कर्नाटक के स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने पर रोक का विवाद लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. हिजाब विवाद में बीते दिन सामने आए एक मुस्लिम छात्रा मुस्कान के वीडियो ने 'आग में घी' का काम किया है. जिसके चलते हिजाब को संवैधानिक अधिकार बताने का प्रदर्शन दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी पहुंच गया है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में कॉलेज के छात्रों का एक गुट स्कूटी से बुर्का पहनकर आने वाली लड़की का विरोध करते दिखाई दे रहे हैं. वीडियो में एक मुस्लिम छात्रा बुर्का पहनकर कॉलेज में प्रवेश करती दिखाई दे रही है. जिसके विरोध में भगवा गमछा पहने छात्रों का गुट 'जय श्री राम' के नारे लगाने लगता है. जिसके जवाब में लड़की भी 'अल्लाह हू अकबर' का नारा बुलंद करती है. मुस्कान नाम की इस लड़की कॉलेज स्टाफ क्लास में जाने को कहता है. इस दौरान लड़की कैमरे पर गुस्से में कहती नजर आती है कि 'ये मेरा बुर्का क्यों हटाना चाहते हैं? इन लोगों को बुर्का हटाने का हक किसने दिया है?' इसके बाद वो कॉलेज की बिल्डिंग में प्रवेश कर जाती है. मुस्कान का कहना है कि 'उसे घेरने वालों में कॉलेज के साथ ही बाहर के लोग भी शामिल थे.'
वीडियो वायरल होने के साथ ही बुर्का पहनने वाली मुस्लिम छात्रा मुस्कान को 'शेरनी', 'साहसी' जैसी उपमाओं से नवाजा जाने लगा है. मामला कर्नाटक हाईकोर्ट में है, लेकिन देश के कुछ राजनेताओं और कथित बुद्धिजीवी वर्ग ने इसे हिजाब बनाम भगवा गमछा की जंग में तब्दील कर दिया है. वहीं, मुस्कान को जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने पांच लाख का इनाम देने का ऐलान किया है. ये वही जमीयत-उलेमा-ए-हिंद है, जो अपने फतवों और फरमानों के लिए सुर्खियों में बना रहता है. वैसे, मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, हिजाब को संवैधानिक अधिकार बताने वाली छात्राएं कथित तौर पर कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई की स्टूडेंट विंग 'कैंपस फ्रंट ऑफ...
कर्नाटक के स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने पर रोक का विवाद लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. हिजाब विवाद में बीते दिन सामने आए एक मुस्लिम छात्रा मुस्कान के वीडियो ने 'आग में घी' का काम किया है. जिसके चलते हिजाब को संवैधानिक अधिकार बताने का प्रदर्शन दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी पहुंच गया है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में कॉलेज के छात्रों का एक गुट स्कूटी से बुर्का पहनकर आने वाली लड़की का विरोध करते दिखाई दे रहे हैं. वीडियो में एक मुस्लिम छात्रा बुर्का पहनकर कॉलेज में प्रवेश करती दिखाई दे रही है. जिसके विरोध में भगवा गमछा पहने छात्रों का गुट 'जय श्री राम' के नारे लगाने लगता है. जिसके जवाब में लड़की भी 'अल्लाह हू अकबर' का नारा बुलंद करती है. मुस्कान नाम की इस लड़की कॉलेज स्टाफ क्लास में जाने को कहता है. इस दौरान लड़की कैमरे पर गुस्से में कहती नजर आती है कि 'ये मेरा बुर्का क्यों हटाना चाहते हैं? इन लोगों को बुर्का हटाने का हक किसने दिया है?' इसके बाद वो कॉलेज की बिल्डिंग में प्रवेश कर जाती है. मुस्कान का कहना है कि 'उसे घेरने वालों में कॉलेज के साथ ही बाहर के लोग भी शामिल थे.'
वीडियो वायरल होने के साथ ही बुर्का पहनने वाली मुस्लिम छात्रा मुस्कान को 'शेरनी', 'साहसी' जैसी उपमाओं से नवाजा जाने लगा है. मामला कर्नाटक हाईकोर्ट में है, लेकिन देश के कुछ राजनेताओं और कथित बुद्धिजीवी वर्ग ने इसे हिजाब बनाम भगवा गमछा की जंग में तब्दील कर दिया है. वहीं, मुस्कान को जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने पांच लाख का इनाम देने का ऐलान किया है. ये वही जमीयत-उलेमा-ए-हिंद है, जो अपने फतवों और फरमानों के लिए सुर्खियों में बना रहता है. वैसे, मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, हिजाब को संवैधानिक अधिकार बताने वाली छात्राएं कथित तौर पर कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई की स्टूडेंट विंग 'कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया' (इस दावे से जुड़ी खबर यहां पढ़ें) से जुड़ी हुई हैं. पीएफआई संगठन की सीएए विरोधी देशव्यापी दंगों में भूमिका किसी से छिपी नहीं है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो हिजाब विवाद के पीछे छिपे कट्टरपंथियों को पहचानना जरूरी है. क्योंकि, भले ही आपको ये हिजाब पहनने की स्वतंत्रता से जुड़ा एक आम सा मामला लग रहा हो. लेकिन, इसके पीछे सुनियोजित तरीके से कट्टरपंथियों का एक सिस्टम खड़ा हुआ है.
आतंकी घटनाओं से लेकर सीएए विरोधी दंगों तक पीएफआई का हाथ
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में उत्तर प्रदेश में हुए हिंसक प्रदर्शनों में कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पीएफआई का नाम सामने आया था. पीएफआई से जुड़े कई लोगों को उस दौरान गिरफ्तार किया गया था. पीएफआई की मुख्य केरल इकाई से जुड़े कुछ लोगों के इस्लामिक आतंकी संगठन ISIS में भी शामिल होने की चर्चा भी खूब रही है. खुद को एक गैर सरकारी संगठन बताने वाले पीएफआई पर धर्मांतरण, धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा देने जैसी कई गैर-कानून गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगते रहे हैं. 2017 में गृह मंत्रालय ने पीएफआई के संबंध जिहादी आतंकियों से होने और इस्लामिक कट्टरवाद को बढ़ावा देने के आरोप की बात कही थी. पीएफआई की एसडीपीआई यानी सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया नाम की एक राजनीतिक विंग भी है. एनआईए की एक जांच रिपोर्ट में पीएफआई पर 6 आतंकी घटनाओं में शामिल रहने का आरोप लगाया गया था.
द प्रिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, पीएफआई के कुछ सदस्य भारत में बैन किए जा चुके आतंकी संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी के सदस्य रहे हैं. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएफआई का राष्ट्रीय महासचिव अब्दुल रहमान पहले सिमी का राष्ट्रीय सचिव रह चुका है. पीएफआई का राज्य संगठन सचिव अब्दुल हमीद भी सिमी से जुड़ा रहा है. कहा जाता है कि 2006 में सिमी को बैन लगाए जाने के बाद इस कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन के सदस्य पीएफआई में शामिल हो गए थे. पीएफआई मुख्य रूप से केरल में सक्रिय है. लेकिन, देश के हर राज्य में मुस्लिमों के बीच पीएफआई अपनी पैठ रखता है. पीएफआई की वेबसाइट पर मुस्लिमों की भलाई के लिए काम किए जाने का दावा किया गया है. हालांकि, हिजाब विवाद को देखते हुए कोई भी आसानी से बता सकता है कि पीएफआई असल में क्या करता है.
फतवों और फरमानों को लेकर मशहूर है जमीयत उलेमा-ए-हिंद
सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या में राम मंदिर बनाने के फैसले पर विवाद मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करने के मामले में जमीएत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat lema-e-Hind) सबसे आगे रहा था. भारत के बड़े इस्लामी संगठनों में से एक जमीयत उलेमा-ए-हिंद की स्थापना 1919 में हुई थी. जमीयत में इस्लाम के जानकारों से लेकर मौलानाओं की एक बड़ी फौज शामिल है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद का असर देश की एक बड़ी मुस्लिम आबादी पर माना जाता है. शरीयत और इस्लाम धर्म के कायदों-कानूनों को ही आखिरी मानने वाला ये संगठन अपने फतवों और फरमानों के लिए मशहूर है. बीते साल ही जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सभी गैर-मुसलमानों (Non Muslims) से अपनी बेटियों को अश्लीलता से बचाने के लिए को-एड स्कूलों में नहीं भेजने की अपील की थी. जमीयत ने लड़कियों को अलग स्कूलों में भेजने पर जोर दिया था. तीन तलाक जैसे कानून का विरोध करने वाला यह संगठन को कांग्रेस का करीबी माना जाता है. बता दें कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद के ही एक मौलाना ने तालिबान को अफगानिस्तान पर जीत की बधाई दी थी.
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