल, आम आदमी पार्टी की राजनीति में एंट्री ही भ्रष्टाचार के खात्मे के वादे के साथ हुई. अन्ना हजारे के नेतृत्व में रामलीला मैदान से चले आंदोलन के वक्त केजरीवाल लालू यादव के भ्रष्टाचार को खूब उछाला करते थे. केजरीवाल ने इस मामले में बीजेपी को खुद ही मौका दे दिया है. बीजेपी का सवाल है कि केजरीवाल ने लालू की सजा पर एक ट्वीट भी नहीं किया, लेकिन ऐसा क्यों?
वैसे इस पोस्टर में बीजेपी ने जिस तस्वीर का इस्तेमाल किया है उस पर पहले भी विवाद हो चुका है - और केजरीवाल अपनी सफाई भी दे चुके हैं. पोस्टर में लगी तस्वीर नीतीश कुमार के शपथग्रहण के दौरान ली गयी थी, जब केजरीवाल पटना पहुंचे थे. जब लालू और केजरीवाल के गले मिलने पर विवाद तेज हुआ तो केजरीवाल ने सफाई दी कि वो गले नहीं मिल रहे थे बल्कि, लालू उनका हाथ खींच कर गले पड़ गये.
लगता है आप और बीजेपी दोनों ही को तारीखों का न तो इंतजार है और न ही परवाह - वे तो अपनी ही बिछायी चुनावी बिसात पर खुद ही कूद पड़े हैं, वरना - न तो अभी बीजेपी केजरीवाल के पोस्टर लगाती - और न ही टीपू सुल्तान की तस्वीर पर बवाल मचता.
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