पश्चिम बंगाल में बीरभूम जिले में एक टीएमसी नेता की हत्या के बाद गुस्साई भीड़ ने आठ लोगों को जिंदा जला कर मार डाला. आगजनी की इस घटना में 6 महिलाओं और एक बच्चे के साथ एक पुरुष भी शामिल है. पुलिस ने हिंसा, आगजनी और हत्या के इस मामले में अब तक 20 लोगों को गिरफ्तार किया है. इन सबके बीच कोलकाता हाईकोर्ट ने इस घटना का स्वत: संज्ञान लिया है. इस घटना पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और भाजपा आमने-सामने आ गए हैं. राज्य सरकार ने इस घटना की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है. वहीं, भाजपा ने भी 5 सदस्यीय जांच समिति गठित की है. जो बीरभूम के बागुटी गांव जाकर रिपोर्ट तैयार करेगी. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने इस घटना को हिंसा की संस्कृति और जंगलराज बताया है. वहीं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल के इस बयान को गैरजरूरी और बंगाल की छवि खराब करने वाला कहा है. बताया जा रहा है कि भाजपा नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल बीरभूम के रामपुरहाट का दौरा करेंगे. आईए जानते हैं कि आखिर बीरभूम में कौन मारे गए और इस पर हिंदू-मुस्लिम की राजनीति क्यों हो रही है?
क्यों भड़की हिंसा?
21 मार्च को बीरभूम (Birbhum) जिले के रामपुरहाट के बागुटी गांव (Bogtui) में में टीएमसी नेता और ग्राम पंचायत के उप प्रधान भादू शेख (Bhadu Sheikh) की हत्या कर दी गई थी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भादू शेख की देसी बम मारकर हत्या कर दी गई थी. बताया जा रहा है कि भादू शेख पर बाइक सवार चार आरोपियों ने बम फेंका था. इस हमले में गंभीर रूप से घायल भादू शेख को रामपुरहाट के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन, उनकी मौत हो गई. भादू शेख की मौत के बाद गुस्साई भीड़...
पश्चिम बंगाल में बीरभूम जिले में एक टीएमसी नेता की हत्या के बाद गुस्साई भीड़ ने आठ लोगों को जिंदा जला कर मार डाला. आगजनी की इस घटना में 6 महिलाओं और एक बच्चे के साथ एक पुरुष भी शामिल है. पुलिस ने हिंसा, आगजनी और हत्या के इस मामले में अब तक 20 लोगों को गिरफ्तार किया है. इन सबके बीच कोलकाता हाईकोर्ट ने इस घटना का स्वत: संज्ञान लिया है. इस घटना पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और भाजपा आमने-सामने आ गए हैं. राज्य सरकार ने इस घटना की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है. वहीं, भाजपा ने भी 5 सदस्यीय जांच समिति गठित की है. जो बीरभूम के बागुटी गांव जाकर रिपोर्ट तैयार करेगी. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने इस घटना को हिंसा की संस्कृति और जंगलराज बताया है. वहीं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल के इस बयान को गैरजरूरी और बंगाल की छवि खराब करने वाला कहा है. बताया जा रहा है कि भाजपा नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल बीरभूम के रामपुरहाट का दौरा करेंगे. आईए जानते हैं कि आखिर बीरभूम में कौन मारे गए और इस पर हिंदू-मुस्लिम की राजनीति क्यों हो रही है?
क्यों भड़की हिंसा?
21 मार्च को बीरभूम (Birbhum) जिले के रामपुरहाट के बागुटी गांव (Bogtui) में में टीएमसी नेता और ग्राम पंचायत के उप प्रधान भादू शेख (Bhadu Sheikh) की हत्या कर दी गई थी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भादू शेख की देसी बम मारकर हत्या कर दी गई थी. बताया जा रहा है कि भादू शेख पर बाइक सवार चार आरोपियों ने बम फेंका था. इस हमले में गंभीर रूप से घायल भादू शेख को रामपुरहाट के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन, उनकी मौत हो गई. भादू शेख की मौत के बाद गुस्साई भीड़ ने बागुटी गांव के कई घरों में आग लगा दी. जिसमें 8 लोगों की मौत हो गई.
कौन हैं मरने वाले?
द टेलीग्राफ की एक खबर के मुताबिक, इस घटना में मरने वालों की संख्या 8 है. आगजनी की इस घटना में मरने वालों की पहचान जहांआरा बीबी (38), लिली खातून (18), शेली बीबी (32), नूरनेहर बीबी (52), रूपाली बीबी (39),काजी शजीदुर रहमान (22), तुली खातून (7) और मीना बीबी (40) के तौर पर हुई है. मीना बीबी को छोड़कर बाकी सारे लोग आपस में रिश्तेदार थे. इन सातों लोगों के शव सोना शेख के एकमंजिला मकान में ही मिले है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, काजी शजीदुर रहमान और लिली खातून की हाल ही में शादी हुई थी.
हत्याओं के राजनीतिक कनेक्शन पर क्यों है बवाल?
भाजपा का आरोप है कि स्थानीय तृणमूल नेता की हत्या का बदला लेने के लिए इस घटना को अंजाम दिया गया है. हालांकि, टीएमसी का कहना है कि यह घटना राजनीति से जुड़ी नहीं है. वहीं, डीजीपी मनोज मालवीय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि इन हत्याओं का राजनीति से कोई लेना-देना नही है. डीजीपी मालवीय का ये बयान ऐसे समय आया था, जब एसआईटी की जांच भी शुरू नहीं हुई थी. वहीं, बीरभूम के तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष अनुब्रत मंडल ने दावा कर दिया था कि आगजनी की ये घटना टीवी में आग लगने की वजह से यानी शॉर्ट सर्किट की वजह से हुई है.
तृणमूल कांग्रेस के ही नेताओं ने दिया घटना को अंजाम!
घरों में आग लगाकर अंजाम दिए गए इस हत्याकांड के बाद से बागुटी गांव से लोगों का पलायन शुरू हो गया है. इंडिया टुडे से बातचीत में मृतक टीएमसी नेता भादू शेख के एक रिश्तेदार खैरुल अली ने इस पलायन के लिए पुलिस को जिम्मेदार बताया है. खैरुल अली बागुटी गांव में नहीं रहते हैं और अपने परिवार की गांव छोड़ने में मदद करने के लिए आए हैं. आग कैसे लगी, इसकी जानकारी खैरुल अली को भी नही है. हालांकि, उन्होंने कहा है कि 'इन सबके पीछे तृणमूल कांग्रेस के भीतर के ही एक गुट का हाथ है. वो सभी टीएमसी के ही सदस्य हैं.'
खैरुल अली के इस दावे पर द टेलीग्राफ की खबर से एक जरूरी बात सामने आती है. द टेलीग्राफ ने लिखा है कि वाम दलों के समय से ही बागुटी गांव हिंसा और अपराध से ग्रस्त रहा है. देसी बम बनाने, अवैध हथियार, और अवैध बालू व पत्थर खनन जैसी आपराधिक गतिविधियां यहां होती रही है. द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, गांव के दो गुटों के बीच पिछले तीन दशकों से दुश्मनी है. वाम दलों के शासनकाल में ये लोग वाम दलों के साथ थे. वहीं, ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस की सरकार आने पर इन्होंने पाला बदल लिया. लेकिन, इनके बीच दुश्मनी बरकरार रही.
वाम दलों की राह पर ही चल रही हैं ममता बनर्जी
विपक्षी दलों ने इस नरसंहार के पीछे वर्चस्व और पैसों की भूख के लिए तृणमूल कांग्रेस के आंतरिक संघर्ष को जिम्मेदार ठहराया है. देखा जाए, तो बागुटी गांव में हुए नरसंहार की वजह से तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी बैकफुट पर हैं. द टेलीग्राफ के अनुसार, अवैध रेत और पत्थर के कारोबार पर रोक न लगा पाने में पुलिस की विफलता ही भादू शेख की हत्या का कारण माना जा सकता है. लेकिन, अहम सवाल ये है कि भादू शेख कथित तौर पर इस क्षेत्र में चलने वाले अवैध कारोबारों का नियंत्रण करता था. तो, उसे संरक्षण देने वाला कौन था? स्पष्ट सी बात है कि ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद भादू शेख जैसे लोगों को संरक्षण देकर पश्चिम बंगाल की स्थिति को और बिगाड़ दिया है. कहीं न कहीं ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के रक्तरंजित इतिहास को बदलने की जगह उसे ढंकने की कोशिश की. आसान शब्दों में कहा जाए, तो ममता बनर्जी वाम दलों की बनाई हुई राह पर ही चल रही हैं. और, दशकों से जल रहा बंगाल आज भी जल रहा है.
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