चुनावी राज्य पश्चिम बंगाल में नेताओं के पार्टियां बदलने का चलन फीका पड़ गया है और अब पार्टी में फिल्मी सितारों को जोड़ने का नया ट्रेंड शुरू हो चुका है. पिछले हफ्ते सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस के मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने बंगाली फिल्म इंडस्ट्री के जाने-माने अभिनेताओं यश दासगुप्ता और हिरन चटर्जी को पार्टी में शामिल किया. बीते कुछ समय में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष और राज्य प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय के नेतृत्व में कई फिल्मी सितारे सहित आधा दर्जन अन्य लोगों ने पार्टी का दामन थाम लिया है. इन सबके बीच चर्चा हो रही है कि भाजपा में कुछ ऐसी हस्तियां शामिल हो सकती हैं, जो टीएमसी के कार्यक्रमों और चुनावी अभियान का प्रमुख चेहरा रहे हैं.
यश दासगुप्ता का भाजपा में जाना पश्चिम बंगाल में काफी सुर्खियां बटोर रहा है. दरअसल, यश को टीएमसी सांसद नुसरत जहां का करीबी माना जाता है और वह पार्टी की सांसद मिमी चक्रवर्ती के भी दोस्त हैं. नुसरत जहां ने पहले ही स्पष्ट कर चुकी हैं कि वह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ हैं. वहीं, हाल ही में दक्षिण 24 परगना में ममता बनर्जी की चुनावी बैठक से मिमी चक्रवर्ती के नदारद रहने के कारण अटकलों का दौर शुरू हो गया है.
भाजपा दावा कर रही है कि आगामी विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने के बाद ममता की पार्टी पुलिस और प्रशासन पर पकड़ खो देगी और टीएमसी के दलबदलुओं की संख्या कई गुना बढ़ जाएगी. बीती 19 फरवरी को पुलिस ने मॉडल से भाजपा युवा नेता बनीं पामेला गोस्वामी को हुगली से 100 ग्राम कोकीन ले जाने के आरोप में गिरफ्तार किया था. इस गिरफ्तारी ने टीएमसी को भाजपा पर हमला करने के लिए न केवल एक मुद्दा दिया. बल्कि, इसने भगवा पार्टी को अपने दरवाजे बहुत ज्यादा खोलने से भी रोक दिया है.
चुनावी राज्य पश्चिम बंगाल में नेताओं के पार्टियां बदलने का चलन फीका पड़ गया है और अब पार्टी में फिल्मी सितारों को जोड़ने का नया ट्रेंड शुरू हो चुका है. पिछले हफ्ते सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस के मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने बंगाली फिल्म इंडस्ट्री के जाने-माने अभिनेताओं यश दासगुप्ता और हिरन चटर्जी को पार्टी में शामिल किया. बीते कुछ समय में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष और राज्य प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय के नेतृत्व में कई फिल्मी सितारे सहित आधा दर्जन अन्य लोगों ने पार्टी का दामन थाम लिया है. इन सबके बीच चर्चा हो रही है कि भाजपा में कुछ ऐसी हस्तियां शामिल हो सकती हैं, जो टीएमसी के कार्यक्रमों और चुनावी अभियान का प्रमुख चेहरा रहे हैं.
यश दासगुप्ता का भाजपा में जाना पश्चिम बंगाल में काफी सुर्खियां बटोर रहा है. दरअसल, यश को टीएमसी सांसद नुसरत जहां का करीबी माना जाता है और वह पार्टी की सांसद मिमी चक्रवर्ती के भी दोस्त हैं. नुसरत जहां ने पहले ही स्पष्ट कर चुकी हैं कि वह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ हैं. वहीं, हाल ही में दक्षिण 24 परगना में ममता बनर्जी की चुनावी बैठक से मिमी चक्रवर्ती के नदारद रहने के कारण अटकलों का दौर शुरू हो गया है.
भाजपा दावा कर रही है कि आगामी विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने के बाद ममता की पार्टी पुलिस और प्रशासन पर पकड़ खो देगी और टीएमसी के दलबदलुओं की संख्या कई गुना बढ़ जाएगी. बीती 19 फरवरी को पुलिस ने मॉडल से भाजपा युवा नेता बनीं पामेला गोस्वामी को हुगली से 100 ग्राम कोकीन ले जाने के आरोप में गिरफ्तार किया था. इस गिरफ्तारी ने टीएमसी को भाजपा पर हमला करने के लिए न केवल एक मुद्दा दिया. बल्कि, इसने भगवा पार्टी को अपने दरवाजे बहुत ज्यादा खोलने से भी रोक दिया है.
मशहूर हस्तियों को आकर्षित करने के लिए भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस की चुनावी किताब से एक पन्ना उधार ले रही है. बंगाली फिल्म इंडस्ट्री को टॉलीवुड के रूप में जाना जाता है और करीब एक दशक तक टीएमसी का टॉलीवुड पर एकाधिकार था. एक्टर शोली मित्रा और बिभास चक्रवर्ती, निर्देशक गौतम घोष, कवि जॉय गोस्वामी और अभिनेता-निर्देशक अपर्णा सेन इस लिस्ट में शामिल हैं. इसे लेकर आलोचक कहते हैं कि यह सरकारी समितियों में पुरस्कार और पदों के जरिये हमेशा ही किया जाता था. संभव है कि यह 2011 में ममता बनर्जी के वाम मोर्चा के खिलाफ सफल चुनावी अभियान में प्रदेश के बुद्धिजीवी समुदाय और फिल्मी सितारों के समर्थन के लिए किया गया हो.
पार्टियां चुनाव में इन सितारों का इस्तेमाल अपने पक्ष में जनता की सोच को बदलकर राजनीतिक हवा बनाने के लिए करती हैं. टॉलीवुड हस्तियों को लुभाने के लिए भाजपा खुद को उस पार्टी के रूप में पेश करने की कोशिश कर रही है, जिसने बंगाल के लोगों की कल्पना को पकड़ लिया है. कोलकाता की प्रेसिडेंसी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और सोशल साइंटिस्ट प्रसंता रे कहते हैं कि भीड़ खींचने के अलावा सेलिब्रिटी का पार्टी की सीट जीतने में कोई बड़ा योगदान नहीं होता है. हालांकि, सेलिब्रिटी लोगों में एक धारणा बनाने में मदद करते हैं कि कौन सी पार्टी दबदबा रखती है और सत्ता की कमान संभालने में सक्षम है. उनका एक निश्चित पार्टी के साथ होना लोगों के दिमाग पर एक छाप छोड़ देता है.
वाम मोर्चे का भी बंगाली फिल्म उद्योग के दिग्गजों जैसे अनूप कुमार, अनिल चटर्जी, दिलीप रॉय और माधबी मुखर्जी को अपने पाले में रखने का इतिहास रहा है. लेकिन, उन्हें ग्लैमर फैक्टर से ज्यादा उनकी साफ छवि और बौद्धिक कौशल के लिए चुना गया था. टीएमसी ने इस चलन में उन अभिनेताओं को शामिल किया, जो फिल्म इंडस्ट्री में अपनी प्रमुख पहचान रखते थे. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में ममता बनर्जी ने देव, नुसरत जहां और मिमी चक्रवर्ती जैसे प्रमुख बंगाली सितारों को पार्टी में लाई थीं.
अतीत में भाजपा ने भी बंगाल के बुद्धिजीवियों और मशहूर हस्तियों को लुभाने की कई विफल कोशिशें की हैं. उदाहरण के लिए, 2015 में पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह कोलकाता आए और शहर के बुद्धिजीवियों से जुड़ने के प्रयास किए. वाम दलों के प्रति झुकाव रखने वाले सौमित्र चटर्जी और मनोज मित्रा जैसी हस्तियों से इसके लिए संपर्क किया गया था, लेकिन उन्होंने शाह के कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर दिया था. यह पिछले आठ महीनों में ही हुआ है कि मशहूर हस्तियां भगवा ओढ़ रही हैं. इनमें फिल्मी सितारे सौमिली बिस्वास और पापिया अधिकारी शामिल हैं.
दिसंबर 2019 में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने शास्त्रीय गायक उस्ताद राशिद खान से मुलाकात की थी. बीते साल दिसंबर में उनकी मुलाकात सरोद कलाकार तेजेंद्र मजूमदार से हुई. अमित शाह भी कोलकाता में पंडित अजय चक्रवर्ती की संगीत अकादमी श्रुतिनंदन गए और मजूमदार से मिले. राज्य के सभी भाजपा नेता अपनी क्षमताओं के अनुसार हर क्षेत्र की हस्तियों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं.
इन सबके बीच ममता बनर्जी ने भी बुद्धिजीवियों के एक वर्ग के बीच अपना समर्थन हासिल करना जारी रखा है. 23 जनवरी को कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 125वीं जन्म जयंती के कार्यक्रम में ममता बनर्जी के भाषण देने के लिए उठने के साथ 'जय श्री राम' के नारों से उनका स्वागत किया गया था. इस घटना के बाद कौशिक सेन, जॉय गोस्वामी, सुवप्रसन्ना, गौतम घोष, देबोलीना दत्ता और सायोनी घोष जैसे बुद्धिजीवियों ने ममता बनर्जी का समर्थन किया. साथ ही दक्षिणपंथी पार्टी के सत्ता में आने के खतरों को लेकर चेतावनी भी दी थी. हालांकि, टीएमसी कुछ हस्तियों को भाजपा के खेमे में जाने से नहीं रोक पाई है. बंगाल में हवा किस तरफ बह रही है, इसका अंदाजा आप ही लगाइए?
(यह लेख इंडिया टुडे के लिए रोमिता दत्ता ने लिखा है)
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.