चीनी शहर वुहान से उभरकर दुनिया की सबसे विनाशकारी महामारियों में से एक बनी कोविड-19 की उत्पत्ति का पता लगाने की मांग एक बार फिर से जोर पकड़ रही है. अब एक के बाद एक देश और ज्यादा से ज्यादा लोग कोविड-19 के प्राकृतिक रूप से पैदा होने के सिद्धांत पर भरोसा नहीं कर रहे हैं. अब इस लिस्ट में ब्रिटेन का नाम भी जुड़ गया है. हालांकि, ब्रिटेन की ओर से यह आधिकारिक तौर पर नहीं कहा गया है. लेकिन, ब्रिटेन की इंटेलीजेंस एजेंसियों ने कोरोना वायरस को लेकर शक और गहरा दिया है. रिपोर्ट्स में कहा गया है कि ब्रिटिश जासूसों का मानना है कि वुहान लैब से कोरोना वायरस के लीक होने की थ्योरी संभव है.
वुहान लैब से हुई COVID-19 की उत्पत्ति: अब ब्रिटेन चाहता है निष्पक्ष जांच
ब्रिटेन ने आधिकारिक तौर पर यह जानने के लिए एक स्वतंत्र जांच की मांग की है कि कोविड-19 कैसे उत्पन्न हुआ और कैसे एक महामारी में बदल गया. इसमें ब्रिटेन के वैक्सीन मंत्री नादिम जहावी का बयान भी है. उन्होंने कहा कि 'मुझे लगता है कि यह वास्तव में महत्वपूर्ण है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन को इस महामारी की उत्पत्ति में बिना किसी दबाव के अपनी जांच करने की अनुमति दी गई है और हमें यह समझने में कोई कसर नहीं छोड़नी चाहिए कि क्यों?' विशेषज्ञ यह कहते रहे हैं कि चीन ने वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के अंदर चल रही गतिविधियों को पूरी तरह से एक्सेस नहीं दिया, यह मांग इस लिहाज से भी जरूरी है.
इस साल जनवरी में वुहान का दौरा करने वाली डब्ल्यूएचओ टीम को कथित तौर पर वायरोलॉजिस्ट शी झेंगली द्वारा किए गए शोध से संबंधित फाइलों को देखने की अनुमति नहीं थी. चमगादड़ और कोरोना वायरस पर लगातार शोध करने के लिए शी झेंगली को वैज्ञानिक समुदाय में चीन की 'बैट वुमन' के तौर पर जाना जाता है. जिसकी एक प्रजाति कोविड-19 का कारण बनती है.
बाद में, डब्ल्यूएचओ की टीम ने कहा कि उसके पास यह कहने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं है कि SARS-CoV-2 या Sars-2 वुहान लैब से लीक हुआ है. इस टीम ने यह भी कहा कि Sars-2 का लीक होना...
चीनी शहर वुहान से उभरकर दुनिया की सबसे विनाशकारी महामारियों में से एक बनी कोविड-19 की उत्पत्ति का पता लगाने की मांग एक बार फिर से जोर पकड़ रही है. अब एक के बाद एक देश और ज्यादा से ज्यादा लोग कोविड-19 के प्राकृतिक रूप से पैदा होने के सिद्धांत पर भरोसा नहीं कर रहे हैं. अब इस लिस्ट में ब्रिटेन का नाम भी जुड़ गया है. हालांकि, ब्रिटेन की ओर से यह आधिकारिक तौर पर नहीं कहा गया है. लेकिन, ब्रिटेन की इंटेलीजेंस एजेंसियों ने कोरोना वायरस को लेकर शक और गहरा दिया है. रिपोर्ट्स में कहा गया है कि ब्रिटिश जासूसों का मानना है कि वुहान लैब से कोरोना वायरस के लीक होने की थ्योरी संभव है.
वुहान लैब से हुई COVID-19 की उत्पत्ति: अब ब्रिटेन चाहता है निष्पक्ष जांच
ब्रिटेन ने आधिकारिक तौर पर यह जानने के लिए एक स्वतंत्र जांच की मांग की है कि कोविड-19 कैसे उत्पन्न हुआ और कैसे एक महामारी में बदल गया. इसमें ब्रिटेन के वैक्सीन मंत्री नादिम जहावी का बयान भी है. उन्होंने कहा कि 'मुझे लगता है कि यह वास्तव में महत्वपूर्ण है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन को इस महामारी की उत्पत्ति में बिना किसी दबाव के अपनी जांच करने की अनुमति दी गई है और हमें यह समझने में कोई कसर नहीं छोड़नी चाहिए कि क्यों?' विशेषज्ञ यह कहते रहे हैं कि चीन ने वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के अंदर चल रही गतिविधियों को पूरी तरह से एक्सेस नहीं दिया, यह मांग इस लिहाज से भी जरूरी है.
इस साल जनवरी में वुहान का दौरा करने वाली डब्ल्यूएचओ टीम को कथित तौर पर वायरोलॉजिस्ट शी झेंगली द्वारा किए गए शोध से संबंधित फाइलों को देखने की अनुमति नहीं थी. चमगादड़ और कोरोना वायरस पर लगातार शोध करने के लिए शी झेंगली को वैज्ञानिक समुदाय में चीन की 'बैट वुमन' के तौर पर जाना जाता है. जिसकी एक प्रजाति कोविड-19 का कारण बनती है.
बाद में, डब्ल्यूएचओ की टीम ने कहा कि उसके पास यह कहने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं है कि SARS-CoV-2 या Sars-2 वुहान लैब से लीक हुआ है. इस टीम ने यह भी कहा कि Sars-2 का लीक होना 'असंभव' था. हालांकि, कई स्वतंत्र शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों ने तब से स्थापित किया है कि कोविड-19 की प्राकृतिक उत्पत्ति का सिद्धांत वैज्ञानिक प्रमाणों पर आधारित नहीं है.
वुहान लैब पर शक क्यों है?
चीन लगातार वुहान लैब लीक थ्योरी का विरोध कर रहा है और प्राकृतिक उत्पत्ति के सिद्धांत पर जोर दे रहा है. लेकिन, इसके पक्ष में कोई सबूत नहीं दे पाया है. लीक थ्योरी को लेकर चीन की भावनाएं कोविड-19 की उत्पत्ति की सच्चाई का पता लगाने में आड़े आ गई है.
शोधकर्ताओं ने अपने सिद्धांत को दो व्यापक आधारों पर आधारित किया है: वायरस के मनुष्यों के बीच प्रसार की कड़ी बनने वाले होस्ट का न होना, एक चमगादड़ में पाए जाने वाले वायरस का जैविक रूप से अपेक्षित म्यूटेशन मनुष्यों के लिए संक्रामक होना और कोरोनावायरस अनुसंधान के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन न करना. दिलचस्प बात यह है कि किसी भी प्रतिष्ठित एजेंसी ने यह नहीं कहा है कि सार्स-2 का लीक होना वुहान लैब या चीनी सरकार के अथॉरिटीज का एक जानबूझकर किया गया प्रयास था.
कॉमन सेंस क्या कहता है?
वहीं, चीन की ओर से वुहान लैब से केवल 25-30 किलोमीटर दूर स्थित मछली मार्केट को कोविड-19 के प्रकोप क्षेत्र के रूप में साबित करने पर जोर दिया जा रहा है. वुहान लैब कोरोना वायरस पर शोध कर रही है. साथ ही जिस परिवार से सार्स-2 का संबंध उस पर भी शोध किया जा रहा है.
यह भी उल्लेखनीय है कि चमगादड़ की प्रजाति जिसे सार्स-2 का स्रोत कहा जाता है, वुहान से लगभग 1,500 किलोमीटर दूर पाई जाती है. चमगादड़ों की ये प्रजाति अपने ठिकाने से 50 किलोमीटर से आगे जाने के लिए नहीं जानी जाती है. इस बात की संभावना बहुत कम है कि वुहान के मछली मार्केट में फैलने से पहले 1500 किलोमीटर की यात्रा करने के दौरान सार्स-2 ने रास्ते में किसी को संक्रमित नहीं किया हो.
साइंस क्या कहती है?
कुछ शोधकर्ताओं का कहना है कि सार्स-2 में म्यूटेशन की श्रृंखला का अभाव है. जो यह दर्शाता है कि कोरोना वायरस को लैब में आनुवंशिक रूप से छेड़छाड़ कर बनाया गया है. पिछले नए रोगजनकों से उलट सार्स-2 बिना म्यूटेशन के ही मानव कोशिकाओं के लिए तैयार दिखा. आश्चर्यजनक रूप से शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन चमगादड़ों से Sars-2 के फैलने की बात कही जाती है, उन्हीं में इस वायरस को वापस समायोजित करने में मुश्किल हुई.
दो यूरोपीय वैज्ञानिकों, ब्रिटिश प्रोफेसर एंगस डल्गलिश और नार्वे के डॉ. बिर्गर सोरेनसेन के एक नए अध्ययन को ब्रिटिश मीडिया में यह दावा करते हुए कहा गया था कि सार्स-2 की उत्पत्ति एक चीनी प्रयोगशाला में हुई थी.
वैज्ञानिकों के हवाले से यह कहा गया था कि उनके पास वायरस को रेट्रो-इंजीनियरिंग से तैयार करने के प्रथम दृष्टया सबूत थे, जिससे यह लगे कि Sars-2 चमगादड़ से प्राकृतिक रूप से विकसित हुआ है. चीनी शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस के ट्रैक को छिपाने की कोशिश की. यह अध्ययन जल्द ही कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस के बायोफिजिक्स की त्रैमासिक समीक्षाओं में प्रकाशित किया जाएगा.
चीन पर बढ़ रहा है दबाव
नए सिरे से कोविड-19 की उत्पत्ति की स्वतंत्र और अबाधित जांच की मांग से चीन पर काफी दबाव बन रहा है. कोरोना वायरस के प्राकृतिक उत्पत्ति के सिद्धांत को खारिज करने वाले प्रभावशाली लोगों में अमेरिका के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फौसी भी शामिल हैं. जिन्होंने हाल ही में कहा था कि उन्हें यकीन नहीं था कि Sars-2 'प्राकृतिक रूप से विकसित' हुआ और 'चीन में क्या हुआ' यह जानने की कोशिश की.
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने इस विश्वास के बारे में मुखर थे कि Sars-2 की उत्पत्ति एक चीनी लैब से हुई है. ट्रंप ने इसे ऑन रिकॉर्ड 'वुहान वायरस' और 'चीनी वायरस' करार दिया था, जिसकी जमकर आलोचना हो रही थी. अब, उनके उत्तराधिकारी जो बाइडेन भी उसी लाइन पर चल रहे हैं. हालांकि, वह उन शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, जो ट्रंप ने किए थे.
जो बाइडेन ने पिछले हफ्ते खुफिया अधिकारियों से ब्रिटेन की तरह कोविड-19 की उत्पत्ति का पता लगाने की कोशिशों को दोगुना करने और वुहान लैब से वायरस लीक की संभावना को ध्यान में रखने को कहा था. बाइडेन ने दो सिद्धांतों प्राकृतिक और प्रयोगशाला उत्पत्ति के बारे में कहा था. उन्हें विश्वास नहीं था कि एक के दूसरे की तुलना में अधिक होने की संभावना का आकलन करने के लिए पर्याप्त जानकारी है.
जाहिर है कि चीन को Sars-2 और कोविड-19 महामारी की उत्पत्ति पर काफी जवाब देने हैं, लेकिन उसने अब तक 'हमला सबसे अच्छा बचाव है' की रणनीति का सहारा लिया है. अगर यह वुहान लैब से सार्स-2 कोरोना वायरस को लीक करने का एक जानबूझकर प्रयास नहीं है, तो यह अनजाने में हुई गलती की जांच की गुंजाइश नहीं छोड़ रहा है.
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