यूपी चुनाव 2022 के अंतिम चरण का मतदान अब खत्म हो चुका है. बहुत ही जल्द चुनावी नतीजों को लेकर एग्जिट पोल सामने आने लगेंगे. इन सबके बीच इंडिया टुडे के सीनियर एडिटर सचिन सिंह ने चुनावी नतीजों को लेकर एग्जिट पोल का इंतजार किए बगैर अपने आंकड़े लोगों के सामने रखे हैं. सचिन सिंह ने एक आर्टिकल के जरिये Indiatoday.in (इंग्लिश में आर्टिकल पढ़ने के लिए क्लिक करें) में अपनी बात रखी है. आप यहां उस आर्टिकल का हिंदी अनुवाद पढ़ रहे हैं:
आज सात मार्च है, यूपी चुनाव 2022 का आखिरी चरण पूरा हो गया है. करीब आधा मतदान हो चुका है, और एक्जिट पोल्स कुछ घंटों में सामने आ जाएंगे. मैं अपनी ओर से सीटों के आंकड़े देने के लिए एग्जिट पोल्स का इंतजार नहीं करूंगा. मैं खुद को आगे कर भाजपा को 300+ सीटें जीतने की भविष्यवाणी कर रहा हूं. यह पूरी तरह से मेरी बातचीत और प्रतिक्रियाओं के छोटे-छोटे अंशों पर आधारित है, जो मुझे अलग-अलग पृष्ठभूमि के लोगों से मिले हैं. मैं इस प्रदर्शन के लिए खासतौर से पांच कारण देखता हूं.
कारण 1 : यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के पांच साल के शासन के बाद भी उनके खिलाफ कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं दिख रही है, और यह दुर्लभ है. मैंने हर किसी से बात की - चाहे वह ग्रामीण इलाकों से हो या शहरों से, गरीबों से लेकर मध्यम वर्ग तक - सीएम के खिलाफ एक भी आलोचनात्मक आवाज नहीं आई. यूपी के लोगों ने...
यूपी चुनाव 2022 के अंतिम चरण का मतदान अब खत्म हो चुका है. बहुत ही जल्द चुनावी नतीजों को लेकर एग्जिट पोल सामने आने लगेंगे. इन सबके बीच इंडिया टुडे के सीनियर एडिटर सचिन सिंह ने चुनावी नतीजों को लेकर एग्जिट पोल का इंतजार किए बगैर अपने आंकड़े लोगों के सामने रखे हैं. सचिन सिंह ने एक आर्टिकल के जरिये Indiatoday.in (इंग्लिश में आर्टिकल पढ़ने के लिए क्लिक करें) में अपनी बात रखी है. आप यहां उस आर्टिकल का हिंदी अनुवाद पढ़ रहे हैं:
आज सात मार्च है, यूपी चुनाव 2022 का आखिरी चरण पूरा हो गया है. करीब आधा मतदान हो चुका है, और एक्जिट पोल्स कुछ घंटों में सामने आ जाएंगे. मैं अपनी ओर से सीटों के आंकड़े देने के लिए एग्जिट पोल्स का इंतजार नहीं करूंगा. मैं खुद को आगे कर भाजपा को 300+ सीटें जीतने की भविष्यवाणी कर रहा हूं. यह पूरी तरह से मेरी बातचीत और प्रतिक्रियाओं के छोटे-छोटे अंशों पर आधारित है, जो मुझे अलग-अलग पृष्ठभूमि के लोगों से मिले हैं. मैं इस प्रदर्शन के लिए खासतौर से पांच कारण देखता हूं.
कारण 1 : यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के पांच साल के शासन के बाद भी उनके खिलाफ कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं दिख रही है, और यह दुर्लभ है. मैंने हर किसी से बात की - चाहे वह ग्रामीण इलाकों से हो या शहरों से, गरीबों से लेकर मध्यम वर्ग तक - सीएम के खिलाफ एक भी आलोचनात्मक आवाज नहीं आई. यूपी के लोगों ने उन्हें गले लगा लिया है और उन्हें दूसरा मौका देने को तैयार हैं.
कारण 2 : यूपी की कानून-व्यवस्था में सुधार दिखाई दे रहा है, लेकिन अभी और सुधार किए जाने की जरूरत है. यहां तक कि भाजपा के विरोधी भी इसे स्वीकार करते हैं.
कारण 3 : उत्तर प्रदेश में महिला मतदाताओं के बीच पीएम मोदी से ज्यादा नहीं (कारण कई हो सकते हैं- कानून-व्यवस्था, कल्याणकारी योजनाएं, ईमानदारी) लेकिन, यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ समान रूप से लोकप्रिय हैं. यह लोकप्रियता पीढ़ी दर पीढ़ी बंटी हुई है. भाजपा को चुनाव में महिलाओं के वोटों का बड़ा हिस्सा मिलने जा रहा है. यह मेरी भविष्यवाणी है कि महिला मतदाताओं के बीच इस अपील के कारण भाजपा पिछले विधानसभा चुनावों की तुलना में अपने वोट शेयर में 5% का इजाफा करेगी.
कारण 4 : कोविड के परीक्षण के समय में सरकारी कल्याणकारी योजनाएं एक निर्णायक कारक हैं, चाहे वह मुफ्त राशन हो, नकद हस्तांतरण हो, अस्पतालों में मुफ्त इलाज हो और गरीबों के लिए घर हो. सरकारी योजनाओं के इस लक्षित वितरण से भाजपा को बड़ी मदद मिल रही है. उत्तर प्रदेश के मतदाताओं की एक बड़ी हिस्सेदारी वाले ग्रामीण क्षेत्र इस बारे में मुखर हैं, जाति और धर्म से परे हैं.
कारण 5 : पीएम मोदी और योगी आदित्यनाथ की जोड़ी यूपी में मतदाताओं के साथ तालमेल बिठाने में कामयाब रही है. जिसे अतीत में 'हिंदुत्व की प्रयोगशाला' कहा जाता रहा है. इस बार राम मंदिर और काशी विश्वनाथ गलियारा मतदाताओं के जेहन में ताजा है, लेकिन यही एकमात्र मुद्दा नहीं है. बेहतर सड़कें, बेहतर बिजली आपूर्ति, बेहतर बुनियादी ढांचा, बेहतर पुलिसिंग शहर के मतदाताओं के बीच चर्चा का विषय है.
इसके अलावा भाजपा के लिए इस 300+ सीटों के अनुमान का सबसे बड़ा कारण यह है कि विपक्ष भाजपा को घेरने के लिए एक स्पष्ट चुनावी मुद्दा नहीं उठा सका. हर चरण के मतदान के बाद विपक्ष ने गोल पोस्ट को स्थानांतरित कर दिया - कृषि कानूनों से लेकर पुलिस की सख्ती से लेकर ईवीएम तक. सत्तारूढ़ सरकार जो पेशकश कर रही थी, उसका मुकाबला करने के लिए विपक्ष कोई रचनात्मक दृष्टिकोण लेकर नहीं आया. विपक्ष का चुनावी कैंपेन पहले दिन से ही पूरी तरह से नकारात्मक था. सरकार की आलोचना करना कैंपेन का एकमात्र व्यापक विषय था. और, लोगों को यह जानना चाहिए कि अगर उन्हें सरकार के खिलाफ वोट देना है, तो वे किसके लिए वोट देने जा रहे हैं.
अन्य भविष्यवाणियां
- जाट नेता जयंत चौधरी की पार्टी आरएलडी दो अंकों के निशान को नहीं छू पाएगी
- समाजवादी पार्टी तीन अंकों के निशान को नहीं छू पाएगी. गठबंधन सहयोगियों को दी गई सीटों के कारण समाजवादी पार्टी का वोट शेयर नहीं बढ़ेगा.
- अगर यूपी में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली, तो मुझे हैरानी नहीं होगी.
- बसपा अपने मतदाता आधार को बनाए रखने में कामयाब होगी. लेकिन, वोटों का सीटों में बदलाव ज्यादा नहीं होगा. बसपा तीसरी सबसे बड़ी पार्टी होगी. इसकी सीटें 15 से 25 के बीच हो सकती हैं.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.